मध्यप्रदेश मे पर्यटन PART 02(Tourism in Madhya Pradesh PART 02)

मध्यप्रदेश मे पर्यटन PART 02


Tourism in Madhya Pradesh PART 02


भारत के मध्य में स्थित राज्य मध्य प्रदेश को भारत की ह्रदय स्थली का गौराव प्राप्त है! आदिवासियों की धरती नदियों पहाड़ों जंगल से आन्छादित मध्य प्रदेश अपने भीतर इतिहास की  विलक्षण धरोहर समाज हुए हैं !पर्यटकों के लिए जहां-जहां मध्यप्रदेश में प्रकृति ने अपना नैसर्गिक सौंदर्य बिखेरा है ! वही इसे इतिहास के जिज्ञासुओं का विश्वविद्यालय कहा जाता है !पर्यटन की दृष्टि से मध्य प्रदेश समृद्धिशाली राज्य है!

मध्य प्रदेश भारत के ठीक मध्य में स्थित है। अधिकतर पठारी हिस्से में बसे मध्यप्रदेश में विन्ध्य और सतपुडा की पर्वत श्रृखंलाएं इस प्रदेश को रमणीय बनाती हैं। ये पर्वत श्रृखंलाएं हैं कई नदियों के उद्गम स्थलों को जन्म देती हैं, ताप्ती, नर्मदा, चम्बल, सोन, बेतवा, महानदी जो यहां से निकल भारत के कई प्रदेशों में बहती हैं। इस वैविध्यपूर्ण प्राकृतिक देन की वजह से मध्यप्रदेश एक बेहद खूबसूरत हर्राभरा हिस्सा बन कर उभरता है। जैसे एक हरे पत्ते पर ओस की बूंदों सी झीलें, एक दूसरे को काटकर गुजरती पत्ती की शिराओं सी नदियां। इतना ही विहंगम है

मध्य प्रदेश जहां, पर्यटन की अपार संभावनायें हैं। हालांकि 1956 में मध्यप्रदेश भारत के मानचित्र पर एक राज्य बनकर उभरा था, किन्तु यहां की संस्कृति प्राचीन और ऐतिहासिक है। असंख्य ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहरें विशेषत: उत्कृष्ट शिल्प और मूर्तिकला से सजे मंदिर, स्तूप और स्थापत्य के अनूठे उदाहरण यहां के महल और किले हमें यहां उत्पन्न हुए महान राजाओं और उनके वैभवशाली काल तथा महान योध्दाओं, शिल्पकारों, कवियों, संगीतज्ञों के सार्थसाथ हिन्दु, मुस्लिम, जैन और बौध्द धर्म के साधकों की याद दिलाते हैं। भारत के अमर कवि, नाटककार कालिदास और प्रसिध्द संगीतकार तानसेन ने इस उर्वर धरा पर जन्म ले इसका गौरव बढाया है।
मध्यप्रदेश का एक तिहाई हिस्सा वन संपदा के रूप में संरक्षित है। जहां पर्यटक वन्यजीवन को पास से जानने का अदभुत अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। कान्हा नेशनल पार्क, बांधवगढ, शिवपुरी आदि ऐसे स्थान हैं जहां आप बाघ, जंगली भैंसे, हिरणों, बारहसिंघों को स्वछंद विचरते देख पाने का दुर्लभ अवसर प्राप्त कर सकते हैं।??                      

चित्रकूट(Chitrakoot)
चित्रकूट धाम मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसाभारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में एक है।उत्तरप्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला शांत और सुन्दर चित्रकूट प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है। चारों ओर से विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्यो की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनार बने अनेक घाट और मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है।

➡चित्रकूट मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित है
➡ प्राचीन काल में तपस्या एवं शांति का स्थल ब्रह्मा विष्णु महेश के बाल अवतार का स्थान माना जाता है
➡ मध्य प्रदेश सरकार ने पवित्र स्थल घोषित किया है
➡महाकवि तुलसीदास आत्मिक शांति के लिए यहां आए थे !
➡वनवास के समय भगवान श्रीराम सीता लक्ष्मण महर्षि अत्रि तथा सती अनुसूया के अतिथि बनकर रहे थे
➡ जहांगीर के क्रोध से पीड़ित अब्दुल रहीम खानखाना ने शरण ली थी
➡राम घाट वह घाट है जहाँ प्रभु राम नित्य स्नान किया करते थे l इसी घाट पर राम भारत मिलाप मंदिर है
➡ दर्शनीय स्थलों में जानकीकुंड, सती अनुसुइया, गुप्त गोदावरी, हनुमानधारा ,भारतकोश, स्फटिक शिला आदि है!

 अमरकंटक (Amarkantak)
अमरकंटक मध्‍य प्रदेश के अनूपपुर जिले का लोकप्रिय हिन्‍दू तीर्थस्‍थल है। समुद्र तल से 1065 मीटर ऊंचे इस स्‍थान पर ही मध्‍य भारत के विंध्य और सतपुड़ा की पहाडि़यों का मेल होता है। चारों ओर से टीक और महुआ के पेड़ो से घिरे अमरकंटक से ही नर्मदा और सोन नदी की उत्‍पत्ति होती है। नर्मदा नदी यहां से पश्चिम की तरफ और सोन नदी पूर्व दिशा में बहती है। यहां के खूबसूरत झरने, पवित्र तालाब, ऊंची पहाडि़यों और शांत वातावरण सैलानियों को मंत्रमुग्‍ध कर देते हैं। प्रकृति प्रेमी और धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को यह स्‍थान काफी पसंद आता है।

➡अमरकंटक बहुत से आयुर्वेदिक पौधों मे लिए भी प्रसिद्ध है‍, जिन्‍हें किंवदंतियों के अनुसार जीवनदायी गुणों से भरपूर माना जाता है।
➡अमरकंटक में दूधधारा नाम का  झरना काफी लो‍कप्रिय है। ऊंचाई से गिरते इसे झरने का जल दूध के समान प्रतीत होता है इसीलिए इसे दूधधारा के नाम से जाना जाता है।
➡पवित्र नगर अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ तहसील में स्थित है !
➡नर्मदा सोन जोहिला का उद्गम स्थल प्रसिद्ध तीर्थ एवं नया श्रीराम पर्यटन स्थल ऋषि मुनियों की तपोभूमि रहा है !
➡कपिलधारा जलप्रपात सोनमुंग ,माई की बगिया ,कबीर चौरा, भ्र कमंडल, विश्वकर्मा द्वारा नर्मदा कुंड के पर्यटन है!
➡ प्राचीन मंदिर जाने कलचुरी राजा ने बनवाया बनाया था

मानडू(मांडव)-Mandu
माण्डू या माण्डवगढ़, धार जिले के माण्डव क्षेत्र में स्थित एक जर्जर शहर है। यह भारत के पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है। यह धार शहर से 35 किमी दूर स्थित है। यह 11 वीं शताब्दी में, माण्डू तारागंगा या तरंगा राज्य का उपभाग था। विन्ध्याचल पर्वत शृंखला में स्थित होने के कारण इसका सुरक्षा कि दृस्टि से बहुत अधिक महत्व था।

➡मांडव मांडव मालवा का सौंदर्य स्थल है
➡ मांडव सादियाबाद अर्थात हर्ष नगर से जाना जाता है
➡मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित मांडू का प्राचीन नाम क्या था
➡ दिलावर खान का पुत्र 1405 में अपनी राजधानी धार से उठाकर ले आया
➡1540 में बाजबहादुर के आधिपत्य में आया जिसने जहाज महल, हिंडोला महल, का निर्माण कराया
➡प्रमुख दर्शनीय स्थल जहाज महल, हिंडोला महल, होशंगशाह का मकबरा, जामा मस्जिद, अशर्फी महल, रेवाखंड, रूपमती, मंडप ,नीलकंठ, महल हाथी, महल ,लोहानी, गुफाएं चंपा, बावड़ी, मांडू को आनंद नगरी (सिटी ऑफ जॉय ) रानी रूपमती का महल आदि है!

पचमड़ी(Pachmarhi)
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित पंचमढ़ीमध्य भारत के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में एक है। सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच समुद्र तल से 3550 फीट की ऊंचाई पर बसा पंचमढ़ी मध्य प्रदेश का यह एकमात्र हिल स्टेशन है। हरे-भरे और शांत पंचमढ़ी में बहुत-सी नदियों और झरनों के गीत सैलानियों में मंत्रमुग्ध कर देते हैं। पंचमढ़ी घाटी की खोज 1857 में बंगाल लान्सर के कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने की थी। इस स्थान को अंग्रेजों ने सेना की छावनी के रूप में विकसित किया। पंचमढ़ी में आज भी ब्रिटिश काल के अनेक चर्च और इमारतें देखी जा सकती हैं।

➡पचमढ़ी पर्यटकों का स्वर्ग उपनाम से प्रसिद्ध प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन है
➡ पचमढ़ी का शाब्दिक अर्थ पांच कुटिया है
➡वेलकम हेरिटेज गोल्फ व्यू होटल पचमढ़ी में है
➡ पांडवों का वनवास स्थल है
➡ कैपटन फॉर सेल प्रियदर्शनी पाइंट स्थान से पश्चिम  की खोज की थी
➡ पर्वतीय जलवायु स्वास्थ्यवर्धक है
➡भोजपुरी को पर्वतों की रानी भी कहा जाता है
➡ प्रथम स्थान जिसे बायोस्फीयर रिजर्व आरक्षित जैवमंडल क्षेत्र घोषित किया गया
➡अप्सरा विहार परिसर जटाशंकर पांडव गुफा छोटा महादेव चौरागढ़ दर्शनीय स्थल है

भेडाघाट(Bhedaghat)
भेड़ाघाट, भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के जबलपुर जिला में स्थित एक रमणीय पर्यटन स्थल है।भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित चौसठ योगिनी मंदिर इसके समीप स्थित है। धुआंधार जलप्रपात, भेड़ाघाट के निकट एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। नर्मदा नदी के दोनों तटों पर संगमरमर की सौ फुट तक ऊँची चट्टानें भेड़ाघाट की खासियत हैं। यह पर्यटन स्थल भी जबलपुर से महज 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जबलपुर से भेड़ाघाट के लिए बस(मेट्रो), टेम्पो और टैक्सी भी उपलब्ध रहती है। चाँद की रोशनी में भेड़ाघाट की सैर एक अलग ही तरह का अनुभव रहता है।

➡भेड़ाघाट के पास नर्मदा का पानी एक बड़े झरने के रूप में गिरता है।
➡ यह स्पॉट धुआँधार फॉल्स कहलाता है।
➡भेड़ाघाट जबलपुर से 21 किलोमीटर दूर स्थित है
➡जबलपुर में चौसठ योगिनी मंदिर, मदन महल, का निर्माण राजा द्वारा जबलपुर के समीप करवाया गया था
➡ दसवीं शताब्दी में स्थापित हुए दुर्गा के इस मंदिर से नर्मदा दिखाई देती है।

औंकारेश्वर (Omkareshwar)
मध्य प्रदेश केखंडवा जिले में स्थित है। यह नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगओं में से एक है। यह यहां के मोरटक्का गांव से लगभग 12 मील (20 कि॰मी॰) दूर बसा है। यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐके आकार में बना है।??

मध्यप्रदेश में देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ममलेश्वर (अमलेश्वर) के रूप में विराजमान हैं।

➡ओमकारेश्वर खंडवा जिले में नर्मदा के तट पर स्थित है
➡ मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पवित्र स्थल घोषित किया गया है !
➡ओमकारेश्वर में जल विद्युत केंद्रीय, रमणीय स्थल. ओंकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान .प्रमुख सिद्धांत मंदिर. 24 अवतार मंदिर. पुरी सोमनाथ मंदिर.आदि शंकराचार्य की गुफाएं. ओमकारेश्वर मंदिर का दर्शन दर्शनीय है

महेश्वर(Maheshwar)
महेश्वर शहर मध्य प्रदेश के खरगोन जिला में स्थित है। इस शहर को महिष्मती नाम से भी जाना जाता था। महेश्वर का रामायण और महाभारत में भी उल्लेख है। देवी अहिल्याबाई होलकर के कालखंड में बनाए गए यहाँ के घाट सुंदर हैं और इनका प्रतिबिंब नदी में और खूबसूरत दिखाई देता है। महेश्वर इंदौर से ही सबसे नजदीक है। इंदौर विमानतल महेश्वर से 91 किलोमीटर की दूरी पर है।

इंदौर से 90 की.मी. की दुरी पर "नर्मदा नदी" के किनारे बसा यह खुबशुरत पर्यटन स्थल म.प्र. शासन द्वारा "पवित्र नगरी" का दर्जा प्राप्त है, अपने आप में कला, धार्मिक, संस्कृतिक, व एतिहासिक महत्व को समेटे यह शहर लगभग 2500 वर्ष पुराना है

➡महेश्वर साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है
➡देवी अहिल्या ने सुंदर किला और मनोहर घाट बनवाए !
➡ आहिल्या घाट से सर सहस्त्रधारा तक नर्मदा में नौका विहार का  एक पावन अनुभव होता है
➡ महेश्वर का उल्लेख रामायण एवं महाभारत में भी मिलता है !
➡मध्य प्रदेश सरकार ने पवित्र नगर घोषित किया है!
➡ दर्शनीय स्थल संग्रहालय ,राजेश्वरी मंदिर, विश्वनाथ होलकर परिवार की छतरियां आदि हैं

उज्जैन(Ujjain)
उज्जैन नगर के प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में हरसिध्दि देवी का मंदिर प्रमुख है। उज्जैन नगर के धार्मिक स्वरूप में क्षिप्रा नदी के घाटों का प्रमुख स्थान है। नदी के दाहिने किनारे, जहां नगर स्थित है, पर बने ये घाट स्थानार्थियों के लिये सीढीबध्द हैं।

➡गोपाल मंदिर उज्जैन नगर का दूसरा सबसे बडा मंदिर है।
➡उज्जैन के  महाकालेश्वर की मान्यता भारत के प्रमुख बारह ज्योतिर्लिंगों में है।
➡उज्जैन पुण्यशिला क्षिप्रा के पूर्वी तट पर स्थित है !
➡ प्राचीन देशांतर रेखा गुजरती है!
➡ पुराणों में उज्जयिनी. अवंतिका. अमरावती, प्रतिकल्पा. कुमुदवती प्रतिमा की गई है!
➡ प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल में कुंभ पर्व आयोजित किया जाता है!
➡ उज्जैन कुंभ पर्व पर बृहस्पति सिंह राशि पर होता है! इस कारण सिंहस्थ सीखा जाता है
➡उज्जैन के मंगलनाथ से भूगोल की उत्पत्ति मानी जाती है!
➡ जैन को मध्य प्रदेश सरकार ने पवित्र नगर घोषित किया है
➡उज्जैन महाकाल की नगरी के नाम से जाना जाता है
➡12 ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन में स्थित है !
➡जंतर मंतर वेधशाला जिसे राजा जयसिंह ने बनवाया था !
➡सांदीपनि आश्रम जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी !
➡भरतहरि की गुफाएं, कालभैरव, कालीया देह. आदि दर्शनीय स्थल है!

साँची(sachi)
सांची भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले, में बेतवा नदी के तट स्थित एक छोटा सा गांव है। यहभोपाल से 46 कि॰मी॰ पूर्वोत्तर में, तथा बेसनगरऔर विदिशा से 10 कि॰मी॰ की दूरी पर मध्य-प्रदेश के मध्य भाग में स्थित है। यहां कई बौद्ध स्मारक हैं!
➡सांची एकमात्र ऐसा स्थान जहां बौद्ध स्तुप है! लेकिन महात्मा बुद्धा वहां कभी नहीं गए !
➡सांची स्तूप मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है
➡रांची को मौर्य काल में वैदिक संगति चेतिया गिरी शुंग सातवाहन काल में कांकणारव. गुप्तकाल में काकनादवोट  श्री महा विहार कहा जाता है

➡ राजा अशोक ने विदिशा कैसेट देव की कन्या श्रीदेवी के प्रभाव से स्तूप का निर्माण कराया !
➡स्तूप में वैदिक  वेथि. अंड .हर्मिका . तोरणद्वार.आदि अंग है!
➡ 1989 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है !
➡सम्राट अशोक ने सांची के स्तूप का निर्माण करवाया था!
➡ सांची बहुत धनगरी के नाम से प्रसिद्ध है!
➡ प्रमुख दर्शनीय बुद्ध विहार, अशोक स्तंभ, महाभारत गुप्तकालीन मंदिर, एवं संग्रहालय है

खजूराहो( Khajuraho)
खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यह मध्य प्रदेश केछतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनिया भर के आगन्तुक और पर्यटक प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते है। हिन्दू कला औरसंस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था। संभोग की विभिन्न कलाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के उभारा गया है।

➡ 1986 में अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है!
➡ चित्रगुप्त मंदिर खजुराहो का एकमात्र सूर्य मंदिर है !
➡यहां शिव .जैन . वैष्णव धर्म से संबंधित मंदिर है !
➡प्रमुख दर्शनीय स्थल:- चौसठ योगिनी, कंदारिया महादेव मंदिर. आदिनाथ पार्श्व जैन मंदिर, दुलादेव एवं चतुर्भुज मंदिर है!

➡ यहां संजीव मैथुन काम और रति क्रीड़ा सांसारिक निष्कपटता तथा स्वच्छ एवं उन्मुक्त प्रेम के प्रतीक है !
➡खजुराहो का सौंदर्य यहां से शिल्पी और कला का प्राण है

ओरछा(Orchha)
मध्यप्रदेश में झांसी के पास स्थित ओरछा का एक अपना महत्व है। इससे जुड़ी तमाम कहानियां और किस्से पिछली कई दशकों से लोगों की जुबान पर हैं।बुन्देलों और मुगल शासक जहांगीर की दोस्ती की यह निशानी ओरछा का मुख्य आकर्षण है। महल के प्रवेश द्वार पर दो झुके हुए हाथी बने हुए हैं। तीन मंजिला यह महल जहांगीर के स्वागत में राजा बीरसिंह देव ने बनवाया था। वास्तुकारी से दृष्टि से यह अपने जमाने का उत्कृष्ट उदाहरण है।रामराजा मंदिर यह मंदिर ओरछा का सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण मंदिर है। यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि राजा मधुकर को भगवान राम ने स्वप्न में दर्शन दिए और अपना एक मंदिर बनवाने को कहा।

➡ओरछा ओरछा को बुंदेलों ने बुंदेलखंड की राजधानी बनाई थी!
➡ ओरछा मध्यप्रदेश राज्य के  टीकमगढ़ जिले में स्थित है
➡मध्य प्रदेश सरकार ने पवित्र स्थल घोषित किया है!
➡ओरछा क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की साधना स्थल स्थली रही है!
➡ दर्शनीय स्थल:- जहांगीर महल ,चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, फूल बाग ,शाहिद स्मारक, छतरिया आदी है!

मैहर(Maher)
मैहर मध्य प्रदेश के सतना जिले का एक छोटा सा नगर है। यह एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थस्थल है। मैहर में शारदा माँ का प्रसिद्ध मन्दिर ह जो नैसर्गिक रूप से समृद्ध कैमूर तथा विंध्य की पर्वत श्रेणियों की गोद में अठखेलियां करती तमसा के तट पर त्रिकूट पर्वत की पर्वत मालाओं के मध्य 600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह ऐतिहासिक मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक है। यह पीठ सतयुग के प्रमुख अवतार नृसिंह भगवान के नाम पर 'नरसिंह पीठ' के नाम से भी विख्यात है। 

➡मध्य प्रदेश सरकार ने पवित्र स्थल  घोषित किया है!
➡ यहां प्रसिद्ध आल्हा ऊदल का अखाड़ा था !
➡ मां शारदा देवी का मंदिर का भव्य मंदिर है!
➡संगीत नगरी के नाम से जाना जाता है
➡मां शारदा के बगल में प्रतिष्ठापित नरसिंहदेव जी की पाषाण मूर्ति आज से लगभग 1500 वर्ष पूर्व की है

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