राजस्थान का इतिहास : मध्यकालीन प्रशासन

राजस्थान का इतिहास : मध्यकालीन प्रशासन


प्रश्न-1. मन्सूर है ?

(अ) कपड़े का एक प्रकार
(ब) जाति का प्रकार
(स) कर का प्रकार
(द) आदेश का प्रकार✔

व्याख्या- यह एक प्रकार का शाही आदेश होता था जो की बादशाह की मौजूदगी में शहजादे द्वारा जारी किया जाता था उत्तराधिकार युद्ध के समय शहजादा औरंगजेब ने अपने हस्ताक्षरित शाही आदेश जारी किए वहीं मन्सूर कहलाए।

 

प्रश्न-2. पाहीकाश्त संबंधित है ?
(अ) किसानों से
(ब) जमीदारों से
(स) राजाओं से
(द) मजदूरों से
✍🏻अ- किसानों से ✔

व्याख्या- जिन किसानों के पास अपने गांव में कृषि भूमि नहीं थी वह अन्य गांव में कृषि भूमि प्राप्त करते थे।ऐसे किसानों को पाही काश्तकार कहा जाता था अर्थात किसी दूसरे गांव से आकर खेती करने वाला कृषक पाही कहलाता था

 

प्रश्न-3. नान कर से तात्पर्य है ?

(अ) बालक की शादी पर दिया जाने वाला कर
(ब) रोटी के लिए कार्य
(स) अपराधिक कर✔
(द) आयात और निर्यात कर

व्याख्या- नान कर( बेगार प्रथा) नान कर का तात्पर्य रोटी के लिए कार्य करना था इन लोगों की स्थिति जागीर क्षेत्रों जैसी ही थी ।इनसे न कोई लाग ली जाती थी कि नहीं किसी प्रकार की सेवा । इनसे मात्र उत्तराधिकारी शुल्क लिया जाता था किसी व्यक्ति से बिना सहमति एवं मजदूरी के काम लेने को बेगार कहा जाता है राजा जागीरदार उनके कर्मचारी प्रजा से बेगार लेना अपना हक समझते थे बेगार के कई प्रकार थे। ब्राह्मणों और राजपूतों को छोड़कर सभी जातियों को बेगार देने के लिए विवश किया जाता था जागीर क्षेत्र में लाग-बाग का स्वरूप बड़ा ही भयंकर था। निम्न जाति के किसानों से भू राजस्व, लालबाग भी अधिक मात्रा में वसूल की जाती थी यह वर्ग सामाजिक एवं आर्थिक दोनों ही रूपों में पिछड़ा एवं शोषित था।

प्रश्न-4.अड़सट्टा संबंधित है ?

(अ) Jodhpurराज्य
(ब) Udaipur राज्य
(स) Jaipur राज्य✔
(द) Bikaner राज्य

व्याख्या- अड़सट्टा जयपुर राज्य का भूमि संबंधी रिकॉर्ड है जो तोजी वरको के रूप में है जिसमें जयपुर राज्य के परगनो में जितने मौजे थे उनकी भूमि पैदावार आदि का विवरण मिलता है

 

प्रश्न-5. मध्यकाल में सायर दरोगा कहलाते हैं ?

(अ) चुंगी कर वसूलने वाले अधिकारी✔
(ब) राजस्व कर वसूलने वाले अधिकारी
(स) धार्मिक कर्म करने वाले अधिकारी
(द) शांति व्यवस्था स्थापित करने वाले अधिकारी

व्याख्या- सायर दरोगा परगने में चुंगी कर वसूल करने वाले अधिकारी होते थे जिनकी नियुक्ति राज्य करता था इसकी सहायता के लिए अमीन होते थे

 

प्रश्न-6. मुश्तरका है ?

(अ) आदिवासियों की प्रथा
(ब) भूमि का प्रकार✔
(स) गायन शैली
(द) भोजन का एक भाग

व्याख्या- मारवाड़ राज्य में कुछ गांव ऐसे थे जिनकी आय जागीरदार और राज्य में बंटी हुई थी ऐसी भूमि को मुश्तरका कहा जाता था

 

प्रश्न-7. मध्यकालीन राजस्व प्रशासन ( Revenue administration) में सभी प्रकार के लगानों से मुक्त भूमि कहलाती थी ?

(अ) परसातिया✔
(ब) डूबका
(स) घरूहाला
(द) हकत-बकत

व्याख्या- परसातिया सभी प्रकार के लगानों से मुक्त भूमि थी। यह भूमि दरबार या जागीरदार द्वारा राज्य सेवा करने वाले व्यक्तियों को उनकी राज्य सेवा के बदले प्रदान की जाती थी लेकिन राज्यसेवा की समाप्ति पर इस भूमि को पून:राज्य अधिकार में ले लिया जाता था

 

प्रश्न-8. मध्यकाल में किस रियासत के प्रधानमंत्री को मुसाहिब कहा जाता था ?

(अ) Jaisalmer
(ब) Bikaner
(स) Jaipur✔
(द) Kota

व्याख्या- जयपुर रियासत के प्रधानमंत्री को मूसाहिब कहा जाता था जबकि कोटा और बूंदी में दीवान मेवाड़ मारवाड़ और जैसलमेर में प्रधान और बीकानेर में मुख्त्यार करते थे मध्यकालीन राजस्थान के राज्यों में शासक के बाद सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी के रूप में प्रधान को जाना जाता था इसका कार्य शासन सैनिक और न्याय संबंधी कार्यों में उनकी सहायता करना था मारवाड़ और अन्य राज्यों में भूमि अनुदानों पर प्रधान के हस्ताक्षर होना आवश्यक था और यह परिवर्तन मुगलों के आगमन से और उनके साथ संधि होने या उनके दरबार के संपर्क में आने से हुए

 

प्रश्न-9. कौन सा कथन सही नहीं है ?

(अ) खालसा भूमि राजा के नियंत्रण में होती थी
(ब) जागीरी भूमि पर जागीरदार या ठिकाने दार का पैतृक नियंत्रण होता था
(स) चरणोंत भूमि पर राजा का नियंत्रण होता था✔
(द) इनाम भूमि लगान मुक्त होती थी

व्याख्या- चरणोंत उस भूमि को कहते थे जो गांव के पशुओं के लिए चारा उगाने के लिए छोड़ी जाती थी ऐसी भूमि ग्राम पंचायत के नियंत्रण में होती थी गांव के सभी पशु सार्वजनिक रूप से इस भूमि पर चरते थे इस भूमि को चारागाह/चरणोंत / ओरण/गौचर भी कहते हैं

 

प्रश्न-10. मध्यकालीन प्रशासन में मौजे से तात्पर्य था ?

(अ) एक प्रकार से कपड़ा
(ब) गांव✔
(स) बेलों वाली गाड़ी
(द) जानवरों पर लिया जाने वाला कर

व्याख्या- मध्यकालीन प्रशासन में गांव प्रशासनिक रूप से मौजे कहलाते थे। मौजे दो प्रकार के होते थे असली (पहले के) व दाखिली (नए बसे मौजे) गांव शासन की सबसे छोटी इकाई थी। गांव की स्थानीय व्यवस्था के लिए ग्राम पंचायत मोदी जी गांव का मुखिया तथा गांव के सयाने व्यक्ति रहते थे ग्राम पंचायत तथा जाति पंचायतों के निर्णय राज्यों द्वारा माननीय होते थे

 

प्रश्न-11. राजस्थान की एकमात्र रियासत जहां उत्तराधिकारी शुल्क नहीं था ?

(अ) बीकानेर
(ब) जैसलमेर✔
(स) जोधपुर
(द) जयपुर

व्याख्या- जैसलमेर एक ऐसी एकमात्र रियासत थी जहां उत्तराधिकारी शुल्क नहीं लिया जाता था जोधपुर राज्य में यह शुल्क सर्वप्रथम मोटा राजा उदयसिंह ने लागू किया जो पेशकशी कहलाता था। दीपू और जयपुर राज्य द्वारा भी नजराना वसूल किया जाने लगा। सामंत व जागीरदार की मृत्यु के बाद उक्त जागीर के नए उत्तराधिकारी से यह कर वसूल किया जाता था उत्तराधिकारी शुल्क एक प्रकार से उक्त जागीर के पट्टे का नवीनीकरण करना था जागीरदार की मृत्यु की सूचना पाते ही राजा अपने दीवानी अधिकारी को कुछ कर्मचारी के साथ उस जागीर में भेजता। यदि उत्तराधिकारी शुल्क जमा नहीं कराया जाता तो जागृत जब्त करने का निर्देश दिया जाता था

 

प्रश्न-12. याददाश्त एक किस्म है ?

(अ) कर की
(ब) भूमि की
(स) फसल की
(द) पट्टे की✔

व्याख्या- मध्यकालीन प्रशासन व्यवस्था में भू राजस्व ( Land Revenue) प्रशासन के तहत यह पट्टे की एक किस्म होती थी जिसमें शासक द्वारा जागीरदार को जागीर स्वीकृत की जाती थी

 

प्रश्न-13. किस राज्य में सामंतों की एक श्रेणी बारह कोटड़ी नाम से जानी जाती थी ?

(अ) जयपुर✔
(ब) जोधपुर
(स) कोटा
(द) मेवाड़

व्याख्या- मुगल प्रभाव से राजपूत शासकों ने मुगल मनसबदारी प्रथा (Mansabdari system) की भांति यहां जागीरदारों के अनेक दर्जे बना दिए।जयपुर के महाराजा पृथ्वी सिंह ने अपने 12 पुत्रों के नाम से स्थाई जागीर चलाई जिन्हें कोटड़ी कहा जाता था जयपुर में सामंतों का वर्गीकरण बारह कोटड़ी में किया गया इनमें प्रथम कोटड़ी कच्छवाहों की थी जो राजावत कहलाये। यह राजवंश के निकट संबंधी थे ।उसके बाद नाथावत,खंगार, नूर का,बांकावत आदि कि कोटड़िया थी कोटा में सेवा के आधार पर वर्गीकरण हुआ।

 

प्रश्न-14. चीरा नाम है ?

(अ) तहसील प्रशासन का✔
(ब) गांव प्रशासन का
(स) राज्य प्रशासन का
(द) न्यायिक प्रशासन का

व्याख्या- मध्यकालीन राजस्व प्रशासन व्यवस्था में तहसील प्रशासन को चीरा नाम से संबोधित किया जाता था

 

प्रश्न-15. भूमि बंदोबस्त की साद प्रथा का संबंध निम्नलिखित में से किस राज्य से है ? 

(अ) Marwar
(ब) Mewar✔
(स) Bikaner
(द) Jaipur

 

प्रश्न-16. सामंत व्यवस्था ( Feudal system) मूलतः थी ?

(अ) वैवाहिक संस्था
(ब) सामाजिक संगठन( Social organization)
(स) सांस्कृतिक संस्था(Cultural institute)
(द) प्रशासनिक सैनिक व्यवस्था✔

व्याख्या- राजस्थान की सामंती व्यवस्था रक्त संबंध एवं कुलीन भावना पर आधारित प्रशासनिक और सैनिक व्यवस्था थी इतिहास में जब राजपूतों का उदय हुआ तो यह व्यवस्था एक अलग ही रूप में विकसित हुई समस्त राजपूत राजवंश भाई बंधु कुल ठोक प्रणाली पर आधारित थे अर्थात राजपूतों के विभिन्न राज्यों ने जो जो अपने राज्यों की स्थापना की उसके साथ ही अपने राज्य में व्यवस्था बनाए रखने तथा बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए अपने बंधु बांधव को अपने राज्य में से भूमि के टुकड़े उन्हें दे दिए राज्य का केंद्रीय भाग राजा के पास और सीमावर्ती भाग उसके बंधु बांधव को दिया गया बाद में अपने स्वजनों और संबंधियों के साथ विश्वस्त सेना नायकों उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को भी भूमि दी जाने लगी

प्रश्न-17. ईजारा जाना जाता है ?

(अ) भूमि मूल्यांकन के लिए
(ब) राजस्व की ठेका प्रणाली के लिए✔
(स) मुद्रा परिवर्तन के लिए
(द) स्वर्ण की खरीद के लिए

व्याख्या- यह प्रणाली राजस्थान के सभी भागों में प्रचलित थी ईजारा प्रणाली को अनेक स्थानों में ठेका अथवा आंक बंदी के नाम से भी जाना जाता था। बीकानेर राज्य में इजारा प्रणाली को मुकाता के नाम से जाना जाता था,। इजारेदारी, ठेकेदारी मुकाताधारी एवं आंकबंधी एक जैसी ही प्रणालियां थी। इस प्रणाली के अनुसार एक निश्चित परगना अथवा क्षेत्र से राजस्व वसूली ( Revenue recovery) का अधिकार सार्वजनिक नीलामी द्वारा उच्चतम बोली लगाने वाले को निश्चित अवधि के लिए दे दिया जाता था नीलामी द्वारा निर्धारित राशि एकमुश्त अथवा दो किस्तों में भुगतान करनी पड़ती थी ऐसे उदाहरण भी मिलते हैं कि संपूर्ण राज्य से राजस्व वसूली का ठेका एक ही व्यक्ति को दे दिया जाता था इजारा सामान्यतः महाजनों, बड़े सेठों, जागीरदारों एवं राज्य अधिकारियों को दिए जाते थे अनेक बार 1 ईजारे के अंतर्गत 3-3,4-4 उप- इजारेदार होते थे जिससे किसानों पर राजस्व का भार और अधिक बढ़ जाता था ।ईजारेदारी प्रथा 1880 के पश्चात कम होने लगी और 1920 के पश्चात यह प्रथा बहुत कम हो गई लेकिन यह प्रणाली किसी ना किसी रूप में 1949 बनी रही।

Specially thanks to Post and Quiz Creator ( With Regards )


ममता शर्मा


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