कोटा प्रजामंडल आंदोलन

कोटा में जन जाग्रति का श्रेय राजस्थान सेवा संघ के कार्यकर्ता पंडित नयनूराम शर्माको है
पंडित नयनूराम शर्मा ने 1918 में कोटा में प्रजा प्रतिनिधि सभा की स्थापना की थी  हाडोती क्षेत्र में जन जाग्रति के लिए पंडित नयनूराम शर्मा की अध्यक्षता में हाड़ोती सेवा संघ की स्थापना की गई
कोटा राज्य में जन जागृति के जनक पंडित नयनूराम शर्मा थे इन्होंने थानेदार के पद से इस्तीफा देकर सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया था यह श्री विजय सिंह पथिक द्वारा स्थापित राजस्थान सेवा संघ के सक्रिय सदस्य बन गए थे
इन्होने हाडौती सेवा संघ के माध्यम सेकोटा राज्य में बेगार विरोधी आंदोलन चलाया था जिसके परिणाम स्वरुप बेगार की सख्तियों में कमीआई थी
पंडित नयनूराम शर्मा ने सन 1934 में हाडौती प्रजामंडलकी स्थापना की लेकिन महाराज उम्मेदसिंह द्वितीय की अनुदार नीति के कारण यह संस्था निष्क्रिय हो गई थी

कोटा प्रजामंडल की स्थापना 

हाड़ोती प्रजामंडल के निष्क्रिय हो जाने के कारण पंडित नयनूराम  शर्मा ने पंडित अभिन्न हरि के साथ मिलकर 1939 में कोटा राज्य प्रजामंडल की स्थापना की
 प्रजा मंडल के अध्यक्ष श्री नयनूराम शर्मा बने थे
कोटा प्रजामंडल की स्थापना राज्य में उत्तरदायी शासन स्थापित करने के उद्देश्यसे की गई थी इस प्रजामंडल ने महाराव के समक्ष कोटा में उत्तरदायी शासन स्थापित करने की मांग रखी थी प्रजामंडल दिनों दिन जोर पकड़ता जा रहा था
 प्रजा मंडल ने निरक्षरता उन्मूलनकृषकों को सिंचाई के साधन उपलब्ध कराना और खाद्यान्न की समुचित व्यवस्था करने का अनुरोध किया था
प्रजामंडल का प्रथम अधिवेशन नयनूराम शर्मा की अध्यक्षता में मांगरोल बॉरा मे1939 में हुआ था
 इसी समय प्रथम बार एक महिला सम्मेलन भी आयोजित किया गया था जिसकी अध्यक्षता श्रीमती शारदा भार्गव ने की थी 
इस अधिवेशन में वर्ष के बालकों के लिए अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था का प्रस्ताव पारित किया गया था

हाड़ोती शिक्षा मंडल 

ए.जी.जी.के निर्देश परजब कोटा महाराव उम्मेद सिह ने राजस्थान सेवा संघ की हाडोती शाखा को बंद कर दिया था
अपनी हत्या से पूर्व पंडित नयनूराम शर्मा ने मोडक में हाड़ोती शिक्षा मंडलकी स्थापना की थी

पंडित नयनूराम राम की हत्या 

कोटा प्रजामंडल सफलता की ओर आगे बढ़ रहा था इसी बीच 14 अक्टूबर 1941को अपने गांव  निमाणा जाते समय पंडित नानूराम शर्मा की अज्ञात गिरोह ने बेरहमी से हत्या कर दी नयनूराम शर्मा की हत्या के बाद प्रजामंडल की बागडोर पंडित अभिन्न हरि ने संभाली थी
शंभू दयाल सक्सेना ,बेनी प्रसाद माधव कोटा प्रजामंडल के प्रमुख कार्यकर्ता थे 1 नवंबर 1941 को कोटा प्रजामंडल का दूसरा अधिवेशन किया गया इस अधिवेशन की अध्यक्षता पंडित अभिन्न हरी के द्वारा की गई
इस अधिवेशन के फलस्वरुप कोटा में राजनीतिक चेतना प्रबल हुई

 लोक सेवा दल 

दिसंबर 1941 में प्रजामंडल की सहायता के लिए लोक सेवा  दल का गठन किया गया था
इस दल  का उद्देश्य कोटा के महाराव के संरक्षण में पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना के उद्देश्य में प्रजामंडल की मदद करना था

भारत छोड़ो आंदोलन मे कोटा की गतिविधी  

भारत छोड़ो आंदोलन की प्रति ध्वनि कोटा में भी सुनाई दी गई
अगस्त 1942 को राजकीय महाविद्यालय सिटी स्कूल के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में हड़ताल कर दी जूलूस समाप्ति पर सभा में परिवर्तित हो गया प्रदर्शन के इस कार्यक्रम संयोजन में छात्र नेताओं के अतिरिक्त कृष्णा गोपाल गुप्ता और छात्रा कुसुम गुप्ता का योगदान उल्लेखनीय रहा
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में कोटा ने भी भाग लिया था यहां के कही कार्यकर्ताओं को बंदी बना लिया गया 1942 में पंडित अभिन्न हरि गिरफ्तार हो गए
पंडित अभिन्न हरि के गिरफ्तार होने के बाद कोटा प्रजामंडल के नए अध्यक्ष मोतीलाल जैन बने
मोतीलाल जैन ने महाराव को पत्र लिखकर ब्रिटिश सरकार से संबंध विच्छेद करने को कहा लेकिन इस प्रस्ताव पर महाराव ने ध्यान नहीं दिया
इस कारण जनता ने राजधानी पर अधिकार कर लिया और कोतवाली पर तिरंगा झंडा फहराया गया
ऐसा इतिहास में दूसरी बार हुआ जब जनता ने प्रशासन अपने हाथ में लिया पहली बार 1857 में क्रांति के दौरान हुआ था इसके अन्नतर महाराव भीमसिंह व जन प्रतिनिधि के बीच समझौता हो गया
महाराज ने आश्वासन दिया कि सरकार दमन का सहारा नहीं लेगी तब उन्हें शासन महाराज को पुन:  सौंपा गया गिरफ्तार किए हुए कार्यकर्ता रिहाकर दिए गए यद्यपि उत्तरदायित्व शासन का आश्वासन दिया गया पर कोई व्यवहारी किया वह आर्थिक कार्य नहीं किया गया
 इसी बीच स्वतंत्रता प्राप्त होने व संयुक्त राजस्थानबनने की प्रक्रिया शुरु होने से लोकप्रिय सरकार पदग्रहण नहीं कर पाई

कोटा प्रजामंडल से संबंधित तथ्य     

कोटा मैं जन जागृति का जनक पंडित नयनूराम शर्माको माना जाता है
कोटा ने अपनी राष्ट्रीयता का परिचय 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में दे दिया था
लेकिन बीसवीं सदी के तीन दशक तक यह राष्ट्रीयता के क्षेत्र में पिछड़ा रहा
इसका कारण महाराज उम्मेद सिंह का अनुदारहोना था
1932 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री मैकडोनाल्ड की सांप्रदायिक पंचाट के विरोध में हाड़ोती प्रजामंडलने आंदोलन कर गांधी जी का समर्थनकिया था
1934 में दशहरेके अवसर पर हाडोती प्रजामंडल का अधिवेशन हाजी फैज मोहम्मद की अध्यक्षता में हुआ था
जिस ने कोटा में बेगार विरोधी आंदोलन चलाया था
1935 के अधिवेशन में हाडोती और कोटा प्रजामंडल की अलग अलग कार्यकारिणीबनाई गई
अभिन्न हरि के नेतृत्व में महाराव भीमसिह के राष्ट्र विरोधी होते हुए भी कोटा प्रजामंडल कोटा की जनता में लोकप्रियबन गया था
26 जनवरी 1942 को कोटा प्रजामंडल ने स्वतंत्रता दिवस मनाया
13 अगस्त 1942 तक कोटा सरकार मूकदर्शक बनी रही
लेकिन 14 अगस्त 1942 को पॉलिटिकल एजेंट के कोटा पहुंचने की सूचना से कोटा सरकार घबरागई
सर्वप्रथम सरकार ने प्रजामंडल नेता शंभू दयाल को बुलाकर 14 अगस्त 1942 को प्रदर्शन नहींकरने का अनुरोध किया
शंभूदयाल के इंकार करने पर शंभूदयाल और बेनी माधव को गिरफ्तार कर लिया गया
इस आंदोलन में विष्णु प्रसाद शर्मा ,गोपाल दत्त शांत और छात्र नेता नंदलाल के नामउल्लेखनीय है
अगस्त 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के संबंध में मुंबई में आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति के अधिवेशन में कोटा प्रजामंडल की ओर से अभिन्न हरि ने भाग लिया था
1942 में अभिन्न हरि पत्रकार के रूप में घटना की जानकारी लेने हेतु कोतवाली गए थे
परंतु उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया
1946 में कोटा महाराव भीमसिंह ने विधान सभा गठित करने की घोषणाकी थी
मार्च 1946में कोटा सरकार द्वारा कोटा रियासत के लिए एक नवीन सविधान के निर्माण के लिए श्री हिरण्या की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया
1948 में अभिन्न हरि के नेतृत्व में एक लोकप्रिय सरकार बनानेका निर्णय लिया गया
लेकिन राजस्थान एकीकरण के कारण लोकप्रिय सरकार का गठन नहीं हो पाया


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