महमूद ग़ज़नवी और गोर वंश

☘ इस्लाम धर्म के अनुयायियों में से भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले अरब थे  अरबं सिंध पर अधिकार करने में सफल रहे किंतु उनकी  सत्ता अस्थायी थी
☘ अरब इस्लाम और भारत के बीच आरंभिक संपर्क अवश्य स्थापित कर पाए लेकिन भारत में मुस्लिम सत्ता की स्थापना का श्रेय तुर्कों को जाता है
☘ तुर्क अरब और ईरानियों से भिन्न थे इस्लाम के नवीन अनुयाई होने के कारण वे  अत्यधिक धर्मांध थे नस्ल की श्रेष्ठता के विश्वास ने उनके हथियार को और अधिक तीक्ष्ण कर दिया था
☘ 8 वीं शताब्दी में तुर्कों ने मध्य एशिया से हटना आरंभ किया। सल्लूक,गिज, खिलाई, कर्लुग, ईल्बारी आदि विभिन्न जातियां एक के बाद एक   इस्लामी प्रदेशों में प्रवेश करती चली गई और अपने-अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर दिए
☘ गुर्जर प्रतिहार राज्य के विघटन के कारण भारत में राजनीतिक अनिश्चितता और प्रभुत्व के लिए एक नए दौर का प्रारंभ हुआ फलस्वरुप भारत की उत्तरी पश्चिमी सीमा पर पश्चिमी एशिया के आक्रमण और प्रसार वादी तुर्क राज्यों के उदय की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया
☘ 9वीं शताब्दी के अंत में  ट्रांस- ओक्सियान, खुरासान और इरान के कुछ भागों पर  समानी  शासकों का राज्य था जिन्हें उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर तुर्कों से हमेशा संघर्ष करना पड़ता था इसी संघर्ष के कारण एक नए प्रकार के सैनिक गाजी का उदय हुआ
☘10 वीं शताब्दी के मुस्लिम साम्राज्य में एक बड़ी उत्तल पुथल हुई बगदाद के खलीफा निर्बल हो गए ।समानी  साम्राज्य के पतन के बाद उनका एक तुर्क गुलाम  ""अल्पतगीन""  ने स्वतंत्र राज्य की स्थापना की
☘ समाना राज्य के समाप्ति के बाद मध्य एशिया के कबीलों  से इस्लामी क्षेत्रों की रक्षा का भार गजनवियों ने संभाल लिया


???अल्पतगीन और गजनी वंश की स्थापना???


गजनी साम्राज्य की स्थापना अल्पतगीन ने 962ईस्वी में की थी
☘ अलप्तगीन बुखारा के समानी शासक अब्दुल मलिक का एक तुर्क दास था।वह असाधारण योग्यता और साहस का स्वामी था।
☘ अपनी साहस और परिश्रम के बल पर हजीब उल हज्जाब  के पद पर नियुक्त हुआ। 956ईस्वी  में वह खुरासान का राज्यपाल नियुक्त हुआ
☘ 962 ईसवी में अब्दुल मलिक की मृत्यु के बाद उसके भाई और चाचा में उत्तराधिकार के लिए युद्ध आरंभ हो गया।अलप्तगीन ने चाचा का समर्थन किया लेकिन अब्दुल मलिक का भाई मंसूर सिंहासन प्राप्त करने में सफल हुआ।
☘ अलप्तगीन  ने उत्तराधिकार के इस युद्ध में गलत पक्ष का समर्थन किया भावी दंड के भय से उसने गजनी की ओर प्रस्थान किया और वहां अपनी स्थिति सुदृढ़ कर गजनवी वंश की स्थापना की
☘ गजनी वंश  ईरान की एक शाखा थी अरब आक्रमण के समय इस वंश में शासक तुर्किस्तान चले गए वहां पर तुर्कों के साथ इतना घुल मिल गए कि उनके वंशज तुर्क कहलाने लगे
☘ अलप्तगीन ने गजनी को अपनी राजधानी बनाया गजनी वंश का अन्य नाम यामिनी वंश भी है
☘ इस समय भारत के उत्तर पश्चिमी में हिंदू शाही राजवंश का राज्य था इसका विस्तार हिंदुकुश पर्वतमाला तक था।काबुल भी उसके अधिकार में था अतः गजनी और हिंदू शाही राजवंश की सीमाएं एक दूसरे से टकराने लगी फलस्वरुप युद्ध होना अवश्यंभावी था
☘ 963 ई.  में अलप्तगीन की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इस्हाक उसका उत्तराधिकारी बना
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?♦इस्हाक♦?
☘यह अलप्तगीन का पुत्र था अलप्तगीन की मृत्यु के बाद गद्दी पर बैठा यह केवल 3 वर्ष तक शासन कर पाया
☘इसके पश्चात इसका सेनापति बलक्तगीन गजनी वंश का उत्तराधिकारी बना
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?♦बलक्तगीन♦?
☘यह इस्हाक  का सेनापति था इसहाक की मृत्यु के बाद यह गद्दी पर बैठा था 972 ई. में इसकी मृत्यु हो गई।
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?♦पीराई♦?
☘पीराई  अलप्तगीन का एक गुलाम था। बलक्तगीन  की मृत्यु के बाद यह गजनी वंश की गद्दी पर बैठा। यह अत्याचारी और अयोग्य था
☘इस के समय में हिंदू शाही वंश के राजा जयपाल ने पीराई के विरुद्ध अपने पुत्र के नेतृत्व में एक सेना भेजी लेकिन सुबुक्तगीन ने उस सेना पर अचानक आक्रमण कर उसे समाप्त कर दिया
☘977 ई. में  पीराई को हटाकर सुबुक्तगीन ने गद्दी पर अधिकार कर लिया
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?♦ जयपाल (शाही वंश) ♦?
☘जयपाल एक हिंदू शाही शासक था शाही वंश की स्थापना नवी शताब्दी में कल्लर नामक एक ब्राह्मण मंत्री ने की थी
☘इसी समय सुबुक्तगीन और उसके पुत्र महमूद गजनवी ने क्षेत्र में आक्रमण किया और राजपूत शासक जयपाल को पराजित किया था जयपाल को महमूद के इतिहासकारों ने ईश्वर का शत्रु बताया है
☘ शाही वंश में जयपाल के बाद आनंदपाल त्रिलोचन पाल और भीम पाल उत्तराधिकारी हुए थे
☘काबुल और पंजाब में हिंदू शाही राजवंश का शासन था उनकी  राजधानी उद्भाण्डपुर  थी। इसे वैहन्द भी कहा जाता था
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???सुबुक्तगीन ( यामिनी वंश)-977-997ई???
☘ गुलाम सुबुक्तगीन ने 977 इसी में यामिनी वंश की स्थापना की और गजनी की राज गद्दी पर  बैठा था
☘गजनी वंश का अन्य नाम यामिनी वंश भी है
☘सुबुक्तगीन प्रथम तुर्की शासक था जिसने भारत पर आक्रमण किया और हिंदू शाही शासक जयपाल को पराजित किया था
☘सुबुक्तगीन अल्पतगीन का एक दास था लेकिन बाद में उसका दामाद बना नासिर हाजी नामक एक व्यापारी उसे तुर्किस्तान से बुखारा  लाया जिसे  अलप्तगीन ने खरीदा था
☘वह बुद्धिमान और परिश्रमी था अपने परिश्रम के बल पर एक के बाद एक उच्च पदों को सुबुक्तगीन ने प्राप्त किया और अलप्तगीन ने उसे ""अमीर-उल-उमरा"" की उपाधि दी थी
☘977 ई. में गद्दी पर बैठने के बाद उसने आक्रमणों से अपने जीवन का आरंभ किया वस्त, दवार, कुसदार, बामियान तुर्किस्तान और गोर को जीत लिया
☘सुबुक्तगीन के समय में गजनी और हिंदू शाही साम्राज्य का लंबा संघर्ष आरंभ हुआ जो सुल्तान महमूद के समय तक चलता रहा और अंततः हिंदू साम्राज्य का अंत हो गया
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?♦शाही वंश का अंत ♦?
?अलबरूनी के अनुसार➖ हिंदू शाही वंश के शासक कुषाण नरेश कनिष्क के वंशज थे
☘शक्ति ग्रहण करने के बाद सुबुक्तगीन ने उत्तर भारत की ओर कदम बढ़ाया । उस समय शाही वंश के राजा जयपाल के राज्य की सीमाएं सरहिंद से लगमान (जलालाबाद) और कश्मीर से मुल्तान तक विस्तृत थी
☘शाही शासकों की राजधानियां क्रमशः ओड, लाहौर और भटिंडा थी 987 में सुबुक्तगीन ने प्रथम बार भारत की सीमा पर आक्रमण किया और हिंदू साम्राज्य के कई किलो और नगरों को विजित कर लिया
☘ जयपाल यह सब सहन नहीं कर सका उसने युद्ध करने का निश्चय किया गजनी और लगमान के पास दोनों सेनाओं का मुकाबला हुआ

?उत्बी के अनुसार➖दोनों दोनों के बीच होने वाले मुठभेड़ में युद्ध स्थल लहूलुहान हो गया लेकिन किलो पर यामनियों का अधिकार नहीं हो सका इस बीच एक भयानक हिम वर्षा ने जयपाल की सेना को छिन्न-भिन्न कर दिया और अंत तक उसे संधि करने के लिए बाध्य होना पड़ा
☘जयपाल ने संधि में 1000000 दरहम ,50 हाथी कुछ नगर और किले देना स्वीकार किया उसने अपने दो प्रतिनिधियों को अपने वचन का पालन करने का विश्वास दिलाने के लिए सुबुक्तगीन के पास भेजने के लिए वचनबद्ध होना पड़ा
☘किंतु कुछ दिनों बाद उसने संधि को समाप्त करने का निश्चय किया इस कारण सुबुक्तगीन ने उसकी सीमाओं पर आक्रमण किया और लगमान तक के क्षेत्र को विजित कर लिया
☘जयपाल ने सुबुक्तगीन को पराजित करने के लिए एक बड़ी सेना एकत्रित कि उसने 991ईस्वी में अजमेर, कालिंजर और कन्नौज के शासकों का संघ  बनाया

 ?फरिश्ता लिखता है कि➖ दिल्ली ,अजमेर, कालिंजर और कन्नौज के राजाओं ने धन और सैनिकों द्वारा उसकी सहायता की*
☘लगमान के निकट दोनों के मध्य युद्ध हुआ किंतु अपने शत्रु की कुशल रणनीति और मोर्चा बंदी के सामने वह विफल रहा और पराजय उसके हाथ लगी
☘लगमान और पेशावर के मध्य समस्त क्षेत्रों पर सुबुक्तगीन का अधिकार हो गया।काबुल  और जलालाबाद के सुबे को गजनी में मिला दिया गया
☘एक शहजादे के रूप में मेहमूद गजनबी ने इस युद्ध में भाग लिया था अपनी मृत्यु से पूर्व सुबुक्तगीन ने पूरा अफगानिस्तान ,खुरासान,बल्ख  और भारत के पश्चिम उत्तर सीमा को अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया था

☘997ईस्वी में सुबुक्तगीन की मृत्यु हो गई

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