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Comprehensive study materials and practice resources for Budget: Nature, Types & Important Facts

बजट शब्द का प्रतिपादन फ्रांसीसी शब्द "बूजे" से हुआ है, जिसका अर्थ चमड़े का बैग होता है। 1733 में इंग्लैंड में इस शब्द का प्रयोग जादू के पिटारे के अर्थ में किया जाता था।
बजट आय - व्यय का संक्षिप्त विवरण है जो राज्य किसी निर्धारित समय सीमा में संपन्न करना चाहता है। यह वित्तीय वर्ष के आधार पर देश की आय-व्यय का अनुमान होता है। चालू वित्तीय वर्ष के बजट आंकड़ों को ‘‘बजट अनुमान’’ और गत वर्ष के बजट आंकड़ों को ‘‘संशोधित अनुमान’’ कहा जाता है। बजट निर्माण के लिए जो तकनीक काम में ली जाती है उसे बजटन कहा जाता है। बजट शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम The Boughett Opened नामक रचना में सर राॅबर्ट वाॅलपोल ( ब्रिटिश वित्त मंत्री ) के संदर्भ में किया गया।भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च है। भारत में एकजाई बजट अर्थात समस्त मंत्रालयों के आय व्यय के लिए एक ही बजट को अपनाया जाता है लेकिन विलियम एकवर्थ समिति, 1921 की सिफारिश से 1924 से रेलवे का बजट केंद्रीय बजट से अलग प्रस्तुत किया जाता है। स्वतंत्र भारत का पहला बजट नवंबर 1947 को पहले वित्तमंत्री आर के षणमुखम शेट्टी द्वारा पेश किया गया था। जॉन मथाई ने गणतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट पेश किया था। अंग्रेजों ने भारत के लिए बजट पेश करना शुरू किया तो उसके लिए शाम 5:00 बजे का समय निर्धारित किया था लेकिन वर्ष 1999 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने का समय दिन के 11:00 बजे कर दिया भारत में जो बजट प्रस्तुत होता है वह तीन वर्षों से संबंधित होता है-
On the basis of construction (निर्माण के आधार पर)
On the basis of format (स्वरूप के आधार पर)
अन्य:-
1- अतिरेक/आधिक्य बजट ( Excess budget ) - जब सार्वजनिक व्यय की अपेक्षा आय अधिक हो तो ऐसे बजट को अतिरेक बजट कहा जाता है। वर्तमान में ऐसे बजट को अच्छा नहीं माना जाता है।
2. घाटे का बजट ( Deficit budget ) - जब सरकार की आय की अपेक्षा व्यय अधिक हो तो इसे घाटे का बजट कहा जाता है
3. संतुलित बजट ( balanced budget )- जब सरकार की कुल प्राप्तियां तथा कुल व्यय बराबर हो तो यह संतुलित बजट कहलाता है। यह आर्थिक व्यवस्थाओं पर अच्छा प्रभाव डालता है। सरकार जनता को विश्वास में लेने के लिए इस प्रकार का बजट बनाती है।
4. पारंपरिक या आम बजट ( Common budget ) - इसे अभिवर्धन बजट भी कहा जाता है। इसमें वस्तु या मद को अधिक महत्त्व दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य विधायिका का कार्यपालिका पर नियंत्रण स्थापित करना होता है। इसमें खर्च की जाने वाली राशि पर अधिक जोर रहता है उसके परिणाम का नहीं।
5. निष्पादन बजट ( Performance budget ) - यह खर्च के बजाय खर्च के उद्देश्य पर जोर देता है। इसका मुख्य केंद्र बिंदु वे उद्देश्य होते हैं जिन्हें सरकार पूरा करना चाहती है। इसमें सरकार की नीति और कार्यक्रम का खुलासा होता है साथ ही यह क्रियान्मुख और परिणाम उन्मुख, पारदर्शी बजट प्रणाली है। भारत में प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिश पर वर्ष 1968 में निष्पादित बजट 4 मंत्रालयों में प्रारंभ किया गया। भारत में पूर्णतया निष्पादन प्रणाली को नही अपनाया गया। भारत में बजट को राजनीतिक नीतियों से जोड़ा गया है और लोकप्रिय सामाजिक कार्यों में परिणाम और परिमाण दोनों एक साथ संभव नहीं है लेकिन निष्पादन में परिणाम ही केंद्र बिंदु है।
6. जीरोबेस बजट ( Zero base budget ) - इसे सूर्यास्त बजट भी कहते हैं क्योंकि इसमें वित्तीय वर्ष के सूर्यास्त से पहले प्रत्येक विभाग को शून्य आधारित बजट प्रस्तुत करना होता है। इस अवधारणा में पूर्ववर्ती योजनाओं का मूल्यांकन किया जाता है। यदि वे लाभकारी और प्रासंगिक होती है तो उसके लिए नये सिरे से धन की व्यवस्था की जाती है और महत्त्वहीन योजनाओं को समाप्त कर दिया जाता है। भारत में सर्वप्रथम 1983 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मंत्रालय ने इस बजट पद्धति को अपनाया जबकि 1987-88 में सभी मंत्रालयों ने अपनाया।
7. आउटकम बजट ( Outlook budget ) - यह एक नवीन बजट प्रणाली है। इसमें आवंटित साधनों के साथ उन लक्ष्यों का भी निर्धारण किया जाता है जिन्हें प्राप्त करना अतिवाश्यक स्वीकार किया जाता है। इसके आधार स्तंभ तीन है-
भारत में आउटकमिंग बजट की शुरुआत 2005-06 के बजट में की गई।
8 जेण्डर बजट ( Gender budget ) - यह कोई अलग रूप से बजटिंग नहीं है बल्कि यह वार्षिक समग्र बजट का ही एक हिस्सा है जिसमें बजट में किये जाने वाले सम्पूर्ण व्यय तथा व्यवहारों में महिलाओं के सम्बन्ध में आवंटन और प्रभाव प्रदर्शित करता है। इस बजट के द्वारा महिला के विकास कल्याण व सशक्तिकरण से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए प्रतिवर्ष बजट में एक निर्धारित राशि की व्यवस्था की जाती है।
9. एकल बजट ( Single budget ) - जब सरकार के समस्त विभागों, कार्यक्रमों के लिए एक ही बजट का प्रयोग किया जाता है तो उसे एकल बजट कहा जाता है।
10. बहुल बजट ( Multiple budget ) - जब सरकार के समस्त विभागों, कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग बजट का प्रयोग किया जाता है तो उसे एकल बजट कहा जाता है। - ★भारत में बजट विशेष प्रणाली है जिसमें केंद्र द्विबजटीय प्रणाली को अपनाता है जिसमें रेलवे का बजट अलग से बनाया जाता है। वास्तव में भारत में एकल बजट प्रणाली है।
भारत में वित्त मंत्रालय बजट तैयार करता है। भारत में केंद्रीय बजट के दस्तावेज:-
1. वित्त मंत्री का भाषण
2. वार्षिक वित्तीय कथन (आगामी वित्त वर्ष के अनुमान)
3. बजट का सार
4. वित्त विधेयक
5. बजट प्राप्तियाँ (आगामी वर्ष के अनुमानित, राजस्व, पूंजी, ऋण)
6. बजट व्यय
7. अनुमान की मांगें
तैयार किये गये बजट पर संसद के विभिन्न चरणों में उसे पारित कर वैधानिक स्थिति प्रदान करना ही बजट का वैधानिकीकरण है। संविधान की धारा 113 के अनुसार सरकार द्वारा राष्ट्रपति की स्वीकृति से अनुदान की मांग पेश करने का प्रावधान है। संसद को अनुदान की मांग में कमी लाने का अधिकार नहीं है लेकिन संसद को अनुदान की मांग में कटौती के प्रस्ताव का आधिकार प्रदान किया गया है। कटौती प्रस्ताव के तीन रूप हो सकते हैं :-
भारत में सर्वप्रथम बजट 7 अप्रैल 1860 में वित्त मंत्री जेम्स विलियम ने ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा ब्रिटिश महारानी को प्रस्तुत किया स्वतंत्र भारत में पहला बजट वित्त मंत्री आर के षणमुख ने किया। गणतंत्र भारत का पहला बजट 1950 में जाॅन मथाई ने किया। 1973-74 के बजट को काला बजट कहा जाता है।
FRBMA Act 2003- सरकार पर वित्तीय नियंत्रण स्थापित करने के लिए इनका प्रावधान किया गया।
इसके तहत------
बजट से संबंधित संवैधानिक कोष
1. 1992 से बजट का टेलीविजन पर प्रसारण शुरू हुआ था।
2. सर्वप्रथम सर्विस टैक्स की शुरुआत वर्ष 1994-95 में की गई।
3. भारतीय संसद में पहली बार 25 अगस्त 2005 को परफारमेंस बजट या निष्पादन बजट प्रस्तुत किया गया।
4. जीरो बेस बजट के प्रवर्तन का श्रेय अमेरिका के पीटर पायर को दिया जाता है,जबकि इसका विकास का श्रेय ब्रिटिश अर्थशास्त्री हिल्टन यंग को जाता है। इस बजट को सर्वप्रथम अमेरिका के जॉर्जिया प्रांत में अपनाया गया था। जीरो बेस बजट को सूर्यास्त बजट प्रणाली भी कहा जाता है।
5. भारत में सबसे ज्यादा बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री मोरारजी देसाई हैं।
6. मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह और मनमोहन सिंह देश में चार ऐसे प्रधानमंत्री हुए है, जो वित्तमंत्री पद पर भी काम कर चुके हैं