अलाउद्दीन खिलजी का मूल्यांकन

अलाउद्दीन खिलजी का मूल्यांकन


विश्वासघातियों से पहले लाभ उठाना और फिर उन्हें दंड देना अलाउद्दीन का एक सिद्धांत था

अलाउद्दीन की तुलना जर्मन राज्य के संस्थापक बिस्मार्क (Bismarck से )की जाती है वेश्यावृत्ति पर प्रतिबंध लगाने वाला अलाउद्दीन मध्यकाल का पहला शासक था

अमीर खुसरो (Amir Khusro) और इसामी ने- अलाउद्दीन को एक भाग्यशाली व्यक्ति कहा है

Jodhpur के संस्कृत शिलालेख में कहा गया है कि- अलाउद्दीन के देव तुल्य शौर्य से पृथ्वी अत्याचारों से मुक्त हो गई

बरनी ( Barni) के अनुसार- अलाउद्दीन के राज्य में केंद्र और प्रदेशों के अतिरिक्त 11 प्रांत थे

बरनी द्वारा दिया गया एकमात्र वस्तु का माप 20 गज का एक अच्छी श्रेणी का लट्ठा है जो 1 टंका में बिकता था

जियाउद्दीन बरनी ने लिखा है कि- अलाउद्दीन ने इतना रक्त बहाया कि जितना कि मिस्र के फराओ ने भी कभी नहीं बहाया था।

बरनी की तारीख ए फिरोजशाही में खिलजी वंश (Khilji dynasty) और अलाउद्दीन की जानकारी मिलती है बरनी ने 6 सुल्तानों का शासन काल देखा था

अलप खां, उलूग खां, नुसरत खां और जफर खॉ अलाउद्दीन के चार विश्वसनीय खान सेनापति थे अलाउद्दीन के समय 48 जीतल का एक टंका होता था इस समय का मन आज के लगभग 15 किलो के बराबर था

अलाउद्दीन खिलजी ने खुतो और जमीदारों के विशेषाधिकार छीन लिए थे

बरनी कहता है कि- चौधरी,खुत और मुकद्दम घोड़े पर नहीं बैठ सकते थे और ना ही अच्छे वस्त्र पहन सकते थे

अलाउद्दीन ने राजस्व अधिकारियों पर भी सख्ती से नियंत्रण लागू किया। राजस्व अधिकारियों की स्थिति इतनी दयनीय हो गई थी कि कोई भी व्यक्ति अपनी लड़की का विवाह इनके साथ करने को तैयार नहीं था

अलाउद्दीन खिलजी ने सबसे बड़ी स्थाई सेना का गठन किया था स्थाई सेना का निर्माण करनेवाला अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत (Delhi Sultanate) का प्रथम सुल्तान था

अलाउद्दीन खिलजी ने स्वयं को जिल्ले इलाही घोषित किया अलाउद्दीन ने कहा कि राजा का कोई संबंध ही नहीं होता है

अलाउद्दीन सुल्तान को कानून से ऊपर मानता था उसके अनुसार सुल्तान के शब्द ही कानून है खिलजी वंश के किस सुल्तान ने खलीफा से अपने पद की स्वीकृति नहीं ली थी

अलाउद्दीन निरकुंश राजतंत्र में विश्वास करता था वह उलेमा वर्ग की सलाह नहीं लेता था वह अपने स्वविवेक से राज हित में निर्णय लेता था

अलाउद्दीन खिलजी ने बयाना के काजी मुगीसुद्दीन को कहा कि यद्यपि मुझे कोई ज्ञान नहीं है और ना ही मैंने कोई पुस्तक पड़ी है फिर भी मैं जन्म से मुसलमान हूं मैं ऐसे आदेश देता हूं जो राज्य के लिए हितकर होते हैं और परिस्थिति देखते हुए तर्कसंगत दिखाई देते हैं मैं यह नहीं जानता कि शरीयत में उन की अनुमति है या नहीं मैं नहीं जानता कि न्याय के दिन अल्लाह मेरे साथ केसा व्यवहार करेगा

अलाउद्दीन द्वारा स्वयं को खलीफा का प्रतिनिधि घोषित करने का उद्देश्य खलीफा को सम्मान देना नहीं था बल्कि सैद्धांतिक रूप से खिलाफत की परंपरा को जीवित रखना था

अलाउद्दीन खिलजी ने देवी शक्ति पर आधारित राजत्व में विश्वास नहीं किया था बल्कि वह ऐसे राजत्व में विश्वास करता था जो स्वयं अपने अस्तित्व द्वारा अपना औचित्य सिद्ध कर सकें

अलाउद्दीन का राजत्व शरीयत के सिद्धांतों पर आधारित नहीं था और ना इसमें इस्लामी सिद्धांतों का सहारा लिया गया अलाउद्दीन खिलजी के समय सल्तनत का साम्राज्यवादी युद्ध आरंभ हुआ था

अलाउद्दीन खिलजी ने स्वयं को कड़ा में ही सुल्तान घोषित किया था अलाउद्दीन खिलजी विंध्याचल को पार करने वाला प्रथम सुल्तान था

 

शिहाबुद्दीन उमर और मलिक काफूर का शासनकाल 

4 जनवरी 1316 ईस्वी में अलाउद्दीन की मृत्यु के बाद मलिक काफूर ने अलाउद्दीन के पुत्रों और परिवार के सभी सदस्यों की हत्या करवा दी

उसने सिर्फ एक पुत्र मुबारक खां को जीवित कैद कर लिया

मलिक काफूर ने अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के बाद अल्पवयस्क शिहाबुद्दीन उमर को कुछ समय के लिए गद्दी पर बैठा या और उसका स्वयं संरक्षक बन गया

शिहाबुद्दीन उमर अलाउद्दीन की पत्नी झत्यापाली( रामदेव की पुत्री) का पुत्र थाउसका राज्य रोहन एक षड्यंत्र का परिणाम था

अलाउद्दीन का एक पुत्र मुबारक खा जिसे मलिक काफूर ने बंदी बना कर रख रखा था को दिगंत सुल्तान के अंगरक्षक को जिन्हें पायक कहा जाता था द्वारा अंधा करने के लिए भेजा गया

मुबारक खां ने उन सैनिकों को अलाउद्दीन के परिवार के प्रति उनके दायित्व का बोध करवाया और अपना हीरो का हार और कुछ धन देकर उन्हें अपनी और मिला लिया

उसी रात सैनिकों ने वापस जाकर मलिक काफूर का वध कर दिया

मलिक काफूर की हत्या के बाद अमीरों ने मुबारक खां को सुल्तान शिहाबुद्दीन उमर का संरक्षक नियुक्त किया

कुछ समय पश्चात मुबारक खां ने शहाबुद्दीन उमर को अंधा करवाकर ग्वालियर के दुर्ग में डाल दिया और स्वयं सत्ता पर अधिकार कर लिया और कुतुबुद्दीन मुबारक शाह की उपाधि धारण की

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