Samanya Gyan Logo
Background

Master कल्पना चावला(Kalpana Chawla)

Join thousands of students accessing our vast collection of expertly curated tests, daily quizzes, and topic-wise practice materials for comprehensive exam preparation.

कल्पना चावला(Kalpana Chawla)


कर्मवीर कभी विघ्न-बाधाओं से विचलित नहीं होते।
ध्येयनिष्ठ, कर्तव्य-परायण व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं।
भाग्य के आश्रित रहने वाले कभी कुछ नया नहीं कर सकते।
इतिहास साक्षी है-संसार में जिन्होंने संकटों को पार कर कुछ नया कर दिखाया,
यश और सम्मान के चरमोत्कर्ष को प्राप्त किया।
ऐसा ही इतिहास रचा हरियाणा के एक छोटे से नगर करनाल के मध्य वर्गीय 

परिवार में जन्मी कल्पना चावला ने।
 
देश की बेटी की स्मृति में कुछ पंक्तियाँ समर्पित

फहरा के अंतरिक्ष में परचम दुनिया में अपना, अपनी मातृभूमि का नाम बनाया।
कर्म साधिका बन जान गँवाई पर, देश भूल न पाया।।

जीवन परिचय
जन्म-17 मार्च 1962
जन्म स्थान-करनाल{हरियाणा}
पिता-श्री बनारसी लाल चावला
माता-संज्योती
नागरिकता-भारतीय एवं अमरीकी
निकनेम-मोन्टू
विवाह-फ़्रांसीसी व्यक्ति जीन पियर
मृत्यु -1 फ़रवरी 2003
मृत्यु स्थान-टेक्सास के ऊपर
सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण-उसकी लगन और जुझार प्रवृति।
प्रेरित-जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा से प्रेरित थी जो एक अग्रणी भारतीय विमान चालक और उद्योगपति थे।

⚜वैवाहिक जीवन⚜
1983 में वे एक उड़ान प्रशिक्षक और विमानन लेखक, जीन पियरे हैरीसन से मिलीं और शादी की और 1990 में एक देशीयकृत संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक बनीं।

      शिक्षा
1976-में करनाल के 'टैगोर स्कूल' से स्नातक
1982-में चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग
1984-में टेक्सास विश्वविद्यालय से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम. ए.
1988-में कोलोरेडो विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़ फ़िलॉसफ़ी की डिग्री
1988-में नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया।
1994-में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया।

प्रथम अंतरिक्ष यात्रा
1.कल्पना जी मार्च १९९५ में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुईं।
2.१९९८ में अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया था।
3.उनका पहला अंतरिक्ष मिशन १९ नवम्बर १९९७ को छह अंतरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-८७ से शुरू हुआ।
4.कल्पना जी अंतरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारत में जन्मी महिला थीं और अंतरिक्ष में उड़ने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थीं। राकेश शर्मा ने १९८४ में सोवियत अंतरिक्ष यान में एक उड़ान भरी थी।
5.कल्पना जी अपने पहले मिशन में १.०४ करोड़ मील का सफ़र तय कर के पृथ्वी की २५२ परिक्रमाएँ कीं और अंतरिक्ष में ३६० से अधिक घंटे बिताए। एसटीएस-८७ के दौरान स्पार्टन उपग्रह को तैनात करने के लिए भी ज़िम्मेदार थीं, इस खराब हुए उपग्रह को पकड़ने के लिए विंस्टन स्कॉट और तकाओ दोई को अंतरिक्ष में चलना पड़ा था। पाँच महीने की तफ़्तीश के बाद नासा ने कल्पना चावला को इस मामले में पूर्णतया दोषमुक्त पाया, त्रुटियाँ तंत्रांश अंतरापृष्ठों व यान कर्मचारियों तथा ज़मीनी नियंत्रकों के लिए परिभाषित विधियों में मिलीं।
6.एसटीएस-८७ की उड़ानोपरांत गतिविधियों के पूरा होने पर कल्पना जी ने अंतरिक्ष यात्री कार्यालय में, तकनीकी पदों पर काम किया, उनके यहाँ के कार्यकलाप को उनके साथियों ने विशेष पुरस्कार दे के सम्मानित किया।

भारत के लिए चावला की आखिरी यात्रा
1991-1992 के नए साल की छुट्टी के दौरान थी जब वे और उनके पति, परिवार के साथ समय बिताने गए थे।
 द्वितीय अंतरिक्ष यात्रा
2000 में उन्हें एसटीएस-107 में अपनी दूसरी उड़ान के कर्मचारी के तौर पर चुना गया। यह अभियान लगातार पीछे सरकता रहा, क्योंकि विभिन्न कार्यों के नियोजित समय में टकराव होता रहा और कुछ तकनीकी समस्याएँ भी आईं, जैसे कि शटल इंजन बहाव अस्तरों में दरारें। 16 जनवरी 2003 को कल्पना जी ने अंततः कोलंबिया पर चढ़ के विनाशरत एसटीएस-107 मिशन का आरंभ किया। ?उनकी ज़िम्मेदारियों में शामिल थे स्पेसहैब/बल्ले-बल्ले/फ़्रीस्टार लघुगुरुत्व प्रयोग जिसके लिए कर्मचारी दल ने 80 प्रयोग किए, जिनके जरिए पृथ्वी व अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनीक विकास व अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य व सुरक्षा का अध्ययन हुआ।

कोलंबिया अन्तरिक्ष यान में उनके साथ अन्य यात्री थे-
1.कमांडर रिक डी . हुसबंद
2.पायलट विलियम स. मैकूल
3.कमांडर माइकल प . एंडरसन
4.इलान रामों
5.डेविड म . ब्राउन
6.लौरेल बी . क्लार्क

अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई। सभी तरह के अनुसंधान तथा विचार - विमर्श के उपरांत वापसी के समय पृथ्वी के वायुमंडल मे अंतरिक्ष यान के प्रवेश के समय जिस तरह की भयंकर घटना घटी वह अब इतिहास की बात हो गई। नासा तथा विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी। 1 फ़रवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा मे प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। देखते ही देखते अंतरिक्ष यान और उसमें सवार सातों यात्रियों के अवशेष टेक्सास नामक शहर पर बरसने लगे और सफ़ल कहलाया जाने वाला अभियान भीषण सत्य बन गया।
?ये अंतरिक्ष यात्री तो सितारों की दुनिया में विलीन हो गए लेकिन इनके अनुसंधानों का लाभ पूरे विश्व को अवश्य मिलेगा।
इस तरह कल्पना चावला के यह शब्द सत्य हो गए,” मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ। प्रत्येक पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए ही मरूँगी।“

   पुरस्कार 
⚜मरणोपरांत⚜
?1.काँग्रेशनल अंतरिक्ष पदक के सम्मान
?2.नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक
?3.नासा विशिष्ट सेवा पदक
?4.प्रतिरक्षा विशिष्ट सेवा पदक

⚜अविस्मरणीय यादें⚜
टेक्सास विश्वविद्यालय एल पासो (यूटीईपी) में भारतीय छात्र संघ (आईएसए) द्वारा 2005 में मेधावी छात्रों को स्नातक के लिए कल्पना चावला यादगार छात्रवृत्ति कार्यक्रम स्थापित किया गया
छोटा तारा 51826 Kalpanachawla , एक सात प्रशंसा पत्र के नाम से कोलंबिया चालक दलों को प्रदान किया गया।
5 फ़रवरी 2003 को, भारत के प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि उपग्रहों के मौसम श्रृंखला, "METSAT ","कल्पना ". के नाम से होगा। श्रृंखला का पहला उपग्रह METSAT-1 भारत द्वारा 12 सितम्बर 2002 को "कल्पना-1 (KALPANA-1)". के रूप में शुरू किया गया। "कल्पना-2 (KALPANA-2)"2007 से शुरू किया गया।
न्यूयॉर्क शहर में जैक्सन हाइट्स क्वींस (Queens) के 74. स्ट्रीट के नाम को '74. स्ट्रीट कल्पना चावला' का रास्ता के रूप में पुनः नामकरण किया गया है।
टेक्सास विश्वविद्यालय के Arlington (University of Texas at Arlington) (जहाँ चावला ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर विज्ञान की डिग्री 1984 में प्राप्त की) में उसके सम्मान में एक शयनागार (dormitory), कल्पना चावला हॉल, के नाम से 2004 में रखा गया।
कल्पना चावला पुरस्कार कर्नाटक सरकार के द्वारा पुरस्कार के रूप में 2004 में युवा महिला वैज्ञानिकों के लिए स्थापित किया गया।
पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, में लड़कियों का छात्रावास कल्पना चावला के नाम पर है। इसके अतिरिक्त, INR (INR) के लिए पच्चीस हजार, एक पदक और एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग विभाग के सर्वश्रेष्ठ छात्र के लिए प्रमाण पत्र और पुरस्कार को स्थापित किया गया है।
नासा ने कल्पना के नाम से एक सुपर कंप्यूटर समर्पित किया है।
फ्लोरिडा प्रौद्योगिकी संस्थान (Florida Institute of Technology) के कोलंबिया ग्राम सूट के एक 'विद्यार्थी अपार्टमेंट परिसरों, में चावला सहित प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री के नाम पर हॉल है।
नासा के मार्स एक्सप्लोरेशन रोवर मिशन सात चोटियों के श्रृंखला की हिल्स के नाम से है कोलंबिया हिल्स (Columbia Hills) के नाम पर कल्पना चावला समेत सात अंतरिक्ष यात्री जो कोलंबिया शटल आपदा के बाद खो गए उनके नाम से 'चावला पहाड़ी' है।
स्टीव मोर्स (Steve Morse) ने कोलंबिया त्रासदी की याद में डीप पर्पल (Deep Purple) बैंड ने एक गाना बनाया जिसे "संपर्क खोया" कहा इस एलबम पर केले (Bananas) गीत पाया जा सकता है।
उनके भाई, संजय चावला, ने टिप्पणी की "मेरे लिए मेरी बहन मरी नहीं, है। वह अमर है। क्या ऐसा नहीं है कि एक सितारा क्या है? वह आकाश में एक स्थायी सितारा है। वह हमेशा ऊपर दिखे जायेंगे जहाँ से वह सम्बंधित है। "
उपन्यासकार पीटर दाऊद (Peter David) ने उनकी 2007 में अंतरिक्ष यात्रा के बाद चावला का नाम shuttlecraft (shuttlecraft) के रूप में दिया है।
ज्योतिसर,कुरुक्षेत्र में हरियाणा सरकार ने तारामंडल बनाया जिसका नाम कल्पना चावला के नाम पर रखा गया है।

कल्पना चावला के कुछ कथन
अपनी प्रथम अन्तरिक्ष उड़ान के समय उन्होंने गर्व से अपना परिचय दिया-"मैं भारत में करनाल से हूँ।"
उड़ान के दौरान तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्री इंद्रकुमार गुजराल से बातचीत में उन्होंने कहा-"मैंने इक़बाल का शेर तो सुना था कि सितारों के आगे जहाँ और भी है लेकिन आज में देख भी रही हूँ। "
भारतीय संस्कृति के मूल मंत्र 'वसुधैव कुटुम्बकम' पर उन्हें पूरी श्रद्धा थी, वह कहती थी-"समूचा ब्रह्माण्ड मेरा कुटुम्ब है।"

कल्पना चावला वर्तमान समाज की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है जो उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है जो चँद पंक्तियों के माध्यम से प्रस्तुत है-

तुम्हारी तरह ओ कल्पना
सपनीली आँखों? वाली
कई लड़कियाँ होती हैं
पर उनके हाथ
नहीं चूम पाते चाँद - सितारे
और कभी-कभी एक टुकड़ा ?ज़मीन भी ।
तुम्हारी तरह
कई लड़कियों का बचपन
चिड़ियों संग भरता है लंबी उड़ान
चाहरदीवारियों में पंख फड़फड़ाते
देखा करता है अक्सर
मेहंदी - चूड़ियों से इतर भी ढेरों सतरंगे ख़्वाब ।
तुम्हारी तरह कई लड़कियाँ चाहती हैं
' स्टोव ' या ' गैस ' की आग में झुलसने की बजाय
एक रोमांचकारी मौत
और उतारना अपनी जननी और जन्मभूमि का थोड़ा-सा क़र्ज़ ।
तुम्हारी तरह कई लड़कियों को याद दिलाए जाते हैं
उनके कर्त्तव्य और संस्कार
अट्ठारह-बीस की उम्र में
करने को ब्याह
पर यहीं तुममें और उनमें
आ जाता है फर्क
वे चाहकर भी नहीं तोड़ पातीं
जाति-धर्म और देश के बंधन ।
तुम्हारी तरह
अब सीख रही हैं लड़कियाँ
बेड़ियों को खोलना
अपने सपनों के अंतरिक्ष में रखना क़दम
और विनम्र चेहरे पर बरकरार रखना हमेशा एक सहज मुस्कुराहट ।

कल्पना चावला की स्मृति में चँद पंक्तियाँ
आइये याद करें उस वीरांगना को भी, जिसने भारत के युवा स्वाभिमान को बहुत ऊँचा उठाया
कलपना की कल्पना से
जग सुभाषित हो रहा था
ब्रह्माण्ड की अनसुलझी गुत्थी
को जो कुछ सुलझा रहा था
तब हुआ विसफोट ऐसा कोलम्बिया वाहन के भीतर कर दिया वंचित धरा को कल्पना और कल्पना के साथियों
की कल्पना से
कल्पना पर जा मिली
विस्तृत गगन की वादियों में
अब नहीं केवल धरा
ब्रह्माण्ड उसका घर बना था
कर सकेगी वह जहाँ ऊँची उड़ाने कल्पना की
और सारी गुत्थियों को वह स्वयं सुलझा सकेगी
रोक पायेगा न कोई यान अब उसकी उड़ाने
रोक पायेगी न तन मन और धरा उसकी उमंगे
वह चली फिर लौटकर
रवि और नक्षत्रों से मिलने
बात जिनसे हो न पायी
रह गई थी जो अधूरी
गर्व हमको इस धरा की
तेजोमय वीरांगना पर
राह जिसने वीरता की ही
चुनी थी हर कदम पर
गर्व हमको उसके माता
और पिता भाई बहन पर
गर्व हमको भारत की भू
और उसकी संस्कृति पर
गर्व हमको विश्व की
मानवोचित सभ्यता पर
हम बढ़ें आगे ही आगे
रोक पाएगा न कोई
कष्ट और विघात ऐसे
चाहे जितने ही मिलेंगे
हम सदा आगे बढ़ेंगे
हम सदा आगे बढ़ेंगे ||

कल्पना जैसे व्यक्ति मरते नहीं, इतिहास में अमर हो जाते है। कल्पना एक प्रेरणास्पद विरासत छोड़ कर गई है। वह भारतीय स्त्री की मेधा व बहादुरी की जीवंत प्रतीक थी। कल्पना ने अंतरिक्ष में जाने का बड़ा सपना देखा और उसे पूरा करने का आत्मविश्वास उनमें था। इसके लिए कल्पना ने पूरी एकाग्रता से लक्ष्य की ओर अपने आप को समर्पित कर दिया। अदम्य इच्छा शक्ति, लगन एवं मेहनत के दम पर कल्पना का सपना सच हुआ और वह दो बार अंतरिक्ष में पहुँची।

कल्पना जैसी महान वीरांगना की जीवनी के अन्त में चार पंक्तियाँ नारी शक्ति को नमन करते हुए पेश है-

कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम नारी है
जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझसे हारी है,
कोमल है तू कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है
जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है

जय हिन्द
जय भारत 

Leave a Reply