राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017
( NATIONAL HEALTH SCHEME 2017 )
मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 को अनुमोदित कर दिया है। यह देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के इतिहास में बहुत बड़ी उपलब्धि है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 बनाई है। पिछली राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 में बनाई गई थी। इस प्रकार, यह नीति बदलते सामाजिक-आर्थिक, प्रौद्योगिकीय और महामारी-विज्ञान परिदृश्य में मौजूदा और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए 15 साल के अंतराल के बाद अस्तित्व में आई है।
भारत सरकार ने नीति निर्माण की प्रक्रिया में अत्यधिक सहभागितापूर्ण और परामर्शी दृष्टिकोण अपनाया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के प्रारूप को 30 दिसंबर, 2014 को पब्लिक डोमेन पर डाला गया था। इसके बाद नीति को और अधिक कारगर बनाने के लिए राज्य सरकारों और अन्य पणधारकों के साथ विचार-विमर्श किया गया। इस नीति को केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद, जो शीर्ष नीति निर्माण निकाय है, के समक्ष प्रस्तुत किया गया और इसकी एकमत से पुष्टि की गई।
नई स्वास्थ्य नीति में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दिए जाने के साथ साथ स्वास्थ्य खर्च को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने तथा सार्वजनिक अस्पतालों में नि:शुल्क दवाएं मुहैया कराने एवं अनिवार्य स्वास्थ्य देखभाल करने पर जोर दिया गया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की प्रमुख विशेषताएँ:
इस नीति में साल 2018 तक कुष्ठ रोग, वर्ष 2017 तक कालाजार और वर्ष 2017 तक लिम्फेटिक फाइलेरियासिस का उन्मूलन करने की बात कही गई है। इसके साथ ही क्षय रोगियों में 85 प्रतिशत से अधिक की इलाज दर प्राप्त करने पर जोर दिया गया है ताकि वर्ष 2025 तक इसका उन्मूलन किया जा सके।
नई स्वास्थ्य नीति में साल 2025 तक दृष्टिहीनता की व्याप्तता घटाने और इसके रोगियों के वर्तमान स्तर को घटाकर एक तिहाई करने का प्रस्ताव किया गया है।इसके साथ ही हृदयवाहिका रोग, कैंसर, मधुमेह या श्वांस संबंधी पुराने रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु दर को साल 2025 तक घटाकर 25 प्रतिशत करने की बात कही गई है।
इसमें जन्म से संबंधित जीवन प्रत्याशा को 67.5 साल से बढ़ाकर साल 2025 तक 70 साल करने, वर्ष 2022 तक प्रमुख रोगों की व्याप्तता तथा इसके रूझान को मापने के लिए अशक्तता समायोजित आयु वर्ष (डीएएलवाई) सूचकांक की नियमित निगरानी करने के साथ साल 2025 तक पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर को कम करके 23 करना, नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म वाली शिशु दर को वर्ष 2025 तक घटाकर ‘एक अंक’ में लाना है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में सभी आयामों – स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का प्रबंधन और वित्त-पोषण करने, विभिन्न क्षेत्रीय कार्रवाई के जरिये रोगों की रोकथाम और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने,चिकित्सा प्रौद्योगिकियाँ उपलब्ध कराने,मानव संसाधन का विकास करने,चिकित्सा बहुलवाद को प्रोत्साहित करने, बेहतर स्वास्थ्य के लिये अपेक्षित ज्ञान आधार बनाने, वित्तीय सुरक्षा कार्यनीतियाँ बनाने तथा स्वास्थ्य के विनियमन और उत्तरोत्तर आश्वासन के संबंध में स्वास्थ्य प्रणालियों को आकार देने पर विचार करते हुए प्राथमिकताओं का चयन किया गया है। इस नीति का उद्देश्य सभी लोगों, विशेषकर अल्पसेवित और उपेक्षित लोगों को सुनिश्चित स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराना है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में प्रति 1000 की आबादी के लिये अस्पतालों में एक नहीं बल्कि 2 बिस्तरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि आपात स्थिति में ज़रूरत पड़ने पर इसका लाभ उठाया जा सके। इस नीति में वित्तीय सुरक्षा के माध्यम से सभी सार्वजनिक अस्पतालों में नि:शुल्क दवाएँ, नि:शुल्क निदान तथा नि:शुल्क आपात तथा अनिवार्य स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में आयुष प्रणाली के त्रि-आयामी एकीकरण की परिकल्पना की गई है जिसमें क्रॉस रेफरल, सह-स्थल और औषधियों की एकीकृत पद्धतियाँ शामिल हैं। इसमें प्रभावी रोकथाम तथा चिकित्सा करने की व्यापक क्षमता है, जो सुरक्षित और किफायती है। योग को अच्छे स्वास्थ्य के संवर्द्धन के भाग के रूप में स्कूलों और कार्यस्थलों में और अधिक व्यापक ढंग से लागू किया जाएगा।