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नवीन लोक प्रशासन

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नवीन लोक प्रशासन का परिचय


लोक प्रशासन के क्षेत्र में 1968 के बाद नवीन विचारों का सूत्रपात हुआ, इन्हीं नवीन विचारों को नवीन लोक प्रशासन की संज्ञा दी गई, 1971 मैं फ्रैकमेरीनी द्वारा संपादित पुस्तक नवीन लोक प्रशासन मिन्नो ब्रुक परिपेक्ष्य के प्रकाशन के साथ ही नवीन लोक प्रशासन को मान्यता प्राप्त हुई


नवीन लोक प्रशासन के उदय और विकास में मील का पत्थर साबित हुई निम्न घटनाए



  • 1967 में सार्वजनिक सेवाओं संबंधी उच्च शिक्षा पर हनी प्रतिवेदन

  • दिसंबर 1967 में फिलाडेल्फिया में हुए लोक प्रशासन के सिद्धांत और व्यवहार संबंधित सम्मेलन

  • 1986 में आयोजित मिन्नोब्रूक सम्मेलन

  • 1971 में फ्रैंक मेदिनीके संपादन में प्रकाशित नवीन लोक प्रशासन की दिशाएंमिन्नोब्रूक परिप्रेक्ष्य

  • 1971 में ड्वाहट वाल्डो द्वारा संपादित उथल-पुथल के काल में लोक प्रशासन का प्रकाशन


नवीन लोक प्रशासन की विषय वस्तु


नवीन लोक प्रशासन मूल्यो के नए तथ्यों को प्रश्रय देता है, वह मानववाद ,विकेंद्रीकरण, प्रत्यायोजन, बहु वाद ,व्यक्तिगत हित, वृद्धि ,व्यक्तिगत गरिमाआदि का समर्थन करता है वह इस मत को अस्वीकार करता है कि प्रशासन मूल्यों के प्रति तटस्थ होता है, वह नागरिक सहभागिता और सड़कछाप अधिकारी तंत्रपर नियंत्रण का पक्षपोषण करता है, वह नौकरशाही के जनता के प्रति उत्तरदायी पर जोर देता है


नवीन लोक प्रशासन की विषय वस्तु को निम्न बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता है  



  • प्रासंगिकता (Relevance)

  • मूल्य (Values)

  • सामाजिक समानता (Equity)

  • परिवर्तन (Change)


प्रासंगिकता (Relevance) - प्रासंगिकता शब्द लोक प्रशासन की वर्तमान परिस्थितियों में उत्पन्न समस्याओं से जुझ़ने की क्षमताकी ओर संकेत करता है, 60 के दशक में परिस्थितियों के अनुसार लोक प्रशासन की क्षमता के सिद्धांतों पर अनेक मौलिक प्रश्न उठाए गए
सामाजिक और राजनीतिक विज्ञानके रुप में लोक प्रशासन की उपयोगिता आदि प्रश्नों पर गंभीरता से विचार किया गया


मूल्य (VALUE) - नवीन लोक प्रशासन के विद्वानों ने मूल्य तटस्थ को त्यागने पर जोर दिया, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रशासन को उन्ही मूल्यों को अपनाना चाहिए, जो समाज में उत्पन्न समस्याओं के समाधान करें, साथ ही कमजोर वर्गों के लिए प्रयास करें 


सामाजिक समानता (Social equality) - सामाजिक समानता के विचारों का विस्तार ही लोक प्रशासन का मौलिक आधार है, नवीन लोक प्रशासन ने इस बात पर जोर दिया कि लोक प्रशासन समाज के दलित और वंचित वर्गके लोगों की आर्थिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पीड़ा को समझें और उचित कदम उठाएं,  समाज का वर्तमान ढांचा और संस्थाएं निहित स्वार्थों की चक्की में पिस रहे हैं, विशेषाधिकार का त्याग करने को तैयार नहीं है


परिवर्तन (Change) - नवीन लोक प्रशासन ने सामाजिक परिवर्तन पर जोर दिया, जब तक लोकप्रशासन सामाजिक समानता और सामाजिक परिवर्तन के लिए कार्य नहींकरता तब तक अभी जात्यों की पकड़ से छुटकारामिल पाना असंभव है, इस प्रकार सामाजिक परिवर्तन के लिए एक मजबूत परिवर्तन उन्मुख की नवीन लोक प्रशासन की अनिवार्य विषय वस्तु है


नवीन लोक प्रशासन की विशेषताएं 



  • ग्राहक-उन्मुखता

  • उत्तरदायित्व

  • लोचदार प्रशासनिक ढांचा

  • जन सहभागिता


नवीन लोक प्रशासन की सर्वाधिक प्रमुख विशेषता ग्राहक-उन्मुखता है, पूर्व में लोक प्रशासन ग्राहक उन्मुखता पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था, इसके विपरीत चीन लोक प्रशासन ग्राहकोन्मुखता पर विशेष ध्यान देता है, चीन (China) का मानना है कि लोक प्रशासन की उत्पत्ति ग्राहकोंके लिए ही हुई है, इसलिए नागरिकों की आवश्यकता और इच्छा अनुसार सेवा लोक प्रशासन द्वारा की जानी चाहिए


ग्राहकोंन्मुखताके लिए लोक प्रशासन को जन आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी होना चाहिए, प्रशासन को नागरिकों की आवश्यकता अनुसार स्वयं को ढालना चाहिए, ग्राहकोन्मुखता तथा उत्तरदायित्वकी स्थापना के लिए लोचदार प्रशासनिक ढांचे की आवश्यकता होती है


लघु विकेंद्रित तथा नमनशील श्रेणियां प्रशासनिक संगठनों के लिए ज्यादा उचित हो सकती है, क्योंकि यह विभिन्न वर्ग के लोगों के लाभ या उन्नतिके लिए उपयुक्त हो सकती है, निर्णय निर्माण में जन सहभागिता के द्वारा ही लोचदार उत्तरदायी तथा ग्राहकोन्मुखी प्रशासनका निर्माण संभव है ऐसी सभ्यता विशेषकर लघु स्तर पर सहभागिताको सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संस्थागत व्यवस्था की है


संक्षेप में लोक प्रशासन सामाजिक समस्याओं के प्रति संवेदनशील है सन्दर्भ ,सदाचरण, नीतिशास्त्र और मूल्य,नवीनता या मौलिकता, संबंधित व्यक्ति के प्रति चिंता ,सामाजिक एकता, बहूवाद, वैयक्तिक गरिमा, आदि लोक प्रशासन के तत्व हैं नवीन लोक प्रशासन नौकरशाही के जनता के प्रति उत्तरदायित्वका समर्थन करता है


नवीन लोक प्रशासन की आलोचना


नवीन लोक प्रशासन लोक प्रिय प्रकृति का है जो कि राजनीतिक प्रकृति के अंतर्गत आता है, इसके अतिवादी तत्वों को विधानमंडल और जनमतके द्वारा ही लागू किया जा सकता है, इसमें राजनीतिक संस्थाओं प्रक्रिया और नेतृत्वसे संबंधित विषय वस्तु पर अपना अधिकार कर लिया है जो कि एक प्रकार का अतिक्रमण है


इसमें किसी व्यवहारिक तथा लक्ष्य आधारित सिद्धांत की खोज के प्रयत्न नहीं किए गए, नवीन लोक प्रशासन के विचारकों ने विकास के लिए आवश्यक तकनीकी की अनदेखी की है इन सभी आलोचनाओं के बावजूद नवीन लोक प्रशासन ने पारंपरिक सिद्धांत को झटका दिया


नवीन लोक प्रशासन ने लोक प्रशासन को उस समय उत्प्रेरित किया जिस समय इस विषय का आत्म बल गिरा हुआ था आज नवीन लोक प्रशासन का अपना एक स्थान है और इसका सीधा संबंध समाज से जुड़ गया है

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