शाही नौसेना का विद्रोह(Royal Navy's Rebellion)

  शाही नौसेना का विद्रोह(Royal Navy's Rebellion)



  • 18 फरवरी 1946 को भारतीय सैनिकों द्वारा ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध किए गए विद्रोह को नौसैनिक विद्रोह के नाम से जाना जाता है

  • नौसैनिक विद्रोह सरदार वल्लभ भाई पटेल की मध्यस्थता से समाप्त हुआ था

  • 18 फरवरी 1946 को रॉयल इंडियन नेवी के सिग्नल्स प्रशिक्षण संस्थान एच.एम.आई.एस तलवार के गेरकमीशन्ड अधिकारियों और सिपाहियों ने जिन्है रेटिग्ंज कहा जाता था ने नौसैनिक विद्रोह शुरू किया

  • आजाद हिंद फौज के युद्ध बंदियों से संबंधित मुकदमा और उसके विरोध में होने वाला जन आंदोलन समाप्त होने के कुछ ही समय पश्चात फरवरी 1946 में भारतीय नौसेना में विद्रोह हो गया

  • इस विद्रोह को रजनी पाम दत्त के शब्दों में


 मानो बिजली की तरह चमक कर भारतीय क्रांति की परिपक्व शक्तियों का परिचय दे दिया
 
☄ शाही नौसेना के विद्रोह का कारण☄
काम करने की असंतोषजनक दशाएं
नस्ली भेदभाव और बढ़ती हुई राष्ट्रीय चेतना
दुर्व्यवहार और खराब भोजन

☄शाही नौसेना विद्रोह का प्रारंभ☄

  • जनवरी 1946 में वायुसेना के 1100 से अधिक नाविकों ने नस्ली भेदभाव के खिलाफ और समान सुविधाओं की मांग को लेकर हड़ताल की थी

  • दुर्व्यवहार ,नस्ली भेदभाव और खराब भोजन की शिकायते नौ सेना के सैनिकों को भी थी

  •  फरवरी 1946 में एच. एम. आई. एस. तलवार नामक जलयान के नाविकों ने जब इन मुद्दों को विशेष कर भोजन के सवाल को अंग्रेज अफसरों के सामने उठाया तो उन्हें लताड़ दिया गया

  • क्षुब्ध नाविकों ने बैरक की दीवारों पर अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे लिखे

  • इस कार्य के लिए रेडियो ऑपरेटर दत्त को जिम्मेदार मान कर उंहें गिरफ्तार कर लिया गया

  • नस्लवादी भेदभाव और खराब भोजन  के प्रतिवाद में साथ ही रेडियो ऑपरेटर दत्त की गिरफ्तारी का उत्तर नाविकों ने 18 फरवरी 1946 को हड़ताल करके दिया

  • तलवार जहाज पर आरंभ हुई है हड़ताल शीघ्र ही मुंबई के मौजूद अन्य जहाजों पर फैल गई

  • 19 फरवरी को कैसल और पोर्ट बैरक के नागरिक भी इस हड़ताल में शामिल हो गए और इस हड़ताल में सम्मिलित नाविकों की संख्या 20,000 के लगभग पहुंच चुकी थी

  • मुंबई में इस विद्रोह के समर्थन में जनता ने व्यापक पैमाने पर विरोध किया और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया

  •  मुंबई में आरंभ हुई नाविक संघर्ष की यह लहर मद्रास और कराची में भी फ़ैल गई

  • 19 फरवरी को कराची के नागरिकों ने भी हड़ताल कर दी कराची में जो जहाज हड़ताल में सम्मिलित हुए उनमें हिंदुस्तान मुख्य था

  • कोलकाता विशाखापट्टनम में मौजूद नागरिकों ने भी हड़ताल में हिस्सा लिया है

  • अंबाला और जबलपुर के सैनिकों ने सहानुभूति के रुप में हड़ताल कर दी

  • कराची में दमन पूर्वक आत्मसमर्पण कराया गया जिसमें 6 नागरिक मारे गए



  • मुंबई में सेना ने नाविको और उनके सहयोगियों को शांत करा दिया

  • आर्थिक मांगों को लेकर आरंभ हुआ यह संघर्ष शीघ्र ही क्रांतिकारी चेतना से युक्त राजनीतिक संघर्ष में बदल गया

  • नाविकों ने भोजन की गुणवत्ता का प्रश्न छोड़ दिया उनके प्रमुख नारे हो गए इंकलाब जिंदाबाद, ब्रिटिश साम्राज्य मुर्दाबाद, हिंदू मुस्लिम एक हो ,जय हिंद ,राजनीतिक बंदी रिहा करो, हिंदेशिया से भारतीय फौजियों को वापस बुलाओ आदि नारे लगाये गये

  • 21 फरवरी तक स्थिति यह हो गई थी कि एक प्रकार से संपूर्ण  नौसेना में संघर्ष आरंभ हो गया था

  • नाविक हड़ताल के तेजी के साथ फैलने और उसे व्यापक जनसमर्थन प्राप्त होने के कारण सरकार चिंतित हो गई

  • उसने हड़ताल का दमन क्रूर बल प्रयोग के द्वारा करने का निश्चय किया

  • 21 फरवरी को संघर्षशील नाविको और ब्रिटिश सेना के मध्य कैसिल बैरक की 7 घंटे की जंग हुई

  • इस जंग के दौरान नाविकों ने भारतीय राजनीति की प्रमुख शक्तियों कांग्रेस ,लीग और कम्युनिस्टों से सहायता मांगी

  • साम्यवादी ने उनके  संघर्ष का समर्थन किया और छात्रों ,मजदूरों और आम जनता को उनके पक्ष में लामबद्ध करना शुरू किया

  • 22 फरवरी को मुंबई में एक अभूतपूर्व हड़ताल का आयोजन किया इसमे 20 लाख मजदूरों ने हिस्सा लिया

  • उनके प्रदर्शनों में तीन झंडे एक साथ चलते थे कांग्रेस का तिरंगा, लीग का हरा और बीच में कम्युनिस्ट पार्टी का लाल झंडा

  •  इस देशव्यापी विस्फोटक स्थिति में सरदार वल्लभभाई पटेल ने हस्तक्षेप किया

  •  सरदार वल्लभभाई पटेल और मोहम्मद अली जिन्ना ने नाविकों को आत्मसमर्पण करने की सलाह दी

  • इस तरह एक अजीब स्थिति देखने को मिली सेनिक लड़ रहे थे और अधिक संख्या में लड़ाई में कूदने के लिए तैयार थे जनता उनके समर्थन में सड़क पर आ गई थी और 21 से 23 फरवरी के मध्य अकेले मुंबई में ही 250 लोग मारे गए थे

  • लेकिन देश के प्रमुख दल क्रांति कि इस मशाल को आगे ले जाने के लिए तैयार नहीं थे

  • उल्टे यह विश्वास करते थे कि किसी भी जनांदोलन या प्रत्यक्ष संग्राम का उपयुक्त अवसर नहीं था

  • अवसर उपयुक्त क्यों नहीं था इसे आसानी से समझा जा सकता है

  • यदि ध्यान में रखा जाए कि नाविक संघर्ष आरंभ होने के अगले ही दिन ब्रिटिश सरकार ने इन दलों के साथ सौदेबाजी के लिए कैबिनेट मिशन को नियुक्त कर दिया था

  •  बरहाल नाविकों ने देश के नेताओं की सलाह मानी और 23 फरवरी को विद्रोहियों ने आत्मसमर्पण करते हुए कहा कि हम देश के समक्ष आत्मसमर्पण  कर रहे हैं  ना की  ब्रिटिश साम्राज्य के समक्ष नहीं


☄नौसेना विद्रोह पर प्रतिक्रिया☄

  • नौसेना के इस संघर्ष का सम्मान करना तो दूर की बात इस संघर्ष की आलोचना की गई

  •  गांधीजी की नजर में इनका संघर्ष बुरा और भारत के लिए अशोभनीय दृष्टांत पेश करता था ​

  • वह तो यहां तक मानते थे कि हिंसात्मक कार्यवाही के लिए हिंदुओं और मुसलमानों का एक होना अपवित्र बात है


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