​​कैबिनेट मिशन 24 मार्च 1946(Cabinet Mission 24 March 1946)

​​कैबिनेट मिशन 24 मार्च 1946


(Cabinet Mission 24 March 1946)


कैबिनेट मिशन की आवश्यकता
जुलाई 1942 के उपरांत राजनीतिक घटनाक्रम चला उसने इस अहसास को और अधिक मजबूत किया कि भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को बनाए रखना असंभव है 


  • द्वितीय विश्व युद्ध ने ब्रिटेन को विजेता राष्ट्र होने के बावजूद हर तरह से पस्त कर दिया था

  • ताराचंद के अनुसार इस हार के चलते अंग्रेजों ने समझ लिया था कि दूसरे देशों में साम्राज्यवादी साहसिक कार्य करते रहना उचित नहीं है अपने ही देश में आंतरिक पुनर्निर्माण की ओर सामाजिक सामंजस्य की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए

  • इसके साथ ही ब्रिटिश शासन को इस तथ्य का भी अहसास हो गया की बीसवीं शताब्दी के मध्य के भारत पर 19वीं शताब्दी के सिद्धांतों से शासन नहीं किया जा सकता था

  •  यह समझ लेने पर ही भारत को स्वतंत्र करना उनकी मजबूरी हो गई है

  • साम्राज्यवाद ने जो नीति अपनाई वह थी भारत की क्रांतिकारी शक्तियों का दमन करना

  • भारत में मौजूद समझौता परस्त शक्तियों से वार्ता कर ऐसे समझौते पर पहुंचाना जो स्वतंत्र भारत में अंग्रेजो के हितों का पोषण कर सकें और इस समझोते पर पहुंचने के लिए फूट डालो और राज करो की नीति का पूरी कुटिलता व चतुराई के साथ पालन करना

  •  इस चौतरफा नीति के अंतर्गत एक को तो जन आंदोलन का दमन किया गया और दूसरी ओर 19 फरवरी 1946 को भारत में एक कैबिनेट मिशन की नियुक्ति की घोषणा की गई थी



☄शिष्टमंडल योजना की घोषणा☄


  •  ब्रिटेन में 26 जुलाई 1945 को क्लीमेंट एटली के नेतृत्व में ब्रिटिश मंत्रिमंडल ने सत्याग्रह की थी

  • नौसेना विद्रोह के एक दिन बाद 19 फरवरी 1946 को लार्ड पेथिक लॉरेंस ने हाउस ऑफ लार्ड्ज में घोषणा की थी कि मंत्रिमंडल का शिष्टमंडल जिसमें वह स्वयं,सर स्टैफर्ड क्रिप्स, ए. ना. एलेग्जेंडर होंगे

  • भारत जाएंगे ता की वायसराय की सहायता से भारतीय नेताओं के राजनीतिक मामलों पर बातचीत कर सके

  • इसी घोषणा पर वाद-विवाद में बोलते हुए प्रधानमंत्री एटली ने कहा कि हम अल्पसंख्यकों के अधिकारों से भली भांति जानते हैं चाहते हैं कि अल्पसंख्यक बिना भय के रह सके

  • लेकिन हम यह भी स्वीकार नहीं करेंगे कि अल्पसंख्यक लोग बहुसंख्यक लोगों की उन्नति में आडे आये

  • इन शब्दों का अर्थ भारत में स्पष्ट रुप से यह समझा गया कि अब अंग्रेजों की लीग के प्रति परंपरागत नीति में मूलभूत परिवर्तन आ गया था


 ☄कैबिनेट मिशन का भारत आगमन☄


  • 19 फरवरी 1946 को लार्ड पेथिक लॉरेंस के द्वारा की गई घोषणा के तहत 24 मार्च 1946 को कैबिनेट मिशन भारत में दिल्ली पहुंचा

  • इस शिष्टमंडल में कुल 3 सदस्य थे भारत सचिव लार्ड पेथिक लॉरेंस, व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष स्टैफर्ड क्रिप्स और नौसेना के प्रमुख ए.वी. एलेग्जेंडर थे

  • कैबिनेट मिशन के दिल्ली पहुंचने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों से लंबी बातचीत हुई  चूंकी लीग और कांग्रेस में भारत की एकता  अथवा बंटवारे के विषय में समझोता नहीं हो सका

  • इसलिए शिष्टमंडल ने अपनी ओर से संवैधानिक समस्याओं का हल प्रस्तुत किया

  • यह प्रस्ताव लार्ड वेवल और मंत्रिमंडलीय शिष्टमंडल ने एक संयुक्त वक्तव्य में 16 मई 1946 को प्रकाशित किया



कैबिनेट मिशन द्वारा अपनी रिपोर्ट में दिए गए भारतीय सविधान के लिए प्रमुख सुझाव निम्न प्रकार है

  सुझाव
भारत में एक अखिल भारतीय संघ की स्थापना होनी चाहिए जिसमें ब्रिटिश, भारतीय और देसी राज्य सम्मिलित हों ,जो विदेशी मामलों ,प्रतिरक्षा और सूचनाओं का नियंत्रण और उसे उपरोक्त विषय के लिए आवश्यक वित संग्रह करने की शक्ति प्राप्त हो
संघ का ब्रिटिश भारतीय और राज्य के प्रतिनिधियों से गठित कार्यपालिका और विधानमंडल हो, विधानमंडल में किसी गंभीर सांप्रदायिक मामले  के प्रश्न पर निर्णय प्रत्येक दोनों बजे समुदायों (हिंदू मुसलमान) के उपस्थित और मतदान करने वाले प्रतिनिधियों के साथ साथ उपस्थित और मतदान करने वाले समस्त सदस्यों के बहुमत से होंगी
संघीय विषयों के अतिरिक्त सभी विषय और अवशिष्ट शक्तियां प्रांतों में निहित होनी चाहिए
भारतीय राज्य संघ समर्पित विषयों के अतिरिक्त समस्त विषयों और शक्तियों को रखे रहेंगे
प्रांतो को कार्यपालिका और विधायिका के साथ समूह बनाने की स्वतंत्रता होगी और एक सामान्य रूप से लिए जाने वाले प्रांतीय विषयों को अवधारित कर सकेंगे
प्रांतों को छोटे बड़े गुट बनाने का अधिकार हो और इन गुटों को क्या-क्या अधिकार होगे ,इसका निर्णय स्वयं ही करेंगे
संघ और समूहों के संविधान में एक ऐसा उपबन्ध होना चाहिए जिसके अधीन किसी भी प्रांत को उसकी विधानसभा के मतो की बहुसंख्या द्वारा प्रारंभिक 10 वर्ष की अवधि के पश्चात और तदुपरांत प्रति 10 वर्ष के अंतराल पर संविधान के निबंधनो पर पुनर्विचार करने के लिए आहूत करने की अनुमति हो
कैबिनेट मिशन द्वारा प्रस्ताव दिया गया कि संविधान सभा में कुल 292 सदस्य होंगे ,


ब्रिटिश भारतीय सदस्य तीन भागों में विभक्त होंगे जो निम्न प्रकार है
A-मद्रास ,मुंबई ,मध्य प्रांत, संयुक्त प्रांत ,बिहार और उड़ीसा के छह हिंदू बहुसंख्यक प्रांत "अ"गुट में होंगे
B-पंजाब ,उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत (मुस्लिम बहुसंख्यक प्रांत) और और सिंध गुट "ब"में होंगे
C-बंगाल और असम गुट "स"में

मुख्य आयुक्त के प्रांत दिल्ली, अजमेर-मारवाड़ और कुर्ग गुट "अ" में शामिल किए जाएंगे
बलूचिस्तान गुट को "ब"में शामिल किया जाएगा

प्रांतों को पूर्ण स्वायत्तता  का देना एक प्रकार से पाकिस्तान का "सार" था यह स्पष्ट था की गुट "ब" और गुट "स"मुसलमानों के अाधिपत्य में होंगे
कैबिनेट मिशन ने किसी भी रुप में मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग को अस्वीकार कर दिया था

☄संविधान सभा के गठन में कैबिनेट मिशन के सुझाव☄


  • मंत्रीमंडलीय शिष्टमंडल का मुख्य कार्य संविधान सभा अथार्थ भारतीयों द्वारा अपना संविधान बनाने के कार्य को आरंभ करना था

  • संविधान सभा के गठन के संबंध में कैबिनेट मिशन ने वयस्क मताधिकार पर आधारित निर्वाचन से इंकार कर दिया

  • क्योंकि यदि वयस्क मताधिकार के आधार पर संविधान सभा चुनी जाती तो समय बहुत अधिक लगता

  • यह व्यवस्था की गई थी प्रांतीय विधान सभा के सदस्य को तीन भागों में (सामान्य, मुस्लिम और सिक्ख) बांट कर संविधान निर्मात्री सभा का गठन अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाना चाहिए

  • इस उद्देश्य से प्रत्येक प्रांत को उसकी जनसंख्या के अनुपात में कुछ स्थान आवंटित किया जाना चाहिए जो सामान्यतः 10 लाख की जनसंख्या पर एक हो

  • प्रांतीय स्थानों का आवंटन प्रत्येक प्रांत में वहां के प्रमुख समुदायों के मध्य उनकी जनसंख्या के अनुपात में विभक्त होना चाहिए

  • प्रांतों में प्रत्येक प्रमुख समुदाय के लिए आवंटित प्रतिनिधियों को संबंधित विधानसभा में किसी समुदाय के सदस्यों द्वारा निर्वाचित किया जाना चाहिए अथार्थ मुस्लिम प्रतिनिधि का निर्वाचन मुस्लिम समुदाय के लोग करेंगे

  • इस उद्देश्य के लिए मान्यता प्राप्त सामान्य, मुस्लिम और सिख समुदाय है

  • मुख्य आयुक्तों के प्रांतों में प्रबंध भिन्न था

  • गुट "अ"के प्रांतों में सामान्य को 167 स्थान दिए गए और मुसलमानों को 20 स्थान

  •  गुट "ब" मे सामान्य कौ 9 और मुसलमानों को 22 और सिक्खों को 4 स्थान

  • गुट"स" मे सामान्य को 34 और मुसलमानों को 36 स्थान दिए गए थे 

  •  

  • इन 292 सदस्यों में चार सदस्य  मुख्य आयुक्त के प्रांतों से आए थे और 93सदस्य भारतीय रियासतों से आने थे अथार्थ भारतीय राज्य के प्रतिनिधियों की अधिकतम संख्या 93 होगी

  • इन सब का चयन विचार विमर्श द्वारा किया जाना था

  • इस प्रकार निर्वाचित प्रतिनिधि दिल्ली में एकत्रित होंगे और संविधान सभा का गठन करेंगे 

  • इस प्रकार की गठित संविधान सभा 3 गुटों के अनुसार तीन भागों में बांटी जानी थी

  • प्रत्येक भाग अपने-अपने प्रांतों के लिए संविधान बनाएगा और यह भी निश्चित करेगा कि अपने खुद के लिए सविधान बनाना भी है  या नहीं

  • जब समूह संविधान का निर्माण हो जाएगा तब तीनो भागो के प्रतिनिधि और राज्य के प्रतिनिधि संघ संविधान का निर्माण करने के उद्देश्य से पुनः एकत्रित होंगे

  • नागरिकों अल्पसंख्यको जनजातियों और अपवर्जित क्षेत्र के अधिकारों के विषय में परामर्शदात्री समिति होनी थी

  • गुटो और संघ के संविधान में एक प्रबंध यह भी था कि प्रांतों को यह अधिकार था कि प्रत्येक 10 वर्ष के पश्चात सविधान की शर्तों पर पुनर्विचार करने की मांग कर सकें

  • इसके अतिरिक्त प्रांतों को एक नए संविधान के अधीन चुनाव के पश्चात अपनी विधानसभाओं के निर्णय के अनुसार अपने गुटो से प्रथक होने का भी अधिकार था

  • संविधान सभा को इंग्लैंड के साथ शक्ति के स्थानांतरण से उत्पन्न हुए मामलों पर एक संधि भी करनी थी



☄कैबिनेट मिशन के अंतरिम सरकार पर कांग्रेस की अस्वीकृति का कारण☄


  • शिष्टमंडल का यह भी सुझाव था कि एक अंतरिम सरकार बनाई जाए

  • जिसे मुख्य राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त हो जिसमें सभी विभाग रक्षा समेत भारतीय नेताओं के हाथ में हो

  • कांग्रेस संविधान सभा से संबंधित कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव पर सहमत हो गई थी

  • लेकिन कांग्रेस ने अंतरिम सरकार गठन करने संबंधी प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था

  • क्योंकि मुस्लिम लीग को उस में असंगत प्रतिनिधित्व दिया गया था



☄मुस्लिम लीग द्वारा कैबिनेट मिशन को अस्वीकार करना☄
मुस्लिम लीग द्वारा पहले 6 जून 1946 को कैबिनेट मिशन योजना को स्वीकार कर लिया गया
लेकिन 29 जुलाई को उसने अपनी स्वीकृति वापस ले ली और पाकिस्तान की प्राप्ति के लिए सीधी कार्यवाही के सहारा के लिए मुसलमानों का आह्वान किया


☄भारतीय रियासतों के संबंध में शिष्टमंडल के विचार☄


  •  भारतीय रियासतों के विषय में शिष्टमंडल ने कहा कि जो ही संविधान अस्तित्व में आ जाएगा वैसे ही अंग्रेजों की सर्वोच्चता समाप्त हो जाएगी

  • अथार्थ जो भी अधिकार रियासतों ने अंग्रेजो को दिए हैं वह सभी उन्हें पुनः प्राप्त हो जाएंगे साथ ही अंग्रेज और रियासतों के बीच राजनीतिक संबंध समाप्त हो जाएंगे

  • इसके पश्चात रियासते या तो केंद्र के संघीय संबंध स्थापित करें अथवा प्रांतों में अपने नए संबंध स्थापित करें


☄कैबिनेट मिशन द्वारा पाकिस्तान की मांग को अस्वीकृत करने के कारण☄
लंबे समय की योजना के रूप में उन्होंने पाकिस्तान की मांग को कई कारणों से अस्वीकार कर दिया


पहला कारण-यह था कि पाकिस्तान बनने से उन अल्पसंख्यकों की समस्या जो मुसलमान नहीं है वह हल नहीं होगी

यह लोग उत्तर पश्चिम क्षेत्र में समस्त जनसंख्या का 37.99% होंगे और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 48.3 प्रतिशत होंगे

उनके अनुसार बंगाल ,आसाम और पंजाब जैसे मुस्लिम बहुसंख्यक प्रांतों को पाकिस्तान में सम्मिलित करने का कोई तर्क नहीं है

वास्तव में वह सभी तर्क जो पाकिस्तान बनाने के पक्ष में दिए जाते थे वही उसके विरुद्ध दिए जो सही है

पंजाब और बंगाल का बंटवारा करके एक छोटा सा पाकिस्तान बनाने का कोई लाभ नहीं होगा और यह सब इन प्रांतों के वासियों की इच्छाओं के विरुद्ध होगा

दूसरा मुख्य कारण-भारत की संचार और डाक तार व्यवस्था को बांटने का कोई लाभ नहीं होगा

तीसरा कारण-सेना को बांटने से देश को बहुत हानि होगी

चतुर्थ कारण-रियासतों का एक अथवा दूसरे संघ में सम्मिलित होना बहुत कठिन होगा

पाकिस्तान के दो भागों की एक दूसरे से 700 मील की दूरी उसके हित में नहीं होगी और युद्ध तथा शान्ति की स्थिति में संचार व्यवस्था भारत के सद्भाव पर ही निर्भर होगी

वास्तव में यह सभी तर्क ठीक थे और देश के बटवारे के विरुद्ध थे

अतएव शिष्टमंडल ने यह सुझाव दिया कि केंद्र एक हो जो कुछ कुछ निश्चित विषय पर नियंत्रण रखें

संभवत: उनके मन में 1876 में ऑस्ट्रिया-हंगरी में स्थापित दोहरी राजशाही  और संघ का विचार था

 ☄कैबिनेट मिशन योजना के गुण और अवगुण☄


  • कैबिनेट मिशन योजना को प्रारंभिक विरोध के बाद अनिच्छा पूर्ण मन से कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने स्वीकार कर लिया

  • कैबिनेट मिशन योजना की प्रशंसा करते हुए महात्मा गांधी ने सर्वश्रेष्ठ योजना बताई थी

  • क्योंकि उस समय भारत की  परिस्थितियों में ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई है योजना बहुत ही श्रेष्ठ थी

  • इस योजना का मुख्य गुण यह था कि संविधान सभा में लोकतंत्र वादी सिद्धांत जनसंख्या पर आधारित था

  • पुराना गुरूत्व का सिद्धांत समाप्त हो गया था

  •  इसके अतिरिक्त सांप्रदायिक प्रश्न का बहुसंख्या के आधार पर निर्णय करना था यद्यपि उनके लिए संरक्षण का प्रबंध था

  • इसका एक गुण यह भी था कि पाकिस्तान का विचार पूर्णता छोड़ दिया गया

  • सबसे मुख्य गुण यह था जो की अत्यंत महत्वपूर्ण बात थी कि संविधान सभा के सदस्य ब्रिटिश सरकार अथवा यूरोपीय अधिकारी कोई नहीं थे और प्रांतीय विधान सभाओं में भी मत डालने के समक्ष सभी सदस्यों को अनुपस्थित रहना था

  • महात्मा गांधी के कहने पर कि यूरोपियों को मताधिकार ना हो इन यूरोपीय सदस्यों ने यह स्वीकार कर लिया कि वह चुनाव में खड़े नहीं होंगे और भारतीयों के चुनाव में ही मताधिकार का प्रयोग करेंगे

  • यूपी के अंग्रेज सदस्य ने चुनावों में भाग लिया लेकिन आसाम और बंगाल के सदस्यों ने नहीं

  • इस संविधान सभा के कार्य में किसी प्रकार की बाधा नहीं डाली गई और उसे अपनी इच्छा अनुसार कार्य करने दिया गया



☄इस योजना के गुण के साथ में कुछ अवगुण भी थे जो निम्न प्रकार है☄
अवगुण



  • मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा तो की गई थी लेकिन पंजाब में सिक्खों के हितों की नहीं

  • प्रांतों के गुटों के विषय में भी मतभेद थे लीह समझती थी कि गुट बनाना आवश्यक है

  • लेकिन कांग्रेसी समझते थे कि यह वैकल्पिक है और अंत में अंग्रेजों ने भी कांग्रेसी विचार का समर्थन किया

  • संविधान बनाने की श्रृंखला भी विचित्र सी थी पहले गुट और प्रांतों का संविधान बनाओ फिर केंद्र का

  • यह इस प्रकार की संविधान बनाने की प्रक्रिया थी  जैसे  गाड़ी घोड़े के आगे जोत दी गई थी​

  • कैबिनेट मिशन योजना में सत्ता हस्तांतरण की योजना थी लेकिन इसमें सबसे बड़ा दोष यह था कि इसमें केंद्र को काफी दुर्बल बताया और केंद्र की तुलना में प्रांतों को काफी शक्तियां दे दी थी


0 Comments

Leave a Reply Cancel

Add Comment *

Name*

Email*

Website