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Comprehensive study materials and practice resources for Women Protection Act ( महिला संरक्षण अधिनियम 2005 )
घरेलू हिंसा की परिभाषा इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए प्रत्यर्थी का कोई कार्य, लोप या किसी कार्य करना या आचरण घरेलू हिंसा गठित करेगा यदि वह-
1. व्यथित व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुरक्षा जीवन, अंग की चाहे उसकी मानसिक व शारीरिक भलाई की अपहानि करता है या उसे कोई क्षति पहुंचाता है या उसे संकटापन्न करता है या उसकी ऐसा करने की प्रवृत्ति है और जिसके अंतर्गत शारीरिक दुरूपयोग, लैंगिक दुरुपयोग, मौखिक और भावनात्मक दुरुपयोग और आर्थिक दुरुपयोग कारित करना भी है।
2. किसी दहेज या अन्य संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति के लिए किसी विधि विरुद्ध मांग की पूर्ति के लिए उसे या उससे संबंधित किसी अन्य व्यक्ति को पीडित करने की दृष्टि से व्यथित व्यक्ति का उत्पीड़िन करता है या उसकी अपहानि करता है या उसे क्षति पहुंचाता है।
3. उपरोक्त वर्णित किसी आचरण द्वारा व्यथित या उससे संबंधित किसी व्यक्ति पर धमकी का प्रभाव रखता है।
4. व्यथित व्यक्ति को, अन्यथा क्षति पहुंचाता है या उत्पीड़न कारित करता है, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक।
राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा प्रत्येक जिले में उतने संरक्षण अधिकारी नियुक्त करेगी, जितने वह आवश्यक समझे और उन क्षेत्र अथवा क्षेत्रों को भी अधिसूचित करेगी। ऐसे संरक्षण अधिकारी जहां तक संभव हो महिलाएं होगी और उनके पास ऐसी अर्हताएं और अनुभव होगा जो विहित किया जाए।
सरंक्षण अधिकारियों के कर्तव्य और कृत्य-
a. किसी मजिस्ट्रेट को इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों के निर्वहन में सहायता करना।
b. किसी घरेलू हिंसा की शिकायत की प्राप्ति पर, किसी मजिस्ट्रेट को ऐसे प्रारूप और रीति में जो विहित की जाए, घरेलू हिंसा की रिपोर्ट करना और उस पुलिस थाने के, जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमा के भीतर घरेलू हिंसा का होना अभिकथित किया गया है, भारसाधक पुलिस अधिकारी को या उसके क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं को, उस रिपोर्ट की प्रतियां अग्रेषित करना।
c. किसी मजिस्ट्रेट को आवेदन करना।
d. यह सुनिश्चित करना कि किसी व्यथित व्यक्ति को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के अधीन विधिक सहायता उपलब्ध कराई गई है।
e. व्यथित व्यक्ति को शारीरिक क्षतियां हुई है तो उसका चिकित्सकीय परीक्षण कराना और उस क्षेत्र में जहां घरेलू हिंसा का होना अभिकथित किया गया है पुलिस थाने को और अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को उस चिकित्सकीय रिपोर्ट की एक प्रति अग्रेषित करना।
इसमें निम्न को शामिल किया गया है-
इसमें निम्न को शामिल किया गया है-
a. बलात लैंगिक मिथुन,
b. आपको अश्लील साहित्य का कोई अन्य अश्लील तस्वीरों या सामग्री को देखने के लिए मजबूर करता है आपसे दुर्व्यवहार करने।
c. आपसे दुर्व्यवहार करने, अपमानित करने या नीचा दिखाने की लैंगिक प्रकृति का कोई अन्य कार्य अन्यथा जो आपकी प्रतिष्ठा का उल्लंघन करता हो या कोई अन्य अस्वीकार्य लैंगिक प्रकृति का हो।
d. बालकों के साथ लैंगिक दुर्व्यवहार।
इसमें निम्न को शामिल किया गया है-
अतिलघुतरात्मक (15 से 20 शब्द)
प्र 1. व्यथित व्यक्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- ऐसी स्त्री जो प्रत्यर्थी के साथ घरेलू नाता रखती है और प्रत्यर्थी द्वारा उसके साथ घरेलू हिंसा का अभिकथन करती है।
प्र 2. गुरुतर लैंगिक हमले के लिए कितना दंड निर्धारित है?
उत्तर- न्यूनतम 5 वर्ष की अवधि का कारावास और अधिकतम 7 वर्ष तक की अवधि का कारावास और जुर्माना।
प्र 3. घरेलू कामगार कौन है?
उत्तर- ऐसी कोई महिला जो किसी गृह में पारिश्रमिक के लिए धारित घरेलू कार्यों को करने के लिए, चाहे नकद में या वस्तु रूप में, प्रत्यक्ष रूप से या किसी अभिकरण के माध्यम से अस्थाई, स्थाई, अंशकालिक या पूर्णकालिक आधार पर नियोजित है, किंतु इसके अंतर्गत नियोजक के कुटुम्ब का कोई सदस्य नहीं है, घरेलू कामगार है।
प्र 4. बाल श्रम को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- बाल श्रम का मतलब ऐसे कार्य से हैं, जिसमें कार्य करने वाला व्यक्ति सरकार द्वारा निर्धारित आयु से छोटा होता है।
प्र 5. संरक्षण अधिकारी द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किये जाने पर कितनी शास्ति का प्रावधान किया गया है?
उत्तर- धारा 33 के अनुसार 1 वर्ष तक की अवधि का कारावास अथवा ₹20000 तक का जुर्माना अथवा दोनों।
लघूतरात्मक (50 से 60 शब्द)
प्र 6. शारीरिक दुर्व्यवहार क्या है?
उत्तर- ऐसा कोई भी कृत्य या आचरण शारीरिक दुर्व्यवहार है, जो व्यथित व्यक्ति के जीवन, सुरक्षा, अंग या स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है या क्षति कारित करता है या पीड़ा कारित करता है या उसके स्वास्थ्य या विकास को ह्रास करता है और इसमें हमला, आपराधिक अभित्रास, आपराधिक बल का प्रयोग सम्मिलित है।
प्र 7. महिलाओं को क्रूरता से बचाने के लिए बनाए गए भारतीय दंड संहिता 1860 में किए गए प्रावधान का वर्णन करते हुए क्रूरता को बताइए ।( 80 शब्द)
उत्तर- धारा 498-A किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना या जो कोई किसी स्त्री का पति या पति का नातेदार होते हुए भी ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा वह कारावास से जिसकी अवधि 3 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
स्पष्टीकरण - इस धारा के प्रयोजनों के लिए क्रूरता से अभिप्रेत है- क. जानबूझकर किया गया कोई आचरण तो ऐसी प्रकृति का है, जिससे उस स्त्री को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने की या उस स्त्री के जीवन, अंग या स्वास्थ्य को (चाहे मानसिक हो या शारीरिक) गंभीर क्षति या खतरा कारित करने की संभावना है, या ख. किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना कि उसको या उसके किसी नातेदार को किसी संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए प्रपीडित किया जाए या किसी स्त्री को इस कारण तंग करना कि उसका कोई नातेदार ऐसी मांग पूरी करने में असफल रहा है
प्र 8. लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का उद्देश्य क्या है।
उत्तर- इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य लैंगिक हमला, लैंगिक उत्पीड़न एवं अश्लील साहित्य से बालकों का संरक्षण करना, ऐसे अपराधों का विचारण करने के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना करना तथा उनसे संबंधित या आनुषंगिक विषयों के लिए उपबंध करना है।
प्र 9. लैंगिक उत्पीड़न क्या है, स्पष्ट कीजिए । (100 शब्द)
उत्तर - लैंगिक उत्पीड़न से अभिप्राय है लैंगिक आशय से- (क) कोई शब्द कहना, कोई ध्वनि या अग विक्षेप करना या किसी वस्तु अथवा शरीर के किसी भाग का ऐसा प्रदर्शन करना कि वह बालक द्वारा देखा या सुना जाए, (ख) किसी बालक के शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करना, (ग) अश्लील प्रयोजनों के लिए किसी प्ररूप या मीडिया में किसी बालक को कोई वस्तु दिखाना, (घ) बालक का सीधे या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से निरंतर पीछा करना, देखना या संपर्क बनाना, (ड़) बालक के शरीर के किसी भाग या लैंगिक कृत्यों में बालक के अंतर्ग्रस्त होने का इलेक्ट्रॉनिक, फिल्म या अंकीय माध्यम से वास्तविक या गढे गये चित्रण को मीडिया के किसी रूप में उपयोग करने की धमकी देना, या (च) अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक को प्रलोभन या परितोष देना।
Specially thanks to Post and Question Writer - P K Nagauri