Audit : Business Administration - अंकेक्षण

Audit Meaning - 


लेखाकर्म व्यापारिक संस्थान के विभिन्न लेन-देनों को इकट्ठा करने तथा उनको बहियों एवं खातों के रूप में प्रस्तुत करने का एकमात्र साधन है।अनेक कारणों की वजह से लेखाकर्म द्वारा प्रस्तुत बहियों एवं खातों में त्रुटियां रह सकती है। अतः लेखाकर्म द्वारा रखी गई बहियों एवं खातों की जांच अति आवश्यक है।

संक्षेप में बहियों एवं खातों की जांच को ही अंकेक्षण कहते हैं। अंकेक्षण का अंग्रेजी पर्याय 'ऑडिटिंग' ( Auditing ) लेटिन भाषा के 'ओडिरे' ( Audire ) शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है सुनना।

प्राचीन समय में सुनने की क्रिया को ही अंकेक्षण का कहा जाता था। विस्तृत अर्थ में अंकेक्षण व्यापार की पुस्तकों, खातों तथा प्रमाणकों की ऐसी जांच को कहते हैं जिसमें अंकेक्षक को उसके द्वारा प्राप्त सूचनाएं तथा स्पष्टीकरणों के आधार पर एवं पुस्तको द्वारा दिखलाये जाने पर संतोष हो जाए कि:

  1. चिट्ठा ठीक ठाक बनाया गया है अथवा नहीं,

  2. चिट्ठा व्यापार की सही एवं उचित आर्थिक स्थिति को प्रकट करता है अथवा नहीं,

  3. लाभ हानि खाता संबंधित आर्थिक वर्ष के लिए लाभ या हानि का सही एवं उचित दृश्य प्रस्तुत करता है अथवा नहीं, तथा

  4. यदि वह संतुष्ट नहीं है तो किन बातों के संबंध में उसे असंतोष है।


अंकेक्षण से लाभ ( Benefits From Auditing )



  1. अनुशासन कायम रखना

  2. भ्रष्टाचार समाप्त करना

  3. अनियमितताएं, चोरी व गबन प्रकट होना

  4. कर्मचारियों व प्रबंधकों को सावधान करना

  5. व्यापार की सही स्थिति बताना

  6. विनियोजकों की रखवाली करना

  7. सच्चाई व ईमानदारी का प्रमाणपत्र

  8. कर्मचारी की कर्मठता एवं योग्यता का प्रमाण मिलना

  9. बहुमूल्य सलाह मिलना


अंकेक्षण की मर्यादाएं ( Limitations of Auditing )



  1. अंकेक्षण 100 प्रतिशत शुद्धता की गारंटी नहीं है।

  2. अंकेक्षण द्वारा सब गबन आवश्यक रूप से प्रकट नहीं होते हैं।

  3. अंकेक्षक केवल राय प्रकट करता है।

  4. अंकेक्षण कर्मचारियों की पूर्ण इमानदारी का प्रमाण पत्र नहीं है।

  5. व्यवहारों के व्यापारिक औचित्य को प्रमाणित नहीं करता।

  6. अंकेक्षक तुच्छ बातों पर ध्यान नहीं देता।

  7. अंकेक्षक को व्यावहारिक स्वतंत्रता की कमी रहती है।


अंकेक्षण के उद्देश्य ( Purpose of Auditing )


1. अंतिम खातों की सच्चाई एवं शुद्धता की जांच- अंकेक्षण का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि अंकेक्षक हिसाब किताब की जांच करके पता लगाएं कि व्यवसाय का लाभ हानि खाता सही एवं उचित लाभ हानि को तथा चिट्ठा व्यवसाय की सही एवं उचित आर्थिक स्थिति को बताता है अथवा नहीं।

2. अशुद्धियों का पता लगाना- अंकेक्षण का उद्देश्य यह भी कहा गया है कि अंकेक्षण कार्य द्वारा अशुद्धियों का पता लग जाता है तथा उनका सुधार कर दिया जाता है। बहुत सी अशुद्धियां ऐसी होती हैं जिनका पता सामान्य अंकेक्षण प्रक्रिया के दौरान ही लग जाता है तथा कुछ अशुद्धियां ऐसे भी हो सकती है जिनका पता अंकेक्षण के विशुद्ध ज्ञान व अनुभव के आधार पर ही चलता है।

3. कपट का पता लगाना-  कपट अथवा गबन करना चोर एवं जालसाज लोगों का काम है जो कि एक औसत व्यक्ति से कहीं अधिक चातुर्य रखते हैं। इसलिए कपट एवं गबन को ढूंढ निकालना कोई सहज कार्य नहीं है। फिर भी अंकेक्षण का इसे एक महत्वपूर्ण उद्देश्य समझा जाता है।

एक अंकेक्षक इस कार्य में तभी सफल होगा जबकि वह इस बात को अच्छी तरह समझता हो कि गबन कितने प्रकार के होते हैं और उन्हें कैसे कैसे किया जा सकता है। इन को ढूंढ निकालने के लिए अंकेक्षक को प्रमाणन एवं सत्यापन की यथोचित विधियों का उपयोग करना पड़ता है।

4. कपट एवं अशुद्धियों को रोकना- अंकेक्षण का चौथा महत्व पूर्ण उद्देश्य यह है कि इसके द्वारा कपट एवं अशुद्धियों के रुकने में सहायता मिलती है। अंकेक्षण कार्य के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से कपट एवं अशुद्धियां नहीं रोकी जाती और न यह कार्य अंकेक्षक के वैधानिक कार्य क्षेत्र में आता है। इतना अवश्य है यदि कपट को बढ़ावा देने वाली परिस्थितियां अंकेक्षक के सामने आती है तो वह उपयुक्त सुझाव दे सकता है।

5. प्रबंधकों को सलाह देना- हिसाब किताब की परीक्षा के समय अंकेक्षक को संस्था की बहुत सी कमजोरियों की जानकारी हो जाती है और एक विशेषज्ञ के नाते वह इस स्थिति में होता है कि प्रबंधकों को उचित सलाह दे सके।

6. कंपनी की सही वित्तीय स्थिति का पता लगाना- भूतकाल में लागू की गई कुछ कानूनी मान्यताओं ने कंपनी अंकेक्षक से अपेक्षा की थी कि वह प्रतिवेदन संबंधी कार्यों से बाहर निकले तथा विभिन्न विशिष्ट क्षेत्रों में विभिन्न लेनदेन के विवेक एवं औचित्य के बारे में अपनी राय प्रकट करें।

7. अंतरराष्ट्रीय अंकेक्षण तथा आश्वासन मंडल द्वारा निर्धारित लक्ष्य - अंतरराष्ट्रीय अंकेक्षण तथा आश्वासन मानक मंडल ने कहा कि वित्तीय विवरण पत्रों के अंकेक्षण का उद्देश्य अंकेक्षक को इस योग्य बनाना है कि वह इन पर अपनी राय प्रकट कर सकें। अंकेक्षक की राय वित्तीय विवरण पत्रों की भावी सुदृढ़ता तथा प्रबंधकों की कुशलता के आश्वासन के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।

इस प्रकार हम देखते हैं कि आधुनिक समय में अंकेक्षण का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य वित्तीय विवरण पत्रों के संबंध में अंकेक्षक द्वारा अपनी राय प्रकट करना है।

अंकेक्षण अशुद्धियों व गबन के कारण ( Auditing impurities and embezzlement reason )



  1. सामान्यता श्रेष्ठ लेखांकन व्यवहारों की कर्मचारियों की ओर से अनभिज्ञता।

  2. लेखांकन कार्य करने वालों की ओर से असावधानी।

  3. एक प्रकार की या दूसरे प्रकार की कमियों तथा गबनों के प्रभाव को छिपाने की इच्छा।

  4. वित्तीय विवरणों के लेनदेन अथवा घटनाओं की प्रस्तुति तथा उनके निर्वचन पर प्रभाव डालने हेतु पक्षपात या भेदभाव की आज्ञा देने के लिए प्रबंध की प्रकृति।

  5. आय पर करो को न्यूनतम रखने की सदैव बने रहने वाली इच्छा।


आर. के. मूज ने इन कारणों में एक कारण और जोड़ा है, जो अधिक गंभीर कारण है-

यह अधिकारियों द्वारा एक प्रयास होता है कि-

  1. वही स्वरूप दिखे जो विवरण में दिखाया गया है।

  2. विवरण में दिखाए गए स्वरूप को दबा देना।

  3. त्रुटियों को व्यक्तिगत लाभ में बदल देना।


अशुद्धियों के प्रकार  ( Types of impurities )



  1. सैद्धांतिक अशुद्धियां

  2. भूल की अशुद्धियां

  3. क्षति पूरक अशुद्धियां

  4. दोहराव की अशुद्धियां

  5. हिसाब की अशुद्धियां


गबन के प्रकार ( Types of Embezzlement )



  • रोकड़ का गबन

  • माल का गबन

  • संपत्तियों का गबन

  • सुविधाओं संबंधी गबन

  • श्रम का गबन

  • हिसाब किताब में गड़बड़ी


Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )

P K Nagauri


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