मध्यप्रदेश में कोल जनजाति

मध्यप्रदेश में कोल जनजाति


Coal tribe in Madhya Pradesh


कोल मुंडा समूह की एक अत्यंत प्राचीन जनजाति है ऑस्ट्रिक परिवार समूह से संबंधित जनजाति है जिसका मूल स्थान मध्य प्रदेश के रीवा जिले का कुराली क्षेत्र है कोल जनजाति का उल्लेख रिंग वेद मत्स्य पुराण महाभारत एवं रामायण आदि प्राचीन ग्रंथों में भी होता है कोल अपना संबंध सबरी से बताते हैं

भौगोलिक वितरण ➖ कोल जनजाति मध्यप्रदेश में रीवा सतना जबलपुर सिंधी एवं शहडोल जिलों में पाई जाती है कोल मध्यप्रदेश के विंध्यन कैमूर श्रेणियों के मूल निवासी हैं

शारीरिक विशेषताएं ➖ कोल जनजाति के लोग काले रंग के होते हैं इनका कद मध्यम होंठ मोटे माथा उभरा हुआ एवं बाल काले होते हैं

निवास ➖ कोल जनजाति के लोग अपने गांव अधिकार खुले स्थानों पर बसाते हैं उनके घर मिट्टी के बने होते हैं जिनकी छत घास से बनाई जाती है घरों के मध्य मार्ग नही होते हैं केवल पगडंडी होती है

रहन सहन ➖ कोल लोग अन्य जनजातियों की तुलना मैं पूरे वस्त्र धारण करते हैं महिलाएं शारीरिक साज सज्जा पर विशेष ध्यान देती है गहनों के साथ गोदना कॉल स्त्रियों का प्रमुख आभूषण है कोल शाकाहारी या मांसाहारी दोनों होते हैं यह लोग संगीत के शौकीन होते हैं इनके घरों में अनेक वाद्ययंत्र पाए जाते हैं

सामाजिक व्यवस्था ➖ कोल समाज पितृसत्तात्मक एवं गोत्र में विभिन्न है इनमें टोटल का प्रचलन नहीं है कोल जनजाति में तो उपवर्ग होते हैं - रौतिया एवम रौतेले ! इसके अलावा अन्य उपवर्ग दशेरा ठाकुरिया कागवारियां है पत्नी की मृत्यु पर विधवा अथवा तलाकशुदा स्त्री से विवाह की प्रथा है कौन जाति के कई गांव की एक पंचायत (गोहिया) होती है जो के मध्य कुछ बातों का निपटारा कर करती है

सांस्कृतिक विशेषता ➖ कोल एक कला संस्कृति संपन्न जनजाति है कोल दहका उनका प्रसिद्ध आदिम नृत्य है

अर्थव्यवस्था ➖ कोल जनजाति के लोग अधिकार खेतिहर मजदूर होते हैं पुरुष केवल बुवाई का कार्य करते हैं अन्य कार्य महिलाएं करती हैं कृषि के अतिरिक्त कारखाने में मजदूरी तथा खदान में मजदूरों के रूप में कार्य करते हैं

धार्मिक जीवन ➖ हिंदुओं के निकट संपर्क में रहने के कारण कोल जनजाति के लोग हिंदू देवी देवताओं की ही पूजा करते हैं इसके अलावा ठाकुर देव, बघोसर, सन्यासी भैरव बाबा, शारदा माता, मरी माता, आदि की देवी देवता के रूप में पूजा करते हैं

इनमें फसलों की रक्षा के लिए सूर्य चंद्रमा पवन तथा की पूजा की जाती है गंगा जमुना तथा नदियों की आराधना कैसे की जाती है यह लोग जादू टोने में विश्वास करते हैं बीमारियों का इलाज परंपरागत ढंग से करते हैं मृत्यु को दफनाने का रिवाज है इनकी पंचायत को गोहिया पंचायत कहा जाता है !

कोल की उपजाति ➖ रोहिया एवं रोठेले कोल की उपजातियां है

Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )

विष्णु गौर सीहोर, मध्यप्रदेश


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