Pandit Ravi Shankar ( सितार वादक पंडित रविशंकर )

Pandit Ravi Shankar


सितार वादक पंडित रविशंकर




पूरा नाम : पंडित रवीन्द्र शंकर चौधरी
जन्म      :  7 अप्रैल 1920
जन्मभूमि : बनारस , उत्तर प्रदेश
मृत्यु  :   11 दिसंबर 2012
मृत्यु स्थान : सैन डियागो, अमेरिका
अभिभावक : श्याम शंकर
पत्नी : अन्नपूर्णा देवी, और सुकन्या रंजन
संतान : शुभेन्द्र शंकर ,  नोराह जोन्स और अनुष्का शंकर
कर्म-क्षेत्र : संगीत कला
विषय : सितार वादक और शास्त्रीय संगीत

पुरस्कार-उपाधि : भारत रत्न ( 1999 ) ,पद्म विभूषण, पद्म भूषण ( 2009 ),रेमन मैग्सेस पुरस्कार ( 1992 ) ,संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
फिल्मो में  संगीत : अपू  त्रिलोगी, अनुराधा एवं गांधी

जीवन परिचय 


पंडित रवि शंकर का जन्म संस्कृति संपन्न काशी में 7 अप्रैल सन् 1920 को हुआ था, इनका पूरा नाम पंडित रवीन्द्र शंकर चौधरी था, इनके पिता प्रतिष्ठित बेरिस्टर ( वकील ) थे, और राजघराने में उच्च पद पर कार्यरत थे ! रविशंकर जब केवल दस वर्ष के थे , तभी संगीत के प्रति उनका लगाव शुरू हुआ ! पंडित रविशंकर ने बचपन में कला जगत में प्रवेश एक नर्तक के रूप में किया ! उन्होंने अपने बड़े भाई उदय शंकर के साथ कई नृत्य कार्यक्रम  किये !

 शिक्षा -


इनकी आरंभिक संगीत शिक्षा घर पर ही हुई ! उस समय के प्रसिद्ध संगीतकार और गुरु उस्ताद अल्लाउद्दीन खां को इन्होंने अपना गुरु बनाया ! यहीं से इनकी संगीत यात्रा विधिवत आरंभ हुई ! अल्लाउद्दीन खां जैसे अनुभवी गुरु की आंखों ने इनके भीतर छिपे संगीत प्रेम को पहचान लिया था ! उन्होंने इनको विधिवत अपना शिष्य बनाया ! वह लंबे समय तक तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा ख़ां , किशन महाराज और सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान के साथ जुड़े रहें ! अठारह वर्ष की उम्र में उन्होंने नृत्य छोड़कर सितार सीखना शुरू किया !

परंपरागत भारतीय शैली


रविशंकर संगीत की परंपरागत भारतीय शैली के अनुभवी थे ! उनकी अंगुलियां जब भी सितार पर गतिशील होती थी , सारा वातावरण झंकृत वह उठता था ! अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारतीय संगीत को ससम्मान प्रतिष्ठित करने में उनका उल्लेखनीय योगदान है ! उन्होंने कई नई पुरानी संगीत रचनाओं को भी अपनी विशिष्ट शैली से सशक्त अभिव्यक्ति प्रदान की !

प्रथम प्रस्तुति 

  • पंडित रविशंकर ने पहला कार्यक्रम 10 साल की उम्र में दिया था भारत में पंडित रविशंकर ने पहला कार्यक्रम 1939 में दिया था !

  • देश के बाहर पहला कार्यक्रम उन्होंने 1954 में तत्कालीन सोवियत संघ में  दिया था और यूरोप में पहला कार्यक्रम 1956 में दिया था !

  • 1944 में औपचारिक शिक्षा समाप्त करने के बाद वह मुंबई चले गए और उन्होंने फिल्मों के लिए संगीत दिया 

  • 1960 के दशक के मध्य में उन्होंने तीन यादगार प्रस्तुतियां मॉनटेरी पॉप फेस्टिवल , कंसर्ट फॉर बांग्लादेश , वुड स्टॉक फेस्टिवल दी !


संगीत निर्देशन 

रविशंकर ने भारत ,कनाडा, यूरोप तथा अमेरिका में बैले तथा फिल्मों के लिए भी संगीत कंपोज किया ! इन फिल्मों में ' चार्ली ' ' गांधी ' और 'अपू त्रिलोगी ' भी शामिल है , इसके अतिरिक्त उन्होंने अनेक फिल्मों में भी अपने संगीत का जादू जगाया है ! जैसे -

सत्यजीत राय की बंगाली फिल्म ' अपू त्रिलोगी ' एक बहुचर्चित फिल्म थी !
हिंदी फिल्म अनुराधा में भी  इन्होंने ही संगीत दिया !
पंडित रविशंकर ने अपने लंबे संगीत जीवन में कई फिल्मों के लिए भी संगीत निर्देशन किया , जिसमें प्रख्यात फिल्मकार सत्यजीत राय की फिल्में और गुलजार द्वारा निर्देशित " मीरा " भी शामिल है !
रिचर्ड एटिनबरा की फिल्म " गांधी " में भी इनका ही सुरीला संगीत था जिन्होंने कई पाश्चात्य फिल्मों में भी संगीत दिया !

सहृदय रविशंकर 


रवि शंकर ने वर्ष 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के समय वहां से भारत आ गए लाखों शरणार्थियों की मदद के लिए कार्यक्रम करके धन एकत्रित किया था ! हिंदुस्तानी संगीत को रविशंकर ने रागों के मामले में भी बड़ा समृद्ध बनाया है यो तो उन्होंने परमेश्वरी ,कामेश्वरी , गंगेश्वरी , जोगेश्वरी ,वैरागी तोड़ी, कोशिकतोड़ी, मोहनकौंस ,रसिया, मनमंजरी, पंचम आदि अनेक नए राग बनाएं हैं पर वैरागी और नट भैरव रागों का उनका सृजन सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ !

शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो, जब रेडियो पर कोई ना कोई कलाकार इनके बनाएं इन दो रागों को न गाता - बजाता  हो !

 जुगलबंदी 

प्रारंभ में पंडित जी ने अमेरिका के प्रसिद्ध वायलिन वादक येहुदी मेन्युहिन के साथ जुगलबंदीयों में भी विश्व भर का दौरा किया ! तबला के महान उस्ताद अल्ला रक्खा भी पंडित जी के साथ जुगलबंदी कर चुके हैं ! वास्तव में इस प्रकार की जुगलबंदीयो में ही उन्होंने भारतीय वाद्य संगीत को एक नया आयाम दिया ! पंडित जी ने अपनी लंबी संगीत यात्रा में अपने और अपने संबंध में कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें ?भी लिखी है !
" माई म्यूजिक माई लाइफ " के अतिरिक्त उनकी " रागमाला " नामक पुस्तक विदेश के एक सुप्रसिद्ध प्रकाशक में प्रकाशित की है !

सम्मान और पुरस्कार

  • पंडित रविशंकर को विभिन्न विश्वविद्यालयों से डाक्टरेट की 14 उपाधियां मिल चुकी है !

  • संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्गत संगीतज्ञो की एक संस्था के सदस्य रहे !

  • पंडित रविशंकर को तीन ग्रैमी पुरस्कार मिले है !

  • रेमन मैग्सेस पुरस्कार , पद्म भूषण , पद्म विभूषण तथा भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न भी मिल चुका है !

  • पंडित रविशंकर को भारतीय   संगीत  खासकर सितार वादन को पश्चिमी दुनिया के देशों तक पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है !

  • सन् 1968 में उनकी 'यहूदी मेनुहिन 'के साथ उनकी एल्बम 'ईस्ट मीट्स वेस्ट 'को पहला ग्रैमी पुरस्कार मिला था ! फिर सन् 1972 में 'जॉर्ज हैरिसन 'के साथ उनके 'कॉनसर्ट फॉर बांग्लादेश 'को ग्रैमी पुरस्कार दिया गया !
    संगीत जगत का ऑस्कर माने जाने वाले ग्रैमी पुरस्कार विश्व संगीत श्रेणी में पंडित रविशंकर के साथ स्पर्धा में ब्रिटेन के प्रख्यात संगीतकार जॉन मेक्लॉलिन और ब्राजील के गिलबर्टो गिल और मिल्टन नेसिमेल्टो भी शामिल थे


राज्यसभा मानद सदस्य

सन् 1986 में राज्यसभा के मानद सदस्य चुनकर भी उन्हें सम्मानित किया गया ! सन् 1986 से 1992 तक राज्यसभा के सदस्य रहे , सितार वादक पंडित रविशंकर भारत के उन गिने चुने संगीतज्ञो में से थे, जो पश्चिम में भी लोकप्रिय हो रहे ! रवि शंकर अनेक दशको से अपनी प्रतिभा दर्शाते रहे ! सन् 1982 के दिल्ली एशियाई खेल समारोह के " स्वागत गीत " को उन्होंने कई स्वर प्रदान किए थे ! उनको देश-विदेश में कई बार सम्मानित किया जा चुका है !

निधन 


पंडित रविशंकर का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया ! अमेरिका में सैन डिएगो के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली पंडित रविशंकर को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद ला जोल्ला के स्किप्स मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था , उन्होंने स्थानीय समयानुसार मंगलवार 11 दिसंबर 2012 को शाम 4: 30 बजे अंतिम सांस ली ! मशहूर सितार वादक पंडित रविशंकर अमेरिका के एक अस्पताल में निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि वह राष्ट्रीय सम्पदा थे !

माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर प्रधानमंत्री कार्यालय ( पीएमओ ) की ओर से लिखे संदेश में कहा गया है , पंडित रविशंकर के निधन से एक युग का अंत हो गया है , मेरे साथ - साथ पूरा देश उनकी प्रतिभा , कला तथा विनम्रता को श्रद्धांजलि देता है ! '

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