मुहम्मद बिन तुगलक (1325 से 1351)-Muhammad bin Tughluq (1325 to 1351)

मुहम्मद बिन तुगलक (1325 से 1351)


Muhammad bin Tughluq (1325 to 1351)


मूल नाम- मलिक फख्रुद्दीन(जूना खॉ)
उप नाम-अब्दुल मजाहिद (सत्ता ग्रहण करने के बाद)
उपाधि-अमीर- उल- मोमिनीन, जिल्लिलाहा(सिक्कों पर) ,मुहम्मद तुगलक
पिता का नाम-ग्यासुद्दीन तुगलक
उलूग खां की उपाधि दी गई- 1320 में सुल्तान ग्यासुद्दीन द्वारा
मोहम्मद बिन तुगलक को ज्ञान था-अरबी ,फारसी ,गणित, नक्षत्र विज्ञान ,भौतिक शास्त्र, तर्कशास्त्र और चिकित्सा शास्त्र का
मुहम्मद बिन तुगलक था- एक अच्छा कवि और सुलेखक

जूना खां गद्दी पर बैठा- 1325 में (मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से )
मोहम्मद बिन तुगलक का राजस्व सिद्धांत आधारित था- निरंकुशता पर
मोहम्मद बिन तुगलक ने जनता को राजत्व का महत्व बताया-तांबे और अन्य धातुओं के सिक्कों के माध्यम से (ऐसा करने वाला मोहम्मद बिन तुगलक दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था )

मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल के दो महत्वपूर्ण स्त्रोत-तारीख ए फिरोजशाही (जियाउद्दीन बरनी ),इब्नबतूता का यात्रा वृतांत

इसामी द्वारा मोहम्मद बिन तुगलक को बताया गया- द्वितीय यजीद ,एक निरंकुश शासक और विधर्मी बताया ,वह सुल्तान को खूनी और रक्तपिपासु कहता है

बरनी के अनुसार- सुल्तान विपरीत तत्वों का मिश्रण और सृष्टि का आश्चर्य

सर्वाधिक विस्तृत साम्राज्य प्राप्त हुआ- मोहम्मद बिन तुगलक को

अधिकारियों की नियुक्ति की- नस्ल और वर्ग विभेद की नीति को समाप्त कर योग्यता के आधार पर

मोहम्मद बिन तुगलक ने प्रयास किया- सती प्रथा को रोकने का
साईराज था-मोहम्मद बिन तुगलक का एक हिंदू मंत्री

मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा भाग लिया गया-हिंदुओं के होली के त्यौहार में ऐसा करने वाला मोहम्मद बिन तुगलक दिल्ली का प्रथम शासक था

जैन विद्वान से संपर्क किया- जिन प्रभा सूरी से ,जम्बू जी, राजशेखर

मोहम्मद बिन तुगलक दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था- जिसने अजमेर स्थित ख्वाजा मोहिद्दीन चिश्ती की दरगाह और बहराइच में सलार मसूद गाजी के मकबरे का दर्शन किया

इतिहासकार बरनी के अनुसार सुल्तान की नवीन योजनाएं-
1-दोआब में राजस्व वृद्धि
2-राजधानी परिवर्तन
3-सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन
4-खुरासान अभियान और
5-कराचिल अभियान

सुविधा की दृष्टि से मोहम्मद तुगलक के शासनकाल को बांटा गया-दो भागों में (1325 से 1335) (1335-1351 तक )

मोहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली से अपनी राजधानी परिवर्तित की-देवगिरी (दौलताबाद) और उसका नाम कुतुबुल इस्लाम रखा

दक्षिण भारत में चिश्ती सिलसिले की नींव रखी गई-शेख बुरहानुद्दीन के द्वारा

मोहम्मद बिन तुगलक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य-सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन

मोहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप मे सिक्के प्रचलित किए-चांदी के सिक्के के स्थान पर कांसे का सिक्का

एडवर्ड टॉमस ने मोहम्मद तुगलक को कहा-धनवानों का राजकुमार
मोहम्मद बिन तुगलक पहला शासक था- जिसने अकाल पीड़ितों की सहायता की और अकाल संहिता तैयार करवाया

मोहम्मद बिन तुगलक ने फसलों में पद्धति अपनाई- चक्रवर्तन पद्धति

किसान की सहायतार्थ स्थापना की-दीवान ए कोही की
मोहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में मंगोलों के आक्रमण हुए- एक आक्रमण 1326-27 में (मंगोल शासक अलाउद्दीन तरमाशीरी के द्वारा)

मोहम्मद बिन तुगलक के साम्राज्य में प्रांत थे-*23 प्रांत थे

बदायूनी और फरिश्ता ने कराचिल अभियान को संज्ञा दी- चीन और हिमाचल के विरुद्ध अभियान की

मोहम्मद बिन तुगलक के कार्यकाल में विद्रोह हुए-सर्वाधिक 22 विद्रोह (दिल्ली सल्तनत के शासक के काल में सर्वाधिक)

मोहम्मद बिन तुगलक के काल में पहला विद्रोह किया गया-बहाउद्दीन गुरशास्प द्वारा (चचेरा भाई)
दिल्ली सल्तनत से अलग होने वाला पहला प्रांत था-बंगाल प्रांत

किसके समय में बंगाल दिल्ली सल्तनत के नियंत्रण से पूर्णतः स्वतंत्र हो गया था- शमशुद्दीन के समय

दक्षिण में पहला सशक्त विद्रोह हुआ-माबर(मदुरा)

मोहम्मद बिन तुगलक के साम्राज्य का वेतन प्रारंभ हुआ- माबर (मदुरे )विद्रोह के पश्चात

मोहम्मद बिन तुगलक के काल में अमीरों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण विद्रोह था-आइनुल मुल्क का विद्रोह

मोहम्मद बिन तुगलक का अंतिम विद्रोह-तगी का विद्रोह (गुजरात )(तगी एक सामान्य जूता बनाने वाला और मुस्लिम कुलीनों का दास था )

मोहम्मद बिन तुगलक ने नगर बसाया- जहांपनाह नामक नगर (चौथा नगर)

मोहम्मद बिन तुगलक के दरबार में गायक थे-*1200 गायक (जो गायन के साथ शिक्षा भी देते थे )

मोहम्मद बिन तुगलक ने स्थापना की-वस्त्र निर्माण शा शाला की

मोहम्मद बिन तुगलक को समर्पित रचना-शाहनामा (बदरुद्दीन )

मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु-*20 मार्च 1351 को

मृत्यु स्थान- थट्टा के मार्ग में
मृत्यु का कारण-ज्वर का कारण

मोहम्मद बिन तुगलक की असफलता का कारण- मोहम्मद बिन तुगलक का निजी व्यक्तित्व

मुहम्मद बिन तुगलक का प्रारंभिक जीवन

ग्यासुद्दीन तुगलक के 5 पुत्र थे जिसमें मुहम्मद बिन तुगलक सबसे बड़ा था

उसका मूल नाम मलिक फखरुद्दीन था वह जूना खां के नाम से जाना जाता था

ग्यासुद्दीन जूना खां को अपने संरक्षण में शिक्षा का उचित प्रबंध किया और उसके लिए साहित्य और सैनिक प्रशिक्षण प्रदान किए इसीलिए मोहम्मद बिन तुगलक के अंदर विद्वान और सैनिक दोनों गुण विद्यमान थे

आरंभ से ही उसने प्रशासन और राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई खुसरो खां ने उसे शाही घोडों का मुख्य पदाधिकारी नियुक्त किया था

अपने पिता के नेतृत्व में जूना खां ने खुसरो खां के विरुद्ध अभियान किया और उसे पराजित किया

1320 ईस्वी में जब सुल्तान गयासुद्दीन शासक बना तो जूना खां को उलूग खां की उपाधि दी और उसे अपना युवराज और उत्तराधिकारी घोषित किया

ग्यासुद्दीन के शासनकाल के दक्षिण अभियान में उसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

 

राज्यारोहण
गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद 1325 ईस्वी में उलूग खॉ मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से गद्दी पर बैठा

उसने एक प्रकार से निर्विरोध शासक के रूप में सत्ता प्राप्त की क्योंकि सत्ता प्राप्ति के लिए उसका कोई प्रतिद्वन्द्वी नहीं था

राज्यारोहण के बाद 40 दिन तक वह तुगलकाबाद में रहा उसके पश्चात दिल्ली में प्रवेश किया, अन्य सुल्तानों की भांति उसने भी प्रजा को सोने और चांदी के सिक्के बाटें और अमीरों को ऊंचे पदों पर नियुक्त किया

इसामी के अनुसार-- मोहम्मद बिन तुगलक ने सत्ता प्राप्ति के बाद घोषणा की कि, "मेरी स्नेहपूर्ण दृष्टि में मेरे साम्राज्य का प्रत्येक वृद्ध पुरुष मेरे पिता के समान है और प्रत्येक युवक बहराम खॉ के समान मेरा भाई है

अपने चचेरे भाई मलिक फिरोज को नायब बरबक और मलिक बयजाद खिलजी को कादर खां की उपाधि और लखनौती का वली नियुक्त किया गया

मलिक अयाज को ख्वाजा जहां की उपाधि और भवनों का निरीक्षक( शाहना-ए-इमारत) बनाया गया

कमालूद्दीन को सदर ए जहां के पद पर नियुक्त किया गय, दिल्ली के संत शेख शिहाबुद्दीन को दीवान ए मुस्तखराज का प्रधान नियुक्त किया गया

मोहम्मद बिन तुगलक का व्यक्तित्व
मोहम्मद बिन तुगलक के व्यक्तित्व के विषय में विद्वानों ने विभिन्न मत दिया है

इसामी ने सुल्तान को-- द्वितीय यजीद, एक निरंकुश शासक और विधर्मी बताया है, इसामी सुल्तान को खूनी और रक्त पिपासु मानता है

बरनी ने सुल्तान को--विपरीत तत्वों का मिश्रण और सृष्टि का आश्चर्य बताया है

एलफिंस्टन ने कहा है कि- मोहम्मद बिन तुगलक में पागलपन का कुछ अंश था

इब्नबतूता के अनुसार-- सुल्तान सबसे ज्यादा नम्र और ऐसा मनुष्य जो सदा ठीक हो सच्चा करने के लिए तत्पर और उत्सुक रहने वाला था

मोहम्मद तुगलक ने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी, उसे अरबी, फारसी ,गणित ,नक्षत्र विज्ञान, भौतिक शास्त्र ,तर्कशास्त्र और चिकित्सा शास्त्र का अच्छा ज्ञान था

वह एक अच्छा कवि और सुलेखक था उसे फारसी कविता का अच्छा ज्ञान था

इब्नबतुता ने--सुल्तान की मुक्तहस्त उदारता की प्रशंसा करता है

मोहम्मद बिन तुगलक दिल्ली सल्तनत का सर्वाधिक विद्वान विवादित और विरोधाभासों से युक्त सुल्तान था

वह प्रथम मुस्लिम शासक था जिसने हिंदुओं के साथ सहिष्णुता का व्यवहार किया

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