मध्यप्रदेश में भील जनजाति

मध्यप्रदेश में भील जनजाति


Bhil tribe in Madhya Pradesh


भील शब्द की उत्पत्ति द्रविड़ भाषा के भील शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है- धनुष ! भीलो में धनुष बाण का अत्यधिक महत्व होता है इसलिए इनका नामकरण इसी के आधार पर किया गया है भील मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति है जनगणना 2011 के अनुसार 4618068 इसकी जनसंख्या हैं

भौगोलिक वितरण ➖ भीलो को राजपूत लोग राजस्थान के प्राचीन निवासी मानते हैं मध्यप्रदेश में भील जनजाति पश्चिमी क्षेत्र के झाबुआ खरगोन बड़वानी धार आदि जिलों में निवास करते हैं

शारीरिक विशेषताएं ➖ भील भूरे से गहरे रंग ,मध्यम सुगठित शरीर, बड़ी आंखें और चौड़े माथे एवं घुंघराले बाल होते हैं भील स्त्री पुरुष अन्य जनजातियों की तुलना में अधिकतर सुंदर होते हैं

निवास➖ भीलो का निवास ऊंचे क्षेत्रों में होता है और दो निवासों स्थानों के बीच दूरी अधिक होती है भीलो के गांव को पाल कहा जाता है उनके घर लकड़ी बॉस मिट्टी और खपरैल के बने होते हैं जो आकार में काफी विशाल और जो गौर होते हैं

रहन सहन➖ भील पुरुष धोती और बंडी पहनते हैं तथा सिर पर साफा बनते हैं भील स्त्रियां घाघरा चोली तथा ओढ़नी पहनती है स्त्री पुरुष दोनों में आभूषणों का प्रचलन है स्त्रियों में गोदना गोदवाना मुख्य रूप से प्रचलित है भील स्त्रियां अत्यधिक आभूषण पहनती है यह शाकाहारी और मांसाहारी दोनों है मक्का जौं ज्वार एवं डालें इन का प्रमुख भोजन है

सामाजिक व्यवस्था ➖ भील समाज पितृसत्तात्मक एवं पितृस्थानीय है समाज में भील भिलाला पटेलिया आधी वर्ग पाए जाते हैं भीलो का गांव भी एक महत्वपूर्ण सामाजिक इकाई होता है जिसमें वरिष्ठ जनों का अत्यधिक विशिष्ट स्थान होता है विधवा विवाह वर वधू मूल्य भी प्रचलित है भगोरिया हाट भीलो का आर्थिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व का मेला है जो फागुन माह में लगता है इनके उत्सव एवं नृत्य में भगोरिया, गौरी, घूमर ,कठपुतली आदि प्रसिद्ध है

अर्थव्यवस्था ➖ भील जनजाति अपनी आजीविका के लिए मुख्यता कृषि पर आधारित है किंतु संसाधनों की कमी के कारण यह कृषि के अतिरिक्त पशुपालन वनोपज संग्रह कृषि मजदूरी आदि भी करते हैं परंपरागत उत्सवों में अत्यधिक खर्च एवं सीमित आय के कारण भील अत्यधिक ऋण ग्रस्त है

अस्त्र शास्त्र ➖ धनुष बाण भीलों का परंपरागत शस्त्र है इसके अतिरिक्त के आक्रमण एवं सुरक्षा के लिए तलवार गुलेल आदि का भी प्रयोग करते हैं आर्थिक बदहाली के कारण भीलों के कुछ समूह लूटपाट भाटिया अपराधी आदि गतिविधियों में भी लिप्त हो गए हैं

धार्मिक जीवन ➖ भीलो का धर्म आत्मा वादी है इन के सबसे प्रमुख देवता राजापन्था है जानवरों में लोक घोड़े और सर्प की पूजा करते हैं हिंदू धर्म के प्रभाव के फलस्वरूप शंकर हनुमान और काली देवी की भी पूजा करने लगे इनमें पहाड़ बन पानी और फसलों के भी अलग अलग देवता है इनके द्वारा की गई कृषि चिमाता कहलाती है यह गोलघेघड़ा उत्सव मनाते हैं

भील जनजाति की उपजाति ➖ बरेला, रसियास भिलाला, वेगास, पटेलिया आदि भील जनजाति की प्रमुख उप जातियां हैं

भील जनजाति के प्रमुख पर्व ➖  गल, भगोरिया, चलवाणी, जातरा आदि प्रमुख भील जनजाति के पर्व है

भील जनजाति के प्रमुख नृत्य ➖ भगोरिया नृत्य, डोहा, बड़बा, धूमर नृत्य, गौरी नृत्य आदि भील जनजाति के प्रमुख नृत्य हैं

Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )

 विष्णु गौर सीहोर, मध्यप्रदेश


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