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लोक प्रशासन की विकसित और विकासशील देशों में भूमिका

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लोक प्रशासन किसी भी राष्ट्र की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना का महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसका मुख्य कार्य शासन के उद्देश्यों को नागरिकों तक पहुँचाना और समाज को सुचारू रूप से संचालित करना है। विकसित और विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका अलग-अलग परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार भिन्न होती है।


लोक प्रशासन की भूमिका विकसित और विकासशील देशों में बढ़ रही है, विकासशील देशों में इसकी भूमिका अपेक्षाकृत अधिक निर्णायक है, विकासशील देशों में लोक प्रशासन को ऐसे कार्य भी करने पड़ते हैं जो इसके वैध दायरे से बाहर होते हैं, लोक प्रशासन के द्वारा किसी देश की व्यवस्था उस के ढांचे में परिवर्तन लाया जा सकता है, लोक प्रशासन के द्वारा किसी देश की सरकार द्वारा योजनाएं क्रियान्वित की जाती है



विकसित देशों में लोक प्रशासन की भूमिका


विकसित देशों के नेता परिपक्व होते हैं, वह सिर्फ नीति निर्माण में ही सक्रिय रुप से भाग नहीं लेते बल्कि नौकरशाही को भी निरंकुश होने से रोकते हैं, राजनीतिज्ञ तथा प्रशासक के मध्य एक प्रकार का संतुलन पाया जाता है विकसित देशों की नौकरशाही अधिक विशिष्ट और व्यावसायिक है


उन्हें सिर्फ विकसित व्यवस्था के अंतर्गत बल्कि उच्चतम तकनीकी पर आधारित विकसित तकनीक के साथ जटिल कार्य को पूरा करना होता है, इस प्रकार नौकरशाही व्यवसायिक योग्यता के साथ-साथ विशिष्टता की वृद्धि लोक सेवा में करती है, यहां पर लोक प्रशासन का ढांचा वृद्धस्तरीय संगठन है, जिसका ढांचा इस प्रकार का होता है जो पेचीदे कार्य को भी संपन्न करने में सफल हो सका है


विकसित देशों की विशेषता है


उच्च प्रति व्यक्ति आय, तकनीकी उन्नति, स्थिर लोकतांत्रिक प्रणाली और व्यापक कल्याणकारी योजनाएँ। ऐसे में लोक प्रशासन की भूमिका अपेक्षाकृत स्थिर और सेवा-उन्मुख होती है।


नीति क्रियान्वयन और पारदर्शिता- विकसित देशों में प्रशासन मुख्य रूप से नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन, नागरिकों को बेहतर सेवाएँ प्रदान करने और पारदर्शिता बनाए रखने पर केंद्रित रहता है।


कल्याणकारी सेवाएँ - स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, वृद्धावस्था पेंशन और बेरोजगारी भत्ता जैसी योजनाओं के संचालन में प्रशासन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।


तकनीकी नवाचार- ई-गवर्नेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा और डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग करके प्रशासन नागरिक सेवाओं को तेज़ और प्रभावी बनाता है।


लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा- नागरिक अधिकार, स्वतंत्रता, समानता और विधि का शासन सुनिश्चित करना विकसित देशों के प्रशासन की प्राथमिकता होती है।


विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका


विकासशील देशों (जैसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ्रीकी राष्ट्र आदि) में संसाधनों की कमी, गरीबी, अशिक्षा, असमानता और राजनीतिक अस्थिरता जैसी चुनौतियाँ होती हैं। यहाँ लोक प्रशासन की भूमिका अपेक्षाकृत व्यापक और बहुआयामी होती है।


विकासशील देशों में लोक प्रशासन की मूल विशेषता यह है कि उनकी राजनीतिक कार्यपालिका इतनी परिपक्व नहीं होती कि वे आर्थिक नीतियों का निर्माण कर सके, जब राजनीतिज्ञ नीति के निर्धारण और कार्यान्वयन में असफल हो जाते हैं तो प्रशासन नीति निर्माण और इसके कार्यान्वयन में अहम भूमिका निभाता है इस प्रकार विकसित देशों की अपेक्षा विकासशील देशों के प्रशासक नीति निर्माण और क्रियान्वन में अधिक राजनीतिक शक्ति तथा सम्मान का प्रयोग करते है, राजनीतिज्ञों द्वारा प्रशासकों पर उचित नियंत्रण के अभावमें दोनों के मध्य एक प्रकार का असंतुलन पाया जाता है


जनता की आकांक्षाओं को देखते हुए प्रशासन से आशाकी जाती है कि वह समाज के कमजोर पिछडे वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए उचित नीतियों और विधेयकों के कार्यक्रम पर विचार करें, आर्थिक क्षेत्र में प्रशासन के समस्त आर्थिक विकास से संबंधित कठिन कार्य होते हैं, इससे प्रशासन से यह आशा की जाती है कि वह केवल उत्तम उत्पादन से संबंधित निवेश नीतियों को लागू करें बल्कि संकट के समय स्वयं ही उद्यमों को सुचारु रुप से चलाएं


सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में योगदान के अतिरिक्त विकासशील देशों में लोक प्रशासन की मूल विशेषता इसका विकासोन्मुखी होना है, विकासशील देशों के प्रशासक सीधे तौर पर राजनीति में भागनहीं लेते बल्कि नीति के क्रियान्वयन के दौरान उन्हें अनेक ऐसी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है, जिनका सीधा संबंध कार्यपालिका से होता है, विकास कार्यों के मार्ग में मानव शक्ति का अभाव औपनिवेशिक काल की प्रशासनिक व्यवस्था प्रशासक तथा प्रशासित के मध्य अनुचित संबंध आदि विकासशील देशों की प्रशासनिक व्यवस्था के लक्षण या विशेषताएं हैं


विकासशील देशों की विशेषता है


आर्थिक विकास में योगदान- उद्योग, कृषि, बुनियादी ढाँचे और निवेश को बढ़ावा देकर प्रशासन देश के आर्थिक उत्थान में सहायक बनता है।


गरीबी उन्मूलन और सामाजिक न्याय- गरीबी हटाने, रोजगार सृजन, आरक्षण, सामाजिक कल्याण योजनाएँ और कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में लाने में प्रशासन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


राष्ट्रीय एकता और स्थिरता- विविधतापूर्ण समाज में प्रशासन शांति, कानून-व्यवस्था और राष्ट्रीय एकता बनाए रखने का कार्य करता है।


नीतियों का कार्यान्वयन और नवाचार- विकासशील देशों में योजनाएँ अधिकतर गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा सुधार पर केंद्रित होती हैं, जिन्हें लागू करने में प्रशासन की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।


जनसंपर्क और भागीदारी- लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रशासन नागरिकों को योजनाओं में भागीदार बनाता है तथा जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को संगठित करता है।


 


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