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Comprehensive study materials and practice resources for Rajasthan Public Service Commission ( राजस्थान लोक सेवा आयोग )
राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना (1949 ) के समय इसके सदस्यों की संख्या अध्य्क्ष सहित तीन थी 1968 में आयोग ने सदस्यों की संख्या दो से बढ़ाकर तीन कर दी 1973 में यह संख्या चार और 1981 में पांच कर दी गयी, 2011 में लोकसेवा आयोग की सदस्य संख्या 7 कर दी गयी जो वर्तमान में यथावत ह
वर्ष 1926 में ली कमिशन ने भारत में एक संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की सिफारिश की थी किन्तु इस कमिशन ने प्रांतो में लोक सेवा आयोगों की स्थापना के बारें में कोई विचार नहीं किया। सर्वप्रथम राज्यों में लोक सेवा आयोग की स्थापना भारत सरकार अधिनियम 1935 की धारा 164 के अंतर्गत की गई थी। सन 1935 के अधिनियम के प्रावधान अनुसार अप्रैल 1937 में प्रांतों में लोक सेवा आयोग स्थापित हुई है। प्रांतीय सरकारे अपनी आवश्यकतानुसार नियुक्तियां करने एवं राज्य सेवा नियम बनाने हेतु स्वतंत्र थी। स्वतंत्रता से पूर्व राजस्थान अनेक देशी रियासतों में बंटा हुआ था। बीसवीं शताब्दी में राजपूताना के कुछ रियासतों ने अपनी लोक सेवाएं प्रारंभ की। इन सेवाओं की भर्ती करने के लिए अपने अपने प्रांतीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की। सर्वप्रथम राजपूताना में सन 1939 में जोधपुर राज्य ने लोक सेवा आयोग की स्थापना की। तत्पश्चात 1940 में जयपुर राज्य और 1946 में बीकानेर राज्य में राज्य लोक सेवा आयोग की स्थापना हुई इन रियासतों के राज्य लोक सेवा आयोगों का मुख्य दायित्व सेवा संबंधी नियमों का निर्माण करना और उन नियमों के अंतर्गत लोक सेवाओं में भर्ती करना होता था। राजस्थान राज्य के गठन के समय कुल 22 प्रांतों में से मात्र 3 प्रांत-जयपुर, जोधपुर एवं बीकानेर में ही लोक सेवा आयोग कार्यरत थे । रियासतों के एकीकरण के बाद गठित राजस्थान राज्य के तत्कालीन प्रबंधन ने 16 अगस्त, 1949 को एक अध्यादेश के अधीन राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना की । इस अध्यादेश का प्रकाशन राजस्थान के राजपत्र में 20 अगस्त 1949 को हुआ और इसी तिथी से अध्यादेश प्रभाव में आया । इस अध्यादेश के द्वारा राज्य में कार्यरत अन्य लोक सेवा आयोग एवं लोक सेवा आयोग की तरह कार्यरत अन्य संस्थाऐं बंद कर दी गयी । अध्यादेश में आयोग के गठन, कर्मचारीगण एवं आयोग के कार्यो संबधित नियम भी तय किये गये । आंरभिक चरण में आयोग में 1 अध्यक्ष एवं 2 सदस्य थे । राजस्थान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीरा सर एस.के. घोष को अध्यक्ष नियुक्त किया गया । तत्पश्चात श्री देवीशंकर तिवारी एवं श्री एन.आर. चन्दोरकर की नियुक्ती सदस्यों के रूप में एवं संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य श्री एस.सी. त्रिपाठी, आई.ई.एस की नियुक्ती अध्यक्ष के रूप में की गयी । वर्ष 1951 में आयोग के कार्यो को नियमित करने के उद्देश्य से राज प्रमुख द्वारा भारत के संविधान के अनुसार निम्न नियम पारित किये गये-
लोक सेवा आयोगों के द्वारा सम्पादित किये जाने वाले महत्वपूर्ण कार्यो एवं उनकी निष्पक्ष कार्य प्रणाली के कारण भारतीय संविधान में इनका महत्वपूर्ण स्थान है । अनुच्छेद संख्या 16, 234, 315 से 323 तक विशेष रूप से लोक सेवा आयोगों के कार्य एवं अधिकार क्षेत्र के संबंध में है राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना 1949 में जयपुर में की गयी थी लेकिन 1956 में पुनर्गठन के बाद सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर RPSE को अजमेर स्थानातरित कर दिया गया राजस्थान लोक सेवा आयोग की कार्य प्रणाली राजस्थान लोक सेवा आयोग नियम एवं शर्ते, 1963 एवं राजस्थान लोक सेवा आयोग ( शर्ते एवं प्रक्रिया का मान्यकरण अध्यादेश 1975 एवं नियम 1976 ) के द्वारा तय की जाती है
राज्य लोक सेवा आयोग के अध्य्क्ष और सदस्य राज्यपाल को सम्बोधित कर अपना पद त्याग सकते ह अंनु 317 राज्य लोक सेवा आयोग अध्य्क्ष और सदस्य को केवल कदाचार के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश द्वारा अनु 145 में विहित प्रक्रिया द्वारा उच्चतम न्यायालय द्वारा सिद्ध होने पर ही हटाया जा सकता ह ( जाँच के दौरान राज्यपाल अध्य्क्ष या आरोपी सदस्य को निलम्बित कर सकता ह )
प्रारंभ में आयोग में अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य थे 1973 में सदस्यों की संख्या 4 कर दी गई 1981 में सदस्य संख्या 5 कर दी गई। वर्तमान में राजस्थान लोक सेवा आयोग का एक अध्यक्ष और 7 सदस्य होते हैं अर्थात कुल सदस्यों की संख्या 8 है। यह पद संवैधानिक है एवं राज्य के महामहिम राज्यपाल की आज्ञा से इन पदों पर नियुक्ति की जाती है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को आयोग सचिवालय में सचिव के पद पर नियुक्त किया जाता है। सचिव द्वारा समस्त प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्यो का निष्पादन किया जाता है। सचिव की सहायता के लिये उपसचिव तथा परीक्षा नियन्त्रक होते है। राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के वर्तमान अध्यक्ष श्री यू.आर. साहू हैं, जिनका पूरा नाम उत्कल रंजन साहू है। उन्होंने जून 2025 में पदभार ग्रहण किया था।
आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है। दो या दो से अधिक राज्यों के संयुक्त लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। प्रारंभ में आयोग के वरिष्ठ सदस्य को अध्यक्ष नियुक्त किया जाता था परंतु पहली बार 2009 में महेंद्र लाल कुमावत को सीधे ही अध्यक्ष पद पर नियुक्ति दे दी गई।
राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के कार्यकाल 6 वर्ष या 62 वर्ष जो भी पहले हो तक होता है। अनुच्छेद 316 के अनुसार राज्य लोक सेवा आयोग और संयुक्त लोक सेवा आयोग के सदस्य 6 वर्ष या 62 वर्ष की उम्र (41 वे संविधान संशोधन द्वारा 60 से 62 वर्ष कर दी गई) तक ही पद धारण कर सकते हैं।
अध्यक्ष व सदस्य राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष शपथ ग्रहण करते हैं।
त्यागपत्र (Resignation Letter)
सेवामुक्ति या हटाना (Service Discharge or Removal)
राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है लेकिन उन्हें पद से हटाने की शक्ति राष्ट्रपति में निहित होती है। यदि आयोग का अध्यक्ष या सदस्य न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित किया जाए, पदावधि में पद के कर्तव्यों के बाहर सवेतन नियोजन कार्य करें, शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ या बीमार हो, अपने पद का दुरुपयोग करते हैं या भ्रष्ट साधनों का सहारा लेते हैं, उच्चतम न्यायालय में द्वारा लगाए गए आरोप का दोषी पाया जाता है तो राष्ट्रपति के आदेश से हटाया जा सकता है। राज्यपाल जांच के दौरान उन्हें निलंबित कर सकता है।
सेवा शर्तें (Terms of service)
अनुच्छेद 312 प्रावधान करता है कि आयोग के सदस्यों से संबंधित सेवा शर्तें लागू करने की शक्ति संघ लोक सेवा आयोग में राष्ट्रपति व राज्य लोक सेवा आयोग में राज्यपाल की होगी। अनुच्छेद 319 के अनुसार एक बार पद धारण करने के पश्चात किसी राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष अन्य राज्य लोक सभा का अध्यक्ष या संघ लोक सेवा आयोग में सदस्य के रूप में नियुक्ति का पात्र होगा किंतु भारत सरकार या किसी अन्य राज्य के अधीन किसी नियोजन का पात्र नहीं होगा।
1. राज्य लोक सेवाओं की भर्ती प्रक्रिया को सम्पादित करना परिक्षा का अयोजन एवं साक्षात्कार (320) प्रथम।
2. राज्य सरकार को ऐसे मामलों में सलाह देना जो राज्यपाल आयोग को सौंपे। 3. अनुच्छेद (321) ऐसे कार्य जो विधानमण्डल सौंपे। 4. अपने कार्य का वार्षिक प्रतिवेदन राज्यपाल को देना।
NOTE- बाद में 18 विभागों की कुल 153 सेवाएं इसमें शामिल की गई।
प्र 1. लोकायुक्त की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर- लोकायुक्त की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती हैं,इनकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता से परामर्श से की जाती है।
प्र 2. राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्यों का कार्यकाल।
उत्तर- कार्यकाल - - राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के कार्यकाल 6 वर्ष या 62 वर्ष जो भी पहले हो तक होता है।
प्र 3. राजस्थान लोक सेवा अधिनियम 2011 का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर- राजस्थान लोक सेवा अधिनियम 2011 का प्रमुख उद्देश्य सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता तथा जवाबदेही को बढ़ाना एवं भ्रष्टाचार में कमी लाना है।
प्र 4. राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्यों की योग्यताएं बताइए।
उत्तर- अनुच्छेद 316 (1) के अनुसार आयोग के आधे सदस्य केंद्र सरकार या राज्य सरकार के प्रशासनिक सेवाओं या लोक सेवाओं के सदस्य होते हैं जिनको 10 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।शेष सदस्यों के लिए कोई विशेष दिशा निर्देश नहीं दिये गये है।
प्र 5. किनके विरुद्ध लोकायुक्त को शिकायत नहीं की जा सकती है?
उत्तर- उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या अन्य न्यायाधीश, भारत में किसी भी न्यायालय के अधिकारी अथवा कर्मचारी, मुख्यमंत्री, राजस्थान महालेखाकार, राजस्थान राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अथवा सदस्य मुख्य निर्वाचन आयुक्त, निर्वाचन आयुक्त, प्रादेशिक आयुक्त, मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजस्थान विधानसभा सचिवालय के अधिकारी एवं कर्मचारी सरपंचों, पंचों, विधायकों के विरुद्ध शिकायत की जाती है लेकिन उनके विरुद्ध प्रसंज्ञान नहीं लिया जा सकता क्योंकि अधिकार क्षेत्र में नहीं है। सेवानिवृत्त लोक सेवक आदि के विरुद्ध शिकायत लोकायुक्त को नहीं की जा सकती है।
प्र 6. राजस्थान लोक सेवा अधिनियम 2011 के विशिष्ट प्रावधान जो केवल राजस्थान के विधेयक में ही है। मुख्यतः स्पष्ट कीजिए । (80 शब्द)
उत्तर- केवल राज्य सरकार के विभाग की नहीं, बल्कि निकाय, बोर्ड, निगम, विश्वविद्यालय एवं ऐसी संस्थाएं जिन्हें राज्य सरकार से सहायता मिलती है, को शामिल किया जा सकता है। जलदाय विभाग, जल संसाधन विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग, स्थानीय निकाय विभाग द्वारा ली जाने वाली जमानत राशि एवं धरोहर राशि को समयबद्ध लौटाने का प्रावधान। सेवानिवृत्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के पेंशन व अन्य प्रकरणों को समयबद्ध निस्तारण की व्यवस्था। ऊर्जा से संबंधित नए विद्युत कनेक्शन के साथ साथ विद्युत बिलों को ठीक कराना, मीटर बदलवाने, विद्युत सप्लाई को ठीक करवाना आदि से संबंधित सेवाएं। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को शामिल किया गया है। आवासन मंडल की सेवाएं सिर्फ राजस्थान में ही शामिल की गई है। स्थानीय निकाय द्वारा जारी की जाने वाली सभी तरह की एवं निकायों द्वारा जारी किए जाने वाले सभी प्रकार के लाइसेंस शामिल किए गए हैं। नगरीय विकास विभाग व स्थानीय निकाय के अंतर्गत भवन निर्माण स्वीकृतियां, भूखंड उपविभाजन, पुनर्गठन, सामुदायिक केंद्रों का आरक्षण, दस्तावेज/ मानचित्र की प्रति प्राप्त करना शामिल किया गया है।
प्र 7. राजस्थान लोक सेवा आयोग के कार्य बताइए। (100 शब्द)
उत्तर - राजस्थान लोक सेवा आयोग के कार्य
1. भर्ती संबंधी कार्य करना- आयोग राज्य प्रशासनिक सेवा में और अधीनस्थ सेवा में भर्ती के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं का आयोजन करेगा। इसके माध्यम से योग्यतम प्रत्याशियों को भर्ती के लिए आकर्षित करेगा।
2. परीक्षाओं का आयोजन करना- राज्य सरकार की अनुशंसा पर असैनिक सेवाओं तथा पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करके परीक्षा करवाएगा।
3. साक्षात्कार करना- विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा में सफल उम्मीदवारों का साक्षात्कार करवाना का कार्य करेगा। साधारणता साक्षात्कार के लिए रिक्त पदों के 3 गुना प्रत्याशियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है और साक्षात्कार के पश्चात अंतिम योग्यता सूची तैयार की जाती है।
4. पदोन्नति संबंधी कार्य- आयोग पदोन्नति के संबंध में परीक्षाएं आयोजित कर सकता है और विभागीय पदोन्नति की सिफारिश भी करता है।
5. अनुशंसा करना- राज्य लोक सेवा आयोग अंतिम चयन सूची बनाने के बाद सूची में वरीयता क्रम में आने वाले प्रत्याशियों की समाज सेवा के पदों पर नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को सिफारिश करता है। साधारणतया सरकार आयोग की सिफारिश मान लेती हैं परंतु मानने के लिए बाध्य नहीं हैं।
6. अनुशासनात्मक कार्यवाही- सरकार किसी कार्मिक के विरुद्ध भ्रष्टाचार या असंवैधानिक गतिविधियों में शामिल होने की शिकायत प्राप्त करती है तो यह लोक सेवा आयोग से उचित अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए परामर्श ले सकती है।
7. परामर्श संबंधी कार्य- राज्य सरकार लोक सेवकों के स्थानांतरण, पदोन्नति और किसी प्रकार के न्यायिक मामले में आयोग से परामर्श ले सकती है।
Specially thanks to Post Authors- महेन्द्र चौहान, सुभाष शेरावत, P K Nagauri, नवीन कुमार, Ajay Meena Tonk, दिनेश मीना,झालरा टोंक