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मध्य प्रदेश में पंचायती राज


1970 दतिया नगरपालिका ( Municipality) का गठन किया गया था !

ग्रामीण विकास के लिए 2 अक्टूबर 1952 को सामुदायिक विकास कार्यक्रम चलाया गया था !

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में पंचायतों के गठन का प्रावधान है !

1956 में बलवंत राय मेहता समिति ( Balwant Rai Mehta Committee) का गठन किया गया!  जिसने अपनी रिपोर्ट 1957 में त्रिस्तरीय पंचायती राज के गठन का सुझाव दिया !

ग्राम पंचायत (Gram panchayat) पंचायत समिति जिला परिषद बलवंत राय मेहता समिति के सुझाव को राष्ट्रीय विकास परिषद ने स्वीकार किया और उसके बाद सभी राज्यों में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली अपनाई गाई !

त्रिस्तरीय पंचायती राज को  पंडित जवाहरलाल नेहरु (Pandit jawaharlal nehru) ने 2 अक्टूबर 1959 को नागौर राजस्थान में पहनाया ! इस प्रकार राजस्थान पहला राज्य था जिसने पंचायती राज की शुरुआत की !

इस के बाद आंध्र प्रदेश में 1959 से ही पंचायती राज की शुरुआत की !

मध्य प्रदेश गठन के पूर्व महाकौशल मध्य भारत मध्य प्रदेश विंध्य प्रदेश भोपाल तथा सिरोंज में अलग-अलग पंचायती राज व्यवस्था लागु थी!

महाकौशल पंचायती राज व्यवस्था सेंट्रल प्रिंसेस एवं ब
बरार पंचायती राज अधिनियम 1946 के अनुसार थी इसमें प्रावधान था कि ग्राम पंचायतों का प्रथम गठन पंचों के मनोनय द्वारा हो ना की निर्वाचन द्वारा!

1948 के अधिनियम के तहत कौशल महाकौशल में तहसील में जनपद सभा की स्थापना की गई !

इस प्रकार महाकौशल क्षेत्र में तहसील स्तर पर चलाएं ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत आदिमजाति बाहुल्य क्षेत्र में आदिम जाति पंचायतें एवं जिला स्तर पर परगना पंचायतों की व्यवस्था की गई थी

मध्य भारत में 1929 में इंदौर ग्वालियर एवं नरसिंहगढ़ में पंचायती स्थापित की गई थी !

ग्वालियर रियासत में ग्राम पंचायतें परगना बोर्ड तथा जिला बोर्ड की अत्यंत सुगठित सुगठित व्यवस्था की मध्य भारत राज्य की स्थापना 28 मई 1948 को की गई थी !

ग्वालियर इंदौर तथा मालवा संयुक्त प्रांत को मिलाकर मध्य भारत राज्य की स्थापना की गई थी!

मध्य प्रदेश में जिला स्तर पर मंडल पंचायतों खंड स्तर पर केंद्र पंचायत तथा ग्रामीण स्तर पर ग्राम पंचायतों की स्थापना की गई थी !

1948 में विंध्य प्रदेश के अस्तित्व में आने के बाद 1950 में ग्राम पंचायत अध्यक्ष द्वारा ग्राम पंचायत के गठन का प्रावधान किया गया !

1962 में सर्वप्रथम पंचायत अधिनियम  बना था !

73वां संविधान संशोधन 1972 में लागू हुआ !

मध्यप्रदेश में 30 दिसंबर 1993 को मध्यप्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1993 रखा गया !

25 जनवरी 1994 को मध्य प्रदेश में लागू हुआ उत्तर प्रदेश में 25 जनवरी को प्रतिवर्ष मतदाता दिवस मनाया जाता है !

विविध पंचायती राज प्रारंभ करने वाला देश का प्रथम राज्य मध्य प्रदेश है!

1994 में लागू हुआ राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष अध्यक्ष श्री लोहानी थे!

मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने ग्राम स्वराज की स्थापना 26 जनवरी 2001 की पंचायत राज्य में सम्मिलित हैं!

पंचायत राज मे 29 विषय समिलित है!

जिस खंडेला क्षेत्र में अनुसूचित जाति व जनजाति की जनसंख्या 50% से कम 25% सरपंच पद पर अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी के लिए होगा !

जिस जिले में अनुसूचित जाति जनजाति की संख्या50% से कम है वहां 25% जनपद अध्यक्षों के पद अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित होंगे!

राज्य में 20% स्थान जिला पंचायत अध्यक्षों के पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होंगे

जिस पंचायत में प्रमुख अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग का नाम नहीं होगा तो वहां का उपप्रमुख इन्हे वर्गों में से निर्वाचित किया जाएगा !

वर्ष 2006 -07 मैं पंचायतों में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया गया इसके पहले 33% आरक्षण था!

प्रदेशों में नई संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायत का चुनाव करने करवाने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य बन गया !

पंचायतों के लिए भावनाओं दलितों से दूर रखने के लिए पंचायत चुनाव के लिए आधार पर नहीं होते हैं !

राइट टू रिकॉल का प्रथम प्रयोगकर  जिला अनूपपुर तहसील की पल्लवी  पटेल को अधिकार द्वारा जनता द्वारा हटाया गया था !

2 फरवरी 2006 से मनरेगा योजना मध्य प्रदेश में लागू की गई !

मनरेगा
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना ग्रामसभा बैठक संपन्न होती है !  बैठक के लिए न्यूनतम प्रतिशत होना अनिवार्य है!
एक तिहाई महिला एवं SC-STके सदस्यों का उपस्थित होना आवश्यक माना गया है!

राइट टू रिकॉल के माध्यम से वापस बुलाने का अधिकार दिया गया जोकि निर्वाचित होने के 2 वर्ष बाद ही 2/3 बहुमत से संभव होता है!

ग्राम पंचायत

1000 से अधिक एवं 5000 से कम अवधि तक 1 ग्राम पंचायत होगी!

जनसंख्या के अनुपात में 10 से 20 वर्णों का गठन किया जाएगा !

सभी वार्डों की जनसंख्या सामान्यता बराबर रहेगी !

ग्राम पंचायत प्रशासनिक अधिकारी ग्राम सचिव एवं राजनीतिक प्रमुख सरपंच होता है

ग्राम पंचायत में सरपंच का चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के माध्यम से होता है!

ग्राम पंचायत में उपसरपंच का चुनाव प्रत्यक्ष रुप से निर्वाचित सदस्यों में से उपसरपंच का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन से होता है!

ग्राम पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है !

26 जनवरी 2001 से ग्राम स्वराज योजना लागू की गई है !

वर्तमान में 23006 ग्राम पंचायतें हैं !

मध्य प्रदेश पहला राज्य है जिसने स्थानीय निकायों में राइट टू रिकॉल का प्रावधान किया!

जनपद पंचायत
प्रदेश में वर्तमान में 313 जनपद पंचायते हैं!

क्षेत्र के विधायक एवं सांसद पदेन सदस्य होते हैं!

यह मध्य स्तर है जिस का गठन विकासखंड स्तर पर होता है !

5000 से 50000 तक आवादी पर जनपद पंचायत होगी!

जनपद पंचायत में 10 से 25 वार्ड होते हैं !

सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रीति से किया जाता है !

जनपद अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रीति से चुने हुए जनपद सदस्यों के द्वारा सदस्यों में से ही किया जाता है !

जनपद पंचायत का प्रशासनिक प्रमुख मुख्य कार्यपालन अधिकारी होता है जनपद पंचायत का राजनीतिक प्रमुख जनपद अध्यक्ष होता है!

जिला पंचायत 
उच्च स्तर पर जिला पंचायत होती है 50000 से अधिक जनसंख्या से ऊपर आबादी वाले क्षेत्र में गठन किया जाता है!

जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 1035 होती है !

जिसका चुनाव प्रत्यक्ष रीति से किया जाता है !

सांसद विधायक कलेक्टर जनपद अध्यक्ष पदेन सदस्य होते हैं !

अध्यक्ष उपाध्यक्ष के पद अप्रत्यक्ष निर्वाचन नीति को अपनाया जाता है !

जिला पंचायत का प्रशासनिक प्रमुख मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं राजनीतिक प्रमुख जिला पंचायत अध्यक्ष होता है !

सभी निर्वाचन क्षेत्रों की जनसंख्या सामान्य तथा सेक्सी होती है !

जिला पंचायत का कार्यालय 5 वर्ष का होता है !

19 जनवरी 1994 को मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है !

इसके साथ एससी-एसटी एवं ओबीसी के लिए भी आरक्षण व्यवस्था है !

सहकारी बैंक के अध्यक्ष संयोजित सदस्य होते हैं !

43 वा संविधान संशोधन लागू करने वाला 1993 के अंतर्गत मध्यप्रदेश प्रथम राज्य था

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