Comprehensive study materials and practice resources for लोक प्रशासन का विज्ञानों एवं परिवेश के साथ सम्बन्ध
लोक प्रशासन का विकास पांच चरणों में माना गया है, इन चरणों में लोक प्रशासन अपने अस्तित्व की पहचान के लिए संघर्ष कर रहा था, लोक प्रशासन के पांचवें चरण में लोक प्रशासन ने अपनी अलग पहचान बनाई, इसी चरण के अंतर्गत लोक प्रशासन के अन्य सामाजिक विज्ञानों के साथ गहरे संबंध स्थापित हुए, जिनमें से निम्न विज्ञान संबंध प्रमुख है
राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन एक दूसरे के पूरक है, यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है कि राजनीति विज्ञान की शुरूआत कहां से हुई और लोक प्रशासन का अंत कहां हुआ, जो मूल रूप से राजनीतिज्ञ हैं वे प्रशासन से अच्छी तरह संबंध रखते हैं, ठीक इसी तरह जो प्रशासक हैं वे राजनीतिक स्वामियों को सलाह के द्वारा नीति निर्धारण में अपनी भागीदारी निभाते हैं, जहॉ राजनीति प्रशासन का स्वरुप निर्धारित करती है, वहॉ प्रशासन को राजनीति उद्देश्य को पूरा करने के लिए भी कार्य करना पड़ता
प्रशासन राजनीति का व्यावहारिक रूप है। राजनीति नीतियाँ बनाती है और प्रशासन उन्हें लागू करता है। दोनों का गहरा अंतर्सम्बन्ध है, क्योंकि राजनीतिक विचारधारा प्रशासन की दिशा निर्धारित करती है।
कैटलिन के अनुसार मनोविज्ञान का लोक प्रशासन के साथ व्यवहारिक दृष्टि से गहरा संबंध है, सामाजिक क्रिया कलापों के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए मनोवैज्ञानिक आधार नितांत आवश्यक है, लोक प्रशासन के अंतर्गत संचार नेतृत्व, प्रेरणा, मनोबल, अंत:व्यक्ति संबंध आदि के अध्ययन से लोक प्रशासन के साथ मनोविज्ञान का संबंध स्पष्ट किया जा सकता है प्रशासन में मानव व्यवहार, प्रोत्साहन, नेतृत्व एवं निर्णय-प्रक्रिया का अध्ययन होता है। कर्मचारी प्रबंधन और संगठनात्मक व्यवहार मनोविज्ञान पर आधारित हैं।
अर्थशास्त्र व लोक प्रशासन के संबंधके बारे में कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में प्रशासन की कला का विवेचन किया है, अर्थशास्त्र की नीति को उसके आर्थिक परिणामों की दृष्टि से देखा जाना आर्थिक नीतियों का प्रशासन द्वारा क्रियान्वन, परस्पर विरोधी हितों के मध्य लोक प्रशासन द्वारा संतुलन, नवीन आर्थिक विचारों द्वारा लोक प्रशासन के संगठन का प्रभावित किया जाना, यह सभी बिंदु को कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में बताएं हैं जो लोक प्रशासन और अर्थशास्त्र के मध्य संबंधो को प्रकट करते हैं, एक अर्थशास्त्र का अच्छा ज्ञान रखने वाला व्यक्ति अच्छा प्रशासक बन सकता है, प्रशासन आर्थिक संसाधनों का प्रबंधन करता है। बजट, योजनाएँ, विकास कार्य आदि अर्थशास्त्र से जुड़े होते हैं।
लोक प्रशासन और विधि के मध्य उतना ही निकट का संबंध है जितना कि लोक प्रशासन और राजनीति विज्ञान के मध्य है, लोक प्रशासन कानून के अंतर्गत कार्य करता है, कानूनों का क्रियान्वन करता है लोक प्रशासन का कानून निर्माण में हाथ, कानून द्वारा प्रशासन पर अंकुश आदि लोक प्रशासन और विधि के मध्य संबंधो को स्पष्ट करते हैं, प्रशासनिक कार्य संविधान और कानून की सीमा में होते हैं। नीतियों को लागू करने के लिए प्रशासन को विधिक आधार चाहिए।
लोक प्रशासन कई तत्वो से प्रभावित होता है जैसे पर्यावरण, संस्कृति ,राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिवेश। इस कारण लोक प्रशासन को समझने के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और वैधानिक तत्वों का अध्ययन करना आवश्यक है, यह सभी तत्व लोक प्रशासन को प्रभावित करते हैं सामाजिक मूल्य, धार्मिक विश्वास, राजनीतिक व्यवस्था का स्वरूप, आर्थिक व्यवस्था का स्वरूप, वैधानिक व्यवस्था के स्वरूप आदि ने भारतीय प्रशासन को काफी हद तक प्रभावित परिवर्तित और विकसित किया है
भारत के लोक प्रशासन में आज जो भी लक्षण विद्यमान है, उन सभी को इन तत्वों का प्रभाव माना जा सकता है, देश विशेष की राजनीतिक, सामाजिक, संवैधानिक और सांस्कृतिक परिस्थितियां प्रशासन को न केवल प्रभावित करती है बल्कि उसकी कार्यप्रणाली और ढांचे को नया रूप प्रदान करती है
किसी समुदाय का सामाजिक परिवेश उसके संस्थानों, संस्थागत नमूनों, वर्ग, जाति संबंधों, ऐतिहासिक वसियत, परंपराओं, धन मूल्य की व्यवस्था, विश्वास आदर्श आदि पर आधारित होता है, यह सभी प्रशासन पर गहरा प्रभाव डालते हैं, लोक प्रशासन में मानवीय तत्व का विशेष प्रभाव रहता है इस कारण लोक प्रशासन का मानवीय तत्व समाज विशेष के ऊपज होता है, विभिन्न सामाजिक व्यवस्थाएं और संस्थाएं लोक कर्मचारियों के चरित्र का निर्माण करती है, समाज में उत्पन्न सामाजिक आर्थिक विषमता को मिटाना और प्रशासन में समाज के प्रत्येक वर्ग के प्रतिनिधित्व से प्रशासन पर प्रभाव पड़ता है इससे स्पष्ट होता है कि प्रशासन को सामाजिक परिवेश के अनुसार संचालित करना पड़ता है, लोकतांत्रिक देश में प्रशासन जनता के प्रति जवाबदेह होता है, जबकि अधिनायकवादी शासन में केंद्रीकृत।
"जाति, धर्म, भाषा, परंपरा, शिक्षा आदि प्रशासन की नीतियों और कार्यशैली को प्रभावित करते हैं।"
संस्कृति किसी समुदाय की जीवनशैली होती है जिसका समुदाय के रहन सहन, खान पान, पहनावा ,जीवन शैली पर विशेष प्रभाव पड़ता है, संस्कृति द्वारा समाज में अनेक नागरिकों को अनेक आदर्शात्मक मूल्यप्रदान किए जाते हैं, इनका लोक प्रशासन के संगठन पर भी प्रभाव पड़ता है, संस्कार, संस्कृति और मान्यताओं को ध्यान में रखकर ही प्रशासनिक और वैधानिक कानूनो का निर्माण होता है, यही कारण है कि एक देश की प्रशासनिक व्यवस्था दूसरे देश की प्रशासनिक व्यवस्था से अलग होती है, प्रशासन का आचरण और नीतियाँ देश की सांस्कृतिक विविधता पर आधारित होती हैं।
लोक प्रशासन और राजनीतिक परिवेश का संबंध घनिष्ठ होता है, यह दोनों ही एक दूसरे को प्रभावित करते हैं लोक प्रशासन की जड़े राजनीति में निहित होती है, राजनीतिकिसी देश का शासन माना जाता है जबकि शासन का क्रियात्मक रूप प्रशासन में देखने को मिलता है, राजनीतिक परिवेश में जब बदलाव आता है तो प्रशासनिक संस्थाओं में भी स्वाभाविक रुप से परिवर्तन आता है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि लोक प्रशासन द्वारा उसकी संस्थाओं पर उस देश की राजनीतिक परिस्थितियों का विशेष प्रभाव पड़ता है
"लोकतांत्रिक देश में प्रशासन जनता के प्रति जवाबदेह होता है, जबकि अधिनायकवादी शासन में केंद्रीकृत।"
लोक प्रशासन में पहले राजनीतिक परिस्थितियोंको ही अत्यधिक महत्वदिया जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक विकास के अनुसार नईं प्रशासनिक इकाइयों का गठन किया जाने लगा, प्रशासन को आर्थिक विकास की आवश्यकता के अनुसार ढाला गया, इसके लिए समय-समय पर प्रशासनिक सुधार किए जाते हैं, किसी भी देश की योजना को लागू करने का दायित्व प्रशासन पर होता है
प्रशासन का आर्थिक विकास में सहयोग, आर्थिक व्यवहार का प्रशासन पर प्रभाव, प्रशासन नियम द्वारा आर्थिक जीवन का नियंत्रण वित्तीय प्रशासन और बजट प्रशासन में भ्रष्टाचार का मूल आधार आर्थिक आदि कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो यह स्पष्ट करते हैं कि किसी भी प्रशासन पर उसके आर्थिक परिवेश पर निश्चित रुप से प्रभावपड़ता
"किसी देश की आर्थिक स्थिति (गरीबी, बेरोजगारी, संसाधन) प्रशासनिक प्राथमिकताओं को तय करती है।"
किसी भी देश का प्रशासन वैधानिक व्यवस्था के अनुरुप ही होता है, जहां संविधान के अनुसार शासन चलता है वहां प्रशासन का स्त्रोत भी सविधान ही होता है, सविधान की मूल भावना के आधार पर प्रशासन को कार्य करना पड़ता है, इसकी सीमाएं वैधानिक कानूनो द्वारा निर्धारित और सीमित होती है, अर्थात जैसा देश का संविधान है या देश की कानून है वैसा ही प्रशासन बन जाता है
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