संस्कृत छन्द(Sanskrit chhand)
1. आर्या छन्दसि द्वितीये पादे मात्रा: भवन्ति-
अ. 15
ब. 12
स. 18✔
द. 57
2. अस्मिन् छन्दसि षष्ठ: वर्ण: सदैव गुरु: भवति-
अ. आर्या
ब. इन्द्रवज्रा
स. अनुष्टुप्✔
द. वंशस्थम्
3. इन्द्रवज्रा छन्दसि प्रतिपादं वर्णा: भवन्ति-
अ. 9
ब. 11✔
स. 12
द. 15
4. इन्द्रवज्रोपेन्द्रवज्रयो: मिश्रणे छन्द: भवति-
अ. अपजाति:
ब. उपजाति:✔
स. आर्या
द. शालिनी
5. मालिनीछन्दस: लक्षणे भोगिपदेन सङ्ख्यां सूच्यते-
अ. 5
ब. 6
स. 7
द. 8✔
7. स्रग्धरा छन्दस: लक्षणे ‘ मुनि: ‘ इति पदेन सूच्यते-
अ. त्रिसङ्ख्या
ब. सप्तसङ्ख्या✔
स. अष्टसङ्ख्या
द. कण्व:
6. शार्दूलविक्रीडितछन्दस: लक्षणे सूर्यपदं वाचकं वर्तते-
अ. मित्रस्य
ब. मरीचे
स. द्वादशसङ्ख्याया:✔
द. अर्कस्य
8. पादान्ते पादमध्ये वा अल्पविराम: भवति-
अ. पाद:
ब. यति:✔
स. गति:
द. लय:
9. संयोगे परे ह्रस्व-स्वर भवति-
अ. लघु:
ब. गुरु:. ✔
स. लघु गुरुर्वा
द. लघुश्च गुरुश्च
10. छन्दस्सु गणा: सन्ति-
अ. सप्त
ब. अष्ट✔
स. नव
द. दश
11. शिखरिणी छन्दस: लक्षणे रसपदेन सूच्यते-
अ. 6✔
ब. 11
स. 7
द. 8
12. ‘ न विवृतो मदनो न च संवृत:’ इत्यत्र छन्द: –
अ. भुजङ्गप्रयातम्
ब. द्रुतविलम्बितम्✔
स. वसन्ततिलका
द. मालिनी
13. ‘त्वमेव माता च पिता त्वमेव’ इत्यत्र छन्द: –
अ. इन्द्रवज्रा
ब. उपेन्द्रवज्रा✔
स. उपजाति:
द वंशस्थम्
14. ‘अर्थो हि कन्या परकीय एव’ इत्यत्र छन्द: –
अ. इन्द्रवज्रा✔
ब. उपेन्द्रवज्रा
स. उपजाति:
द. वंशस्थम्
15. ” सूर्याश्वैर्यदि……..” इति लक्षणे अश्वपदं वाचकं वर्तते-
अ. घोटकस्य
ब. पादस्य
स. सप्तसङ्ख्या:✔
द. द्वादशसङ्ख्याया:
16. आदिगुरु: गण: भवति-
अ. भगण:✔
ब. नगण:
स. सगण:
द. तगण:
17. छन्द:सूत्राणि विरचितानि-
अ. डिङ्गलमुनिना
ब. पिङ्गलमुनिना✔
स. क्षेमेन्द्रेण
द. गङ्गादासेन
19. ‘ शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम् ‘ इत्यत्र छन्द:-
अ. शिखरिणी
ब. स्रग्धरा
स. मन्दाक्रान्ता✔
द. शार्दूलविक्रीडितम्
18. एकादश वर्णा: न सन्ति अस्मिन् छन्दसि-
अ. उपजातिछन्दसि
ब. इन्द्रवज्रायाम्
स. उपेन्द्रवज्रायाम्
द. वंशस्थे✔
20. असत्यमेलनं चुनुत-
अ. पीड्यन्ते गृहिण: कथं नु तनयाविश्लेषदु:खैर्नवै: – शार्दूलविक्रीडितम्
ब. लोको नियम्यत इवात्मदशान्तरेषु – वसन्ततिलका
स. न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव – भुजङ्गप्रयातम्
द. हसितमन्यनिमित्तकृतोदयम् – वंशस्थम्✔