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Comprehensive study materials and practice resources for Organization theory ( संगठन के सिद्धांत )
शाब्दिक दृष्टि से अंग्रेजी शब्द हायरार्की का अर्थ होता है निम्नत्तर पर उच्चत्तर का शासन या नियंत्रण या श्रेणीबद्ध प्रशासन। संगठन में ऊपर से नीचे तक उच्च पदाधिकारियों एवं अधीनस्थों के संबंधों को परस्पर संबद्ध करने की व्यवस्था को ही पद सोपान कहा जाता है। मुने तथा रैले ने कहा है कि पदसोपान व्यवस्था में एक तरफ तो संगठन की एकरूपता बनी रहती है तथा दूसरी तरफ सत्ता का हस्तांतरण भी होता रहता है सभी कार्य इसमें उचित माध्यम से होता रहता है। मुने इसे 'पहाड़ियों के समान प्राचीन' मानता है। इसलिए मुने तथा रेले ने पदसोपान को स्केलर प्रक्रिया का नाम दिया तथा हेनरी फेयोल ने इसे सोपानात्मक श्रृंखला कहा है
पिफ्नर तथा शेरवुड ने पद सोपान को चार भागों में बांटा है-
1. कार्यात्मक पदसोपान
2. प्रतिष्ठा का पद सोपान
3. कुशलता का पदसोपान
4. वेतन का पद सोपान
1. पदसोपान सिद्धांत में संगठन का आकार पिरामिड की तरह होता है जो ऊपर से नुकीला रहता है नीचे फैलते फैलते व्यापक आधार वाला हो जाता है। शीर्ष पर विभागाध्यक्ष होता है जिसमें संपूर्ण सत्ता निहित होती है।
2. शीर्षस्थ पदाधिकारी संपूर्ण प्रशासकीय संगठन का नेतृत्व करता है। वह अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को आवश्यक निर्देश तथा आदेश देता है तथा उन पर नियंत्रण रखता है ।
3. इस सिद्धांत के अनुसार बनाए गए संगठन में सत्ता, आदेश और नियंत्रण एक-एक सीढ़ी नीचे उतरते हुए ऊपर से नीचे की ओर जाता है। प्रत्येक अधीनस्थ कर्मचारी के लिए ठीक उसके ऊपर वाला अधिकारी उचित माध्यम से होता है।
4. पदसोपान सिद्धांत में उच्च अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को सत्ता हस्तांतरण करके कुछ शक्तियां और अधिकार प्रदान करता है।
5. पद सोपान सिद्धांत के अंतर्गत संगठन की विभिन्न इकाइयों के बीच एकीकरण का सिद्धांत लागू होता है। इसकी वजह से विभिन्न इकाइयां एक दूसरे से गुंथी हुई रहती है।
6. पद सोपान में आदेश की एकता के नियम का पालन होता है। प्रत्येक अधीनस्थ अपने उच्च अधिकारी से आदेश ग्रहण करता है, उसका पालन करता है तथा उसी के प्रति उत्तरदायी होता है
7. पद सोपान के सिद्धांत में एक व्यवस्थित क्रम होने की वजह से संगठन की विभिन्न इकाइयों के कार्यों में परस्पर समन्वय और तालमेल बना रहता है।
1. आदेश की एकता (Unity of command) - आदेश की एकता होना पदसोपान सिद्धांत की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। इसके अंतर्गत एक ही आदेश चलता है। यदि एक साथ अनेक आदेश देने वाले हो तो अव्यवस्था फैल जाएगी। प्रत्येक अधिकारी अपने तत्कालीन उच्चाधिकारी से आदेश ग्रहण करता है।
2. समन्वय (Co-ordination)- पद सोपान प्रणाली के माध्यम से संगठन में समन्वय आसान हो जाता है क्योंकि सत्ता का सूत्र सर्वोच्च अधिकारी के पास रहता है। इसलिए वह विभागीय शाखाओं में समन्वय स्थापित कर लेता है।
3. नेतृत्व (Leadership) - संगठन को पदसोपान द्वारा विभिन्न स्तरों में बांट कर यह निर्धारित कर दिया जाता है कि कौन किसका नेतृत्व करेगा। शीर्षस्थ पदाधिकारी संपूर्ण प्रशासकीय संगठन का नेतृत्व करता है।
4. एकीकृत व्यवस्था (Integrated system) - पदसोपान में संगठन की इकाइयां नीचे से ऊपर तक पूर्णतया एक सूत्र में बंधी होती है। यह समग्र, सुसंबद्ध और एकीकृत होती है। डॉक्टर MP शर्मा ने कहा है कि "यह एक धागा है जिसके द्वारा विभिन्न हिस्से एक साथ सिले जाते हैं।"
5. सत्ता का प्रत्यायोजन (Delegation of power) - इस प्रणाली में सता एक जगह सिमट कर नहीं रह जाती है बल्कि इसका हस्तांतरण होता है। प्रत्येक उच्च अधिकारी अपने अधीनस्थों को कुछ शक्तियां और कार्य सौंपता है ताकि अधीनस्थ कर्मचारी प्राप्त सत्ता के आधार पर अपने कर्तव्यों का पालन कर सके
6. उचित मार्ग द्वारा कार्य (Work by proper route)- पद सोपान सिद्धांत के अंतर्गत जो भी कार्य होता है उचित माध्यम से ही संपन्न होता है। इसमें कोई भी अधिकारी किसी अन्य के कार्य क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करता है और न ही अव्यवस्था फैलने का भय रहता है।
7. कार्यकुशलता (Work efficiency) - पद सोपान सिद्धांत के आधार पर गठित विभागों में कार्यकुशलता अधिक पाई जाती है।सापेक्षिक उत्तरदायित्व, नियंत्रण, समन्वय, नेतृत्व, एकता इत्यादि सभी तत्व मिलकर कार्यकुशलता को जन्म देते हैं जिससे विभाग चुस्त-दुरुस्त बना रहता है तथा अधिकारी कार्य कुशलता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं
1. कार्य में विलंब- इस पद्धति में सोपान होने के कारण कार्य उचित मार्ग द्वारा होता है। उचित मार्ग द्वारा कार्य विलंब कारी होता है।
2. अधिक खर्चीली पद्धति- पदसोपान व्यवस्था अनावश्यक खर्च को जन्म देती है।
3. लालफीताशाही और नौकरशाही- पदसोपान व्यवस्था में अनावश्यक विलंब और लंबी प्रक्रिया की वजह से नौकरशाही तथा लालफीताशाही को बढ़ावा मिलता है।
4. यांत्रिक संबंधों पर आधारित- पद सोपान व्यवस्था यांत्रिक और औपचारिक संबंधों पर आधारित होती है। इसमें मानवीय संबंधों, मनोवृत्तियों और भावनाओं को स्थान प्राप्त नहीं होता है।
5. लचीलेपन का अभाव- पदसोपान व्यवस्था में लचीलेपन का अभाव पाया जाता है। फेयॉल ने पद सोपान प्रणाली के दोषों को दूर करने का उपाय बताते हुए कहा कि लम्ब रेखा वाले संबंधों की स्थापना के साथ-साथ संगठन में समानांतर आधार पर भी संबंध होना स्थापित होना चाहिए। हेनरी फेयोल ने इसे गैंग प्लांक नाम दिया है। गैंग प्लांक का अर्थ होता है लेवल जंपिंग। वास्तव में यह समन्वय की व्यवस्था है। इस व्यवस्था द्वारा एक विभाग विभाग का कर्मचारी सीधे-सीधे भी दूसरे विभाग से संपर्क स्थापित कर सकता है।
Specially thanks to Post Author - P K Nagauri