राजस्थान वन्य जीव



राजस्थान वन्य जीव


वन्य जीवों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य






 सन् 1972 में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए अधिनियम बनाया गया, जिसकें अन्तर्गत राजस्थान में 33 आखेट निषिद्ध क्षेत घोषित किए गए।
 सन् 2004 में Wild animals की सुरक्षा के लिए नेचर गाई पॉलिसी बनाई गई, जिसे 2006 में जारी किया गया था।
 राजस्थान में पहला वन्यजीव संरक्षण अधिनिमय( Wildlife Protection Act) , 1950 बनाया   गया।
 वर्तमान में 1972 का अधिनियम लागू हैं।
 1972 का अधिनियम राजस्थान में सन् 1973 में लागू हुआ।
 उत्तर भारत का पहला सर्प उद्यान (Garden snake) कोटा में स्थापित हैं।
 डॉक्टर सलीम अली पक्षी विशेषज्ञ हैं।
 सलीम अली इन्टरप्रिटेशन सेंटर केवलादेव अभयारण्य में स्थापित हैं।
 राजस्थान में लुप्त होने वाले जीवों में पहला स्थान गोड़ावन का, डॉल्फिन मछली का, बाघों का हैं।
 सर्वांधिक लुप्त होने वाली जीवों का उल्लेख Red data book में, संभावना वाले येलो बुल में में उल्लेखित किये जाते हैं।
 कैलाश सांखला टाईगर मैन ऑफ इण्डिया जोधुपर के थे।
 पुस्तक:- रिर्टन ऑफ द टाईगर, टाईगर 
 बाघ परियोजना ( Tiger project) कैलाष सांखला ने बनाई थी।
 वन्य जीव सीमार्ती सूची 42 के अंतर्गत आते हैं।
 सन् 1976 के संशोधन के द्वारा इसे सीमावर्ती सूची में डाला गया हैं।
 राजस्थान में जोधपुर पहली रियासत थी जिसने वन्य जीवों को बचान के लिए कानून बनाया।
 पहला टाईगर सफारी पार्क रणथम्भौर अभयारण्य (Ranthambore Sanctuary) में स्थापित किया गया था।
 वन्य जीवों की संख्या की दृष्टि से राजस्थान का दूसरा स्थान हैं।
 सर्वांधिक वन्यजीव असम में हैं।
 बीकानेर, जैसलमेर व बाड़मेर में गोड़ावन पक्षी सर्वांधिक पाये जातें हैं। सबसे अधिक जैसलमेर में पाये जाते हैं।
 सर्वांधिक कृष्ण मृग डोलीधोवा (जोधपुर व बाड़मेर ) में पाये जाते हैं।



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