अभिलेख ( Part 04)

⚜??ओसिया का शिलालेख??⚜
?इस शिलालेख से यह जानकारी मिलती है कि तत्कालीन समाज चार प्रमुख वर्णन ब्राह्मण क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में विभाजित था
?इस शिलालेख का समय 956 ई. है

⚜??रसिया की छतरी का शिलालेख??⚜
?यह शिलालेख चित्तौड़ के राजमहल के द्वार पर उत्कीर्ण है
?इसमें गुहिल वंश के शासकों की वंशावली व सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों व रीति रिवाजों जानकारी दी गई है
? इस शिलालेख का समय 1274 ईसवी है यह चित्तौड़ के किले में रसिया की छतरी की ताक से प्राप्त हुआ था
?इस लेख में बप्पा से लेकर नरवर्मा तक के मेवाड़ के शासकों का वर्णन मिलता है

इस लेख में रानियों के श्रृंगार, वनवासियों के जीवन चरित्र के साथ तत्कालीन समाज में प्रचलित दास प्रथा और अस्पृश्यता का भी वर्णन मिलता है       



⚜??प्रतापगढ़ का लेख??⚜
? इससे 10वीं सदी के ग्रामीण जनजीवन और सामंती प्रथा के बारे में जानकारी मिलती है
?प्रतापगढ़ का लेख 946 ई. है यह लेख प्रतापगढ़ नगर में चेनराम अग्रवाल की बावड़ी के निकट से प्राप्त हुआ है
?इस अभिलेख में गुर्जर प्रतिहार नरेश महेंद्र पाल की उपलब्धियों का वर्णन किया गया है
?इस अभिलेख में प्रतिहार वंश के अन्य शासकों नागभट्ट कुकुस्त रामभद्र भोज और महेंद्र देव आदि का उल्लेख मिलता है
?इस अभिलेख में संस्कृत भाषा के साथ कुछ प्रचलित देशी शब्दों (अरहट कुशवाहा चौसर पालिका पाली धाणा) का उल्लेख मिलता है



⚜??नाडोल लेख (12 वीं सदी) ??⚜
?नाडोल के सोमेश्वर मंदिर में यह अभिलेख स्थापितहै
? इस लेख के अनुसार भाट लोग घोड़े द्वारा बंजारे बेलो द्वारा परिवहन व व्यापार करते थे
?इस लेख में तत्कालीन राजस्थान की प्रशासनिक स्थानीय शासन व्यवस्था का उल्लेख मिलता है
?इस लेख से स्पष्ट होता है कि चोरी और डकैती का पता लगाने का उत्तरदायित्व ग्राम प्रमुखों का होता था
?इस लेख का समय 1141 ई. माना गया है
?इस लेख में बोलचाल के शब्दों को संस्कृत रूप में प्रस्तुत किया गया है



⚜??मंडोर अभिलेख-837 (जोधपुर)??⚜
? यह अभिलेख गुर्जर नरेश बाउक की प्रशस्ति है
?यह अभिलेख गुर्जर प्रतिहार की वंशावली विष्णु और शिव पूजा का उल्लेख किया गया है

⚜??सच्चियाय माता अभिलेख(ओसिया)??⚜
?सच्चिया माता मंदिर में स्थित लेख में  मारवाड़ की राजनीतिक स्थिति पर प्रकाश पड़ता है
? इस अभिलेख में कल्हण और कीर्ति पाल का वर्णन किया गया है   



⚜??विराटनगर-भाब्रू(बैराठ) अभिलेख (जयपुर)??⚜
?जयपुर के विराटनगर में अशोक मौर्य के दो अभिलेख मिले हैं भाब्रू शिला फलक और बैराठ अभिलेख
?भाब्रू शिला फलक कप्तान बर्ट को विराटनगर में बीजक की पहाड़ी से मिला था
? ब्रिटिश सेना अधिकारी केप्टन बर्ट द्वारा 1840 में कटवाकर कोलकाता के संग्रहालय में रखवा दिया गया था
?आज यह अभिलेख कलकत्ता संग्रहालय में सुरक्षित रखा होने के कारण कलकत्ता बैराठ लेख कहलाता है
?इसमें अशोक स्पष्टत: है बुद्ध, धम्म, संघ(बौद्ध त्रिरत्न) में आस्था प्रकट करता है
?यह शिलालेख पाली व ब्राह्मी लिपि में लिखा हुआ है
?इस शिलालेख को मोर्य सम्राट अशोक ने स्वयं उत्कीर्ण करवाया था
?जो अशोक को बौद्ध सिद्ध करता है दूसरा अभिलेख विराट नगर से ही मिला है




⚜??जमवारामगढ़ शिलालेख??⚜
?यह शिलालेख 1613 ई. है
?इससे ज्ञात होता है किराजा मानसिंह अपने पिता भगवान दास का दत्तक पुत्र था

⚜??बेणेश्वर का लेख??⚜
?डूंगरपुर से लगभग 50 मील की दूरी पर बेणेश्वर का शिव मंदिर महारावल आसकरण के समय का माना जाता है
?इस मंदिर के संबंध में बांसवाड़ा डूंगरपुर राज्य के मध्य विवाद था
?अंत में इस मंदिर को डूंगरपुर राज्य की सीमा में माना गया इस जानकारी का 30 जनवरी 1866 का एक शिलालेख यहां पर लगा हुआ है
?इस पर मेजर एम. एम. मैकेंजी और पॉलिटिकल सुपरिटेंडेंट हिला ट्रैक्ट्स के हस्ताक्षर है

⚜??कुंभलगढ़ के कुंवर पृथ्वीराज के स्मारक का लेख??⚜
?यह लेख  पृथ्वीराज के स्मारक छतरी के बीच एक स्तंभ पर लगा हुआ है
?जिसके चारों ओर पृथ्वी राज के साथ सती होने वाली सात रानियों के नाम और पृथ्वीराज के घोड़े साहण का नाम दिया गया है

⚜??दक्षिणामूर्ति लेख??⚜
? यह लेख उदयपुर के राज प्रासाद के दक्षिण में स्थित राजराजेश्वर के शिव मंदिर में लगा हुआ है
?यह शिलालेख 1713 इसी का महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय के समय का है
?श्री दक्षिणामूर्ति नामक विद्वान महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय के गुरु थे जो उनके साथ ही रहते थे
?महाराणा ने इन्ही गुरु की प्रेरणा से इस शिवालय और इस के निकट वाले कुंड का निर्माण करवाया था
?इस लेख से उस समय के विद्या के स्तर पर प्रभूत प्रकाश पड़ता है         



⚜??त्रिमुखी बावड़ी की प्रशस्ति??⚜
? 1675 की प्रशस्ति देवारी के पास त्रिमुखी बावड़ी में लगी हुई है
?इस बावड़ी का निर्माण महाराणा राजसिंह की रानी रामरस दे ने जया नाम से करवाया था
?इस प्रशस्ति में बप्पा से लेकर राजसिंह तक के शासकों की उपलब्धियों का वर्णन मिलता है
?इस प्रशस्ति में राज्य के समय में सर्व ऋतु विलास नाम के बाग के बनाए जाने,मालपुरा की विजय और चारूमती के विवाह आदि का उल्लेख मिलता है
?इस प्रशस्ति के प्रशस्तिकार रणछोड़ भट्ट और मुख्य शिल्पी नाथू गौड था

⚜??पाशुपत प्रशस्ति??⚜
?यह प्रशस्ति 1651 ई. की है
?यह प्रशस्ति एकलिंगजी में प्रकाशानंद की समाधि पर लगी हुई है
?इस प्रशस्ति में लकुलीश संप्रदाय के आचार्य के नाम का उल्लेख मिलता है
?इस प्रशस्ति से ही एकलिंग जी के मठ के आचार्य की परंपरा की जानकारी मिलती है

⚜??सांभर का लेख??⚜
?1634 का यह लेख सांभर की एक सराय के दरवाजे पर उत्कीर्ण है जो अकबर के समय में बनवाई गई थी
?इस सराय का जीर्णोद्धार शाहजहां के काल में हुआ था
?इस लेख से स्पष्ट होता है कि  अजमेर जाने वाले यात्रियों के लिए मुगल काल में ऐसी संस्थाओं को व्यवस्थित रखा जाता था

⚜??जालौर का महावीर जी के मंदिर का लेख??⚜
? जालौर के महावीर मंदिर से प्राप्त 1624 के शिलालेख से हीरविजय सूरि के  अकबर पर पड़े प्रभाव का वर्णन मिलता है
?जिसमें शत्रुंजय से जजिया को छोड़ना, अहिंसा की स्थिति पैदा करना और हीरविजय सूरि को जगत गुरु की उपाधि देने का विवरण है           



⚜??जगन्नाथ कछवाहा की छतरी का लेख??⚜
?भीलवाड़ा जिले में मांडलगढ़ से 32 खंभो की जगन्नाथ कछवाहा की छतरी है
?जिसे सिंहेश्वर महादेव के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है
?1613 ईस्वी में यह शिलालेख मिला है
? इस शिलालेख में मेवाड़ आक्रमण से लौटते समय आमेर के राजा भारमल के पुत्र और भगवान दास के भाई जगन्नाथ कछवाहा की मृत्यु का विवरण मिलता है



⚜??सूरपुर के माधव राय के मंदिर की प्रशस्ति??⚜
?डूंगरपुर जिले के सुरपुर के माधव राय मंदिर से 1591 में यह प्रशस्ति प्राप्त हुई है
?इस प्रशस्ति मे वागड़ के शासकों का संबंध चित्तौड़ के गुहिल वंश से स्थापित किया गया है और उसे चित्तौड़ के सामंत सिंह से जोड़ा गया है

⚜??सारण का लेख??⚜
? सारन का लेख 1580 ईस्वी का है
?यह लेख सोजत के समीप सारण नामक स्थान से प्राप्त हुआ है
?यह वही स्थान है जहां राव चंद्रसेन का दाह संस्कार किया गया था
?इस स्थान पर घोड़े पर सवार राव चंद्रसेन की प्रतिमा बनी हुई है
?इस लेख में सती प्रथा के प्रचलन का उल्लेख भी है

⚜??बैराठ के जैन मंदिर का लेख??⚜
?बैराठ के जैन मंदिर से 1509ई. का यह लेख प्राप्त हुआ है
?इस प्रशस्ति में अकबर को एक महान शासक व विजेता बताया गया है
?जिसने मुनि हीरविजय के उपदेश से अपने राज्य में वर्ष भर में 106 दिन जीव हत्या का निषेध करवा दिया था
?इस लेख में यह भी उल्लेख आता है कि हीर विजय को अकबर ने जगत गुरु की उपाधि प्रदान की थी
⚜??बेणेश्वर के पास विष्णु मंदिर की प्रशस्ति??⚜
?यह प्रशस्ति 1561ई.की है
?इस प्रशस्ति में महाराजा आसकरण की माता सज्जना बाई द्वारा डूंगरपुर में बेणेश्वर के मंदिर के पास विष्णु मंदिर के निर्माण का विवरण है

⚜??खजूरी शिलालेख??⚜
?यह शिलालेख कोटा जिले के खजूरी गांव से प्राप्त हुआ है
?इस शिलालेख मैं  बूंदी के हाडाओंं का इतिहास मिलता है
?यह शिलालेख 1506 का है यह शिलालेख महाराज सूरजमल के समय का है
?इसमें बूंदी का नाम वृंदावनी दिया गया है

⚜??घोसुंडी की बावड़ी का लेख??⚜
?घोसुंडी की बावड़ी का लेख 1504 ई.  का है
?इस लेख में महाराणा रायमल की रानी श्रंगार देवी द्वारा इस बावड़ी के निर्माण का वर्णन किया गया है
? श्रंगार देवी मारवाड़ के राजा राव जोधा की पुत्री थी
?इस प्रशस्ति का रचियता महेश्वर था

⚜??माचेड़ी की बावली का लेख??⚜
?अलवर जिले के माचेड़ी से 1382ई. में यह शिलालेख प्राप्त हुआ
?जिसमें बडगूजर शब्द का प्रथम प्रयोग मिलता है

⚜??दरीबा का शिलालेख??⚜
? कांकरोली रेलवे स्टेशन के समीप दरीबा गांव के मातृकाओं के मंदिर के स्तम्भ से यह शिलालेख 1302ई. मे मिला था
?यह शिलालेख महारावल रतन सिंह के समय का है
?जो महा रावल रतन सिंह की की ऐतिहासिकता सिद्ध करने के हिसाब से अति महत्वपूर्ण है



⚜??बिठू का लेख??⚜
? पाली जिले के बिठू गांव से 1273 ई. में यह लेख प्राप्त हुआ था
?इस लेख से मारवाड़ के राठौड़ो के आदि पुरुष राव सिंहा की मृत्यु की तिथि निश्चित होती है
?उसके स्मारक के रुप में उस स्थान पर उसकी पत्नी पार्वती द्वारा देवली स्थापित किए जाने का उल्लेख है

⚜??नादेसमाँ गॉव का लेख??⚜
?मेवाड़ के नादेसमा गांव के टूटे हुए सूर्य मंदिर के स्तंभ से 1222 ई. का यह शिलालेख मिला था
?इसमें जेत्रसिंह की राजधानी के रूप में नागदा का वर्णन है
?जिससे प्रमाणित होता है कि 1222 ई. तक नागदा का विध्वंस नहीं हुआ था 



⚜??लूणवसही की प्रशस्ति व नेमिनाथ की प्रशस्ति??⚜
?माउंट आबू में वस्तुपाल तेजपाल द्वारा बनवाए गए लूणवशाही जैन मंदिर व नेमिनाथ मंदिर से 1230 ई. के यह लेख प्राप्त हुए हैं
?उससे ज्ञात होता है कि इन मंदिरों का निर्माण मंत्री वास्तुपाल के छोटे भाई तेजपात ने अपनी पत्नीे अनुपमा  देवी के श्रेय के लिए करवाया था
?इन मंदिरों की प्रतिष्ठा विजयसेन सूरी ने की थी
?इस लेख  से आबू के परमार शासकों वास्तु पाल और तेजपाल के वंश का वर्णन भी प्राप्त होता है

⚜??इंगनोडा का शिलालेख??⚜
?1133ई.का यह  शिलालेख प्रतिहार कालीन है
?इससे यह प्रमाणित होता है कि उन दिनों सभी जातियां अपनी अलग-अलग बस्तियों में रहा करती थी
? इस लेख में यह भी प्रतिपादित किया गया है कि भू स्वामित्व का अधिकार शासकों में नीहित होता है
⚜??जालौर का लेख??⚜
?जालौर के तोपखाने की इमारत से 1118ई.का यह शिलालेख प्राप्त हुआ है
?जो वर्तमान में जोधपुर संग्रहालय में सुरक्षित है
?इस लेख से जालौर के परमारों का उल्लेख प्राप्त होता है और वाग्पतिराज को इस शाखा का प्रवर्तक माना गया है
?इसमें परमारों की उत्पत्ति को वशिष्ठ के यज्ञ से होना माना गया है




⚜सुंधा शिलालेख(जालौर)⚜
?इस शिलालेख  मे चौहानों को ब्राह्मण बताया गया है

⚜??पाणाहेड़ा का लेख??⚜
? बांसवाड़ा जिले के पाणाहेड़ा ग्राम के मंडलीश्वर के शिवालय से 1059 ई.  का एक लेख मिला है
?इस अभिलेख में मालवा और वागड के परमारों के वंश क्रम की जानकारी मिलती है
?इस अभिलेख से मालवा के मुंज,सिन्धुराज व भोज की जानकारी प्राप्त होती है
?वही धनिक से मंडलित तक के वांगड  के प्रकारों की वंशावली मिलती है

⚜??आहण का शक्ति कुमार का लेख??⚜
?आहड से 977 ई. का शक्ति कुमार का एक लेख प्राप्त हुआ है
?इस लेख से प्रमाणित होता है कि अल्लट की रानी हरिया देवी हूण राजा की पुत्री थी
?इस शिलालेख में गुहिल से लेकर शक्ति कुमार तक की वंशावली मिलती है

⚜??आदिवराह मंदिर का अभिलेख??⚜
?उदयपुर जिले के आहड़ में स्थित आदिवराह मंदिर से 944 ईसवी का यह अभिलेख प्राप्त हुआ है
?यह अभिलेख संस्कृत भाषा में मेवाड़ के शासक भृतहरि द्वितीय के समय का है
?इस लेख के अनुसार आहड में आदिवराह मंदिर का निर्माण आदिवराह नामक व्यक्ति द्वारा करवाया गया था
?इस अभिलेख में गंगोद्भव अथार्थ गंगा के अवतरण का भी उल्लेख आता है 



⚜??चित्तौड़ का लेख??⚜
?971ई.का यह अभिलेख चित्तौड़गढ़ से प्राप्त हुआ था लेकिन वर्तमान में यह वहां पर नहीं है
?इस लेख की एक प्रतिलिपि अहमदाबाद में भारतीय मंदिर में संगृहित है
?इस लेख से हमें चित्तौड़ के तत्कालीन शासक नरवर्मा द्वारा चित्तौड़ में महावीर जिनालय के निर्माण का उल्लेख मिलता है
?इस प्रशस्ति में देवीलयो में स्त्रियों के प्रवेश को निषिद्ध बताया गया है जोकी तत्कालीन सामाजिक स्थिति और धार्मिक स्तर में पतन की ओर संकेत करता है
?इस अभिलेख से परमार वंश के शासकों का उल्लेख मिलता है
?यह राजस्थान का एकमात्र शिलालेख है जिस में स्त्रियों के प्रवेश को देवालयों में निषिद्ध बताया गया है

⚜??सारणेश्वर प्रशस्ति??⚜
? सारणेश्वर प्रशस्ति 953ई.की है
?यह प्रशस्ति उदयपुर के शमशान के सारणेश्वर नामक शिवालय में लगी हुई मिली है
?यह प्रशस्ति मूलतः आहड के वराह मंदिर में स्थित रही होगी क्योंकि इसमें वराह मंदिर के निर्माण का उल्लेख मिलता है
?यह प्रशस्ति मेवाड़ के इतिहास के लिए अति महत्वपूर्ण है क्योंकि इस प्रशस्ति में मेवाड़ के राजा अल्लट का समय निश्चित होता है
?उस समय के शासन तथा कर व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त होती है

⚜??सांमोली का शिलालेख??⚜
?उदयपुर जिले के सांमोली ग्राम से 696 ईसवी का शिलालेख प्राप्त हुआ है जो मेवाड़ के राजा शिलादित्य का है
?यह शिलालेख मेवाड़ के गुहिल वंश के समय को निश्चित करने और उस समय की आर्थिक  और साहित्यिक स्थिति को जानने के लिए अति महत्वपूर्ण है
?यह शिलालेख वर्तमान में  अजमेर के पुरातत्व संग्रहालय में सुरक्षित है    7



⚜??भंवर माता का लेख??⚜
? चित्तौड़गढ़ जिले के छोटी सादड़ी के भवर माता मंदिर से 490 ईसवी का शिलालेख प्राप्त हुआ है
?जो 5 शताब्दी की राजनीतिक स्थिति और प्रारंभिक कालीन सामंत प्रथा के संबंध में जानकारी प्रदान करने का महत्वपूर्ण साधन माना जाता है
?इस प्रशस्ति का रचेता मित्रसोम का पुत्र बह्मसोम और उत्कीर्णक पूर्वा था
?इस शिलालेख में गौर वंश और ओलिकार वंश के शासकों का उल्लेख मिलता है

⚜??गंगधार का लेख??⚜
? झालावाड जिले में गंगरार से 424 ई. का शिलालेख प्राप्त हुआ है
?जिसमें विश्वकर्मा के मंत्री मयूराक्षी द्वारा विष्णु मंदिर के निर्माण का उल्लेख प्राप्त होता है
?इस मंदिर में तांत्रिक शैली के मातृग्रह के निर्माण का उल्लेख मिलता है
?इस शिलालेख में 5 वीं शताब्दी की सामंत व्यवस्था पर भी प्रकाश डाला गया है

*⚜??विजयगढ़ यूप स्तंभलेख??⚜
?भरतपुर जिले में स्थित विजयगढ़ दुर्ग से 371-372ई. के शिलालेख प्राप्त हुए हैं
?इस शिलालेख में राजा यशोवर्धन द्वारा पुंडरीक नामक यज्ञ किए जाने का उल्लेख मिलता है

⚜??मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति??⚜
? गुर्जर प्रतिहारों के लेखों में सर्वाधिक उल्लेखनीय मिहिर भोज का ग्वालियर अभिलेख है
?जो एक प्रशस्ति के रूप में है इसमें कोई तिथि अंकित नहीं है
?यह प्रतिहार वंश के शासकों की राजनीतिक उपलब्धियों और उनकी वंशावलियों को ज्ञात करने का मुख्य साधन है
? ग्वालियर प्रशस्ति ग्वालियर नगर से 1 किलोमीटर पश्चिम में स्थित सागर नामक स्थान से प्राप्त हुई है
?यह प्रशस्ति तिथि विहीन है लेकिन तत्कालीन नरेशों द्वारा राजनीतिक इतिहास के द्वारा इस की तिथि 880ई. के लगभग बताई है
?यह प्रशस्ति विशुद्ध संस्कृत में लिखी गई है इस प्रशस्ति के लेख की लिपि उत्तरी ब्राह्मी लिपि है
?इस प्रशस्ति का लेखक भट्ट धनिक का पुत्र बालादित्य है
?यह लेख एक प्रस्तर पर उत्कीर्ण है जो प्रशस्ति के रूप में है इस लेख में 17 श्लोक हैं इस
?ग्वालियर लेख का उद्देश्य गुर्जर प्रतिहार शासक वर्ग द्वारा विष्णु के मंदिर का निर्माण कराए जाने की जानकारी देना और साथ ही अपनी प्रशस्ति लिखवाना ताकि स्वयं को चिरस्थाई बना सकें
?इस अभिलेख का राजनीतिक महत्व,इस अभिलेख की चौथी पंक्ति से प्रतिहार वंश की वंशावली के बारे में सूचना प्रारंभ होती है
?इस लेख में राजाओं के नाम के साथ उनकी उपलब्धियों का वर्णन किया गया है

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