पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से संचालित योजनाएं

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से संचालित योजनाएं


दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य विकास योजना  


 साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष से लेकर 35 वर्ष की उम्र के बीच के 5.50 करोड़ संभावित कामगार थे। ठीक उसी समय विश्व भर में साल 2020 तक 5.70 करोड़ कामगारों की कमी होने का अनुमान लगाया गया।
 ऐसे समय में भारत के लिए अपनी अतिरिक्‍त जनसंख्‍या को जनसांख्यिक लाभांश के रूप में परिणत करने का एक ऐतिहासिक अवसर मिला।
 जहां सरकार ने गरीब परिवारों के कौशल विकास और उत्‍पादक क्षमता विकास बल पर ‘दीनदयाल उपाध्‍याय ग्रामीण कौशल्‍य योजना’ को लागू की।

 क्या है ‘दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य विकास योजना’ 
 
 दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य विकास योजना’ एक ऐसी योजना जिसका मकसद बेरोज़गारों को नए अवसर प्रदान करना है
 इसकी शुरुआत 25 सिंतबर 2014 को केंद्रीय मंत्री (Central minister) नितिन गडकरी और वेंकैया नायडू के अधीन की गई थी।
 इस योजना के तहत 250 से अधिक ट्रेडों में कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है जहां ग्रामीण या फिर निर्धन वर्ग के लोग बिना पैसो के शिक्षा/प्रशिक्षित होकर अच्छा रोज़गार प्राप्त कर सकते है।
 इस योजना के अंतर्गत रिटेल, हॉस्पिटीलिटी, स्वास्थ्य, निर्माण, ऑटोमोटिव, चमड़ा, इलेक्ट्रिकल, प्लम्बिंग, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जाता है।
 वहीं प्रशिक्षण की अवधि 3 महीने से लेकर 12 महीने तक होती है। बतातें चलें यह योजना देश के 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 610 जिलों में लागू है।

 ‘दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य विकास योजना’ का उद्देश्य 
 आधुनिक बाजार में भारत के ग्रामीण निर्धनों को आगे लाने में कई चुनौतियां अक्सर देखने को मिलती है।
 यह वह लोग है जो या तो पैसो की तंगी के चलते सही रोज़गार की तलाश नहीं कर पाते या फिर अपना भविष्य बनाने में कामियाब नहीं होते।
 वहीं सरकार की पहल पर ‘दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य विकास योजना’ इन सभी लोगों की जिंदगी में उज्जवल भविष्य की स्थापना करता है जहां इन्हें प्रशिक्षित करने के साथ अच्छा रोज़गार दिया जाता है।

 डीडीयू–जीकेवाई का मुख्य उद्देश्य 
 विश्‍वस्‍तरीय प्रशिक्षण, वित्‍तपोषण, रोजगार उपलब्‍ध कराना, रोजगार स्‍थायी बनाना, आजीविका उन्‍नयन और विदेश में रोजगार प्रदान करना आदि है।
 साथ ही गरीब ग्रामीण युवाओं को नौकरियों में नियमित रुप से न्यूनतम मजदूरी के बराबर या उससे ऊपर मासिक मजदूरी प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना से 550 लाख से अधिक ऐसे गरीब ग्रामीण युवाओं को कुशलबनाया जाएगा जो अच्छे भविष्य की कामना करते है।

 दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य विकास योजना’ हेतू दस्तावेज़ 
1)   आधार कार्य या पहचान पत्र।
2)   जन्म प्रमाण पत्र अगर जन्म की तारीख ऊपर पहचान पत्र में सूचीबद्द न की गई हो।
3)   बीपीएल कार्ड या आपका नाम उल्लेखनीय हो।
4)   घर के किसी भी सदस्य का मनरेगा कार्यकर्ता कार्ड ध्यान रहें काम पूरा होने के 15 दिनों की न्यूनतम आय के साथ सलंग्न करें।
5)   राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना कार्ड(National health insurance scheme)
6)   घर का अंत्योदय अन्न योजना कार्ड या फिर बीपीएल पीडीएस कार्ड।
7)   घर के किसी भी सदस्य के लिए प्रमाण पत्र या एनआरएलएम स्वंय सहायता समूह की पहचान

 योजना की प्रमुख विशेषताएं 
डीडीयू–जीकेवाई के ज़रिए निर्धनों और सीमांत लोगों को लाभकारी योजनाओं तक पहुंचाना है ताकि ग्रामीण गरीबों के लिए मांग आधारित नि:शुल्क कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके।                        

 दीनदयाल अंत्योदय योजना 

इस योजना का उद्देश्य कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर शहरी और ग्रामीण गरीबी को कम करना है।
Make in India , कार्यक्रम के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सामाजिक तथा आर्थिक बेहतरी के लिए कौशल विकास आवश्यक है।
 दीनदयाल अंत्योदय योजना को आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एच.यू.पी.ए.) के तहत शुरू किया गया था।
 भारत सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
 यह योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) का एकीकरण है।
 राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) को दीन दयाल अंत्योदय योजना - (डी.ए.वाई.-एन.यू.एल.एम.) और हिन्दी में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन नाम दिया गया है।
 इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों के लिए दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना के अंतर्गत सभी 4041 शहरों और कस्बों को कवर कर पूरे शहरी आबादी को लगभग कवर किया जाएगा।
वर्तमान में, सभी शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में केवल 790 कस्बों और शहरों को कवर किया गया है।

 दीन दयाल अंत्योदय योजना तथा राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन का लक्ष्य 
 इस योजना का लक्ष्य शहरी गरीब परिवारों कि गरीबी और जोखिम को कम करने के लिए उन्हें लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसर का उपयोग करने में सक्षम करना
 जिसके परिणामस्वरूप मजबूत जमीनी स्तर के निर्माण से उनकी आजीविका में स्थायी आधार पर सराहनीय सुधार हो सके।
 इस योजना का लक्ष्य चरणबद्ध तरीके से शहरी बेघरों हेतु आवश्यक सेवाओं से लैस आश्रय प्रदान करना भी होगा।
 यह योजना शहरी सड़क विक्रेताओं की आजीविका संबंधी समस्याओं को देखते हुए उनकी उभरते बाजार के अवसरों तक पहुँच को सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त जगह, संस्थागत ऋण, और सामाजिक सुरक्षा और कौशल के साथ इसे सुविधाजनक बनाने से भी संबंधित है।

 डीएवाई-एनयूएलएम के घटक 
 इस योजना में दो घटक हैं, एक ग्रामीण भारत के लिए तथा दूसरी शहरी भारत के लिए
 दीनदयाल अंत्योदय योजना के रूप में नामित शहरी घटक कोआवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एच.यू.पी.ए.)द्वारा लागू किया जाएगा।
 दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना के रूप में नामित ग्रामीण घटक को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा लागू किया जाएगा।

 योजना का मुख्य विशेषताएँ 
 कौशल प्रशिक्षण और स्थापन के माध्यम से रोजगार - मिशन के तहत शहरी गरीबों को प्रशिक्षित कर कुशल बनाने के लिए 15 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है
 जो पूर्वोत्तर और Jammu and Kashmir के लिए प्रति व्यक्ति 18 हजार रुपये है।
 इसके अलावा, शहर आजीविका केंद्रों के जरिए शहरी नागरिकों द्वारा शहरी गरीबों को बाजारोन्मुख कौशल में प्रशिक्षित करने की बड़ी मांग को पूरा किया जाएगा।
 सामजिक एकजुटता और संस्था विकास - इसे सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के गठन के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक समूह को 10,000 रुपये का प्रारंभिक समर्थन दिया जाता है।
 पंजीकृत क्षेत्रों के स्तर महासंघों को 50, 000 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है।शहरी गरीबों को सब्सिडी - सूक्ष्म उद्यमों (माइक्रो– इंटरप्राइजेज) और समूह उद्यमों (ग्रुप इंटरप्राइजेज) की स्थापना के जरिए स्व-रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा।
 इसमें व्यक्तिगत परियोजनाओं के लिए 2 लाख रुपयों की ब्याज सब्सिडी औऱ समूह उद्यमों पर 10 लाख रुपयों की ब्याज सब्सिडी प्रदान की जाएगी।शहरी निराश्रय के लिए आश्रय - शहरी बेघरों के लिए आश्रयों के निर्माण की लागत योजना के तहत पूरी तरह से वित्त पोषित है
 अन्य साधन - बुनियादी ढांचे की स्थापना के माध्यम से विक्रेताओं के लिए विक्रेता बाजार का विकास और कौशल को बढ़ावा और कूड़ा उठाने वालों और विकलांगजनों आदि के लिए विशेष परियोजनाएं।

 योजना की प्रभावशीलता 
 शहरी गरीबों का स्वामित्व और लाभकारी भागीदारी और सभी प्रक्रियाओं में उनकी सहभागितासंस्था निर्माण और क्षमता को मजबूत बनाने सहित कार्यक्रम के डिजाइन और कार्यान्वयन में पारदर्शिता सरकारी पदाधिकारियों और समुदाय की जवाबदेहीउद्योग और अन्य हितधारकों के साथ भागीदारीसामुदायिक आत्मनिर्भरता, आत्म-निर्भरता, स्वयं सहायता और आपसी सहायता

 योजना की निगरानी 
 मंत्रालय ने वास्तविक समय में और नियमित रूप से योजना की प्रगति की निगरानी के उद्देश्य से ऑनलाइन वेब आधारित प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) विकसित की थी। एमआईएस को 20 जनवरी 2015 को शुरू किया गया था।
MIS प्रशिक्षण प्रदाताओं, प्रमाणन एजेंसियों, बैंकों और संसाधन संगठनों जैसे हितधारकों को भी सीधे आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाता है
जिसे निगरानी और अन्य उद्देश्यों और योजना की प्रगति को ट्रैक करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों, राज्यों और एच.यू.पी.ए. मंत्रालय द्वारा भी संचालित किया जा सकता है।
 इसके अलावा, डीएवाई-एनयूएलएम योजना के क्रियान्वयन की प्रभावी निगरानी हेतु निदेशालय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ नियमित रूप से समीक्षा बैठकों और वीडियो सम्मेलनों का आयोजन करेगा।


 पं. दीनदयाल उपाध्याय मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना 


देहरादून. 13 सितम्बर (वार्ता) उत्तराखंड पर्यटन विभाग की ओर से संचालित “मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ योजना” का नाम अब “पंडित दीनदयाल उपाध्याय मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना” कर दिया गया है।
साथ ही योजना के क्षेत्र में भी विस्तार कर दिया गया है।
प्रभारी क्षेत्रीय पर्यटन मंत्री के अनुसार योजना के तहत पूर्व की भांति श्री बद्रीनाथ धाम, श्री गंगोत्री धाम, नानकमत्ता व रीठा-मीठा साहिब, निजामुद्दीन औलिया के अतिरिक्त कलियर शरीफ (हरिद्वार), ताडकेश्वर (पौड़ी), कालीमठ (रूद्रप्रयाग), जागेश्वर (अल्मोड़ा), गैराड गोलू (बागेश्वर), गंगोलीहाट (पिथौरागढ) आदि स्थानों को शामिल किया गया है।
अब 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को इसका लाभ दिया जाएगा। साथ ही, यात्रा पर जाने वाले बुजुर्ग दम्पति में से किसी एक की आयु 65 वर्ष से कम होने पर उन्हें भी यात्रा का पूरा लाभ दिया जायेगा।
योजना के तहत जिन बुजुर्गों द्वारा आयकर रिटर्न नही भरा जाता है और उनके परिवार की आय के कोई विशेष साधन नहीं है, उन्हे ही इस योजना से लाभान्वित करने का निर्णय लिया गया है।

 दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना 

(डीडीयूजीजेवाई) पूरे ग्रामीण भारत को निरंतर बिजली की आपूर्ति प्रदान करने के लिए बनाया गया है।
यह योजना नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस घोषणा के साथ शुरू की गयी थी कि "सरकार नें 1000 दिनों के भीतर 1 मई, 2018 तक 18,452 अविद्युतीकृत गांवों का विद्युतीकरण करने का फैसला लिया है"।
यह भारत सरकार की प्रमुख पहलों में से एक है और विद्युत मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है।
डीडीयूजीजेवाई से ग्रामीण परिवारों को काफी फायदा हो सकता है क्योंकि बिजली देश की वृद्धि और श विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है
यह योजना मौजूदा राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना( RGGVY) को प्रतिस्थापित करेगी लेकिन राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना की सुविधाओं को डीडीयूजीजेवाई की नई योजना में सम्मिलित किया गया है
और आरजीजीवीवाई योजना की खर्च नहीं की गई राशि कोडीडीयूजीजेवाई में शामिल किया जाएगा।
यह योजना Ministry of Power के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है और बिजली की 24x7 आपूर्ति की सुविधा को सुगम बनायेगी।

योजना के मुख्य घटक हैं
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं गैर कृषि उपभोक्ताओं की आपूर्ति को विवेकपूर्ण तरीके से बहाल करने की सुविधा हेतु कृषि और गैर कृषि फीडरों का पृथक्करण ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर / फीडरों / उपभोक्ताओं की नपाई सहित उप-पारेषण और वितरण की आधारभूत संरचना का सुदृढ़ीकरण एवं आवर्धनराजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत पहले से ही मंजूर माइक्रो ग्रिड और ऑफ ग्रिड वितरण नेटवर्क एवं ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजनाओं को पूरा किया जाना

मुख्य विशेषताएं
मौजूदा राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना(आरजीजीवीवाई) को डीडीयूजीजेवाई में समाहित किया गया ह
सभी डिस्कॉम इस योजना के तहत वित्तीय सहायता के पात्र हैंग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (आरईसी) योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी होगी

नोडल एजेंसी की भूमिका
विद्युत मंत्रालय के समग्र मार्गदर्शन में Rural electrification corporation limited (आरईसी) योजना के कार्यान्वयन और संचालन के लिए नोडल एजेंसी है।
नोडल एजेंसी को उनकी फीस के रूप में निगरानी समिति द्वारा अनुमोदित परियोजना लागत का 0.5% या अवार्ड कॉस्ट, जो भी कम हो, का भुगतान किया जाएगा
समय-समय पर इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक सभी दिशा निर्देशों और स्वरूपों को अधिसूचित करनानिगरानी समिति को प्रस्तुत करने से पूर्व (डीपीआर) का मूल्यांकन करनामंजूरी के लिए निगरानी समिति की बैठकों का आयोजन करने के लिए संबंधित सभी काम संचालित करना
अनुदान घटक का प्रशासनविस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के प्रस्तुतीकरण और परियोजनाओं के एमआईएस को संधारित करने के लिए एक समर्पित वेब पोर्टल का विकासकार्यों की गुणवत्ता सहित परियोजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की निगरानी

योजना के लाभ
सभी गांवों और घरों का विद्युतीकरण किया जाएगा कृषि उपज में वृद्धिछोटे और घरेलू उद्यमों के विकास के परिणामस्वरूप रोजगार के नए अवसर
स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग (एटीएम) सेवाओं में सुधाररेडियो, टेलीफोन, टेलीविजन, इंटरनेट और मोबाइल के पहुंच में सुधारबिजली की उपलब्धता के कारण सामाजिक सुरक्षा में सुधारस्कूलों, पंचायतों, अस्पतालों और पुलिस स्टेशनों में बिजली की पहुंचग्रामीण क्षेत्रों को व्यापक विकास के बढ़े अवसरों की प्राप्ति होगी

बजटीय सहायता

पूरी योजना 43,033 करोड़ रुपये के निवेश की है जिसमें से पूरे कार्यान्वयन की अवधि में भारत सरकार से 33,453 करोड़ रुपये के बजटीय समर्थन की आवश्यकता शामिल हैं।
इस योजना के तहत प्राइवेट डिस्कॉम और राज्य के विद्युत विभागों सहित सभी डिस्कॉम वित्तीय सहायता के पात्र हैं। डिस्कॉम ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने लिए विशिष्ट नेटवर्क की आवश्यकता को प्राथमिकता देंगे और योजना के तहत कवरेज के लिए परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेंगे।
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (आरईसी) इस योजना के संचालन के लिए नोडल एजेंसी है।
यहविद्युत मंत्रालय और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को इस योजना के कार्यान्वयन पर वित्तीय और भौतिक दोनों प्रगति को दर्शाते हुए मासिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

कार्यान्वयन की विधि

परियोजना को टर्नकी आधार पर लागू किया जाएगा। खुली प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के अनुसार निर्धारित मूल्य के आधार पर (बदलाव के लिए प्रावधान के बिना) टर्नकी अनुबंध प्रदान किया जायेगा।
निगरानी समिति द्वारा अनुमोदन की सूचना के तीन महीने के भीतर परियोजनाओं को सम्मानित किया जाना है
असाधारण परिस्थितियों में निगरानी समिति के अनुमोदन के साथ आंशिक टर्नकी / विभागीय आधार पर निष्पादन अनुमति दी जाएगी।

निष्पादन की अवधि
इस योजना के तहत परियोजनाओं को कार्य पत्र जारी होने की तारीख से 24 महीने की अवधि के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।

वित्तपोषण तंत्र
योजना का अनुदान भाग विशेष श्रेणी के राज्यों के अलावा अन्य राज्यों के लिए 60% (निर्धारित मील के पत्थर की उपलब्धि पर 75% तक) और विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 85% (निर्धारित मील के पत्थर की उपलब्धि पर 90% तक) है।
अतिरिक्त अनुदान के लिए मील के पत्थर योजना को समय पर पूरा करना, प्रति प्रक्षेपवक्र एटीएंडसी नुकसान में कमी और राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी की अग्रिम रिलीज हैं। सभी पूर्वोत्तर राज्यों सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित को विशेष राज्यों की श्रेणी में शामिल किया गया हैं।


दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते  कार्यक्रम


श्रम क्षेत्र में पारदर्शिता लाकर देश के श्रमिकों की दशा सुधारने हेतु देश में औद्योगिक विकास ( industrial development) हेतु अनुकूल माहौल तैयार करने के लिए श्रम सुधारों से संबंधित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 16 अक्टूबर 2014 को नई दिल्ली में की गई थी
इस  योजना के तहत भविष्य निधि के सभी सदस्यों को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर जारी करने की घोषणा की गई है
इस यूनिवर्सल अकाउंट नंबर के जरिए सभी पीएफ खाता धारक अपने खाते से संबंधित सभी जानकारियां ऑनलाइन प्राप्त कर सकेंगे
प्रधानमंत्री ने उद्योगों में इंस्पेक्टर राज खत्म करने और श्रम संबंधी आंकड़ों के लिए श्रम सुविधा नाम से एक पोर्टल शुरू करने की घोषणा की है

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