भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के चरण(Stages of India’s Independence Movement)

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के चरण


(Stages of India’s Independence Movement)



  • 15 अगस्त 1947 को भारत की ब्रिटिश शासन से मुक्ति एक कठिन संग्राम का परिणाम थी

  • यह संग्राम विभिन्न अवस्थाओं से गुजरने के बाद पूर्ण हुआ था

  • अंग्रेजी शासन काल के अंतर्गत विभिन्न कारणों से भारतीय जनता में राष्ट्रीय जागृति की भावना का उदय हुआ था ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रतिक्रिया और उसे उखाड़ फेंकनेके विचार में ही स्वतंत्रता आंदोलन का बीजनिहित है

  • भारत में अंग्रेजों के प्रभुत्व के कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनेक ऐसे तत्वों का जन्महुआ था 

  • जो ब्रिटिश साम्राज्य के लिए ही चुनौती बन गए थे

  • भारत में पश्चिमी संस्कृतिका महत्व पूर्ण प्रभाव यह पड़ा कि भारतीयों में राजनीतिक चेतना का विकास हुआ और राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्नहुई

  • इससे पहले भारतीयो मे राजनीतिक विचारों और राजनीतिक संगठनों का भरपूर अभावथा

  •  यह राजनीतिक संगठनों का ही प्रभाव था की 19वीं शताब्दी में भारत का आधुनिक राजनीतिक परिवेश में प्रवेशहुआ

  • अनेक जन संगठन 1836 के बाद प्रारंभ हुए

  • दादा भाई नौरोजी नें लंदन में भारतीय मामलों पर बहस करने और अंग्रेजों को भारत के कल्याण के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 1866 में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापनाकी थी

  •  इसके बाद दादा भाई नौरोजी ने अपने इस संगठन की कई शाखाएं भारत केविभिन्न प्रमुख शहरों में खोली

  •  19 वीं शताब्दी में भारत में अनेक राजनीतिक संगठनों की स्थापना हुई

  •  भारत के इतिहास में 1885 में एक नए युग का प्रारंभ हुआ

  • इस वर्ष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नाम से अखिल भारतीय राजनीतिक संस्था का जन्म हुआ था

  • तब से भारतीय मन में राजनीतिक जागरण उभरताही चला गया

  •  भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के वास्तविक स्वरुप को समझने के लिए इसे तीन चरणोंमें बांटा गया है


भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के चरण
1.  प्रथम चरण 1885 से 1905 तक
♨प्रथम चरण में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई थी
♨लेकिन इस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ध्येय ,लक्ष्य धुंधला, संदिग्ध ,अस्पष्ट था
♨यह आंदोलन केवल थोड़े से शिक्षित मध्यम वर्गीय बुद्धिजीवी वर्ग तक ही सीमित था
♨इस समय आंदोलन का प्रतिनिधित्व बुद्धिजीवी मध्यम वर्गीय लोग कर रहे थे
♨यह वर्ग पश्चिम की उदारवादी और अतिवादी विचारधारा से प्रभावित था

2. द्वितीय चरण 1905 से 1919 तक
♨द्वितीय चरण में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस काफी परिपक्वहो गई थी और इसके लक्ष्य और उद्देश्य भी स्पष्टऔर इसकी सीमाएं अधिक विस्तृत हो गई थी थे
♨कांग्रेस के इस मंच से भारतीय जनता के सामाजिक आर्थिक राजनैतिक और सांस्कृतिक विकास के लिए प्रयास शुरू किए गए
♨इस चरण में कांग्रेस ने राजनीतिक क्षेत्र में अपना लक्ष्य ""स्वराज"" रखा था
♨इस दौरान कुछ उग्रवादी विचारधारा वाले संगठनों ने ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करने के लिए पश्चिम के ही क्रांतिकारी ढंग का प्रयोग किया था 

3. तृतीय चरण 1919 से 1947 तक
♨इस चरण को गांधी युग के नाम से जाना जाता है
♨इस चरण में कांग्रेस ने अपना लक्ष्य ""डोमिनियन स्टेटस और पूर्ण स्वराज्य"" रखा था
♨इसी चरण मे महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक विशेष भारतीय ढंग से अहिंसात्मक असहयोग आंदोलन , नमक तोड़ कानून व दांडी यात्रा सविनय अवज्ञा आंदोलन ,भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्तावपारित किया गया और भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई

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