राजस्थान की सड़क विकास नीतियां

राजस्थान की सड़क विकास नीतियां


सड़क निति 1994 
राज्य सरकार (State government) द्वारा 1994 में सड़क निति घोषित की गई थी जिसका प्रमुख उद्देश्य सड़क क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना था राज्य में सभी गांवों तक पक्की सड़कें पहुंचाने आधारभूत ढांचा विकसित करने हैं और सड़क तंत्र के समुचित विकास के लिए यह नीति बनाई गई थी राजस्थान सड़क निति घोषित करने वाला देश का प्रथम राज्य है

 राज्य सड़क विकास नीति 1994 
राज्य में सड़क विकास नीति पहली बार दिसंबर 1994 में लागू की गई थी जिसका प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार है वर्ष 2001 तक 1981 की जनगणना के अनुसार 500 से अधिक आबादी के सभी गांव को सभी मौसम में परिवहन योग्य सड़कों से जोड़ना 500 से कम आबादी वाले गांव में सड़क तंत्र को इस तरह पुनः नियोजित करना कि इन गांव की सड़कों से दूरी मैदानी इलाकों में 3 किलोमीटर और पहाड़ी इलाकों में 5 किलोमीटर से अधिक ना हो
पहाड़ी क्षेत्रों में 1.6 किलोमीटर की परिधि में बसे गांव के समूह को जोड़ना वर्ष 2001 तक क्षेत्र में सड़कों का घनत्व 40 किलोमीटर प्रति 100 वर्ग किलोमीटर करना वर्ष 2001 तक सड़कों का घनत्व 82 किलोमीटर प्रति 100वर्ग किलोमीटर करना था 

जिसे समय पूर्व सड़क विकास नीति तैयार की गई थी उस समय प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) की परिकल्पना नहीं की गई थी लेकिन 25 दिसंबर 2000 से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना लागू होने के कारण इस विकास नीति (Development policy) के अधिकतर लक्ष्य समय से पूर्व ही प्राप्त कर ली गए थे साथ ही सड़क तंत्र पर यातायात का घनत्व और भार बढ़ने के कारण प्रथम नीति के रखरखाव संबंधित प्रावधान भी अप्रासंगिक हो गए हैं बीटीओ पीपीपी जेसी नवीन अवधारणा इस क्षेत्र में तेजी से उभरी है और तकनीकी विकास के साथ संसाधनों की आवश्यकता में भी अभिवृद्धि हुई है अतः इन परिस्थितियों के कारण लंबे समय से नवीन सड़क विकास नीति की आवश्यकता अनुभव की जा रही थी इस संबंध में राज्य सरकार ने निजी निवेशकों से बीटीओ आधार पर अधिकाधिक निवेश कराने के लिए 28 अप्रैल 2002 को राजस्थान सड़क विकास अधिनियम 2002 जारी किया गया था सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा दिसंबर 2013 तक 45 परियोजनाओं जो निजी निवेश करता को आवंटित की गई थी पूर्ण कर ली गई है और इन्हें यातायात के लिए खोल दिया गया है

 नई सड़क नीति 2002  

वर्ष 1994 की सड़क नीति को हाल ही में संशोधित किया गया है नई सड़क नीति के संदर्भ में निजी निवेशकों से बीओटी(बिल्ट ऑफ ट्रांसफर) के आधार पर अधिकाधिक निवेश कराने के लिए 28 अप्रैल 2002 को राजस्थान सड़क विकास अधिनियम 2002 पारित किया गया संशोधित नीति के मुख्य प्रावधान अग्रलिखित हैं
1- उद्यमियों को प्रोत्साहन देने हेतु निम्न प्रावधान किए गए
अ-उधमी को परियोजना की लागत व उचित प्रत्याय की वसूली हेतु फीस ( Toll tax)लगाने का अधिकार होगा
ब- फीस की दरें प्रत्येक 2 वर्ष में 10% बढ़ाई जाएगी
2- वित्तीय संस्थान (Financial institution) को परियोजना हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहन देने हेतु प्रतिस्थापन समझौता किया जाएगा इसमें संस्थान को अधिकार होगा कि यदि उधमी समय पर ऋण चुकता नहीं करें तो संस्थान उस परियोजना को अन्य उधमी को हस्तांतरित कर दें
3- मॉडल कंसेप्ट एग्रीमेंट बीओटी के आधार पर परियोजना स्वीकृति हेतु एग्रीमेंट द्वारा निम्न दिशा निर्देश निर्धारित किए गए हैं
अ- परियोजना मूल्यांकन एक उच्च स्तरीय समिति करेगी
ब- सरकार परियोजना (Government project) हेतु भूमि की अनापत्ति करेगी व परियोजना रिपोर्ट तैयार करेगी
स- सरकार टेल दरो मे आवश्यकता अनुसार परिवर्तन कर सकती है
द- सरकार उद्यमी व वित्तीय संस्था के साथ समझोता करेगी
य- किसी भी विवाद का निपटारा त्रिपक्षीय पंचाट द्वारा किया, जाए जिसकी नियुक्ति दोनों पक्षकारों द्वारा की जाए
 

राज्य सड़क विकास नीति 2013 

  • राज्य में सितंबर 2013 में द्वितीय नई राज्य सड़क विकास नीति घोषित की गई थी द्वितीय नई राज्य सड़क विकास नीति के निम्न उद्देश्य थे 

  • अंतिम छोर के व्यक्ति को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने के लिए सड़क संयोजन उपलब्ध कराना

  • सड़क के मार्ग अधिकार की सीमा पर वृक्षारोपण करवाना( Plantation)

  •  राज्य विकास दर बनाए रखने के लिए  जान माल के परिवहन के लिए विद्यमान सड़क तंत्र का संवर्धन

  • सुरक्षित और कुशल सड़क तंत्र का विकास करना

  • राज्य में आर्थिक विकास (Economic Development) में समृद्धि करने के लिए संबंधित विशेष क्षेत्रों में सड़क तंत्र का विकास करना राज्य राजमार्ग और मुख्य जिला सड़कों की घोषणा के लिए नीति विकसित करना

  •  सड़क संधारण प्रणाली और निर्मित सड़क परिसंपत्तियों की प्रबंधन विकसित करना

  •  भू अभिलेख संधारण और सड़क सीमा को अतिक्रमण से मुक्त करना रखना

  • सड़क तंत्र विकास के उद्देश्य प्राप्त करने के लिए युक्ति

  • सड़क संधारण की प्रणाली विकसित करना

  •  जनसहभागिता से सड़क विकास कार्यों के चयन/ पहचान में जन निजी सहभागिता बढ़ाना

  •  राजमार्गों के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देना

  •  प्रमुख राजमार्गो के मार्गाधिकार के किनारों पर एवं जंक्शन पर होर्डिग्स और सूचना पट्टो की सड़क सुरक्षा के मद्देनजर अनुमति प्रदान कर विभाग के लिए राजस्व प्राप्त करना

  • मीडियन में और मार्गाधिकार के किनारों पर डक्ट्स लगाने की सुविधा देते हुए दूरसंचार जलापूर्ति सिवरेज पाइप टेलीफोन आदि की लाइनें हेतु अनुमति देकर प्राप्त किराए का उपयोग सड़क संधारण हेतु करना

  • नाबार्ड विश्व बैंक ( World Bank) से पोषित स्टेट हाईवे व मुख्य जिला सडके जिन में राज्य सरकार द्वारा लिया गया है पर टोल शुल्क ( Toll fees) प्राप्त कर न अदायगी करना

  • दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की प्रतिवर्ष समीक्षा कर उन स्थानों पर सड़क सुधार कार्य यथा मीडियम रिटरो रिफ्लेक्टिव मार्किंग्स रोड साइनेज सिंगल जंक्शन सुधार जैसे कार्य करवाना

  • राज्य की शहरी क्षेत्र की सड़कों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्र में स्थिति अन्य विभागों द्वारा निर्मित  समस्त सड़कों पूलों और सुरंग आदि को सार्वजनिक निर्माण विभाग के क्षेत्राधिकार में लाकर संधारित करना

  • आधुनिकरण और मानव संसाधन सुधार (Human resources improvement) कराना

  •  विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाना


 राजस्थान रोड विजन 2025 

  • राज्य में सड़क तंत्र के कायापलट के लिए राजस्थान रोड विजन 2025 में तैयार किया गया है 21वीं सदी के पहले 25 साल में राज्य में सड़कों के विकास व गुणवत्ता बढ़ाने हेतु तैयार इस दीर्घावधि विजन का अनुमानित बजट करीब 9 खरब है इस राशि में से लगभग 41 प्रतिशत राशि सड़क रखरखाव के लिए है इस योजना के अंतर्गत मेंटेन ऑफ प्रेस एंड ट्रांसफर (MOT) और बिल्ड ऑपरेट एंड ट्रांसफर (BOT) प्रणाली पर जोर दिया जाना है जिससे राज्य सरकार पर वित्तीय भार कम से कम रहे में अब तक राज्य में 29 परियोजनाओं को पूर्ण किया जा चुका है राजस्थान रोड विजन 2025 में निम्न प्रावधान रखे गए हैं

  • पहले 15(2015) साल मैं सभी गांव को सड़कों से जोड़ने के बाद अगले 10 साल में एक्सप्रेस वे फ्लाईओवर व चार लेन के राजकीय राजमार्ग ( State highway) बनाए जाएंगे

  • एक्सप्रेस वे के लिए 7 मार्ग व राष्ट्रीय राजमार्ग ( National Highway) तंत्र के विस्तार हेतु 15 मार्ग और 17 शहरों के लिए रिंग रोड चिन्हित किए गए हैं साथ ही धार्मिक महत्व (Religious importance) के स्थानों और पर्यटन खनन और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए 1000 किलोमीटर नये सड़क संपर्क विकसित करना जरूरी माना गया है

  • ग्रामीण संपर्क सडको व सड़क तंत्र के रखरखाव को सर्वाधिक प्राथमिकता दी जाना

  • रखरखाव के कामों के लिए वित्तीय धनाभाव दूर करने में निजी क्षेत्र की सहायता लेने की सिफारिश करते हुए इसके लिए मेंटेन ऑपरेट एंड ट्रांसफर प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जाना

  • सभी राज्य राजमार्गों को कम से कम 2 लेन का बनाना प्रस्तावित करना

  • निर्बाध व द्रुत यातायात के लिए 630 करोड़ की लागत से 168 रेल ओवरब्रिज ,अंडर पास और 360 करोड़ से 39फ्लाईओवर बनाना भी प्रस्तावित है सड़क विकास के लिए धनाभाव दूर करने हेतु सड़क विकास कोष व मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय सलाहकार बोर्ड गठित करने का सुझाव

  • राजमार्ग अभियंता प्रशिक्षण संस्थान और अनुसंधान विकास (Research development) निदेशालय स्थापित किया जाना


 राजस्थान रोड विजन 2025 के उद्देश्य 
अकाल राहत कार्य अथवा मध्ययुगीन राजस्थान में सूखा व अकाल का ऐतिहासिक बोलबाला रहा है जिसमें सड़कों का निर्माण कराया गया है वर्तमान में DRDA द्वारा सडके  बनाई जा रही है

  • सिंचित क्षेत्र विकास कमांड क्षेत्र विकास के अंतर्गत इंदिरा गांधी कमांड क्षेत्र चंबल कमांड क्षेत्र माही बजाज सागर कमांड क्षेत्र के लिए योजना

  • न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम दुर्गम मार्ग का विकास और खनिज सड़कें

  •  राष्ट्रीय निर्माण रोजगार कार्यक्रम ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम या जवाहर रोजगार योजना के अंतर्गत विकास

  •  कृषि विपणन बोर्ड ( Agricultural marketing board) द्वारा कृषि उपज मंडी सड़क निर्माण

  • विश्व बैंक व नाबार्ड बैंक ( Nabard bank) द्वारा सड़कों का विकास

  •  सीमा सड़क सुरक्षा संगठन द्वारा विकसित सुरक्षा सड़के

  • स्थानीय संस्थाओं जैसे जयपुर विकास प्राधिकरण नगर निगम नगर पालिकाओं व अन्य संस्थाओं द्वारा निर्मित सड़कें


इन सभी उद्देश्यों को 2025 तक पूर्ण किए जाने के प्रावधान रखा गया है

राजस्थान राज्य राजमार्ग बिल 2014 
राजस्थान राज्य राजमार्ग विधेयक 2014 राज्य विधान सभा (State assembly) द्वारा 9 अप्रैल 2015 को पारित किया गया और 1 मई 2015 को अधिनियम बन गया है

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