क्रांतिकारी आतंकवादी आंदोलन 01(Revolutionary Terrorist Movement 01)

क्रांतिकारी आतंकवादी आंदोलन 01


(Revolutionary Terrorist Movement 01)


क्रांतिकारी आतंकवादी आंदोलन के उत्थानके मुख्यत: वही कारण थे
जिनसे राष्ट्रीय आंदोलन में उग्रवाद का उदयहुआ था
अंतर केवल यही था कि आतंकवादी अधिक शीघ्र परिणाम चाहते थे
वह प्रेरणा जिसे उग्रवादी दल ने लोकप्रिय बनाया था और धीमे प्रभाव की नीति जिसे उग्रवादियों ने अपनाया था, मैं विश्वास नहींकरते थे
क्रांतिकारी यह विश्वास करते थे कि राष्ट्रीय जीवन में जो भी उपयुक्त तत्व है जैसे की➖ धार्मिक और राजनीतिक स्वतंत्रताएं,नैतिक मूल्य और भारतीय संस्कृति आदि उन सभीतत्वो  को विदेशी शासन समाप्तकर देगा
यद्यपि भारत के विभिन्न भागों में क्रांतिकारियों की राजनीतिक दर्शन का निश्चित रूप से वर्णन करना संभव नहीं था
लेकिन उन सबका एक ही उद्देश्य मातृभूमि को विदेशी शासन से मुक्त करना था
क्रांतिकारी आतंकवादी आंदोलन उन्नीसवीं सदी के अंत में और बीसवीं सदी के प्रारंभ से चला था
यह उग्र राष्ट्रवाद की ही एक अवस्थाथी
क्रांतिकारी लोग अपीलों प्रेरणा और शांतिपूर्ण संघर्षको नहीं मानते थे
ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया वादी और दमन की नीति ने उन्हें निराश कर दिया था
उनका विश्वास था कि पाश्चात्य साम्राज्य केवल पश्चिमी हिंसक साधनों से ही समाप्तकिया जा सकता है ?इसलिए इन लोगों ने बम और पिस्तौल का प्रयोग किया,डकैतियां डाली और खजानेलुटे थे
क्रांतिकारी विचारधारा के समर्थक सर्वाधिक बंगाल राज्में थे
बारीसाल सम्मेलन के बाद 22 अप्रैल 1906 अखबार युगांतर ने लिखा उपाय तो स्वयं लोगोके पास है
उत्पीड़न के इस अभिशाप को रोकने के लिए भारत में रहने वाले 30करोड़ लोगों को अपने 60करोड हाथ उठानेहोंगे

बल को बल द्वारही रोका जाना चाहिए
क्रांतिकारी युवकों ने आयरिश आतंकवादियों और रूसी निहलिस्टो के संघर्ष के तरीकों को अपनाकर बदनाम अंग्रेज अधिकारियों को मारने की योजना बनायी गयी
क्रांतिकारी लोगों ने गुप्त सभाएंबनाई
तरुण लोगों को इनमें दीक्षा दी गई और उन्हें देश पर न्यौछावर होने की भावनाभरी

इन लोगों ने हथियार बाटे हत्यारों के प्रयोग का प्रशिक्षण दिया और बम बनानेसिखाए

यूरोपीय प्रशांसकों की हत्या करके उन लोगों ने अपना मनोबल कम करने प्रशासन को ठप करने और स्वतंत्रता के भारतीय और यूरोपीय विरोधियों को उखाड़ फेंकने का प्रयत्न किया
अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए हत्या करना डाका डालना बैंक डाकघर और रेलगाड़ियां लूटना सभी कुछ इनके लिए वेध था
इस समय देश के अनेक भागों महाराष्ट्र बंगाल और पंजाब मे आतंकवादी कार्यवाहियांहुई

देश के विभिन्न राज्यों में होने वाले क्रांतिकारी आंदोलन

महाराष्ट्र में क्रांतिकारी आंदोलन

  • क्रांतिकारी राष्ट्रवादियों का सबसे पहला केंद्र महाराष्ट्रबना था  

  • 1918 की विद्रोह समिति की रिपोर्टमें यह कहा गया था कि➖ भारत में क्रांतिकारी आंदोलन का पहला आभास महाराष्ट्रसे मिलता है

  • विशेषकर पूना जिले के चितपावन ब्राह्मणोंमें,यह ब्राह्मण महाराष्ट्र के शासको शिवाजी और शाहू के पेशवाओं के वंशज थे

  • यह पेशावाओ का ही राज्य था जिसे लार्ड हेस्टिंग्ज के अधिन ईस्ट इंडिया कंपनी नें समाप्त कर दिया था

  • इन ब्राह्मणों में स्वराज्य की प्रति प्रेम की उग्र भावना बनी रही और इसीलिए उनके मन में असंतोष रहा और पुन: शक्ति प्राप्त करने का सपना बना रहा

  • सर्वप्रथम स्वराज के प्रति प्रेम की भावना का विकास चितपावन ब्राह्मणोंमें ही हुआ था

  • तिलक ने जो की स्वयं चितपावन ब्राह्मणथे

  • इन्होंने 1893 में गणपति उत्सव और 1895 शिवाजी महोत्सवमनाना प्रारंभ किया

  • उसके पीछे इन का मुख्य उद्देश्य समस्त लोगों को एकता के सूत्र में बांधना और आजादी के संदेश को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाना

  • तबसे महाराष्ट्र के लोगों में राष्ट्रवादी भावना का काफी विकास हुआ


व्यायाम मंडल और रैण्ड की हत्या

चापेकर बंधुओं दामोदर हरी चापेकर और बाल कृष्ण हरि चापेकर ने 1896-97 में पुणे में व्यायाम मंडल की स्थापना की थी
व्यायाम मंडल की स्थापना के पीछे इन का उद्देश्य विशुद्ध राजनीतिथा
इन दोनों भाइयों को चापेकर बंधु भी कहाजाता है
यूरोपीय की प्रथम राजनीतिक हत्या 22 जून 1897 को पुणेमें हुई थी कि➖ 22 जून 1897 की रात को हीरक जयंती समारोह से लौटते हुए पूना प्लेग कमिश्नर मिस्टर रैण्ड और उनके साथी लेफ्टिनेंट एयर्स्ट की हत्या चापेकर बंधुओने कर दी थी
इस हत्याकांड का मुख्य निशाना तो पुना प्लेग समिति के प्रधान श्री रैण्ड महोदयथे
 लेकिन लेफ्टिनेंट एयर्स्ट अकस्मात ही मारेगए
 इस हत्याकांड की तात्कालिक उत्तेजना का कारण था पुना प्लेग समिति ने प्लेग ग्रस्त व्यक्तियों के लिए असैनिक घरों में सैनिकोंको भेजा और प्लेग रोकने के नाम पर लोगों के घरों में ,घुसकर जोर जबरदस्ती करने के लिए इन दोनों की बहुत बदनामी हुई थी
बाल गंगाधर तिलक ने अपने समाचार पत्र मराठा में इस पर टिप्पणी करते हुए लिखा था कि आजकल नगर में राज कर रही प्लेग अपनी मानवीय रूपांतरोंसे अधिक दयालु है
इनकी हत्या के आरोप में दामोदर हरी चापेकर को 18 अप्रैल 1898 को फांसी दे दी गई थी
8 फरवरी 1899 को व्यायाम मंडल के सदस्य ने उन द्राविड बंधुओं को मृत्यु दंड दे दिया था, जिन्होंने ₹20000 इनाम के लालच में दामोदर चापेकर को गिरफ्तार करवाया था
द्राविड बंधुओं की हत्या के आरोप में व्यायाम मंडल के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया
गिरफ्तार किए गए सदस्य में बालकृष्ण चापेकर, वासुदेव चापेकर और विनायक रानाडे को फांसी दे दी गई थी
इस तरह व्यायाम मंडल का पतनहो गया
चापेकर बंधुओं का संबंध क्रांतिकारी समिति हिंदू धर्म संघ से था
बाल गंगाधर तिलक की प्रेरणा से गठित आर्य बान्धव समाज एक अन्य क्रांतिकारी समिति थी
1917 में आतंकवाद की घटनाओं की जांच के लिए बिठाएंगे रोलेट कमीशन ने पुणे की इन घटनाओं को भारतीय आतंकवाद का पहला विस्पोटकहां था
चापेकर बंधुओं द्वारा 1897 में की गई रेंड एंड एयर्स्ट की हत्या भारत में यूरोपियों की पहली राजनीतिक हत्याथी
बाल गंगाधर तिलक ने केसरी के अपने एक लेख में इस हत्या की तुलना शिवाजी द्वारा अफजल खान की हत्या से की थी
इस लेख के कारण बाल गंगाधर तिलक पर राजद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें 18 माह की सजा दी गई थी
समकालीन राष्ट्रवादियों और उत्तर कालीन भारतीय इतिहासकारों ने तिलक की ओर से दलीलेंदी थी
?लेकिन यदि हम न्याय संगत दृष्टि से देखें तो यह स्पष्ट है कि➖ तिलक के लेखो और भाषणों ने चापेकर बंधुओं को हिंसा की प्रेरणा दी थी
?जैसा कि 15 जून 1897 के केसरी में लिखे इन शब्दों से स्पष्ट होता है➖ श्री कृष्ण का गीता में उपदेश है कि अपने गुरुजनों और बंधुओं की भी हत्या कर दो यदि कोई व्यक्ति कर्म फल की इच्छा के बिना अथवा कर्म में लिप्त न होकर कर्म करता है तो उसे कोई दोष नहीं लगता ईश्वर ने विदेशियों को भारत का साम्राज्य ताम्रपत्र पर लिख कर नहीं दिया है अपनी दृष्टि को कूप मंडूक की तरह सीमित मत करो दंड संहिता की परिधि से बाहर आओ और श्रीमद्भागवत गीता के उत्तम वातावरण में प्रवेश करो और महान आत्माओं के कार्य का ध्यान करो इस लेख से चापेकर बंधू अधिक उत्तेजित हो गए थे

मित्र मेला
मित्र मेला संस्था की स्थापना 1904 में नासिक में की गई थी
इसकी स्थापना श्री वी डी सावरकर द्वारा की गई थी
मित्र मेला की स्थापना का उद्देश्य गणपति उत्सव मनाने के सिलसिलेमें था

अभिनव भारत
अभिनव भारत विनायक दामोदर सावरकर द्वारा 1904 में स्थापित की गई, मित्र मेला ही एक गुप्त सभा अभिनव भारत में परिवर्तितहो गई थी
अत: अभिनव भारत की स्थापना 1904 मेंकी गई थी
अभिनव भारत की शाखाएं महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक और मध्यप्रदेश में भी स्थापित की गई थी
इस संस्था का वार्षिक सम्मेलन गुप्त रुप सेहोता था
इसीलिए इस संस्था को गुप्त सभा के नाम से भी जानाजाता था
1906 में विनायक दामोदर सावरकर लंदनचले गए थे ,उनके जाने के बाद भी यह संस्था चलतीरही
अभिनव भारत ने पांडुरंग महादेव वापट को रूसी क्रांतिकारियों से बम बनाने की कला सीखने के लिए पेरिसभेजा था
गणेश दामोदर सावरकर को मित्र मेला के लिए कविताओं की पुस्तके लिखने के कारण 9 जून 1909 को आजीवन निर्वासन का दंड दे दिया गया था

नासिक षड्यंत्र केस
21 दिसंबर 1909 की रात को नासिक के जिला मजिस्ट्रेट जैक्सन को कर्वे गुट के अनंत लक्ष्मण कंहारे ने गोली मारदी थी
कन्हारे को गिरफ्तारकर लिया गया
जैक्सन हत्याकांड में कंहारे,कृष्ण जी गोपाल कर्वे और विनायक देशपांडे को 19 अप्रैल 1911 को फांसी की सजादे दी गई थी
वी०डी० सावरकर को लंदन से  गिरफ्तार करके नासिक लाया गया और 37 व्यक्तियों के साथ नासिक षड्यंत्रकेस चलाया गया
जिसमे सावरकर को आजीवन कारावास की सजा दी गई
नासिक षड्यंत्र के बाद महाराष्ट्र के क्रांतिकारियों की रीढ टूट गई थी

बंगाल में क्रांतिकारी आंदोलन

  • क्रांतिकारी आंदोलन महाराष्ट्र के बाद बंगालपहुंचा 

  • 1905 के बंगाल विभाजन के बाद यहां नए सिरे से  राजनीतिक चेतनजागृत हुई

  • बंगाल क्रांतिकारी आंदोलन का केंद्र बिंदुथा

  • बंगाल में क्रांतिकारी आंदोलन का सूत्रपात भद्रलोक समाजने किया था

  • लेकिन यहां क्रांतिकारी विचारधारा को फैलाने का श्रेय वारींद्र कुमार घोष,(अरविंद घोष के छोटे भाई) और भूपेंद्र नाथ दत्त, (विवेकानंद के छोटे भाई) को दिया जाता है

  • 1906 में इन दोनों युवकों ने मिलकर युगांतर नामक समाचार पत्रका प्रकाशन किया था

  • इस समाचार पत्र नें क्रांति के प्रचार में सर्वाधिक योगदान दिया

  • इस पत्र ने लोगों में राजनीतिक और धार्मिक शिक्षा का प्रचार किया था


अनुशीलन समिति
अनुशीलन समिति की स्थापना 1907 में कलकत्ता में वारिंद्र घोष व भूपेंद्र दत्तद्वारा की गई थी
समिति का प्रमुख उद्देश्य खून के बदले खूनथा
1905 के बंगाल विभाजन ने युवाओं को आंदोलित कर दिया था,जिसके कारण अनुशीलन समिति की स्थापनाकी आवश्यकता हुई
बंगाल विभाजन के पश्चात विदेशी माल का बहिष्कार और स्वदेशी आंदोलन ने जोर पकड़ लिया था
जिसके कारण बंगाल में राजनीतिक जागृति आई,जो पहले कभी नहीं हुई थी शीघ्र ही इस आंदोलन का उद्देश्य विभाजन को रद्द करवाना नहीं बल्कि स्वराज्य की प्राप्तिबन गया था
अनुशीलन समिति की स्थापना में श्री पृमथ नाथ मित्राऔर सतीश चंद्र बोस का प्रमुख योगदानथा
क्योंकि श्री पृमथ नाथ मित्रा नैं एक गुप्त क्रांतिकारी सभा का गठन किया था
जिसे अनुशीलन समिति कहते थे,समिति का निर्माण *एक व्यायामशाला के रूप में हुआ था
जब इसका नाम रखने का समय आया तो नरेंद्र भट्टाचार्य ने अनुशीलन समिति नाम सुझाया
इस तरह अनुशीलन समिति की स्थापना अथवा इसका जन्म 1903 में ही हो गया था
प्रारंभ में इसका नाम भारत अनुशीलन समिति था
समिति के अध्यक्ष प्रमथ मित्रा और उपाध्यक्ष चितरंजन दास और अरविंद घोषथे
कोषाध्यक्ष सुरेंद्र नाथ ठाकुर और कार्यकारिणी की एकमात्र शिष्या सिस्टर निवेदिता थी
1906 में इसका पहला सम्मेलन कलकत्ता में सुबोध मलिक के घर में हुआ था
वारिंद्र घोष जैसे लोगों को लगा कि विशुद्ध राजनीति प्रचार काफी नहीं है, नौजवानों को आध्यात्मिक शिक्षादी जानी चाहिए ताकि बड़े खतरो का मुकाबला किया जा सके
उन्होंने जोशीले नौजवानों को तैयार किया जिसमें अभिनव भट्टाचार्य और भूपेंद्र नाथ दत्त प्रमुख थे
यह नौजवानों को बताते थे की स्वाधीनता के लिए लड़ना पावन कर्तव्य है
इसी के उद्देश्य से 1907में कलकत्ता में अनुशीलन समिति की स्थापना की गई

ढाका अनुशीलन समिति
ढाका अनुशीलन समिति की स्थापना 1904 में पृमथ मित्रा और पुलिन दास द्वारा ढाकामें की गई थी
अनुशीलन समिति का मुख्य कार्यालय कलकत्तामें ही था
काम की सहूलियत के लिए इसका दूसरा कार्यालय ढाका में खोलागया था
इसका नेतृत्व पृमथ मित्रा और पुलिन बिहारी दास ने किया था
ढाका में इसकी लगभग 500 शाखाएंथी
इसके अधिकांश सदस्य स्कूल और कॉलेज के छात्र थे
यहां पर सदस्यों को लाठी तलवार और बंदूक चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी

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