बांसवाड़ा प्रजामंडल आंदोलन

?डूंगरपुर की भाँति बांसवाड़ा में भी  आदिवासीयो व हरिजन में राजनीतिक जागृति रचनात्मक कार्य के माध्यम से हुई.
?हरिजन सेवा व आदिवासी जिलों में शिक्षा प्रसार के क्षेत्र में वहां के नेता बाबा लक्ष्मण दास जी,धूलजी भाई भावसार, श्री चिमनलाल मालोत,श्री मणि शंकर नगर और भूपेंद्र नाथ द्विवेदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही
?इन सभी के द्वारा बांसवाड़ा में शिक्षा प्रचार, हरिजनोंद्वार और जिलों की दशा सुधारने का कार्य किया गया था
?श्री चिमन लाल मालोत ने 1930 में राजनीतिक चेतना का प्रसार करने के उद्देश्य से शांत सेवा कुटीर संस्था की स्थापना की
?श्री चिमनलाल मालोत ने सर्वोदय वाहक नामक पत्रिका का प्रकाशन भी प्रारंभ किया
? बांसवाड़ा प्रजामंडल की स्थापना 1943 में हुई थी इसके अध्यक्ष भूपेंद्र नाथ त्रिवेदी थे
?प्रजामंडल की स्थापना के सहयोगी सदस्य धूल जी भाई मणि शंकर सिद्धि शंकर झा चिमनलाल मोतीलालआदि थे
?धीरे-धीरे प्रजामंडल में आदिवासी भी सक्रियभाग लेने लगी
?इन में प्रमुख आदिवासी चिप के दिला भगत, छोटी सरकरान के सेवा मछार ,छोटी तेजपुर के दीपा भगत आदि प्रमुख थे
?प्रजामंडल के सहयोगी संगठनों के रूप में महिला मंडल ,विद्यार्थी कांग्रेस ,और स्वयं सेवक दल का गठनकिया गया
?बांसवाड़ा के महारावल ने प्रजामंडल की सभाओं पर रोक लगा दी
?महारावल के इस प्रतिबंध का  घोर विरोध किया गया और नगर में हड़ताल की गई
?महारावल को अंत में झुकनापड़ा और बंदी नेताओं को रिहा करना पड़ा
? श्री भूपेंद्र नाथ त्रिवेदी के 1946 में मुंबई से आकर बांसवाड़ा की राजनीति में प्रवेश करने से प्रजामण्डल की शक्ति और प्रभाव में असाधारण वृद्धिहुई



??धारा सभा के चुनाव और उत्तरदायी शासन की स्थापना??
? जनता की राजनीतिक जागृति देखकर महारावल पृथ्वीसिंह ने वैधानिक सुधारों की घोषणा की
?महारावल ने विधानसभा के  चुनाव करवाए बांसवाड़ा प्रजामंडल ने इस चुनाव में भाग लिया कुल 45 सीटों में से 35 सीटों पर प्रजामंडल के उम्मीदवार निर्वाचित हुए यह घटना प्रजामंडल की लोकप्रियता का स्पष्ट प्रमाणथा
?मंत्री मंडल की ओर से मोहनलाल त्रिवेदी और नटवरलाल भट्ट को शामिल किया
?1948 में भूपेंद्र नाथ त्रिवेदी को मुख्यमंत्री बना दिया गया
?इन्होंने राजस्थान संघ में मिलना स्वीकार कर लिया
?इस उत्तरदायी सरकार के मंत्री मंडल में भूपेंद्र नाथ त्रिवेदी मुख्यमंत्री मोहनलाल त्रिवेदी विकास मंत्री natwarlal भट्ट राजस्व मंत्री और चतरसिंह को जागीरदारों के प्रतिनिधिके रूप में लिया गया
?लेकिन यह मंत्रीमंडल 18 दिन तक कार्यरत रहा राजस्थान के एकीकरण के प्रयास के समय महारावल में पुन: शक्ति प्राप्त करने का प्रयास किया हैलेकिन प्रजामंडल ने उसके प्रयास विफल कर दिए और बांसवाड़ा का राजस्थान संघ में विलय हो गया
?बांसवाड़ा निवासी श्री भूपेंद्र नाथ त्रिवेदी ने मुंबई में एक प्रेस स्थापित किया था सन 1939 में संग्राम नामक साहित्य पत्रिका प्रकाशन आरंभ किया था
?अर्थुना (बांसवाड़ा )में जन्मे श्री धूल जी भाई भावसारने सन 1936 में विजया  नामक विधवा से विवाह कर अंतर्जातीय व विधवा विवाह का आदर्श प्रस्तुत किया था

??महिला मंडल?? 
?महिला मंडल प्रजामंडल का सहयोगी संगठन था
? जो श्रीमती विजया बहिन भावसार के नेतृत्व में गठित किया गया था
?लोगों ने धारा 144 का उल्लंघन करते हुए 24 फरवरी 1946 को प्रधानमंत्री मोहन सिंह मेहता के बंगले को घेरलिया
?इस आंदोलन में महिला संगठन के नेतृत्व में स्त्रियों ने भी144 धारा तोड़कर जुलूस निकाला था

??बांसवाड़ा प्रजामंडल से संबंधित तथ्य??
* ?बांसवाड़ा के महारावल लक्ष्मण सिंह के काल में सोम व माही संगम पर स्थित बेणेश्वर के मंदिर के क्षेत्र की भूमि के स्वामित्व के प्रश्न को लेकर डूंगरपुर और बांसवाडा राज्य के मध्य तनाव की स्थिति बन गई थी
?ब्रिटिश अफसर मेजर मैकेंजी हस्तक्षेप से यह झगड़ा मिटाया गया
?इस स्थान पर डूंगरपुर राज्य का वास्तविक अधिकार स्वीकारकिया गया
?भोगीलाल पांडेय को वागड़ का गांधी कहां गया 
?बाँसवाड़ा के महारावल चन्द्रवीर सिंह ने राजस्थानसंघ मे विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा था कि "मै अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर" कर रहा हू ।" बाँसवाड़ा का राजस्थान संघ मे विलय 25 मार्च 1948 को हुआ

??वागड क्षेत्र?? *
?वागड क्षेत्र*वह क्षेत्र है जिसमें वर्तमान में डूंगरपुर और बांसवाडा के जिले से संबंधित हैं *
?गुजराती भाषा के प्रभाव पर व वनो की प्रचुरता के कारण यह प्रदेश वागड़ कहा* जाने लगा
?डूंगरपुर के महारावल जसवंत सिंह द्वितीय ने ईस्ट इंडिया कंपनी से 11 दिसंबर 1818 को अधीनस्थ सहयोग संधि की थी
?ब्रिटिश सरकारने डूंगरपुर महारावल जसवंत सिंह द्वितीय के प्रशासन से असंतुष्ट होकर उन्हें सिहासन से हटा दिया था
?डूंगरपुर महारावल को 1845 में ब्रिटिश सरकार ने वृंदावन भेज दिया था जहां उनकी मृत्यु हो गई

??सदत खाँ?? 
?बांसवाड़ा के ठाकुर रतन सिंह की सेवा में कार्यरत व्यक्तिथा
?जिन्होंने सरकारी सेवा में रहते हुए भी स्थानीय जनता और सैनिकों में अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह की भावना जागृत की इन्हें बाद फांसी दे दी गई
?1857 के स्वाधीनता संघर्ष में डूंगरपुर बांसवाड़ा के राजाओं ने ब्रिटिश सरकार का पूरा साथ दिया था


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