महमूद ग़ज़नवी का चरित्र और मूल्यांकन

महमूद ग़ज़नवी का चरित्र और मूल्यांकन


महमूद गजनबी बहुत महत्वाकांक्षी व्यक्ति था वह एक साहसी सैनिक और सफल सेनापति था प्रत्येक व्यक्ति को उसकी योग्यता अनुसार कार्य देता था और अपनी इच्छा अनुसार कार्य लेता था
विभिन्न नस्लों से मिली-जुली सेना उसके नेतृत्व में एक शक्तिशाली सेना बन गई उसने अपनी बहूजातिय सेना में हिंदुओं को भी नियुक्त किया महमूद गजनबी की सेना में अरब ,तुर्क ,अफगान और हिंदू सैनिक शामिल थे
महमूद की सबसे बड़ी दुर्बलता उसका कुशल शासक प्रबंधक ना होना था तुर्की शासन व्यवस्था जनजातीय संगठन पर आधारित थी
महमूद के विरुद्ध चंदेल शासक विद्याधर ने राजाओं का एक संघ बनाया था
महमूद को बुतशिकन (मूर्तिभंजक )कहा जाता है
उत्तर-पश्चिम भारत में जारी किए गए महमूद ग़ज़नवी सिक्कों पर अरबी और कश्मीर में प्रचलित शारदा लिपि में लिखे गए द्विभाषीय लेख हैं

महमूद गजनबी विद्वानों और कलाकारों का संरक्षक था उस के दरबार में संरक्षण पाने वाले प्रमुख विद्वान थे
अलबरूनी
इतिहासकार उत्बी
दर्शनशास्त्र का विद्वान फराबी
बैहाकी
फारस का कवि  उजारी

खुरासानी विद्वान तुसी
उन्सूरी ,
अस्जदी,
फर्रूखी और
फ़िरदौसी आदि

महमूद गज़नवी के प्रमुख विद्वान


उत्बी(Utbi)
महमूद गज़नवी के विद्वानों में उत्बी महमूद के समय का महान साहित्यकार था वह शाही इतिहासकार भी था
उसकी प्रमुख पुस्तकें निम्न थी
1- किताब-उल यमनी
2- तरीख- ए -यामिनी

जिसमें महमूद गज़नवी के जीवन और कार्यों का विस्तृत वर्णन है
उत्बी महमूद ग़ज़नवी का सचिव था।उत्बी के अनुसार महमूद ग़ज़नवी के आक्रमण का मुख्य उद्देश्य जिहाद या इस्लाम प्रचार था
उत्बी एक मात्र इतिहासकार था जिसने महमूद के भारत पर आक्रमण का वर्णन किया लेकिन उत्बी महमूद गजनबी के अभियानों में उसके साथ भारत नहीं आया था

फिरदौसी( Firdausi)
महमूद गज़नवी के दरबार का प्रसिद्ध विद्वान कवि  फिरदौसी था इसे ""पूर्व के होमर""की उपाधि दी गई थी
फिरदौसी की सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना ""Shahnama""है
कहा जाता है कि महमूद गजनबी ने शाहनामा लिखने के लिए फिरदोसी को 7000 सोने के मिशकल( प्रत्येक छंद की रचना के लिए एक सोने की मोहर) देने का वादा किया था किंतु शाहनामा पूरा होने पर उसने फिरदौसी को केवल 7000 चांदी के मिशकल ही दिए
जिन्हें लेने से फिरदौसी ने इनकार कर दिया यद्यपि इसका मुख्य कारण महमूद गज़नवी के कृपा पात्र अयाज का फिरदौसी के विरुद्ध षड्यंत्र रचना था
क्रोध में आकर फिरदौसी सदा के लिए गजनी त्याग कर चला गया अंत में महमूद गजनबी ने क्षमा मांगी और 7000 स्वर्ण मुद्राएं फिरदौसी के पास भिजवाया
लेकिन भेंट  पहुंचने से पहले ही फिरदौसी का शव संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था क्योंकि दरबार में अपमानित किए जाने के कारण फिरदौसी ने आत्महत्या कर ली थी
फिरदौसी वही कवि है जिसने "फारसी भाषा(Persian language)" की नीव रखी थी जिसने अपनी रचना शाहनामा से फारसी भाषा का श्रीगणेश किया था
उल्लेखनीय है कि फिरदौसी भारत नहीं आया था फिर भी अपनी पुस्तक ""शाहनामा""में उसने भारत के विषय में वर्णन किया है
"रजनी कांत शर्मा" ने इनकी फारसी भाषा में लिखी गई पुस्तक शाहनामा का हिंदी में अनुवाद किया

बैहाकी(966-1077)
बैहाकी  महमूद ग़ज़नवी का एक शाही लेखक था।लेनपूर ने उसे ""पूर्वीय श्री पैपीय(पेप्स)"" की उपाधि दी है
वह गजनबी दरबार और उसके अमीरों से घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ था उन्होंने ग़ज़नवी शासकों का 1059 इसवी तक का विस्तृत इतिहास 10 खंडों में लिखा है।  जो ""तारीख-ए-बैहाकी"" के नाम से जाना जाता है
इसके विभिन्न खंडों के नाम है➖
1- तारीख ए सुबुक्तगीन (सुबुक्तगीन का दरबारी कवि था)
2- ताजुल फुतुह( गजनी के सुल्तान महमूद का  इतिहास)
3- तारिख- ए-मसूदी( सुल्तान मसूद का इतिहास)

फराबी(Farabi)
दर्शनशास्त्र का विद्वान फराबी महमूद का दरबारी था
उजारी➖ फारस के रे का निवासी उजारी भी महमूद के दरबार का कवि था
असदी तुसी➖ यह खुरासान का रहने वाला था

 Alberuni (973-1048ई.)
अलबरूनी खगोल विज्ञान, भूगोल, तर्कशास्त्,र औषधि विज्ञान, गणित, दर्शन, धर्म और धर्म शास्त्र का विद्वान था
इसका जन्म 973ईस्वी में खीवा (प्राचीन ख्वारिज्म) में हुआ था महमूद गजनवी के भारत विजय से पूर्व वह एक विद्वान और राज नायक के रूप में खीवा वंश के अंतिम शासक की सेवा में था
1017 ई में महमूद गजनबी ने ख्वारिज्म शाह पर विजय कर अलबरूनी को प्राप्त किया
1018-19 ईस्वी  में वह महमूद गजनवी के साथ भारत आया
अलबरूनी की प्रसिद्ध रचना kitab-ul-hind है जिसमें 1017 से 1030 के बीच भारतीय जीवन का वर्णन है
यह पुस्तक अरबी भाषा में है जिसका बाद में फारसी भाषा में अनुवाद किया गया फारसी से अंग्रेजी भाषा में इस पुस्तक का अनुवाद एडवर्डसी सचाऊ ने अलबरूनी इंडिया,ऐन  अकाउंट ऑफ द  रेलिजन नाम से किया है इसका हिंदी में अनुवाद रजनी कांत शर्मा ने किया
अलबरूनी ने अपनी पुस्तक किताब-उल-हिंद में भारतीयों की विशेषकर पवित्र स्थानों पर तालाब और जल संग्रहण कार्य के निर्माण में उच्च कोटि की प्रवीणता की प्रशंसा की है
अलबरूनी लिखता है कि भारत आरंभ में सागर था कई शताब्दियों में  हिमालय की नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से वह भर गया था
अलबरूनी ब्राह्मण शिक्षा के केंद्र कन्नौज ,बनारस और कश्मीर कभी नहीं गया अलबरूनी ने भारतीय परिस्थितियां और संस्कृति को जानने के लिए ब्रम्हा गुप्त के ब्रह्मासिद्धांत ,बलभद्र, वराहमिहिर की वृहत्संहिता कपिल के सांख्य और पतंजलि के योग आधी रचनाओं का उल्लेख किया है
उसने जगह-जगह भगवत गीता ,विष्णु पुराण और वायु पुराण को उद्धृत किया है इस प्रकार पुराणों का अध्ययन करने वाला अलबरूनी प्रथम मुसलमान था

उन्सूरी➖ उन्सूरी  अपने काल का महान विद्वान था
महमूद गजनबी विद्वानों के साथ-साथ एक निर्माता और कलाकारों वह वास्तुकारों का भी संरक्षक था
उसने देश- विदेश के कलाकारों को बुलाकर गजनी में भव्य इमारतों का निर्माण करवाया उसने गजनी में कई भव्य मस्जिदों का निर्माण कराया जिसे ""पूर्व का आश्चर्य"" कहा जाता था
गजनी में ही उसने एक विश्वविद्यालय, एक बड़ा पुस्तकालय और एक अजायबघर स्थापित किया
नवार नदी पर उसने बाढ़-ए- सुल्तान बांध का निर्माण करवाया इस प्रकार महमूद के संरक्षण में गजनी एक संस्कृति स्थल के रूप में विख्यात हो गया
इसकी गणना मध्य एशिया के सुंदर नगरों में होने लगी महमूद एक न्याय प्रिय शासक भी था उस का भतीजा एक स्त्री के विरोध के बाद भी उसे अपमानित करने का प्रयास करता रहा जिसके कारण महमूद ने उसका कत्ल कर दिया था
शासन व्यवस्था को  सुव्यवस्थित रखने के लिए उसने अपने सुधारों को नियंत्रण में रखा था
तुर्कों द्वारा विशेष प्रकार का धनुष काम में लिया जाता था जिसे फारसी में नावक कहते थे

महमूद ग़ज़नवी के उत्तराधिकारी
महमूद गज़नवी के बाद 15 शासक हुए । जिन्होंने 1030 से 1086 इसवी तक शासन किया
परंतु उनका कार्य युद्ध पतन और साम्राज्य की क्षीणता के लिए प्रसिद्ध है

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