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भारत के द्वीप ( Part 02 )-Islands of India (Part 02)

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GEOGRAPHY

भारत के द्वीप ( Part 02 )-Islands of India (Part 02)


गंगासागर द्वीप 
गंगासागर द्वीप या गंगा-सागर-संगम भी कहते है  बंगाल की खाड़ी में कोलकाता से Image result for गंगासागर द्वीप 150 किमी दक्षिण में एक द्वीप है। यह भारत के अधिकार क्षेत्र में आता है और पश्चिम बंगाल सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है।

इस द्वीप का कुल क्षेत्रफल 300 वर्ग किमी है। इसमें 43 गांव हैं, जिनकी जनसंख्या 160,000 है। यहीं गंगा नदी का सागर से संगम माना जाता है।

इस द्वीप में ही रॉयल बंगाल टाइगर का प्राकृतिक आवास है। यहां मैन्ग्रोव की दलदल, जलमार्ग तथा छोटी छोटी नदियां, नहरें हीं। इस द्वीप पर ही प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ है। प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर लाखों हिन्दू श्रद्धालुओं का तांता लगता है

कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का यहां एक पायलट स्टेशन तथा एक प्रकाशदीप भी है। पश्चिम बंगाल सरकार सागर द्वीप में एक गहरे पानी के बंदरगाह निर्माण की योजना बना रही है। गंगासागर तीर्थ एवं मेला महाकुंभ के बाद मनुष्यों का दूसरा सबसे बड़ा मेला है। यह मेला वर्ष में एक बार लगता है।

पूर्वी बहन द्वीप

पूर्वी बहन द्वीप भारत के अण्डमान व निकोबार द्वीपसमूह में रटलैण्ड द्वीप और छोटे अण्डमान के बीच डंकन जलसन्धि में स्थित दो बहन द्वीपों में से एक है।

दूसरा टापू पश्चिमी बहन द्वीप हैं और वह इस द्वीप से थोड़ा छोटा है। यह दोनों 250 मीटर दूर हैं लेकिन एक कोरल रीफ़ द्वारा जुड़े हुए हैं। यह पैसेज द्वीप से 6 किमी दक्षिणपूर्व और उत्तरी भाई द्वीप से 18,किमी उत्तर में हैं।

द्वीप का आकार आयत (चकोर) है। पूर्वोत्तर-दक्षिणपश्चिम दिशा में लम्बाई 750 मीटर और चौड़ाई 550 मीटर है।

 इसका अधिकांश हिस्सा वन से ढका है। तट हर ओर पथरीला है लेकिन पश्चिमोत्तर में रेतीला है। इसका सर्वोच बिन्दु समुद्रतल से 13 मीटर ऊँचा है।

वाइपर द्वीप
भारत के केंद्र शासित प्रदेश अंदमान एवं निकोबार द्वीप समूह के अनेकों द्वीपों में से है। यह अंदमान एवं निकोबार द्वीप समूह के दक्षिणी अंदमान जिले का भाग है। यह पोर्ट ब्लेयर से 4 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।

ब्रिटिश काल में भारत के अन्य भागों से लाये गये 'खतरनाक' बन्दियों बंदियों को इसी द्वीप पर उतारा जाता था। अब यह द्वीप एक पिकनिक स्थल के रूप में विकसित हो चुका है।

 यहां के टूटे-फूटे फांसी के फंदे निर्मम अतीत के साक्षी बनकर खड़े हैं।.,यहां पर इस द्वीप की सबसे पहली अंग्रेजों द्वारा बनाई गई जेल थी। इसके ऊपर ही तब का बना फांसी घर भी है।

यहीं पर शेर अली को भी फांसी दी गई थी, जिसने 1872 में भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड मेयो की हत्या की थी।

उत्तरी भाई द्वीप 
उत्तरी भाई द्वीप भारत के अण्डमान व निकोबार द्वीपसमूह  के बीच डंकन जलसन्धि में स्थित एक छोटा-सा टापू है। यह एक निर्जन द्वीप है (यहाँ कोई नहीं रहता)। यह महात्मा गांधी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है। यह छोटे अण्डमान द्वीपसे 19 किमी पूर्वोत्तर पर स्थित है।

यह द्वीप लगभग गोल है और 1.1 किमी चौड़ा है। इसके मध्य भाग में वन है और पूरी धरती समतल है। वन के इर्द-गिर्द एक रेतीला तट है और द्वीप को एक कोरल रीफ़ पूरी तरह घेरे हुए है।

द्वीप के बिलकुल मध्य का भाग थोड़ा धंसा हुआ है और वर्षा के मौसम में यहाँ एक तालाब बन जाता है।

19वीं शताब्दी के अंत तक छोटे अण्डमान से ओन्गी लोग यहाँ समुद्री कछुए पकड़ने आया करते थे। समझा जाता है कि इसी द्वीप के मार्ग से 1990-1930 काल में ओन्गी समुदाय बृहत अण्डमान क्षेत्र में प्रवेश कर गया।

अण्डमान निकोबार द्वीप के अन्य द्वीप
दक्षिणी भाई.द्वीप
उत्तरी सिंक द्वीप
दक्षिणी.सिंक द्वीप
पुर्वी बहन.द्वीप
दीवार द्वीप
किडिल.ग्राअंड
आईलैन्ड
डीएगो गर्सिया
कत्चल द्वीप
अंदोरत द्वीप
कलपेडी लान्गा द्वीप

लक्षद्वीप
भारत के दक्षिण-पश्चिम में हिंद महासागर में स्थित एक भारतीय द्वीप-समूहहै !Image result for लक्षद्वीप इसकी राजधानी कवरत्तीहै। यहा कि भाषा अँग्रेजी व मलयम है!

समस्त केन्द्र शासित प्रदेशों में लक्षद्वीप सब से छोटा है। लक्षद्वीप द्वीप-समूह की उत्तपत्ति प्राचीनकाल में हुए ज्वालामुखीय विस्फोट से निकले लावा से हुई है। यह भारत की मुख्यभूमि से लगभग 400 किमी दूर पश्चिम दिशा में अरब सागर में अवस्थित है। लक्षद्वीप द्वीप-समूह में कुल 36 द्वीप है परन्तु केवल 7 द्वीपों पर ही जनजीवन है।

देशी पयर्टकों को 6 द्वीपों पर जाने की अनुमति है जबकि विदेशी पयर्टकों को केवल 2 द्वीपों (अगाती व बंगाराम) पर जाने की अनुमति है। मुख्य भूमि से दूर इनका प्राकृतिक सौंदर्य, प्रदूषणमुक्त वातावरण, चारों ओर समुद्र और इसकी पारदर्शी सतह पर्यटकों को सम्मोहित कर लेती है। समुद्री जल में तैरती मछलियाँ इन द्वीपों की सुंदरता को और बढ़ा देती हैं। हर द्वीप पर नारियल व पाम के झूमते हरे-भरे वृक्ष, और समुद्र जिसका नीला पानी अनोखी पवित्रता का अहसास कराता है।

लक्षद्वीप भारत का एकमात्र मूँगा द्वीप हैं। इन द्वीपों की शृंखला मूँगा एटोल है। एटोल मूँगे के द्वारा बनाया गई ऐसी रचना है जो समुद्र की सतह पर पानी और हवा मिलने पर बनती है। केवल इन्हीं परिस्थतियों में मूँगा जीवित रह सकता है। यहाँ के निवासी केरल के निवासियों से बहुत मिलते-जुलते हैं। यह द्वीप पर्यटकों का स्वर्ग है। यहाँ का नैसर्गिक वातावरण देश-विदेश के सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। अब केंद्र सरकार इन द्वीपों का पर्यटन की दृष्टि से तेजी से विकास कर रही है। लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती है।

लक्ष्यद्वीप इतिहास और भूगोल
इन द्वीपों के बारे में, इनके पूर्व इतिहास के बारे में अधिक जानकारी उपलब्‍ध नहीं है। समझा जाता है कि पहले-पहल लोग आकर अमीनी, अनद्रौत, कवरत्ती और अगात्ती द्वीपों पर बस गये।

पहले यह विश्‍वास किया जाता था कि द्वीप में आकर बसने वाले मूल लोग हिन्दू थे और लगभग 14वीं शताब्‍दी में किसी समय अरब व्‍यापारियों के प्रभाव में आकर मुसलमान बन बए। परंतु हाल ही में पुरातत्‍वीय खोजों से पता चलता है कि लगभग छठी या सातवीं शताब्‍दी के आसपास यहाँ बौद्ध रहते थे।

सर्वप्रथम इस्लाम धर्म को अपनाने वाले जिन लोगों और निवासियों का पता चलता है वे हिजरी वर्ष 139 (आठवीं शताब्‍दी) के समय के मालूम होते हैं। इस तारीख का पता अगात्ती में हाल में खोजे गए मक़बरों के पत्‍थरों पर खुदी तारीखों से लगता है।

खाद्य व्यवस्था
लक्षद्वीप में पीने के पानी के स्रोत बिल्कुल नहीं हैं। वर्षा के पानी को ही इकट्ठा करके इस्तेमाल किया जाता है। कुछ द्वीपों में कुएं बनाए गए हैं, जिसमें वर्षा का पानी जमा किया जाता है और फिर काम में लिया जाता है।

नारियल, केला, पपीता और कुछ जंगली पेड़-पौधों के अलावा लक्षद्वीप में कुछ भी नहीं पैदा होता। मिट्टी न होने की वजह से सब्जियां नहीं उगाई जा सकती हैं। खाद्य सामग्री, सब्जियां और ज़रूरत की दूसरी चीज़ें कोच्चि से ही मंगाई जाती हैं।

अनाज और अन्य आवश्यक वस्तुएँ, पेट्रोलियम उत्पाद, सामान्य वस्तुएँ, स्टील, सीमेंट जैसी निर्माण सामग्री मालवाहक यान के द्वारा द्वीप पर मंगायी जाती हैं। विशेष चिकित्सा सुविधा और बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए लोगों को मुख्य भूमि पर ही जाना पड़ता है।

यहाँ की प्रमुख फ़सल नारियल है और प्रतिवर्ष 580 लाख नारियल का उत्‍पादन होता है। यहाँ 2,598 हेक्‍टेयर भूमि में खेती की जाती है। यहाँ के नारियल को जैव उत्‍पाद (आर्गेनिक प्रोडक्‍ट) के रूप में जाना गया हैं।

भारत में सर्वाधिक नारियल उत्‍पादन लक्षद्वीप में होता है तथा प्रति हेक्‍टेयर उपज 22,310 नारियल है और प्रत्‍येक पेड़ से प्रतिवर्ष औसतन 97 खजूरों का उत्‍पादन होता है। लक्षद्वीप के नारियलों में विश्‍व के अन्‍य नारियलों के मुक़ाबले सर्वाधिक तेल (72 प्रतिशत) पाया जाता है।

नारियल के रेशे और उससे बनने वाली वस्‍तुओं का उत्‍पादन यहाँ का मुख्‍य उद्योग हैं। सरकारी क्षेत्र के अधीन नारियल के रेशों की सात फैक्ट्रियां, सात रेशा उत्‍पादन एवं प्रदर्शन केंद्र और चार रेशा बंटने वाली इकाई हैं।

इन इकाइयों में नारियल के रेशों और सुतली के उत्‍पादन के अतिरिक्‍त नारियल के रेशों से बनी रस्सियां, कॉरीडोर मैट, चटाइयों और दरियों आदि का भी उत्‍पादन किया जाता है। विभिन्‍न द्वीपों में निजी क्षेत्र में भी कई नारियल रेशा इकाइयां काम कर रही हैं।

परिवहन
अगत्ती में लक्षद्वीप का एकमात्र एयरपोर्ट है। अगत्ती नियमित उड़ानों से कोच्चि से जुड़ा हुआ है। कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है। हेलिकॉप्टर के माध्यम से भी लक्षद्वीप पहुंचा जा सकता है।लक्षद्वीप पहुंचने के लिए पानी का जहाज़ अच्छा विकल्प है।

कोच्चि से कुछ यात्री जहाज़ संचालित होते हैं। जहाज़ के माध्यम से लक्षद्वीप पहुंचने में लगभग 18-20 घन्टे का समय लगता है। मानसून,के दौरान पानी के जहाज़ की सेवाएं बंद रहती हैं।

मुख्‍य भूमि से कोचीन और बेपोर बंदरगाह तक यात्रियों को लाने, ले जाने के लिए आदि को ईंधन की आपूर्ति के लिए किया जाता है। कादीजा बीवी और हुमीदात बी हुमीदात बी जहाज़ मिनीकाय के अलावा अन्‍य द्वीपों को आपस में जोड़ता है।

इसके अलावा एक द्वीप से दूसरे द्वीप और मुख्‍य भूमि से जोड़ने के लिए हेलीकाप्‍टर ऐंबुलेंस सेवा भी उपलब्‍ध है। इंडियन एयरलाइंस अगाती और कोच्चि के बीच दैनिक (रविवार छोड़कर) हवाई सेवा है।

पर्यटन स्‍थल
ये द्वीप प्रकृति की एक अद्भुत देन है। यह आश्चर्य की बात है कि यहाँ की धरती का निर्माण मूँगों द्वारा किया गया। उन्होंने ही मानव के रहन-सहन के उपयुक्त बनाया। यह द्वीप पर्यटकों का स्वर्ग है। यहाँ का नैसर्गिक वातावरण देश-विदेश के सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है।

प्रदेश में पर्यटन महत्‍वपूर्ण उद्योग बनता जा रहा है। महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थल हैं:- अगात्ती, बंगारम, कलपेनी, कदमत, कवरत्ती और मिनीकॉय आदि। वर्ष 2006 में यहाँ 23,303 पर्यटक घूमने आए। इनमें से 2,622 विदेशी थे।

पानी के खेल में रुचि रखने वाले जैसे स्कूबा डाइविंग और स्नोर्कलिंग के आकर्षण में पर्यटक यहाँ आते हैं। यह भारत का सबसे छोटा केन्द्र शासित प्रदेश होने के बावजूद पर्यटन के लिहाज़ से सबसे लोकप्रिय है।

बंगारम द्वीप
बंगारम लक्षद्वीप-समूह का भाग है। आँसू के आकार के इस द्वीप में चारों ओर क्रीम रंग की रेत बिखरी हुई है। लक्षद्वीप प्रवाल द्वीपों का एक समूह है जिसमें 12 प्रवाल द्वीप, तीन प्रवाल भित्ति और जलमग्‍न बालू के तट शामिल हैं।

ये द्वीप उत्तर में 8 डिग्री और 12 डिग्री, 3, अक्षांश पर तथा पूर्व में 71 डिग्री और 74 डिग्री देशांतर पर केरल तट से लगभग 280 से 480 किमी दूर अरब सागर में फैले हुए हैं। बंगारम द्वीप समूह कोचीन से 459 किमी दूरी पर है।

बंगारम एक निर्जन टापू है। यह सिर्फ़ पर्यटकों के लिए ही खुला रहता है। बंगारम द्वीप-समूह का क्षेत्रफल 2.30 किमी है। यहाँ की भाषा मलयालम, म्हाल और अंग्रेज़ी है।

यहाँ का अधिकतम तापमान-32 डिग्री से. और न्यूनतम तापमान- 27 डिग्री से. होता है। यहाँ की औसत वार्षिक वर्षा-160 सेमी है।

लक्षद्वीप के हर द्वीप की तरह यहाँ भी नारियल के वृक्ष सघन हैं जो दिन की तीखी गर्मी में भी ठंडक देते हैं। यहाँ के नारियल के पेड़ गर्मियों के दिनों में भी वातावरण को शीतल रखते हैं।

इस टापू पर शार्क मछली और समुद्री कछुए को देखा जा सकता हैं। यहाँ विंडसर्फिग, स्कूबा डाइविंग, पेरासेलिंग, स्नोर्कलिंग का आनंद लिया जा सकता है।

अनद्रोथ द्वीप
अनद्रोथ द्वीप लक्षद्वीप का सबसे बड़ा द्वीप है।मछली पालन यहाँ का प्रमुख व्यवसाय है।

सन 2001 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 2066 है। यहाँ घने नारियल के पेड़ हैं।लक्षद्वीप में इस द्वीप के लोगों ने सबसे पहले इस्लाम को अपनाया था।मौलवी अबैदुल्लाह ने यहाँ के लोगों का धर्म परिवर्तित किया।जूमा की मस्जिद में इस संत का मक़बरा स्थित है।

भारत सरकार ने अनद्रोथ के पूर्व में आधुनिक लाइट हाउस टॉवर बनवाया है।टॉवर का निर्माण 1966 में पूरा हुआ था।

कदमत द्वीप
यह लक्षद्वीप का ही एक भाग है  ,यहाँ की जनसंख्या 5319 के लगभग है। कदमत द्वीप 8 कि.मी. लम्बा और 550 मीटर चौड़ा है। इसका कुल क्षेत्रफल 3.20 वर्ग कि.मी. है।

इसके पश्चिम के ख़ूबसूरत उथले लैगून वाटर स्पोर्ट्स के शौक़ीनों को बहुत प्रिय हैं। कदमत के पूर्व में एक संकरा लैगून है।

कलपेनी द्वीप
कल्पेनी द्वीप समूह लक्षद्वीप में स्थित है। कल्पेनी द्वीप कोचीन से 287 किमी दूरी पर है सन 2001 की जनगणना के अनुसार इस द्वीप की जनसंख्या 4319 है।.यह द्वीप 2.79 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। कलपेनी को विशाल और उथले लैगून ने चारों ओर से घेर रखा है

करवत्ती द्वीप
यह केरल के नगर कोचीन के पश्चिमी तट से लगभग 398 किमी दूरी पर स्थित है। कवरत्ती का कुल क्षेत्रफल 4.22 वर्ग किमी है। कवरत्ती लक्षद्वीप समूह की प्रशासनिक राजधानी है। यहाँ पर इस प्रदेश का प्रशासनिक मुख्यालय है।

यह सबसे अधिक विकसित भी है, साथ ही यहाँ द्वीपवासियों के अलावा अन्य लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं। पूरे द्वीप में 52 मस्जिद हैं, सबसे ख़ूबसूरत मस्जिद है उज्र मस्जिद है!,सन 2001 की जनगणना के अनुसार कवरत्ती की कुल जनसंख्या 10,113 है, जिसमे 55% पुरुष हैं। महिलाओं का प्रतिशत 45 है। कवरत्ती में साक्षरता की दर 78% है ।

कवरत्ती द्वीप समूह में अधिकतर लोग मलयालमबोलते हैं। यहाँ की भाषा-मलयालम, म्हाल और अंग्रेज़ी है।

यहाँ का अधिकतम तापमान-32 डिग्री से. और न्यूनतम तापमान- 27डिग्री से. होता है। यहाँ की औसत वार्षिक वर्षा-160 सेमी है। मॉनसून के दौरान पानी के जहाज़ की सेवाएं बंद रहती हैं।

कवरत्ती में नौकायन का मजा लिया जा सकता है। कवरत्ती द्वीप पानी के खेल, तैराकी के लिए आदर्श स्थल है। समुद्र के किनारे रेत पर लेटकर धूप सेंकना पर्यटकों को यहाँ बहुत भाता है।

आप जामनाथ मस्जिद जाकर लकड़ी पर की गई बेहतरीन नक़्क़ाशी का नमूना देख सकते हैं। समुद्र में सैर का लुत्फ उठाने के लिए यहाँ डोंगी और पॉल नाव किराए पर उपलब्ध रहते हैं। कहा जाता है कि यहाँ के पानी में चमत्कारी शक्ति है।

बित्रा द्वीप 
बित्रा द्वीप लक्षद्वीप के सबसे छोटे द्वीपों में एक है। कभी इस द्वीप पर केवल जंगल ही था समुद्री पक्षियों के प्रजनन स्थल के रूप में इस स्थान को जाना जाता था। उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में मछुआरों ने यहाँ स्थायी रूप से रहना प्रारंभ कर दिया। लक्षद्वीप के ख़ूबसूरत द्वीपों में से बित्रा बहुत ही सुन्दर है।

विष्णु गौर
जिला :-सीहोर, मध्यप्रदेश