लोक प्रशासन की परिभाषा & अध्ययन के विकास के प्रमुख चरण

लोक प्रशासन की परिभाषा & अध्ययन के विकास के प्रमुख चरण


ई.एन.ग्लैडन के शब्दों में लोक प्रशासन की परिभाषा
लोक प्रशासन (Public Administration) एक लंबा सा अलंकार युक्त शब्द है
इसका सीधा साधा अर्थ लोगों की देखभाल करना और पारस्परिक संबंधों की व्याख्या करना है

कुछ वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मनुष्य तथा सामग्री की उचित संगठन तथा निर्देशन को लोक प्रशासन कहते हैं
यह एक सामूहिक प्रयास है जिसका लक्ष्य निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करना ह
सरकार द्वारा संपन्न सभी क्रियाएं जनहितकी होती हैं इसलिए सरकारी कार्य के प्रशासन को भी लोक प्रशासन कहते हैं
लोक प्रशासन (Public Administration) को परिभाषित करना कठिन कार्य है लोक प्रशासन की परिभाषा के संबंध में एक वैज्ञानिक मत नहीं है
इस कारण लोक प्रशासन की परिभाषाओं को लोक प्रशासन की व्यापकता प्रकृति क्षेत्र के आधार पर डॉक्टर mp शर्मा ने 4 भागोंमें वर्गीकृत किया गया है

1. प्रथम वर्ग➖
इस वर्ग में लोक प्रशासन (Public Administration) की प्रकृति को व्यापक तथा विषय क्षेत्र को सीमित करने वाली परिभाषाएं आती है
जैसे ह्वाइट की परिभाषा
ह्वाइट की परिभाषा के अनुसार➖
प्रशासन का संबंध केवल नीतियों के क्रियान्वयन से है
इस वर्ग में वे सभी कार्य आते हैं जिनका उद्देश्य लोकनीति को पूरा करना होता है

2. दूसरे वर्ग➖ 
इस वर्ग में लोक प्रशासन की प्रकृति और क्षेत्र दोनों को सीमित करने वाली परिभाषाएं आती है
जैसे साइमन की परिभाषा ?साइमन की परिभाषा के अनुसार➖सामान्य लोक प्रयोग के लोक प्रशासन से अभिप्राय उन क्रियाओं से हैं जो केंद्र राज्य अथवा स्थानीय सरकारों द्वारा संपादित की जाती है

3. तीसरा वर्ग➖
इस वर्ग में वह परिभाषाएं आती हैं जो लोक प्रशासन की प्रकृति को संकुचित करती है परंतु क्षेत्र को व्यापकमानकर चलती है
इस वर्ग के विचारक गुलिक हैं
गुलिक (Gulick) के अनुसार➖लोक प्रशासन (Public Administration) प्रशासन की विज्ञान का वह भाग है जिसका संबंध शासन से होता है
इस प्रकार मुख्यतः इसका संबंध कार्यपालिका शाखासे है
जहां सरकार का कार्यकिया जाता है
विधायिका तथा न्यायपालिका से संबंधित समस्याएंभी स्पष्ट रुप से प्रशासकीय समस्याएही हैं

4. चतुर्थ वर्ग➖
इस वर्ग में वे परिभाषाएं आती हैं जो प्रकृति और क्षेत्र दोनों को व्यापक मान करचलती है
डिमाँक व पिफनरकी परिभाषा इस वर्ग में आते हैं 
पिफनर के अनुसार प्रशासन काअभिप्राय➖
जनता का सहयोग प्राप्त करके सरकार के कार्य का संचालन करना है
यह सभी परिभाषाएं लोक प्रशासन को 2 क्षेत्रोंमें विभाजित करती हैं
विषय वस्तु और प्रक्रिया एवं विधि
लोक प्रशासन में सार्वजनिक पहलू का प्रभाव अधिक रहता है
इस कारण लोक प्रशासन जो सामान्य जनता के लिए होता है जन प्रशासन या लोक प्रशासन कहलाता है

 लोक प्रशासन के अध्ययन के विकास के प्रमुख चरण

लोक प्रशासन (Public Administration) के अध्ययन के प्रमुख पांच चरण थे
1. प्रथम चरण➖ 1887 से 1926➖राजनीतिक प्रशासन द्वैतभाव 
प्रथम चरण में लोक प्रशासन का जन्म एक विषय के रूप में 1887 में अमेरिका में हुआ था
इस काल में राजनीति प्रशासन द्विभाजकतापर जोर दिया गया था
फ्रेंक, गुडनाऊ, वुडरो, विल्सन एल्पी,ह्वाइट, इस चरण में राजनीति प्रशासन द्वैतभाव के प्रबल समर्थकों में से थे

2. द्वितीय चरण➖ 1927 से 1937➖प्रशासन के सिद्धांतों पर बल  
?द्वितीय चरण को सिद्धांतों के स्वर्णयुगके रूप में जाना जाता है
?इस चरण में लोक प्रशासन के सिद्धांतों और अवधारणाओं के विकास पर बहुत काम किया गया था
?विलोबी की प्रशासन के सिद्धांत ,फेयोल की सामान्य एवं औद्योगिक प्रबंध, गुलिक के प्रशासन विज्ञान पर लेख और टेलर का वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत ने लोक प्रशासन में सिद्धांतों को जन्म दिया

3. तृतीय चरण➖ 1938 से 1946 प्रशासनिक सिद्धांतों को चुनोती 
तृतीय चरण को संदेह के बादल कहागया
तृतीय चरण में लोक प्रशासन के सिद्धांतों को प्रकृति वादी और भ्रामकता की संज्ञा दी गई है
इस चरण में मनोविज्ञान की ओर से मुख्य चुनौती ऊभर के सामने आई
इस समय मनोविज्ञान स्वयं व्यवहारवादी दृष्टिकोण के अनुसार परिवर्तनके दौर से गुजर रहा था
दूसरी ओर द्वितीय चरण के यांत्रिक दृष्टिकोण के विरुद्धभीषण प्रतिक्रिया सामने आ रही थी
बर्नार्ड की कार्यपालिका के कार्य,साइमन की प्रशासनिक व्यवहारजैसी पुस्तकों ने प्रशासन में मानवीय तत्व और मानवीय व्यवहार के महत्व को समझाया
प्रशासन के विवेकशील बौद्धिक अध्ययन के बदले व्यवहारिक अध्ययन की संभावनाएं प्रबल की गई

4. चतुर्थ चरण➖ 1948 से 1970 अंत:अनुशासनात्मक अध्ययन पर जोर 
चतुर्थ चरण पहचान के संकट के रूप में जाना गया
लोक प्रशासन जिन उपलब्धियों की बात कर रहा था वह सारी उपलब्धियां संपूर्णतया निरर्थक सिद्धकर दी
इस दौर में कुछ विद्वान राजनीति शास्त्रके तहत आए क्योंकि लोक प्रशासन राजनीति शास्त्र का ही भागथा
राजनीति शास्त्रमें कुछ परिवर्तन आने और लोक प्रशासन के राजनीति शास्त्र में महत्व कम होने से लोक प्रशासन अकेलेपन का अनुभवकरने लगा था
इस कारण से लोक प्रशासन को अपनी पहचान बनानेमें काफी समस्याएं आ रही थी
ऐसी स्थिति में लोक प्रशासन को दूसरे विकल्प की ओर मुड़ना पड़ा
यह दूसरा विकल्प प्रशासन विज्ञानथा लोक प्रशासन पुन: प्रशासनिक शास्त्र की पहचान स्थापित करनी पड़ी
इस युग के प्रमुख विद्धानों मे रिग्स,क्रिस,अर्गीरिस,रैंसिस,लिंकर्ट डगलस मैक् ग्रेगर प्रमुख रुप से सम्मिलित है

5. पंचम चरण➖ 1971 से वर्तमान समय तक➖ नवीन लोक प्रशासन 
पंचम चरणवर्तमान में संचालित है
पंचम चरण में लोक प्रशासन की सर्वांगीण उन्नतिहुई
इस चरण में लोक प्रशासन का अंतर्विषयक दृष्टिकोणउभरकर सामने आया
राजनीति शास्त्र अर्थशास्त्र समाजशास्त्र प्रबंध शास्त्रके साथ लोक प्रशासन के साथ गहरे संबंध स्थापित हुए
तुलनात्मक लोक प्रशासन का विकास और विकास प्रशासनका प्रादुर्भाव न भुलाए जाने वाली घटना है
आज भी लोक प्रशासन में अधिकांश पश्चिमी देशों का ही अध्ययन किया जाता है
किंतु अब पिछडे और अविकसित देशों का अध्ययन लोक प्रशासन में होने लगा है
वर्तमान में लोक प्रशासन अपनी अलग पहचानबना कर निरंतर विकास की ओर बढ़ रहा है

2 Comments

Leave a Reply Cancel

Add Comment *

Name*

Email*

Website