मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियां(Major Rivers of Madhya Pradesh)

मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियां(Major Rivers of Madhya Pradesh)


नदिया कृषि प्रधान राज्य की जीवन रेखा कहलाती है क्योंकि वह क्षेत्र विशेष के सामाजिक आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है राज्य में नदियों में सिंचाई जल विद्युत उत्पादन मत्स्य उत्पादन जल परिवहन एवं व्यापार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है राज्य में विभिन्न दिशाओं में नर्मदा ,चंबल ,ताप्ती सोन.एवं पार्वती जैसी नदियां प्रवाहित होती है जिनका विवरण निम्न प्रकार हैं !

नर्मदा

नर्मदा नदी राज्य की सबसे बड़ी नदी है ! नर्मदा नदी का मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों के पूर्वी संधिस्थल पर स्थित सबसे उंची चोटी अमरकंटक के नर्मदा कुंड से हुआ है। नदी पश्चिम की ओर सोनमुद से बहती हुई, एक चट्टान से नीचे गिरती हुई कपिलधारा नाम की एक जलप्रपात बनाती है।

घुमावदार मार्ग और प्रबल वेग के साथ घने जंगलो और चट्टानों को पार करते हुए रामनगर के जर्जर महल तक पहुँचती हैं। आगे दक्षिण-पूर्व की ओर, रामनगर और मंडला (25 किमी (15.5 मील) के बीच, यहाँ जलमार्ग अपेक्षाकृत चट्टानी बाधाओं से रहित सीधे एवं गहरे पानी के साथ है।

बंजर नदी बाईं ओर से जुड़ जाता है। नदी आगे एक संकीर्ण लूप में उत्तर-पश्चिम में जबलपुर पहुँचती है। शहर के करीब, नदी भेड़ाघाट के पास करीब 9 मीटर का जल-प्रपात बनाती हैं जो की धुआँधार के नाम से प्रसिद्ध हैं !

संगमरमर चट्टानों से निकलते हुए नदी अपनी पहली जलोढ़ मिट्टी के उपजाऊ मैदान में प्रवेश करती है, जिसे "नर्मदाघाटी" कहते हैं। जो लगभग 320 किमी तक फैली हुई है, यहाँ दक्षिण में नदी की औसत चौड़ाई 35 किमी हो जाती है। वही उत्तर में, बर्ना-बरेली घाटी पर सीमित होती जाती है जो की होशंगाबाद के बरखरा पहाड़ियों के बाद समाप्त होती है। हालांकि, कन्नोद मैदानों से यह फिर पहाड़ियों में आ जाती हैं।

यह नर्मदा की पहली घाटी में है, जहां दक्षिण की ओर से कई महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ आकर इसमें शामिल होती हैं और सतपुड़ा पहाड़ियों के उत्तरी ढलानों से पानी लाती हैं। जिनमे: शार, शाककर, दधी, तवा(सबसे बड़ी सहायक नदी) और गंजल साहिल हैं। हिरन, बरना, चोरल , करम और लोहर, जैसी महत्वपूर्ण सहायक नदियां उत्तर से आकर जुड़ती हैं।

हंडिया और नेमावार से नीचे हिरन जल-प्रपात तक, नदी दोनों ओर से पहाड़ियों से घिरी हुई है। इस भाग पर नदी का चरित्र भिन्न है। ओमकारेश्वर द्वीप, जोकि भगवान शिव को समर्पित हैं, मध्य प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण नदी द्वीप है।

सिकता और कावेरी, खण्डवा मैदान के नीचे आकर नदी से मिलते हैं। दो स्थानों पर, नेमावर से करीब 40 किमी पर मंधार पर और पंसासा के करीब 40 किमी पर ददराई में , नदी लगभग 12 मीटर की ऊंचाई से गिरती है।

बरेली के निकट कुछ किलोमीटर और आगरा-मुंबई रोड घाट, राष्ट्रीय राजमार्ग 3, से नीचे नर्मदा मंडलेश्वर मैदान में प्रवेश करती है, जो कि 180 किमी लंबा है। बेसिन की उत्तरी पट्टी केवल 25 किमी है। यह घाटी साहेश्वर धारा जल-प्रपात पर जा कर ख़त्म होती है।

मकरई के नीचे, नदी बड़ोदरा जिले और नर्मदा जिला,के बीच बहती है और फिर गुजरात राज्य के भरूच जिला के समृद्ध मैदान के माध्यम से बहती है। यहाँ नदी के किनारे, सालो से बाह कर आये जलोढ़ मिट्टी, गांठदार चूना पत्थर और रेत की बजरी से पटे हुए हैं। यह नदी की चौड़ाई मकराई पर लगभग 1.5 किमी भरूच के पास और 3 किमी तथा कैम्बे की खाड़ी के मुहाने में 21 किमी तक फैली हुई है।

 मध्य प्रदेश महाराष्ट्र एवं गुजरात में बहती हुई भरूच के निकट खंभात की खाड़ी में गिरती है इसकी कुल लंबाई 1312 किलोमीटर है परंतु राज्य में इसकी लंबाई 1077 किलोमीटर है कुल जल प्रवाह 93180 वर्ग किलोमीटर है नर्मदा के बेसिन का 89.9% भाग मध्यप्रदेश राज्य में ,2.7% भाग महाराष्ट्र में,8.5% भाग गुजरात में है !

यह राज्य की सबसे बड़ी तथा भारत की पांचवी सबसे बड़ी नदी है इसे मध्यप्रदेश की "गंगा भी कहा" जाता है !

नर्मदा नदी को "रेवा" के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली "तीसरी" सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है।

नर्मदा नदी के किनारे बसा शहर जबलपुर उल्लेखनीय है। इस नदी के मुहाने पर डेल्टा नहीं है। जबलपुर के निकट भेड़ाघाट का नर्मदा जलप्रपात काफी प्रसिद्ध है। इस नदी के किनारे अमरकंटक, नेमावर, गुरुकृपा आश्रम झीकोली, शुक्लतीर्थ आदि प्रसिद्ध तीर्थस्थान हैं जहाँ काफी दूर-दूर से यात्री आते रहते हैं। नर्मदा नदी को ही उत्तरी और दक्षिणी भारत की सीमारेखा माना जाता है।

चंबल नदी
यह मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी नदी है चंबल नदी का उद्गम राज्य में इंदौर जिले के मऊ तहसील की जनापाव पहाड़ी से हुआ है इस नदी की संपूर्ण लंबाई 965 किलोमीटर है इसका प्राचीन नाम धर्मावती (चर्मावती) था

इटावा के पास यह नदी यमुना में मिल जाती है इसकी सहायक नदिया शिप्रा, सिंध, कलिसिन्ध, ओर कुननों नदी है। यह नदी भारत में उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के धार,उज्जैन,रतलाम, मन्दसौर भीँड मुरैनाआदि जिलो से होकर बहती है। यह नदी दक्षिण मोड़ को उत्तर प्रदेश राज्य में यमुना में शामिल होने के पहले  यह मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के बीच सीमा निर्धारित करती है यह मध्यप्रदेश में दो बार प्रवेश करती है !

यह एक बारहमासी नदी है। इसका यह दक्षिण में महू शहर के, इंदौर के पास, विंध्य रेंज में मध्य प्रदेश में दक्षिण ढलान से होकर गुजरती है।

चंबल और उसकी सहायक नदियां उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के नाले, जबकि इसकी सहायक नदी, बनास, जो अरावली पर्वतों से शुरू होती है इसमें मिल जाती है। चंबल, कावेरी, यमुना, सिन्धु, पहुज भरेह के पास पचनदा में, उत्तर प्रदेश राज्य में भिंड और इटावा जिले की सीमा पर शामिल पांच नदियों के संगम समाप्त होता है।

चंबल कोटा में भैंसरोडगढ़ के निकट 18 मीटर ऊंचे चूलिया जल प्रपात बनाती है यह सिंचाई हेतु यह नदी अत्यंत उपयोगी है इसलिए इस पर गांधी सागर ,राणा प्रताप सागर एवं कोटा बांध बनाए गए हैं इन योजनाओं में राजस्थान में मध्यप्रदेश को जल विद्युत एवं सिंचाई सुविधा प्राप्त होती है !

उत्तर प्रदेश में बहते हुए 995 किलोमीटर की दूरी तय करके यमुना नदी में मिल जाती है। चम्बल नदी का कुल अपवाह क्षेत्र 19,500 वर्ग किलोमीटर हैं ।

बेतवा नदी
बेतवा भारत के मध्य प्रदेश राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह यमुना की सहायक नदी है। बेतवा का प्राचीन नाम वेत्रावती था इसका उद्गम विंध्याचल श्रेणी में रायसेन जिले के कुमरा गांव में महादेव पहाड़ी से होता है !

यह मध्य-प्रदेश में भोपाल से निकलकर उत्तर-पूर्वी दिशा में बहती हुई भोपाल, विदिशा, झाँसी, ललितपुर आदि जिलों में होकर बहती है। यह नदी उत्तर प्रदेश में हमीरपुर के निकट यमुना में मिलती है इसकी कुल लंबाई 480 किलोमीटर है !

उत्तर पूर्वी दिशा में बहने वाली नदी मध्य प्रदेश व उत्तरप्रदेश की सीमा बनाती है बीना,केन, धसान, सिन्ध, देनवा,कालीभीत मालिनी का देश की प्रमुख सहायक नदी है !

इसके ऊपरी भाग में कई झरने मिलते हैं किन्तु झाँसी के निकट यह काँप के मैदान में धीमे-धीमें बहती है। यह बुंदेलखण्ड पठार की सबसे लम्बी नदी है। इसके किनारे सांची और विदिशा के प्रसिद्ध व सांस्कृतिक नगर स्थित हैं।

भारतीय नौसेना ने बैतवा नदी के सम्मान में एक फ्रिगेट्स आईएनएस बेतवा नाम दिया है! 

सोन नदी
सोन नदी का उद्गम अनूपपुर जिले में स्थित मेकल श्रेणी की अमरकंटक चोटी के निकट से हुआ है इस नदी की लंबाई 780 किलोमीटर है इसके जल का प्रभाव कुल क्षेत्रफल 17,900 वर्ग किलोमीटर है इसे स्वर्ण नदी के नाम से भी जाना जाता है !

प्रदेश के उत्तर पूर्व में बहती हुई यह नदी बिहार में रामनगर के पास गंगा नदी में मिल जाती है 1000 वर्ष पूर्व यह नदी गंगा में पटना के नीचे मिलती थी परंतु अत्यधिक कटाव क्षमता के कारण अब यह पटना से पहले रामनगर में ही गंगा से मिल जाती है सोन नदी मध्यप्रदेश के शहडोल सीधी उमरिया तथा उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बहती है जो हिला इसकी प्रमुख सहायक नदी है !

गंगा की सहायक नदियों में सोन का प्रमुख स्थान है। इस नदी का पानी मीठा, निर्मल और स्वास्थ्यवर्धक होता है। इसके तटों पर अनेक प्राकृतिक दृश्य बड़े मनोरम हैं।

अनेक फारसी, उर्दू और हिंदी कवियों ने नदी और नदी के जल का वर्णन किया है। इस नदी में डिहरी-आन-सोन पर बाँध बाँधकर 296 मील लंबी नहर निकाली गई है जिसके जल से शाहाबाद, गया और पटना जिलों के लगभग सात लाख एकड़ भूमि की सिंचाई होती है।

यह बाँध 1874 ई. में तैयार हो गया था। इस नदी पर ही एक लंबा पुल, लगभग 3 मील लंबा, डिहरी-ऑन-सोन पर बना हुआ है।

दूसरा पुल पटना और आरा के बीच कोइलवर नामक स्थान पर है। कोइलवर पुल रेल-सह-सड़क पुल है। ऊपर रेलगाड़ियाँ और नीचे बस, मोटर और बैलगाड़ियाँ आदि चलती हैं।

इसी नदी पर एक तीसरा पुल भी ग्रैंड ट्रंक रोड पर बनाया गया है। 1965 ई. में यह पुल तैयार हो गया था।

यह नदी शांत रहती है। इसका तल अपेक्षया छिछला है और पानी कम ही रहता है पर बरसात में इसका रूप विकराल हो जाता है, पानी मटियाले रंग का, लहरें भयंकर और झाग से भरी हो जाती हैं। तब इसकी धारा तीव्र गति और बड़े जोर शोर से बहती है।

क्षिप्रा नदी
क्षिप्रा नदी का उद्गम इंदौर के निकट काकरी बरडी पहाड़ी से होता है इसकी कुल लंबाई 195 किलोमीटर है यह चंबल की सहायक नदी है ! क्षिप्रा, मध्यप्रदेश में बहने वाली एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक नदी है। क्षिप्रा नदी को "मालवा की गंगा" भी कहा जाता है

यह भारत की पवित्र नदियों में एक है। उज्जैन में कुम्भ का मेला इसी नदी के किनारे लगता है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वरम् भी यहां ही है।

प्रदेश में यह नदी देवास उज्जैन रतलाम और मंदसोर जिले से होकर बहती है इसकी प्रमुख सहायक नदी खान है ! उज्जैन का प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर इसी नदी के तट पर स्थित है 195 KM बहने के बाद चंबल मे मिल जाती है।

वैनगंगा नदी
मध्यप्रदेश के सिवनी जिला में वैनगंगा नदी का उदगम स्थल सिवनी से नागपुर रोड पर 10 कि.मी. की दूरी पर बसे ग्राम गोपालगंज से लगभग 6 कि.मी. पूर्वी दिशा में ग्राम मुंडारा है। मुंडारा गांव के पास स्थित रजोलाताल से वैनगंगा नदी एक कुंड से निकलती है !

यह नदी सिवनी की अर्द्व परिक्रमा करती हुई पहले उत्तर में फिर पूर्व की ओर तत्पश्चात दक्षिणी-पूर्वी दिशा में बहती है इसका प्रारम्भिक बहाव क्षेत्र चट्टानी हैँ, परन्तु फिर उपजाऊ मैदान तथा सकरी घाटीयोँ से होकर बहती है !

यह नदी दिघोरी, बंडोल छपारा से होते हुये सीधे छपारा के भीमगढ संजय सरोवर बांध जो कि एशिया का सबसे बडा मिट्टी का बांध हैँ से जल भराव के बाद मझगवा, केवलारी से बालाघाट जिला होते हुये भंडारा तथा चांदा जिले से बहती हुई वर्धा नदी में मिलती है।

इन दोनों के संगम के बाद नदी का नाम प्राणहिता हो जाता है कन्हान नदी,बावनथड़ी नदी तथा पेँच नदी इसकी सहायक नदीयाँ है। आगे जाकर यह नदी गोदावरी नदी मे मिल जाती है इस प्रकार वैनगंगा नदी गोदावरी नदी की सहायक नदी है।

पार्वती नदी
पार्वती नदी मध्य प्रदेश की नदी है, जिसे 'पारा' नाम से भी जाना जाता है। इस नदी का उद्गम सीहोर जिले में विंध्यन कगार से होता है यह नदी विन्ध्याचल की पश्चिमी श्रेणियों से निकल कर ग्वालियर प्रदेश में बहती हुई सिन्ध (या काली सिन्ध) में मिल जाती है।

यह राजस्थान व मध्यप्रदेश की सीमा बनाते हुए बाँरा जिले में राजस्थान में प्रवेश करती है तथा बाँरा व कोटा जिले में बहने के बाद पाली गाँव (सवाईमाधोपुर) के निकट चम्बल नदी में मिल जाती हैँ।

इसकी सहायक नदियोँ में ल्हासी, अंधेरी, विलास, बरनी, बैँथली आदि प्रमुख हैँ।

पार्वती-सिन्धु संगम पर प्राचीन काल की प्रसिद्ध नगरी पद्मावती बसी हुई थी। महाकवि कालीदास के 'मेघदूत' की निर्विन्ध्या ही पार्वती नदी हो सकती है। पार्वती नदी का महाभारत, भीष्मपर्व में भी उल्लेख है। कुछ लोगों के मतानुसार निर्विन्ध्या वर्तमान नेवाज नदी है।

केन नदी
केन यमुना की एक उपनदी या सहायक नदी है जो बुन्देलखंड क्षेत्र से गुजरती है। केन नदी विंध्याचल पर्वत से निकलती है और उत्तर की ओर प्रवाहित होती हुई कटनी एवं बांदा जिले से गुजरकर यमुना में मिल जाती है इसे शुक्तीम्ती व दिरणावती नाम से भी जाना जाता है !

दरअसल मंदाकिनीतथा केन यमुना की अंतिम उपनदियाँ हैं क्योंकि इस के बाद यमुना गंगा से जा मिलती है। केन नदी जबलपुर, मध्यप्रदेश से प्रारंभ होती है, पन्ना में इससे कई धारायें आ जुड़ती हैं और फिर बाँदा, उत्तरप्रदेशमें इसका यमुना से संगम होता है। इस नदी का "शजर" पत्थर मशहूर है।

सिंध नदी
सिंध नदी गुना जिले में स्थित सिरोंज के निकट से निकलती है शिवपुरी गुना दतिया भिंड जिले में प्रवाहित होती है !

 मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में बहने वाली एक नदी है। इसकी लंबाई ३५० किमी है। मध्य प्रदेश में यह उत्तर पूर्व दिशा में बहती है और जगमानपुर के पास उत्तर प्रदेश में प्रविष्ट होती है और यहाँ से 15 किमी उत्तर में यह यमुना नदी से मिल जाती है।

यह विदिशा जिले के नैनवाकस ग्राम में स्थित ताल से निकलती है जो समुद्र दल से 1780 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। पार्वती, नन एवं माहूर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। इस नदी में पूरे वर्ष जल रहता है। वर्षा ऋतु में इसमें भयंकर बाढ़ आती है। चट्टानी किनारों के कारण यह नदी सिंचाई के उपयुक्त नहीं है।

काली सिंध नदी
काली सिँध नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के देवास जिला के बागली गाँव के समीप विँध्याचल से हुआ हैं। यह चम्बल नदी की सहायक नदी हैँ। शाजापुर और नरसिँहगढ़ जिलो में प्रवाहित होते हुए राजस्थान में प्रवेश करती हैँ। यहाँ झालावाड़ तथा कोटा जिलोँ में बहती हुई नौनेरा नामक स्थान पर चम्बल नदी में मिल जाती हैँ। नदी की कुल लम्बाई 150 किलोमीटर हैँ। इसके किनारे बसा प्रमुख नगर सोनकच्छ और देवास हैँ।

कुनू नदी
यह नदी गुना जिले में शिवपुरी पठार से निकलती है इसकी कुल लंबाई 180 किलोमीटर है तथा यह चंबल की सहायक नदी है 180 किलोमीटर बहने के बाद यह चंबल नदी में मिल जाती है !

तवा नदी
तवा नदी मध्यप्रदेश की एक प्रमुख नदी हैं। इसका उदगम मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के पंचमढ़ी के महादेव पर्वत श्रंखला की कालीभीत पहाड़ियों से हुआ है। होशंगाबाद में मध्यप्रदेश का सबसे लंबा बाँध तवा बाँध है। होशंगाबाद के पास बांद्राभान में नर्मदा से मिल जाती है!

इसकी सहायक नदियों में मालिनी सबतवा तथा देनवा है इस नदी पर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा सड़क पुल है !

ताप्ती नदी
ताप्ती पश्चिमी भारत की प्रसिद्ध नदी है ! यह नदी बैतूल जिले में सतपुड़ा श्रेणी पर स्थित मुलताई नगर के समीप 762 मीटर की ऊंचाई से निकलती है !

सतपुड़ा पर्वतप्रक्षेपों के मध्य से पश्चिम की ओर बहती हुई महाराष्ट्र के खानदेश के पठार एवं सूरत के मैदान को पार करती और अरब सागर में गिरती है। यह भारत की उन मुख्य नदियों में है जो पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती हैं !

यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 740 किलोमीटर की दूरी तक बहती है और खम्बात की खाड़ी में जाकर मिलती है। सूरत बन्दरगाह इसी नदी के मुहाने पर स्थित है।

इसकी प्रधान उपनदी का नाम पूर्णा है। इस नदी को सूर्यपुत्री भी कहा जाता है ! इसकी कुल लंबाई 724 किलोमीटर है इसके बेसिन में जल अफवाह क्षमता 86300 घनमीटर है यह प्रदेश में बैतूल और खंडवा जिले में बहती है ! अपर ताप्ती और लोअर ताप्ती मध्यप्रदेश एवं और महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना है !

नदी के तटवर्ती प्रमुख शहरों में आते हैं: मुल्ताई, नेपानगर, बैतूल और बुरहानपुर मध्य प्रदेश में, तथा भुसावल महाराष्ट्र्र में एवं सूरत और सोनगढ़ गुजरात में। नदी पर प्रमुख मार्ग सेतुओं में धुले के सवालदे का राष्ट्रीय राजमार्ग -3 एवं भुसावल- खंडवा रेलमार्ग का भुसावल रेल सेतु जो मध्य रेलवे में आता है। इस नदी पर जलगांव में हथनूर बांध एवं सोनगढ़ में उकई बांध भी बने हैं !

इनके अलावा तटवर्ती अन्य महत्त्वपूर्ण स्थानों में अमरावती जिले का मेलघाट बाघ रिज़र्व नदी के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। यह बाघ परियोजना (प्रोजेक्ट टाइगर) के अन्तर्गत्त आता है और महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। इनके साथ ही बुरहानपुर के निकट ही ऐतिहासिक असीरगढ़ दुर्गभी स्थित है, जिसे दक्खिन की कुञ्जी भी कहा जाता है। जलगांव में चांगदेव में चांगदेव महाराज का एक मन्दिर भी स्थित है।

ताप्ती नदी के मूलस्थान मुल्तापी में एवं उसके सीमावर्ती क्षेत्र में सात कुण्ड अलग - अलग नामों से बने हुए हैं !
सूर्य कुंड
ताप्ती कुंड
धर्म कुंड
पाप कुंड
नारद कुंड
शनि कुंड
नाग बाबा कुंड

कुंवारी नदी
यह सिन्ध की सहायक नदी है इसका उद्गम शिवपुरी जिला में हैँ। यह मुरैना के पाठर के जल विभाजक द्वारा चम्बल तथा कुनू से पृथक हो जाती हैं। पूर्व में चम्बल नदी के सामान्तर बहती हुई भिण्ड जिले की लहार तहसील के निकट सिन्ध नदी से मिल जाती हैँ।

टोंस (तमसा )नदी
इस नदी का उद्गम सतना जिले की कैमूर पहाड़ी से होता है यह सिरसा उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में मिल कर समाप्त हो जाती है बिहड़ का बैलन की सहायक नदियां है !

गार नदी
यह नदी सिवनी जिले का लखना स्थान से निकलकर कोयले की संकरी घाटी में से प्रवाहित होती है यह उत्तर की ओर प्रवाहित होकर नर्मदा नदी में बाये किनारे जाकर मिल जाती है !

छोटी तवा नदी
यह नदी बैतूल जिले में अपना आवना तथा शुकता नदियों से मिलकर बनती है यह खानदेश बा बुरहानपुर होते हुए खंडवा के उत्तर में आवना से मिल जाती है !

शक्कर नदी
यह नर्मदा के बाईओर की सहायक नदी है इसका उद्गम छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा से 18 किलोमीटर उत्तर से हुआ है यह सतपुड़ा महाखंड कोयला क्षेत्र को पार करके नर्मदा नदी में मिल जाती है !

वर्धा नदी
यह नदी वर्धन सीकर बेतूल जिला से निकलती है यह महाराष्ट्र में ग्रह चट्टानी क्षेत्र से बहते हुए बेन गंगा में मैं जाकर समाप्त हो जाती है !

धसान नदी
यह नदी सागर जिले से निकलती है इसके पश्चात यह उत्तर कि वह प्रभावित होकर यमुना नदी में मिल जाती है !

मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियों की सहायक नदियां
नर्मदा नदी (दाये और की)?दाये तट कि हिरण, तिनदोनी.बरना. चन्द्र केशर, कानर, मान,उटी,हथनी आदि !
(बाये ओर कि)? बाएं तट की बरनार ,बंजर ,तवा ,छोटी तवा,कुंडी ,देव दूधी, शेर, शक्कर ,गंजाल .गोई आदि !

चंबल बनास,पार्वती ,काली सिंध आदि !

सोन जिहिला

ताप्ती पूर्णा

बेतवा?धसान ,बीना सिंध

तवा मालिनी ,देवना सुखतवा ,कालीभीत

क्षिप्रा खान

बेनगंगा पेंच, कानन

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