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Master जयनारायण व्यास(Janarayan Vyas)

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जयनारायण व्यास(Janarayan Vyas)


जन्म :-18 फरवरी, 1899
जन्म भूमि :- जोधपुर
मृत्यु:-14 मार्च, 1963
मृत्यु स्थान:-दिल्ली
पत्नी:-गौरजा देवी व्यास
संतान:-एक पुत्र और तीन पुत्रियाँ
पार्टी :-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पद:-राजस्थान के तीसरे एवं पाँचवें मुख्यमंत्री
कार्य काल:-26 अप्रैल 1951 से 3 मार्च 1952 तक और 1 नवम्बर 1952 से 12 नवम्बर 1954 तक

विशेष योगदान:-व्यास जी ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सबसे  पहले सामन्तशाही के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी।

वर्ष 1927 ई. में जयनारायण व्यास ‘तरुण राजस्थान’ पत्र के प्रधान सम्पादक बने थे।

 जीवन परिचय 
जयनारायण व्यास के समय देश दासता की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। जयनारायण व्यास राजस्थान के प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानियों में से एक थे। वे ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सबसे पहले सामन्तशाही के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और 'जागीरदारी प्रथा' की समाप्ति के साथ रियासतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना पर बल दिया।
सम्पादन कार्य
वर्ष 1927 ई. में जयनारायण व्यास ‘तरुण राजस्थान’ पत्र के प्रधान सम्पादक बने और 1936 ई. में उन्होंने बम्बई से ‘अखण्ड भारत’ नामक दैनिक समाचार पत्र निकालना प्रारम्भ किया।

 जेल यात्रा 
देश को आज़ादी दिलाने के लिए जयनारायण व्यास ने क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया और कई बार जेल की यात्राएँ कीं। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

मुख्यमंत्री
1948 ई. में जयनारायण व्यास 'जोधपुर प्रजामण्डल' के प्रधानमंत्री बनाये गये।
1956 से 1957 तक वे 'प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी' के अध्यक्ष भी रहे। 1951 से 1954 तक वे राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे।

निधन
14 मार्च, 1963 को दिल्ली में जयनारायण व्यास का निधन हुआ। इनके सम्मान में इनकी जन्म स्थली जोधपुर में 'जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय' आज भी संचालित है।
 मारवाड़ लोक परिषद की स्थापना 
1937 को बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह व्यास जी की ईमानदारी से अत्यन्त प्रभावित हुए । गंगा सिंह ने जोधपुर के प्रधानमंत्री सर फिल्ड को पत्र लिखा:-
नि:सन्देह श्री व्यास राजाशाही की आलोचना करने मैं तीखे रहे है ,लेकिन वे पक्के ईमानदार हैं। उनको कोई भ्रष्ट नहि कर सकता है । वे अपनी राजनीतिक मान्यताओ के प्रति सत्यनिश्ठ है। *
व्यास जी को पहले जोधपुर जाने की मनाही थी । शायद इस पत्र से फिल्ड पर प्रभाव पड़ा । व्यास जी ने जोधपुर पहुँचते ही आंदोलन की भागडोर अपने हाथ मैं ले ली ।
वर्ष 1939 मैं लोक परिषद की शक्ति और गति मैं अत्यधिक विस्तार हुआ ।
इसी समय एक लम्बे विचार - विमर्श के बाद जोधपुर मैं केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की घोषणा 2 feb 1939 को की गई।
व्यास जी को ग़ैर सरकारी प्रतिनिधि के रूप मैं मनोनीत किया गया ।
 
1939 मैं जोधपुर मैं भयंकर अकाल पड़ा।लोक परिषद के राहत कार्य से जनता प्रभावित हुई और उन्होंने लोक परिषद की सदस्यता ग्रहण करना शुरू कर दी ।
इससे जागीरदार और शासक दोनो ही इस जैन संस्था ' लोक परिषद ' के कट्टर शत्रु बन गए ।

इसमें व्यास जी को गिरफ़्तार कर लिया गया ।
 
जून1940 मैं कुछ शर्तों के साथ व्यास जी रिहा हुए। जनता ने उनका अपूर्व स्वागत किया ।
जून 1940 मैं व्यास को मारवाड़ लोकपरिषद की समस्त शाखाओं का अध्यक्ष चुना गया । व्यास ने राज्य सरकार से पुन : ज़िम्मेदार हुकूमत की माँग की ।
वे राजस्थान के प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानियों में से एक थे।
वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सबसे पहले सामन्तशाही के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और जागीदारी प्रथा की समाप्ति के साथ रियासतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना पर बल दिया।
वे 1927 ई. में ‘तरुण राजस्थान’ पत्र के प्रधान सम्पादक बने और 1936 ई. उन्होंने बम्बई से ‘अखण्ड भारत’ नामक दैनिक समाचार-पत्र निकालना प्रारम्भ किया।
 जयनारायण व्यास ने कई बार जेल की यात्राएँ कीं।
 नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
1948 ई. में वे जोधपुर प्रजामण्डल के प्रधानमंत्री बनाये गये।
1956 से 1957 तक जयनारायण व्यास प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे।
1951 से 1954 तक वे राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे।
 14 मार्च, 1963 को दिल्ली में इनका निधन हो गया।
 इनके सम्मान में इनकी जन्म स्थली जोधपुर में 'जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय' संचालित है।

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