तुगलक वंश (1320 से 1414ईस्वी)-Tughlaq Dynasty (1320 to 1414 AD)

तुगलक वंश (1320 से 1414ईस्वी)


Tughlaq Dynasty (1320 to 1414 AD)


तुगलक वंश की स्थापना गयासुद्दीन मुहम्मद तुगलक ने की थी

इस वंश में कुल 8 शासक हुए
1-गियासुद्दीन तुगलक
2-मुहम्मद बिन तुगलक
3-फिरोज तुगलक
4-गियासुद्दीन तुगलक शाह द्वितीय
5-अबूबक्र
6-नासिरुद्दीन मुहम्मद शाह
7-अलाउद्दीन सिकंदर शाह और
8-नासिरुद्दीन महमूद

इन 8 शासकों ने 1320 ईस्वी से 1414 ईस्वी तक अथार्थ 94 वर्ष तक शासन किया

दिल्ली सल्तनत के काल में तुगलक वंश के शासकों ने सबसे अधिक समय तक शासन किया

दिल्ली पर शासन करने वाले तुर्क राजवंशों में अंतिम तुगलक वंश नासिरुद्दीन महमूद तुगलक वंश का अंतिम शासक था

तुगलक वंश की उत्पत्ति

तुगलक वंश के नामकरण और उनकी जाति के विषय में विद्वानों में मतभेद है

अमीर खुसरो के-- तुगलकनामा से स्पष्ट होता है कि तुगलक सुल्तान का व्यक्तिगत नाम था जातीय नहीं

इब्नबतूता-- तुगलक को तुर्किस्तान और संध्या के मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्र में बसने वाले करोना वंश का बताता है अधिकांश विद्वान इब्नबतुता के मत से सहमत हैं

मिर्जा हैदर ने तारीख ए रशीदी में--तुगलको को चगताई मंगोल कहा है

मोर्कोपोलो--उन्हें मिश्रित जाति का मानता था जिसमें पिता तातार और माताएं भारतीय थी

एम्जिक का मत है कि-- करोना संस्कृत शब्द कर्ण से संबंधित है जिसका अर्थ है विस्तृत जाति है और उस व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है जिसका पिता क्षत्रिय और माता शूद्र होती है

फरिश्ता के अनुसार-- ग्यासुद्दीन का पिता मलिक तुगलक बलबन का एक तुर्क दास था और उसकी माता स्थानीय जाट परिवार की स्त्री थी

गियासुद्दीन तुगलक (1320 से 1325 ईस्वी तक)

सर्वप्रथम सर्वसम्मति से बनने वाला मध्यकालीन भारत का प्रथम- सुल्तान ग्यासुद्दीन तुगलक

तुगलक वंश का संसंस्था- गयासुद्दीन तुगलक

प्रारंभिक नाम- गाजी तुगलक अथवा गाजी बैग तुगलक

ग्यासुद्दीन तुगलक शाह की पदवी धारण की- 1320 में (सिंहासन पर अधिकार करने के पश्चात)

पिता- बलबन का तुर्की दास
माता- पंजाब की एक जाट महिला
ग्यासुद्दीन के जीवन की शुरुआत- एक सैनिक के रूप में
उपाधि धारण की- गाजी (काफिरों का घातक )दिल्ली का प्रथम सुल्तान शासक था जिसने गाजी की उपाधि धारण की थी

सर्वप्रथम अपनी योग्यता का परिचय दिया-उलूग खां के नेतृत्व में (रणथंबोर के घेरे के समय )
गयासुद्दीन की पद और प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई-अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में

अलाउद्दीन खिलजी ने पद दिया-सीमा रक्षक का पद (उसकी सैनिक योग्यता और समर्पण की भावना से प्रेरित होकर)

राज्यपाल नियुक्त किया गया-दीपालपुर का

ग्यासुद्दीन ने मंगोलों के विरुद्ध विजय प्राप्त की-*29 बार समकालीन स्त्रोतों के अनुसार,अमीर खुसरो के अनुसार 18 बार और बरनी के अनुसार 20 बार

मंगोल को पराजित करने के कारण प्रसिद्ध हुआ-मलिक उल गाजी

शासक का प्रथम प्रतीक प्राप्त किया-खोखर सरदार गूलचंद्र से

बलबन के बाद गयासुद्दीन ने भी अपने पुत्रों के लिए प्रयास किया--अपने पुत्रों को उपाधि प्रदान कर उनके प्रतिष्ठा में वृद्धि करने का

ग्यासुद्दीन ने ज्येष्ठ पुत्र मलिक फकरूद्दीन जुना खॉ को उपाधि दी- उलूग खां की उपाधि

गयासुद्दीन की प्रारंभिक समस्या थी-सुल्तान के पद की गरिमा को पुनः स्थापित करना

गयासुद्दीन तुगलक ने प्रशासनिक व्यवस्था को सुधार करने के लिए प्रथम प्रयास किया-- प्रचलित कानूनों को संग्रह करना और उन्हीं कानूनों के अनुसार अपना व्यक्तिगत जीवन बनाना

गयासुद्दीन तुगलक का प्रसिद्ध सूफी संत से मनमुटाव-- सूफी संत निजामुद्दीन औलिया से (5 लाॅख टंका कर धन वापस नहीं देने के कारण जो नासिरुद्दीन खुसरो शाह ने दिए थे)

गयासुद्दीन ने सैनिकों से संबंधित कुप्रथा को बंद किया-- मुक्ता और वली द्वारा सैनिकों के वेतन से कमीशन काटने की कुप्रथा को

गयासुद्दीन तुगलक ने भूमि नाप की प्रथा को शुरू किया-- गल्ला बटाई और नस्क प्रथा

गयासुद्दीन विरोधी था- संगीत का

गयासुद्दीन तुगलक ने अलाउद्दीन के विपरीत नीति अपनाई-उदारता की नीति जिसे बरनी ने रस्में मियाना (मध्य पंथी नीति )कहा है

गयासुद्दीन तुगलक ने संचार और आवागमन हेतु व्यवस्था प्रारंभ की--यातायात व्यवस्था और डाक प्रणाली को (पूर्ण रूप से व्यवस्थित करने का श्रेय गयासुद्दीन तुगलक को सल्तनत काल म)

डाक विभाग का अधिकारी- बरीद ए मुमालिक (सूचना विभाग का प्रमुख )

दिल्ली सल्तनत के इतिहास में पहली बार गयासुद्दीन के शासनकाल में आयोजन किया गया-- निर्धनों की सहायता का आयोजन

नहर बनाने वाला प्रथम शासक-- गयासुद्दीन तुगलक सल्तनत काल में

गयासुद्दीन तुगलक का प्रथम सैन्य अभियान-तेलंगाना प्रांत के लिए 1321 ईस्वी मे

तेलंगाना का नाम बदलकर रखा गया-- सुल्तानपुर

दुनिया का खान कहां गया-- राजमुंदरी अभिलेख में जूना खां (उलूग खां )को

गयासुद्दीन तुगलक का अंतिम सैन्य अभियान- बंगाल अभियान( फैली अव्यवस्था को समाप्त करना)

बंगाल अभियान से लौटते समय निजामुद्दीन औलिया ने ग्यासुद्दीन के बारे में कहा--दिल्ली अभी बहुत दूर है

ग्यासुद्दीन तुगलक की मृत्यु-- फरवरी-मार्च 1325ईस्वी
में

मृत्यु स्थान- अफगान पुर गांव (तुगलकाबाद के पास)

मृत्यु का कारण- अफगान पुर गांव में स्वागत के लिए बनाया गया लकड़ी का भवन गिरने से

इब्नबतूता के अनुसार गयासुद्दीन की मृत्यु का कारण- जूना खां (मोहम्मद बिन तुगलक) था क्योंकि इस भवन का निर्माण एक षड्यंत्र के तहत करवाया गया था

अफगान पूर में बने लकडी के भवन का निर्माण कर्ता-अहमद अयाज

अहमद अयाज को उपाधि दी गई- ख्वाजा जहां और वजीर का पद

गयासुद्दीन तुगलक को दफनाया गया-तुगलकाबाद मैं

गयासुद्दीन तुगलक द्वारा बसाया गया नगर-तुगलकाबाद

वास्तु कला की तुगलक शैली का प्रारंभ- गयासुद्दीन तुगलक के मकबरे के निर्माण से

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