केवलादेव नेशनल पार्क:- भरतपुर

केवलादेव नेशनल पार्क:- भरतपुर


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:-  
पूर्वी राजस्थान जयपुर की दक्षिण पूर्व में स्थित है
 जिसे घना पक्षी विहार भी जाता है
Note:- यह अभयारण्य भारत के प्रमुख पर्यटन परिपथ 

सुनहरा त्रिकोण एवं राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) NH 11 पर राजस्थान

की पूर्वी द्वार भरतपुर में गंभीरी - बाणगंगा नदीयों के संगम 

पर स्थित है|
IMP इसका निर्माण किसन सिंह ने स्विजरलैंड की झीलों ( Switzerland lakes) 

के आधार पर करवाया इसे 1956 में पक्षी अभ्यारण का तथा

26 अगस्त 1981 में राष्ट्रीय उद्यान दर्जा प्राप्त हुआ |
 1985 में इसे UNESCO द्वारा विश्व प्राकृतिक धरोवर की सूची

में शामिल किया गया |

उपनाम- पक्षियों का स्वर्ग

NOTE:- इस अभयारण्य के बीचों बीच भगवान केवलादेव 

का मंदिर है इसी के आधार पर इसका नाम केवलादेव रखा गया |

एशिया की सबसे बड़ी प्रजनन स्थली
 Imp:- इसे रामसर कन्वेशन के तहत रामसर कन्वेशन 

वैट लैण्ड  में शामिल किया जा चुका है |
 यह लगभग 29 किलोमीटर में फैला है

विशेष जानकारी 
 इस अभ्यारण्य में वर्तमान में राज्य की प्रथम वन्य-जीव प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है |
 यह अभयारण्य विश्व के शिर्ष दस अभयारण्यों में शामिल है |

 डॉ सलीम अली  
 डॉ. सलीम अली की कर्म स्थली
 यही पर सलीम अली के नाम से सेन्टर स्थापित किया गया है जिसमें आस्ट्रेलिया की कंपनी सोरोसंकी सहयोग कर रही है |
 पक्षी वैज्ञानिक
पक्षी :- इस राष्ट्रीय उघान का प्रमुख आकर्षण रंग बिरंगे पक्षियों का उन्मुक्त विहार हैं|
 यहां लगभग 400 देशी- विदेशी पक्षी पाए जाते !
 पक्षियों का अागमन मोसम परिवर्तन के अनुसार होता रहता है यहाँ हर मौसम का अपना ही आनंद है|

1. प्रमुख पक्षी :-
शीत प्रवासी:- हंस,
कलहंसो , मेलार्ड , पोचार्ड , टील्स , पेनटेल्स, कूट्स की प्रजातीय व उप जातियों के जलीय पक्षी आते  है |
शिकारी पक्षी:- स्टेफी ईगल, वाइट ईगल , फिशिंग ईंगल ,पैराग्रीन , मार्स हैरियर ,स्काप उल्लू
 घना पक्षी अभ्यारण को यमुना जल बँटवारे (1994) के तहत पानी उपलब्ध कराया जा रहा है|

2 वन्य पशू :- काले हिरण, चितल, सांभर ,नील गाय, जंगली बिल्ली ,गीदड़ ,नेवला , लाल मुहं बंदर ,जंगली सुअर आदी दिखाई पड़ते हैं |
 झील में जल मानुष (उदबिलाव )भी निवास करते हैं

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
 इसी अभ्यारण में 2006 में सफेद सारस को बचाने के लिए ऑपरेशन राजहंस शुरु किया गया
 यहां पर लगभग 375 प्रजातियों के जीवऊतु पाए जाते हैं
 मध्य भारत में विधि द्वारा संरक्षित एकमात्र पक्षी शरणस्थल तथा इसकी जैवविविधता एक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए यूनेस्को की सूची में शामिल

Specially thanks to Post and Quiz Creator ( With Regards )


सत्यपाल जी विश्नोई


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