राजस्थान में किसान आंदोलन (Part 02)

 [?] [?] बूंदी किसान आंदोलन (1926-1943) [?] [?]


बूंदी किसान आंदोलन की शुरुआत *1926 में पंडित नयनू राम शर्मा* के नेतृत्व में हुई थी  बूंदी किसान आंदोलन लगभग *17 सालों* तक चला था  बूंदी किसान* आंदोलन मुख्यत: *""राज्य""प्रशासन* के विरोध था बूंदी किसान आंदोलन को *बरड किसान आंदोलन* के नाम से भी जाना जाता है  बरड आंदोलन की *शुरुआत 1922-25* के मध्य हुई थी  बरड *डाबी के आसपास* के क्षेत्र हैं 


[?] बूंदी के दक्षिण पश्चिम में *मेवाड़ राज्य को स्पर्श करने वाला क्षेत्र भी*बरड के नाम से जाना जाता है  बरड क्षेत्र में *सर्वप्रथम अगस्त 
1920*में *साधु सीताराम दास*द्वारा *डाबी में किसान पंचायत* की स्थापना की गई थी  राजपुरा के *हरला भड़क* को किसान पंचायत का *पहला अध्यक्ष* बनाया गया थाबूंदी का किसान आंदोलन *बिजोलिया किसान आंदोलन* से प्रभावित व *राजस्थान सेवा संघ* से प्रोत्साहित था  राजस्थान सेवा संघ* के प्रोत्साहन के कारण परिणाम स्वरुप बूंदी के किसानों ने *सर्वप्रथम 1922*में *बूंदी सरकार के विरुद्ध* आंदोलन प्रारंभ किया 


[?] बूंदी रियासत का *बरड* किसान आंदोलन *राजस्थान सेवा संघ*के कार्यकर्ता 
*भवर लाल सोनी/सुनार*के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ था
29 मई 1922 को लंबाखोह* नामक गांव में एक सभा आयोजित हुई थी  जिसमें लगभग *1000 किसान* पहुचे थे  [?] दूसरे दिन *30 मई 1922*को *निमाना में 4000 से 5000* के बीच किसान स्त्रियों सहित पहुंचे थे निमाना सभा में *राजस्थान सेवा संघ* के कार्यकर्ता बिजोलिया निवासी *भवरलाल सुनार ""प्रज्ञाचक्षु""*को राज्य पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था
 विजय सिंह पथिक ने इस आंदोलन का समर्थन किया था   बिजोलिया पद्धति पर *किसान पंचायत*का गठन किया गया बरड आंदोलन का संचालन *राजस्थान सेवा संघ*ने किया था    इस आंदोलन में लगभग *संपूर्ण बरड क्षेत्र में कर बंदी अभियान* का श्रीगणेश किया था 


[?] मई 1922 में बूँदी सरकार द्वारा *आर.बी.मदनमोहन लाल तथा महाराजा हरि नाथ सिंह* को किसानों की मांगों की जांच के लिए भेजा गया था 13 जून 1922* को सरकारी टुकड़ी ने *राजपुरा ,नरौली और लंबाखोह से 17 व्यक्तियों*को गिरफ्तार किया था
इन 17 व्यक्तियों को *गणेशपुरा गांव* में *महिलाओ*ं के एक दल ने मुक्त करवाने का प्रयास किया था इस *मुठभेड़ में 14 महिलाएं* गंभीर रुप से *घायल* हुई थी 



[?] राजस्थान सेवा संघ द्वारा इस घटना की जांच के लिए *रामनारायण चौधरी और सत्याभगत* को भेजा गया था
[?]  महिलाओं के साथ हुई *मुठभेड़ की जांच रिपोर्ट के आधार* पर राजस्थान सेवा संघ ने *बूंदी राज्य में महिलाओं पर अत्याचार नामक पुस्तिका* प्रकाशित की थी  ब्रिटिश सरकार द्वारा *अक्टूबर 1922* में ब्रिटिश सरकार की सेवा से निवृत *स्वरूप नारायण और संयुक्त प्रांत के पुलिस अधीक्षक इकराम हुसैन* को बूंदी भेजा गया था


[?]  *दिसंबर 1922*में रियासत ने उन समस्त व्यक्तियों की *जागीरें तथा संपत्ति जप्त* करने के आदेश दिए थे *जो किसानों की सहायता* कर रहे थेजब किसानों की *संपत्ति और जागीरें जब्त*की जा रही थी इस अवधि में *जागीरदार रणवीर सिह* का सक्रिय सहयोग था 

[?] [?] डाबी हत्याकांड [?] [?] 
[?]  *डाबी एवं गराडा में 28 जुलाई 3 अगस्त 1922* की सभाओं में किसानों ने यह निर्णय किया था कि वह *राज्य के आदेश की अवहेलना*करेंगे और भुगतान करने पर भी राज्य *कर्मचारियों को खाद्य सामग्री उपलब्ध नहीं*कराएंगे  इस आंदोलन की चरम परिणति *2 अप्रैल 1923*को *डाबी में एक अप्रिय घटना* के रूप में हुई. 2 अप्रैल 1923*को डाबी में *किसान सभा* का आयोजन किया गया था 



[?] इस सभा में राजस्थान सेवा संघ के प्रतिनिधि *हरिभाई कीकर तथा भवन लाल स्वर्णकार प्रज्ञाचक्षु*ने भी भाग लिया था सभा में सर्वप्रथम 
*नानक देव ने विजयसिह पथिक द्वारा रचित झंडा गीत* गाया था  इस सभा की अध्यक्षता *नयनूराम शर्मा*ने की थी  इस सभा में *निर्णय* लिया गया था कि किसी भी प्रकार का *राजस्व* नहीं दिया जाए और किसी भी राज्य *अधिकारी* को किसी भी प्रकार का *सहयोग प्रदान ना* किया जाए 


[?]  इसी सभा के दौरान *बूंदी के पुलिस अधीक्षक इकराम हुसैन* द्वारा बिना किसी चेतावनी के गोली चलाने का आदेश दिया गया 
इस गोली कांड में *2 अप्रैल 1923* को *नानक भील और देवा गुर्जर नामक किसान* मारे गए नानक भील विजय सिह पथिक के साथ *झंडा गीत गाते*हुए शहीद हुए  इस अवसर पर *माणिक्य लाल वर्मा* ने उसी समय *नानक भील की याद*में एक गीत *अर्जी शीर्षक* से लिखा था   *नानक भील* राजस्थान का *एक प्रमुख शहीद* कहलाया  इस अवसर पर *भवरलाल स्वर्णकार ने भी अर्जी शीर्षक* से लोकगीत सुनाया था  10 मई 1923* को नयनूराम शर्मा को *राज्य विरोधी गतिविधियों के आरोप* में गिरफ्तार कर लिया गया और *4 वर्ष के कारावास* की सजा दी गई और रिहा होने के के बाद *राज्य में प्रवेश निषेध* कर दिया गया 1925 में बूंदी में किसान आंदोलन में *केवल याचिका प्रस्तुत करने का स्वरूप*धारण कर लिया था 


[?] किसानों की ओर से यह याचिकाएँ *राजस्थान सेवा संघ* प्रस्तुत कर रहा था याचीकाएँ प्रस्तुत करने के उपरांत *नयनूराम शर्मा को राजस्थान सेवा संघ की हाडौती* शाखा का अध्यक्ष बना कर उसका *मुख्यावास कोटा*रखा गया   1926* के उपरांत *राजस्थान सेवा संघ की गतिविधिया*संपूर्ण राजस्थान में कमजोर पड़ने लगी 1927*के बाद राजस्थान सेवा संघ ही *अंतर्विरोधों*के कारण *बंद*हो गया था  राजस्थान सेवा संघ के साथ ही *बूंदी के बरड क्षेत्र का किसान आंदोलन* समाप्त हो गया था  इस आंदोलन में महिलाओं के साथ *दुर्व्यवहार*भी किया गया था  बरड किसान आंदोलन में *महिलाओं ने भी उत्साह* से भाग लिया था



 [?]  गूजरों का आंदोलन  1936-45 [?] 
[?] यह आंदोलन *गुर्जर समुदाय* के लोगो द्वारा किया गया  गुर्जर समुदाय के लोगों में अनेक *कष्टदायक करों व राज्य द्वारा उनके सामाजिक मामलों में हस्तक्षेप* को लेकर आक्रोश व्याप्त था  
1936 में बरड क्षेत्र* में पुन:आंदोलन प्रारंभ हो गया  *21 अक्टूबर 1936*को बूँदी सरकार ने *अपराध कानून संशोधन अधिनियम 1936* पारित किया था  1936* में बूँदी सरकार द्वारा *मृत्युभोज पर कानूनी पाबंदी* लगा दी गई थी  पशु की गिनती की सरकारी कार्रवाई*ने गुर्जरो के मन में आकांक्षा उत्पन्न कर दी थी कि उनके ऊपर *चराई कर*लगाया जा सकता है भारी राजस्व की दर व गैर कानूनी लागों* के विरोधी भी थे गुर्जर 


[?]  गुर्जर राज्य की *कृषि विस्तार नीति*के विरोधी थे क्योंकि *अधिक भूमि जोत* में आने से *पशु चराने के लिए कम भूमि*उपलब्ध रहने की संभावना है इन सभी कारणों से 
*5 अक्टूबर 1936 को हिंडोली*में *हुडेश्वर महादेव* के मंदिर पर *गुर्जर मीणा और अन्य पशुपालको व किसानों*की एक सभा हुई  जिसमें *90 गांवों के लगभग 500 व्यक्ति*सम्मिलित हुए थे  सभा के पटेलों ने अपना एक *मांग पत्र प्यार कर हिंडोली के तहसीलदार* के समक्ष प्रस्तुत किया उनकी मांग पत्र के *मुख्य बिंदु,चराई करो को समाप्त करना/कम करना, पशुपालको की सहूलियते*उपलब्ध कराना था बूंदी के दीवान *7 नवंबर 1936* को एक आयोग नियुक्त किया 


[?] जिसमें *राज्य कौंसिल के न्याय राजस्व व गृह सदस्य* को सम्मिलित किया गया था इस आयोग को *हिंडोली के गुर्जर किसानों की शिकायतों*की जांच का दायित्व सौंपा गया था 1939 में *गुर्जरों का आंदोलन लाखेरी* से प्रारंभ हुआ था  3 सितंबर 1939* को *40 गांव के लगभग 150 गुर्जरों*ने लाखेरी में *तोरण की बावरी* पर एक सभा की थी जिसका नेतृत्व *भवरलाल जमादार एक राज्य कर्मचारी गोवर्धन चौकीदार सीमेंट फैक्ट्री के कर्मचारी रामनिवास तंबोली* ने किया था  



* [?] 1943 में पुन:हिन्डोली क्षेत्र*मे गुर्जर आन्दोलन प्रारम्भ किया गया 5 Jan 1943 को 60 गॉवो*के गुर्जर ने के महाराजा के समक्ष ज्ञापन भेजा था 11 अक्टूबर 1943* को बूंदी के दीवान ने इस मुद्दे पर निर्णय लेते हुए अधिसूचना जारी की कि *शुल्क मुक्त चराई की छूट किसान की जोत के  अनुपात में प्रदान* की जाएगी  इस आन्दोलन का *मुख्य उद्देश्य चराई कर*था  *1945 के अंत तक बूंदी आंदोलन* खत्म हो गया


 [?] [?] अलवर  आंदोलन [?] [?] 


[?] अलवर रियासत में *जन जागृति का प्रारंभ किसान आंदोलन*को ही माना जाता है अलवर में *80% भूमि खालसा* के अंतर्गत थी जबकि केवल *10% भूमि जागीरदारों*के नियंत्रण में थी  यह एकमात्र *किसान आंदोलन था जो खालसा क्षेत्र*में चलाया गया था अलवर, भरतपुर के अधिकांश किसानों को *खालसा क्षेत्रों में स्थाई भू स्वामित्व* के अधिकार प्राप्त थे जिन्हे *विश्वे्दारी*कहते थे अलवर-भरतपुर में भू-राजस्व की सबसे *बदतर पद्धति इजारा* प्रचलित थी ब्रिटिश पद्धति पर अलवर में पहला भूमि बंदोबस्त 1876 में किया गया था
[?] अलवर में *दो बार*आंदोलन हुआ था 


  •  पहला आंदोलन 1921* में हुआ था

  •  दूसरा आंदोलन *1923-24*में हुआ था 


[?] अलवर के शासक *जयसिंह* द्वारा *जंगली सूअरों*को मारने पर *प्रतिबंध*लगाने के कारण *1921 में अलवर* में आंदोलन किया गया था अलवर रियासत में *जंगली सुअरों को अनाज खिलाकर रोधो*में पाला जाता था यह सूअर किसानों की *खड़ी फसल को बर्बाद*कर देते थे और इसके बदले किसानों को *कोई मुआवजा नहीं*मिलता था किसानों ने परेशान होकर *1921 में सूअर मारने की अनुमति*के लिए यह आंदोलन प्रारंभ किया था  महाराजा को *किसानों की बात को मानना*पड़ा और *सूअर पालने के रोधों* को समाप्त कर दिया गया और *किसानों को सूअर मारने की अनुमति*प्रदान की गई 


[?] दूसरा आंदोलन 1923-24* में *भू-राजस्व में भारी वृद्धि* के कारण *नीमूचाणा* अलवर में शुरू हुआ था 



[?] [?] नीमूचाणा हत्याकांड [?] [?] 

[?] अलवर रियासत में 1924 में *भूमि बंदोबस्त* हुआ था   lagaan की दरों को *पुनः मूल्यांकन* कर लगान की दरों में *40% की वृद्धि* कर दी गई  इस कारण *भू राजस्व में भारी वृद्धि* हो गई राजपूत किसानों को *पूर्व में प्राप्त रियासतों*को समाप्त कर दिया गया भूमि लगान वृद्धि तथा राजपूत किसानों की रियासतों*की समाप्ति के खिलाफ *खालसा क्षेत्र के राजपूत* किसानों ने *1924* में आंदोलन की शुरुआत की 


[?] इस आंदोलन का *नेतृत्व माधोसिह और गोविंद सिंह* ने किया था इस आंदोलन का *मुख्य केंद्र नीमूचाणा* था अलवर के किसानों ने *1925 में दिल्ली* में एक सभा आयोजित की गई थी जिसमें *200 राजपूत किसानो*ं ने भाग लिया यहीं से *पुकार नामक पुस्तिका* में *किसानों की समस्याओं को प्रकाशित* किया गया था अलवर के महाराजा ने किस मामले की जांच हेतु *7 मई 1925* को एक आयोग गठित किया था 



[?] अलवर के किसान अपनी 
*समस्याओं*को लेकर *नीमूचाणा* नामक स्थान पर एकत्रित हुए थे  इसी स्थान पर *14 मई 1925* को *छाजू सिंह नामक अंग्रेजी कमांडर*द्वारा सभा में *गोलियां चलाई*गई और पूरे गांव को जला दिया गया घटना में *सैकडो किसान मारे* गए थे इस घटना को *इतिहास में नीमूचाणा हत्याकांड* के नाम से जाना जाता है नीमूचाणा हत्याकांड की देशभर में आलोचना की गई महात्मा गांधी* ने इसे *जलियांवाला बाग हत्याकांड* की घटना बताते हुए इसे *दोहरी डायरशाही* कहा था


[?]  *राजस्थान सेवा संघ*ने इस मामले में जांच की तथा इस जाचँ की पूरी कहानी *31 मई 1925* को *तरूण राजस्थान* के अंक में प्रकाशित की गई थी इस घटना की जाचँ से *अजमेर के रामनारायण चौधरी* भी जुड़े हुए थे देसी राज्य* के इतिहास में इस घटना का वही *महत्व* है जो भारत में *जलियांवाला बाग हत्याकांड* का है इस हत्याकांड का असली खलनायक *गोपाल दास*नामक *पंजाबी अधिकारी* को माना जाता है अलवर *नरेश जयसिंह*स्वयं नीमूचाणा आये और  मारे गए लोगों के परिवार को *मुआवजा*दिया गया और 18 नवंबर 1925* को पुरानी दर से लगान वसूलने के आदेश दिए गए  इन आंदोलनों ने ही *प्रजामंडल आंदोलन*के लिए जमीन तैयार की थी


[?] [?] सीता देवी [?] [?] 
[?] अलवर रियासत के नीमूचाणा के *किसान रघुनाथ की बेटी*थी सीतादेवी ने *अलवर किसान आंदोलन* में भाग लिया था  अंग्रेजों द्वारा *नीमूचाणा गांव* में किसानों पर गोलियां बरसाने के समय *सीता देवी ने किसानों को ललकारा* था सीता देवी ने ""किसानों से कहा"" कि *हम किसी भी हालत में ठिकानों को अधिक लगान नहीं देंगे* नीमूचाणा हत्याकांड अलवर नरेश *जयसिंह प्रजापालक को बदनाम* करने के लिए रचा था क्योकी *अंग्रेज*जयसिंह को *पसंद नही*ं करते थे  जवाहरलाल नेहरु ने महाराजा जयसिंह* के लिए कहा था अगर *यह युवक राज परिवार में जन्म ना लेकर किसी सामान्य वर्ग में जन्म लेता* तो भारतवर्ष को एक बड़ा *नेता*प्राप्त होता

[?] [?] भरतपुर किसान आंदोलन [?] [?] 



[?] भरतपूर राज्य में किसानों की *दशा अच्छी*थी  भरतपुर में *95% भूमि सीधे राज्य के नियंत्रण* में थी  5% भूमि राज्य से अनुदान* प्राप्त छोटे *जागीरदारों को माफीदारों*के पास थी भरतपुर रियासत में *5 जातियां ब्राह्मण जाट गुर्जर अहीर व मेव*सामान्य हैसियत रखते थे  भरतपुर राज्य में *खालसा भूमि* के अंतर्गत *लंबरदार व पटेल व्यवस्था* अस्तित्व मान थी  इसके अंतर्गत लंबरदार व पटेल *भू राजस्व* की वसूली के लिए जिम्मेदार थे भरतपुर राज्य में *1931 में नया भूमि बंदोबस्त लागू* किया गया इस नए भूमि बंदोबस्त के कारण *भू राजस्व में वृद्धि* हो गई  भू राजस्व अधिकारी लंबरदारों*ने इस बढेे हुए *भू राजस्व* के विरोध में *1931*में आंदोलन शुरु किया


[?] नये *बंदोबस्त*से किसानों में असंतोष व अशांति उत्पन्न कर दी  लंबरदार व पटेलों को *भू राजस्व वसूली* में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था  इस कारण *लंबरदार एवं पटेल*बढ़े हुए *राजस्व के मुददे के विरुद्ध लड़ने के लिए आगे आए *23 नंबर 1931* को *भोजी लंबरदार* के नेतृत्व में 500 किसान *भरतपुर*में एकत्रित हुए भोजी लंबरदार* ने राज्य के *विरोध भड़काऊ भाषण* देने के कारण *भोजी लंबरदार को नवम्बर मे गिरफ्तार* कर लिया गया भोजी लंबरदार की गिरफ्तारी के साथ 1931*में ही यह *आंदोलन समाप्त* हो गया


[?] [?] अलवर भरतपुर मेव आंदोलन [?] [?] 



* [?] हिंदू धर्म से परिवर्तित* मुसलमान किसान मेव कल आते हैं  अलवर मे 
*मेव जाति*का *पहला आंदोलन 1921*में प्रारंभ हुआ था
मेवो ने प्रारम्भ से ही
 *गुरिल्ला युद्ध* आरंभ कर दिया था  अलवर भरतपुर क्षेत्र को *मेवाती क्षेत्र*करते हैं  अलवर भरतपुर में आंदोलन की शुरुआत *1932* में हुई थी इस आंदोलन का *नेतृत्व डॉक्टर मोहम्मद अली*ने किया था अलवर भरतपुर रियासत के *मेव किसानो*ं ने बड़ी हुई *lagaan देने से इंकार* कर दिया मेवो ने *बांध व सड़क बनाने घास काटने संघो की सफाई करने और बेगार समाप्त*करने की मांगों के लिए आंदोलन किया था अलवर के मेव किसान आंदोलन का नेतृत्व *गुडगांव के मेव नेता चौधरी यासिन खान* द्वारा किया गया था 


[?] इतिहासकारों के अनुसार *यह आंदोलन कालांतर में सांप्रदायिक प्रभाव*में भी आ गया था अलवर भरतपुर क्षेत्र मे 
*मोहम्मद हादी ने1932 में अंजुमन खादिमुल इस्लाम नामक संस्था* स्थापित की थी  इस संस्था ने मेव किसानों को *संगठित* किया और मेव जाति के लोगों में *जन जागृति लाने*का कार्य किया  चौधरी यासीन खान के नेतृत्व में मेव लोगों ने *खरीफ फसल का लगान देना बंद* कर दिया अंजुमन खादिमुल इस्लाम संस्था*ने अलवर के महाराजा से *उर्दू की शिक्षा के प्रसार, मुसलमानों के लिए पृथक शिक्षण संस्थाओ की स्थापना और मस्जिदों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त*करने की मांग की थी*दिसंबर 1932* में अलवर रियासत में मेव किसानों की *आर्थिक परेशानी की जांच* के लिए एक समिति का गठन किया  मेव किसानों ने इस *समिति का बहिष्कार* किया   मेवो ने *1933 में गोविंदगढ़*में सरकारी सेना पर आक्रमण कर दिया


[?]  मेवो को संतुष्ट करने के लिए *राज्य काँन्सिल* में एक मुस्लिम सदस्य *खान बहादुर काजी अजीजुद्दीन बिलग्रामी* को सम्मिलित कर लिया था  खान बहादुर काजी अजीजुद्दीन बिलग्रामी को सम्मिलित करने के बाद भी *आंदोलन खत्म नहीं*हुआ बल्कि और *उग्र*हो गया 
1933 में सेना ने नगर तहसील के *सोमलाकला व झीतरहेडी गांव* को घेरकर बलपूर्वक राजस्व वसूल कर *बंदी अभियान* को कुचल दिया  राजस्व  व पुलिस प्रशासन हेतु *ब्रिटिश अधिकारी*नियुक्त कर दिए गए *मई 1933 में महाराजा जयसिंह* को गद्दी से हटाकर राज्य से निर्वासित कर दिया गया 1933 में राज्य द्वारा *भू राजस्व संबंधी छूटों*के बाद विद्रोह दब गया खरीफ के लगान में *25%* और रबी के लगान *50%* की छूट प्रदान की गई भरतपुर राज्य के मेवो ने भी *1933 में लगान देना बंद* कर दिया पर *दमन के कारण* आंदोलन असफल रहा 1934* में मेवो को सुविधा देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा *अजीजुद्दीन बिलग्रामी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन* किया गयाइस समिति की रिपोर्ट के आधार पर *मेवो को भू-राजस्व तथा अन्य करो में छूट के साथ-साथ सामाजिक व धार्मिक समस्याओं का समाधान* भी किया गया

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