Samanya Gyan Logo
Background

Master भारतीय विदेश नीति पर निबंध

Join thousands of students accessing our vast collection of expertly curated tests, daily quizzes, and topic-wise practice materials for comprehensive exam preparation.

भारतीय विदेश नीति किसी भी राज्य के घरेलू या आंतरिक हितों को पूर्ण करने हेतू अपनाए गये माध्यम है, इसलिए विदेश निती को राज्यों के आंतरिक आवश्यकता का वाह्य प्रक्षेपण कहते हैं। इसकी व्याख्या के मूलतः दो दृष्टिकोण विधमान हैं -

1. उदारवादी दृष्टिकोण- इनके अनुसार राज्यों के बीच आर्थिक व व्यापारिक संबधो द्वारा राष्ट्रीय हित को पूरा किया जाता है इसलिए राज्य के बीच संबध नान जीरो समगेम पर आधारित होता है।

2. यथार्थवादी दृष्टिकोण- इनके अनुसार राज्या सामरिक हितों पर अधिक प्राथमिकता प्रदान करते हैं तथा राज्यों के बीच गहरे अविश्वास पाए जाते हैं। और उनके बीच संबध जीरो सम गेम पर आधारित होता है।

भारतीय विदेश नीति का विकास


(A) नेहरु युग में भारतीय विदेश निती का विकास -


स्वतंत्रता के बाद आर्थिक विकास विदेश निती का मूल उद्देश्य था तथा भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था पर बल दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत ने गुटनिरपेक्षता की निती अपनाया और स्वतंत्रत भारतीय विदेश नीति पर बल प्रदान किया। जिसके माध्यम से नेहरु जी ने विश्व को नवीन दिशा प्रदान किया। आदर्शवाद पर अधिक बल देने के कारण चीन का आक्रमण (1962) और पाकिस्तान का आक्रमण (1965) भारत के मार्मिक हित पर हमला माना गया।

(B) इंदिरा गांधी और विदेश निती-


इंदिरा गांधी ने भारतीय विदेशनिती में यथार्थवाद पर बल देते हुए भारत के सैन्य आधुनिकीकरण पर बल दिया, तथा 1971 में पाकिस्तान को हराया तथा सामरिक हित को प्रथमिकता देते हुए *शान्तिपूर्ण परमाणु परीक्षण किया(1974)।

Also Read: विदेश नीति (Foreign Policy) Question Answer

(C) भारत का महाशक्ति के रूप में उभार-



  1. भू अर्थ की प्रथमिकता- भारत आधारभूत संरचना के विकास के लिए आयात निर्यात पर बल दिया तथा दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापारिक संबध पर बल दिया। तथा इज आफ डूइंग विजनेस में निरंतर सुधार पर बल दिया।

  2. भू राजनीति की प्राथमिकता - भारत आपनी आंतरिक सुरक्षा को प्राथमिक मानते हूए 1998 मे परमाणु परिक्षण किया। तथा चीन को प्रतिसंतुलित करने हेतु क्वाड में सामिल हुआ तथा अमेरिका के साथ मजबूत संबंध स्थापित किया।

  3. गुटनिरपेक्षता की प्राथमिकता- आदर्शवादी विचारक की नैम 2.0 नामक पुस्तक को गुटनिरपेक्ष निती को समकालीन राजनीति में अत्यधिक प्रासंगिक बताता गया। लेकिन भारत किसी भी महाशक्ति का अनुगामी नहीं बनना चाहता है। जिसके फलस्वरूप वर्तमान में भारत नैम के बजाय मल्टी एलाइमेंट की निती पर फोकस किया गया है। जिससे भारत अनेक महाशक्ति के साथ समानान्तर रूप में संबध स्थापित करने पर बल दे रहा है। और वर्तमान में भारत नेट सिक्योरिटी प्रोवाडर की भूमिका में कार्य कर रहा है।


(D) वर्तमान सरकार की विदेश नीती (नरेन्द्र मोदी) -


शासन प्रणाली का भारतीय विदेश नीति पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है 1989 के बाद किसी भी दल का स्पष्ट बहुमत न होने के कारण भारतीय विदेश नीति के निर्माण में क्षेत्रीय दलों की भूमिका प्रभावी होने लगी परिणाम स्वरुप राष्ट्र हित की प्राथमिकता के बजाज दलीय हित प्रभावी होने लगे।2014 में लोकसभा में तीस वर्ष बाद किसी एक दल का बहुमत स्थापित हुआ जिससे विदेशनिती अत्यधिक गतिशील एवं प्रभावी हुई। जिसकी मूल विशेषता निम्नवत है--

  1. चीन के प्रति मुखर निती-  चीन के साथ आमूलकारी बदलाव किया गया तथा उसकी विस्तारवादी एवं आक्रमक निती का प्रतिउत्तर दिया गया। तथा चीनी संवेदनशीलता की उपेक्षा कर क्वाड में सामिल होकर सामरिक हित को प्राथमिक बनाया गया।

  2. पाकिस्तान के विरूद्ध निर्णायक रणनीति- चीन व पाकिस्तान भारतीय विदेशनिती के लिए गम्भीर चुनौती है, इसलिए भारत द्वारा आतंकवाद के विरूद्ध भारतीय सेना द्वारा सजिकल स्ट्राइक कर मुँहतोड़ जवाब दिया गया।

  3. सामरिक संस्कृति को प्रभावी बनाना- भारत द्वारा हाल ही में एकीकृत सैन्य कमान की स्थापना किया गया। तथा रक्षा विभाग में अलग मंत्रालय भी बनाए जा रहे हैं। तथा कश्मीर में शांति स्थापना पर बल दिया जा रहा है।

  4. साफ्ट पावर- भारत साफ्ट पावर बढाने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय का जीर्णोद्धार किया गया तथा पर्यटन के संबंध को प्रगाढ़ किया जा रहा है।


Most Imporant : Indian Foreign Policy Questions

भारतीय डायस्पोरा को भारत से जोड़ने पर बल दिए जा रहे है। इसके अतिरिक्त योग और भारतीय फ़िल्म के माध्यम से भी साफ्ट पावर को बढ़ावा दिया जा रहा है। और वर्तमान में भारतीय मूल के ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमन्त्री चुने जाना भी भारतीय साफ्ट पावर और डायस्पोरा की शक्तियों का प्रतिबिम्ब दिखाई पडता है।

(E)- भारतीय विदेश नीति में गतिशीलता-


वर्तमान में अफ्रिका महाद्वीप में 18 नये दूतावास खोले गये है। वर्तमान युक्रेन संघर्ष के दौरान भी भारत अपनी सामरिक स्वायत्तता की निती अपनाते हुए राष्टीय हितों को प्राथमिकता दे रहा है तथा रूस व अमेरिका के साथ समानानतर विकास किया जा रहा है।

निष्कर्ष - भारत महाशक्ति होने के कारण समूचे विश्व में अपना सामरिक प्रभाव स्थापित करना चाहता है जो भारत के हित में है तथा विश्व शांति में भी आवश्यक है। तथा भारत सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन करते हुए बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का समर्थन करता है।

हमारे द्वारा लिखे गए अन्य निबन्ध भी जरूर पढ़ें



Important Free Test Series 



Specially thanks to the Post Author : सौरभ, आजमगढ़ (उत्तरप्रदेश)

Leave a Reply