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Master राजस्थान की लोक गायन शैलियाँ

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राजस्थान की लोक गायक शैलियां पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और रंग बिरंगे वेशभूषा के साथ-साथ बहुत ही सुंदर तरीके से गीतों की प्रस्तुति देते हैं इसी को ध्यान में रखते हुए हमने कुछ महत्वपूर्ण गायन शैलियों को इस लेख में सम्मिलित किया है इनमें से पिछली परीक्षाओं में बहुत बार प्रश्न पूछे जा चुके हैं और भविष्य में भी यहां से प्रश्न आने की संभावना रखते हैं

राजस्थान की लोक गायन शैलियाँ

1. माण्ड गायन शैली-

10 वीं 11 वीं शताब्दी में जैसलमेर क्षेत्र माण्ड क्षेत्र कहलाता था। अतः यहां विकसित गायन शैली माण्ड गायन शैली कहलाई। एक श्रृंगार प्रधान गायन शैली है।

प्रमुख गायिकाएं

  • अल्ला-जिल्हा बाई (बीकानेर) - केसरिया बालम आवो नही पधारो म्हारे देश।
  • गवरी देवी (पाली) - भैरवी युक्त मांड गायकी में प्रसिद्ध
  • गवरी देवी (बीकानेर) - जोधपुर निवासी सादी मांड गायिका।
  • मांगी बाई (उदयपुर) - राजस्थान का राज्य गीत प्रथम बार गाया।
  • जमिला बानो (जोधपुर)
  • बन्नों बेगम (जयपुर) - प्रसिद्ध नृतकी "गोहरजान" की पुत्री है।

2. मांगणियार गायन शैली

राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र विशेषकर जैसलमेर तथा बाड़मेर की प्रमुख जाति मांगणियार जिसका मुख्य पैसा गायन तथा वादन है।
मांगणियार जाति मूलतः सिन्ध प्रान्त की है तथा यह मुस्लिम जाति है। प्रमुख वाद्य यंत्र कमायचा तथा खड़ताल है। कमायचा तत् वाद्य है। इस गायन शैली में 6 रंग व 36 रागिनियों का प्रयोग होता है। 

प्रमुख गायक 

  • सदीक खां मांगणियार (प्रसिद्ध खड़ताल वादक) 
  • साकर खां मांगणियार (प्रसिद्ध कम्रायण वादक)

3. लंगा गायन शैली

लंगा जाति का निवास स्थान जैसलमेर-बाडमेर जिलों में है। बडवणा गांव (बाड़मेर) " लंगों का गांव" कहलाता है। यह जाति मुख्यतः राजपूतों के यहां वंशावलियों का बखान करती है। प्रमुख वाद्य यत्र कमायचा तथा सारंगी है।

प्रसिद्ध गायकार 

  • अलाउद्दीन खां लंगा 
  • करीम खां लंगा

4. तालबंधी गायन शैली

औरंगजेब के समय विस्थापित किए गए कलाकारों के द्वारा राज्य के सवाईमाधोपुर जिले में विकसित शैली है। इस गायन शैली के अन्तर्गत प्राचीन कवियों की पदावलियों को हारमोनियम तथा तबला वाद्य यंत्रों के साथ सगत के रूप में गाया जाता है। वर्तमान में यह पूर्वी क्षेत्र में लोकप्रिय है।

5. हवेली संगीत गायन शैली

प्रधान केन्द्र नाथद्वारा (राजसमंद) है। औरंगजेब के समय बंद कमरों में विकसित गायन शैली।

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