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मध्यप्रदेश में वन


Forest in Madhya Pradesh


वन एवं वन संपदा की दृष्टि से मध्यप्रदेश में संपन्न राज्य है सकल राज्य घरेलू उत्पाद में वन क्षेत्र का अंश वर्ष 2012-13 में 1.82 पर्सेंट है  मध्य प्रदेश को वनो एवं बाघो का राज्य कहा जाता है मध्य प्रदेश का लगभग एक तिहाई भू-भाग वनाच्छादित है वन अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान शाखा राज्य के जबलपुर में है तथा राज्य में 2.07 परसेंट झाडी वन पाए जाते हैं !
मध्यप्रदेश की पहली वन नीति 1952 में बनी थी ! 4 अप्रैल 2005 को मध्यप्रदेश की नई वन नीति की घोषणा की गई! बनो का शतप्रतिशत राष्ट्रीयकरण (1964) करने वाला देश का प्रथम राज्य मध्य प्रदेश है!

वनों का राष्ट्रीयकरण वर्ष 1970 में किया गया सर्वप्रथम तेंदूपत्ता का राष्ट्रीयकरण किया गया था वन संपदा की दृष्टि से मध्य प्रदेश एक समृद्ध राज्य है मध्यप्रदेश में देश के 41 प्रतिशत सागौन के वृक्ष हैं राज्य के कुल वन संपदा क्षेत्रफल के 17.88  प्रतिशत क्षेत्रों सागौन के हैं

मध्यप्रदेश में देश के 50% साल वृक्ष हैं राज्य के कुल वन क्षेत्रफल के 16.54 प्रतिशत क्षेत्र में साल के वृक्ष के वन हैं!  सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाला जिला बालाघाट है जो 4978 वर्ग किलोमीटर है

देहरादून स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट एंड कॉलेज  के 4 क्षेत्रिय अनुसंधान केंद्रों में से एक मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित है
मध्य प्रदेश वानिकी योजना का आरंभ सितंबर 1995 में किया गया
वनीकरण के लिए 1976 में पंचवर्षीय योजना ऐसे जिलों में चलाई जा रही है जहां राष्ट्रीय वन नीति के निर्धारित मापदंड पर 33% से कम है
प्रदेश के बालाघाट में वन राजकीय महाविद्यालय की स्थापना 1979 में की गई है

मध्य प्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड का गठन शासन ने 12 जुलाई 2005 को किया गया मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल में है मध्य प्रदेश झील संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना 2014 में की गई है
मध्यप्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण हेतु पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (अप्को) 5 जून 1981 में स्थापना की गई


वनों का भौगोलिक क्षेत्र


वैधानिक दृष्टिकोण से वनक्षेत्र के वर्गीकरण वर्ग किलोमिटर  अंतर्गत 61886 वर्ग किलोमीटर आरक्षित वन 31098 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में संरक्षित वन तथा 1705 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अवर्गीकृत वन है प्रदेश के वन क्षेत्र में कुल 10 राष्ट्रीय उद्यान एवं 31अभ्यारण है अब विवरण तथा राष्ट्रीय उद्यानों के अंतर्गत वन क्षेत्र राज्य में कुल 1 क्षेत्र का 11.4% है भारत राज्य वन रिपोर्ट के अनुसार राज्य में वनों का विस्तार 94689 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल है जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 30.72 प्रतिशत प्रदेश के कुल वन क्षेत्रफल का 12.38 प्रतिशत है !


वनों का वर्गीकरण


मध्यप्रदेश में सामान्यता उषणकटिबंधीय वन पाए जाते हैं परंतु जल वायु मिट्टी तापमान एवं वर्षा की विविध विधाओं के कारण वनों में विभिन्नता पाई जाती है इन विविधताओं के आधार पर राज्य के वनों को निम्नलिखित चार भागों में बांटा जाता है !

1. उष्णकटिबंधीय आद्र पतझड़ वन
उष्णकटिबंधीय आद्र पतझड़ वनों का विस्तार राज्य के बालाघाट दक्षिण छिंदवाड़ा सिवनी जबलपुर मंडला और शहडोल वन व्रतों में हैं !
यवन राज्य में 120 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं इन वनों के वृक्ष थोड़े समय के लिए पत्तियां  गिराते हैं
यह अधिपादप सदाबहार अथवा अर्थ सदाबहार होते हैं इन वनों का प्रमुख वृक्ष साल है परंतु काली मिट्टी वाले क्षेत्रों में सागौन भी पाया जाता है !

2. उष्णकटिबंधीय शुष्क पतझड़ वन
राज्य में उष्णकटिबंधीय शुष्क पतझड़ वन शहडोल और जबलपुर वन व्रतों के उत्तरी भागों और संपूर्ण उत्तरी और पश्चिमी बेतूल होशंगाबाद खंडवा इंदौर उज्जैन भोपाल सागर रीवा शिवपुरी एवं गवालियर वन व्रतों में फैले है
इन दोनों के वृक्ष पानी की कमी को पूरा करने के लिए ग्रीष्मकाल के पहले पत्तियां गिरा देते हैं सागौन इन वनों का मुख्य वृक्ष है तथापि विस्तृत भाग पर मिश्रित वन फैले हुए हैं !

3. कटीले वन
कटीले वन राज्य के प्रमुख रूप से चंबल की घाटी में फैले हुए हैं राज्य के उत्तरी और पश्चिमी भाग में वर्षा बहुत कम होती है इन क्षेत्रों में वनों की जगह कटीली झाड़ियां पाई जाती है

4. उपोषण पतझड़ वन
यह वन सतना एवं विंध्यन की ऊंची चोटियों पर पाए जाते हैं इनके वृक्ष एक साथ पत्तियां नहीं गिराते हैं पचमणि के आसपास इसी तरह के वन पाए जाते हैं !

वनों का प्रशासनिक वर्गीकरण 


1. आरक्षित वन
रांची में आरक्षित वन 61886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है जो राज्य के कुल वन क्षेत्र का 3.72 % है ! इन  वनों को आवागमन, पशुचारण लकड़ी काटना दंडनीय अपराध माना जाता है आरक्षित वन क्षेत्र में प्रशासकीय नियम अत्यंत कठोर होते हैं सबसे अधिक सुरक्षित होने का  खंडवा कावन व्रत में न्यूनतम  अनुपात छतरपुर वन व्रत मे है!

2. संरक्षित वन
राज्य में संरक्षित वन 31098 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर फैले हुए हैं इंसानों का प्रबंधन प्रशासन की देखरेख में होता है इंसानों में पशुचारण आवागमन एवं विशेष परिस्थिति में अनुमति द्वारा वृक्ष काटने की सुविधा रहती है संरक्षित वनों का वितरण आरक्षित वनों का पूरक है संरक्षित वनों का प्रतिशत हिस्सा सर्वाधिक राजगढ़ में(100%) तथा  सबसे न्यूनतम उज्जैन (%0)परसेंट पाया जाता है !

3. अवर्गीकृत वन
राज्य में अवर्गीकृत वन 1705 किलोमीटर वर्ग क्षेत्रफल पर फैले हुए हैं इन वनो मे  पशुचारण आवागमन और वन काटने की सुविधा रहती है!

वन संपदा

धन संपदा की दृष्टि से मध्यप्रदेश के वन काफ़ी संपन्न  हैं ! राज्य के वनों से निम्नलिखित वन उपजे एकत्रित की जाती है !
सागौन :- राज्य में सागवान के वृक्ष 18332.67 (वर्ग किलोमीटर )क्षेत्रफल पर फैले हैं पवन 75125 सेंटीमीटर वर्षा वाले काली मृदा के उत्तरी क्षेत्र में पाए जाते हैं इनकी लकड़ी मारती है जो करो और लकड़ी के सामान बनाने के काम आती है होशंगाबाद की एक बोरी घाटी मे ये वृक्ष अधिक पाए जाते हैं !

साल :- मध्य प्रदेश में देश के 50% साल वृक्ष सिंह राज्य के कुल क्षेत्रफल के 16.54 प्रतिशत क्षेत्र साल के व्रक्ष पये जाते है ! साल की लकड़ी का प्रयोग रेलवे स्लीपर एवं इमारती लकड़ी में होता है यह प्रदेश के लाल पीली मृदा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं मंडला जिले में साल वृक्ष अधिक पाए जाते हैं परंतु शाल के वृक्ष बौर नामक कीड़े से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं !

बाँस :- राज्य में बांस दक्षिणी और पूर्वी जिला तथा शहडोल अनूपपुर बालाघाट बेतूल खंडवा और होशंगाबाद में पाया जाता है बांस का प्रयोग अमलाई एवं नेपानगर के कागज कारखानों में किया जाता है बालाघाट में होशंगाबाद वन  बाँस के प्रमुख उत्पादक हैं !

खैर :- मध्यप्रदेश में शिवपुरी तथा बानमोर में कत्था बनाने के कारखाने हैं जिन्हें खेर की लकडी शिवपुर सिवनी गुना एवं मुरैना के वनों से मिलती है राज्य में शहर जबलपुर सागर दमोह उमरिया जिले में भी पाया जाता है !

लाख :- मध्य प्रदेश में लोक मंडला जबलपुर सिवनी शहडोल जिला होशंगाबाद के फलों में पाया जाता है प्रदेश में प्रति वर्ष 40000 टन लाख का उत्पादन होता है इसका प्रयोग सौंदर्य प्रसाधन के रूप में किया जाता है !

हर्रा :- हर्रा मुख्यतः छिंदवाड़ा बालाघाट मंडला शिवपुर एवं शहडोल की के वनो से प्राप्त होता है इसका प्रमुख चर्म शोधन के रूप में किया जाता है !

गोंद :- गोंद का उत्पादन ग्वालियर शिवपुरी एवं खंडवा वन प्रांतों में प किया जाता है यह बेतूल हावड़ा एवं सेनिलियन क्षेत्रों से प्राप्त होता है इसका प्रयोग खाने में पेंट उद्योग पेपर पेंटिंग दवा उद्योग कॉस्मेटिक आदि  क्षेत्रों में होता है !

भिलाला :- भिलाला मुख्य रुप से छिंदवाड़ा बंद व्रत से एकत्रित किया जाता है इसका प्रयोग स्याई एवं पेंट बनाने में किया जाता है!

तेंदूपत्ता:- मध्य प्रदेश तेंदूपत्ता का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है तेंदू पत्ते से वीडी बनाने के उद्योग मुख्यता सागर जबलपुर शहडोल एवं सीधी मे है म देश के वीडि उत्पादन का 60% मध्यप्रदेश के उत्पादित करता है


राज्य वन नीति 2005


4 अप्रैल 2005 को मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य की नवीन वन नीति को मंजूरी प्रदान की गई !
इससे पूर्व मध्य प्रदेश में अविभाजित प्रदेश की वर्ष 1992 की राज्य वन नीति लागू थी !
लगभग 52 वर्षों का समय बीत जाने के कारण आनेको परिवर्तन तथा  राज्य की विशेषता भौगोलिक सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों की आवश्यकता के फलस्वरूप इस नीति में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता थी !

वर्ष 1998 में पुनरीक्षित राष्ट्रीय वन नीति घोषित की गई जिसके प्रावधानों के अनुसार रूप में ही राज्य की वन नीति  व्यवस्थाएं किया जाना आवश्यक थी !

पूर्व की वन नीति में जहां स्वराज्य चाय को प्राथमिकता दी गई थी वर्तमान नीति में इसे गुण मानते हुए मुख्य बनो के संवहनीय प्रबंधन के पर्यावरण संरक्षण चरण स्थानीय संविधान को रोजगार उपलब्ध कराना, उनकी आय के साधन बनाना तथा उनकी मूलभूत वन आधारित अवश्यकता को पूर्ण करना है !

पूर्व की नीति में धन प्रबंधन कार्य जहां विभाग के कड़े नियंत्रण में ठेकेदारों के माध्यम से कराया जाता था वर्तमान नीति में जनभागीदारी से बनाकर विकास को महत्व दिया गया है!

नवीन वन नीति में इमारती कास्ट के उत्पादन के साथ-साथ लघु वनोपज वास तथा ओषधि प्रजातियों के उत्पादन प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन पर विशेष बल दिया गया है !

वन आश्रित समुदाय के प्रसंग विकास एवं महिलाओं के सशक्तिकरण पर पर्याप्त जोर दिया गया है भोपाल राज्य में भारतीय वन संस्थान स्थित है तथा वनों का सर्वप्रथम राष्ट्रीयकरण मध्यप्रदेश में किया गया है !

वनआश्रित परिवारो हेतु वन आधारित वैकल्पिक रोजगार की सतत उपलब्धता के अवसर निर्मित कराना है

वर्तमान में व्यवस्था पर अतिक्रमण क्षेत्रों को शीघ्रातिशीघ्र सीमांकित करना तथा भविष्य में अतिक्रमण की प्रभावी रूप से रोकथाम करना

वन ग्रामों का राजस्व ग्रामों में परिवर्तन करने की कार्यवाही होने  संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था शुरू  करना एवं वन कर्मियों को आवश्यकतानुसार शस्त्र उपलब्ध कराना सुविधाओं का विस्तार करना !


राज्य के प्रमुख वन संस्थान एवं उनके मुख्यालय


1.भारतीय वन प्रबंधन संस्थान :- भोपाल
2.भारतीय वन अनुसंधान संस्थान :- जबलपुर
3.वन राजिक महाविद्यालय :- बालाघाट
4. वन प्रबंधन शिक्षा केंद्र:- बैतूल
5. संजीवनी संस्थान:- भोपाल
6.फारेस्ट गार्ड सृजन स्कूल :-  बेतूल ,रीवा ,शिवपुरी, अमरकंटक, लखनादौन
7. प्रादेशिक वन स्कूल :- बेतूल, शिवपुरी, अमरकंटक गोविंदपुर ,झाबुआ

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