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Master बेगूँ किसान आंदोलन : राजस्थान

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बेगूँ आंदोलन बिजोलिया किसान आंदोलन की देन है  बिजोलिया किसान आंदोलन से प्रोत्साहित होकर बेगू के किसानों ने भी अत्याधिक लाग,बागबैठ बेगार एवं लगान के विरोध में आंदोलन करने का निर्णय लिया बेगूँ किसान आंदोलनकी शुरुआत 1921 में मेनाल (भीलवाडा) के भेरु कुंड नामक स्थान से हुई थी  इस आंदोलन का नेतृत्व श्रीराम नारायण चौधरी ने किया था  बेगू भी मेवाड़ रियासत का प्रथम श्रेणी का ठिकाना था  वर्तमान में बेगू चित्तौड़गढ़ जिलेमें स्थित है  बेगू किसानों ने अपने जागीरदार के विरुद्धआंदोलन शुरू किया था ठाकुर अनूप सिंह के द्वारा लगान में वृद्धिकिए जाने के विरोध में आंदोलन किया गया था  बेगू आंदोलन की धाकड़ जाति के किसानों द्वारा किया गया था


 किसानों ने श्री रामनारायण चौधरी के नेतृत्वमें निर्णय किया कि फसल का कूँता नहीं कराया जाएगा  सरकारी कार्यालयों और अदालतों का बहिष्कार किया जाएगा मई 1921 में बेगूँ ठीकाने के कर्मचारियों ने चांदखेड़ी नामक स्थान पर सभा में किसानों पर अमानुषिक व्यवहार किया वर्षों के संघर्ष के बाद 1923 में बेगू के किसानों और ठाकुर अनूप सिंह के मध्य समझोता हो गय मेवाड़ के महाराजा ने इस समझौते को बोल्शेविककी संज्ञा दी  बोल्शेविक एक रूसी शब्द है इसका अर्थ बहुमतहोता है   इस आंदोलन के लिए ट्रेंच आयोग का गठन किया गया था लेकिन ट्रेंच आयोग ने बिना जांच के ही रिपोर्ट पेश कर दी थी  इस ट्रेच आयोग का (जांच का)किसानो ने बहिष्कार किया


 1923 में पारसोली (भीलवाड़ा) नामक गांव में ठाकुर अनूप सिंह मैं किसानों की मांगों को स्वीकार कर लिया था  13 जुलाई1923 में किसानों ने स्थिति की पूर्नसमीक्षा के लिए गोविंदपुरा गांव में एक आम सभा का आयोजन किया गया इस अहिंसक आम सभापर 13 July 1923 ट्रेंच के आदेशानुसार लाठी चार्ज कर गोलियां चलाई गई इस गोलीबारी में रूपा जी व कृपा जी नामक दो किसान शहीदहुए  इस अमानवीय कृत्यकी निंदा राष्ट्रीय स्तर तक हुई इस घटना के बाद इस आंदोलन का नेतृत्व विजय सिंह पथिक जी ने स्वयं संभाला 


आंदोलन के कारण बन रहे दबाव के फलस्वरुप बंदोबस्त व्यवस्था लागू करके lagaan की दरें कम की गई और अधिकांश लागें वापस ली गई व बेगार प्रथाको समाप्त किया गयाविजय सिंह पथिक जी को 10 सितंबर 1923को गिरफ्तार किया गया साढे वर्ष के कारावास और 15000 के आर्थिक जुर्माने से दंडित किया गया पथिक जी की गिरफ्तारी के बाद ही आंदोलन समाप्त हो गया


बेगू किसान आंदोलन को दबा दिया गया लेकिन इस आंदोलन से किसानों व जनता में राष्ट्रीय चेतनाकी दृष्टि से और अधिक जाग्रति है किसानों ने विजय सिह पथिक को आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया था  पथिक जी द्वारा राजस्थान सेवा संघ के मंत्री राम नारायण चौधरीको बेगू आंदोलन का नेतृत्व सौंपा गया था  बेगूँ आन्दोलन जैसा अत्याचार धंगडमउभंडावरी में भी हुआ था मेवाड रियासत के पारसोलीकाछोला गॉव में भी किसानों ने भ्रष्टाचार के विरोध आंदोलन किया था

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