प्रारंभिक शिक्षा शिक्षित माता-पिता के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त करने के कारण बचपन में ही वे अति मेघावी छात्र के रूप में सबके प्रिय बन गए उनकी प्रारंभिक शिक्षा शांति निकेतन में हुई | इसके बाद हाईस्कूल की शिक्षा के लिए वे ढाका चले गए,प्रारंभ में संस्कृत विद्वान और डा॓क्टर बनने का सपना देखा था अमर्त्य ने इसी धुन में स्कूली शिक्षा पूरी की. इंटरमीडिएट में पहुँचे तो उनकी गिनती का कॉलेज के मेधावी छात्रों में होने लगी. संस्कृत के अलावा गणित और भौतिक विज्ञान लेकर उन्होंने परीक्षा दी. परिणाम घोषित हुआ. अमर्त्य सर्वाधिक अंक पाकर प्रथम स्थान पर थे. फिर 1947 ई. में भारत विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया | यहां उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज, कलकत्ता (कोलकाता) में अपना अध्ययन जारी रखा | बाद में वे ट्रिनिटि कॉलेज में पढ़ने के लिए कैम्ब्रिज चले गए, जहाँ से उन्होंने 1956 ई. में बी.ए. और 1959 में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की |
शैक्षिक कार्य उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारत लौटने पर डॉ. सेन जादवपुर विश्वविद्यालय कलकत्ता (कोलकाता) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त हुए | इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंव ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी शिक्षक के तौर पर काम किया | उन्होंने एम.आई.टी स्टैनफोर्ड, बर्कले और कारनेल विश्वविद्यालयों में भी अतिथि अध्यापक के रूप में शिक्षण कार्य किया | इसके साथ ही उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज के प्रतिष्ठित ‘मास्टर’ पद को भी सुशोभित किया |
वैवाहिक जीवन विवाह – तीन विवाह 1. पहला–नवनीता के साथ(1956) 2. दूसरा – ईवा के साथ (1985 ईवा के मृत्यु के बाद) 3. तीसरा – ऐक्मा रॉथशील के साथ
अमर्त्य सेन की तीन बार शादी हुई है उनकी पहली पत्नी नबाणीता देव सेन, एक भारतीय लेखक और विद्वान थी। जिनसे उनकी दो बेटियां थीं: अंतरा( एक पत्रकार और प्रकाशक) और नंदना, एक बॉलीवुड अभिनेत्री। 1971 में लंदन जाने के तुरंत बाद उनकी शादी टूट गई। 1978 में सेन ने इतालवी अर्थशास्त्री ईवा कोलोरी से शादी की, और उनके दो बच्चे हुए एक बेटी इंद्रानी, न्यूयॉर्क में पत्रकार और पुत्र कबीर एक हिप हॉप कलाकार। 1991 में, सेन ने एम्मा जॉर्जीना रोथस्चल्ड से शादी की|
बचपन से चिंतनशील वर्ष 1943 में बंगाल में जब अकाल पड़ा, तब डॉ. सेन की आयु मात्र 10 वर्ष थी | उन्होंने उस छोटी-सी उम्र में अकाल से त्रस्त लोगों को मरते हुए देखा, जिसका उन पर गहरा प्रभाव पड़ा |
इस लिए मिला था उनको नोबेल पुरस्कार उन्होंने अर्थशास्त्र के अध्ययन के दौरान गरीबों के कल्याण के लिए अर्थशास्त्र के विभिन्न नियमों का प्रतिपादन किया | उन्होंने कहा, “अर्थशास्त्र का संबंध समाज के गरीब और उपेक्षित लोगों के सुधार से है |” उनके अर्थशास्त्र के ये नियम आगे चलकर ‘कल्याणकारी अर्थशास्त्र’ के रूप में विख्यात हुए | उन्हें इसी कल्याणकारी अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया | अर्थशास्त्र को अध्ययन का विषय चुनने के पीछे उनका उद्देश्य गरीबी से जूझना था, इसीलिए अर्थशास्त्री विवेचना के दौरान उन्होंने समाज के निम्नतर व्यक्ति की आर्थिक व सामाजिक आवश्यकताओं को समझने व गरीबी के कारणों की समीक्षा करने पर पूरा ध्यान दिया | उन्होंने आय-वितरण की स्थिति को दर्शाने के लिए निर्धनता सूचकांक विकसित किया | इसके लिए आय-वितरण, आय में असमानता और विभिन्न आय वितरणों में समाज की क्रय-क्षमता के संबंधों की सूक्ष्म व्याख्या करते हुए उन्होंने निर्धनता सूचकांक एवं अन्य कल्याण संकेतकों को परिभाषित किया | इससे निर्धनता के लक्षणों को समझना एंव उनका निराकरण करना आसान हो गया |
अमर्त्य सेन के अनुसार, कल्याणकारी राज्य का कोई भी नागरिक स्वयं को उपेक्षित महसूस नहीं करता | अकाल संबंधी अपने अध्ययन के दौरान वे इस चौंकाने वाले परिणाम पर पहुंचे कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में अकाल जैसी स्थितियों से निपटने की क्षमता अधिक होती है, क्योंकि जनता के प्रति जवाबदेही के कारण सरकारों के लिए जनसमस्याओं की अनदेखी कर पाना संभव नहीं होता | भारत का उदाहरण देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि यहां आजादी के बाद कई अवसर आए जब खाद्यान्न-उत्पादन आवश्यकता से कम रहा | कई स्थानों पर बाढ़ एंव अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ, किन्तु सरकार ने वितरण व्यवस्थाओं को चुस्त बनाकर अकाल जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं होने दी |डॉ. सेन के कल्याणकारी अर्थशास्त्र पर आधारित सैकड़ों शोध-पत्र दुनिया भर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए |
??नालंदा प्रोजेक्ट?? नालंदा जो 5 वीं शताब्दी से लेकर 1197 तक उच्च शिक्षा का एक प्राचीन केंद्र था। इसको पुनः चालु किया गया एवं 19 जुलाई 2012 को, सेन को प्रस्तावित नालंदा विश्वविद्यालय (एनयू) के प्रथम चांसलर के तौर पर नामित किया गया था। इस विश्वविद्यालय में अगस्त 2014 में अध्यापन का कार्य शुरू हुआ था । 20 फरवरी 2015 को अमर्त्य सेन ने दूसरे कार्यकाल के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली।
पुस्तके अमर्त्य सेन ने आर्थिक विषयों पर 20 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं | इनमें 1970 में लिखी ‘कलेक्टिव च्वाइस एंड सोशल वेलफेयर’ तथा 1981 में लिखी ‘पावर्टी एंड फैमाइन्स’ सर्वाधिक चर्चित रही है | च्वाइस ऑफ टेक्निक्स वेलफेयर एंड मैनेजमेंट ‘इंडियन डेवलपमेंट ग्रोथ इकोनॉमिक्स आन इकोनॉमिक्स आन इकोनॉमिक इनइक्वेलिटी ‘इंडिया- इकोनामिक डेवलपमेंट एंड सोशल अपॉरचुनिटी पब्लिक एक्शन’, ‘द पालिटिकल इकोनामी ऑफ हंगर’, ‘रिसोर्सेज-वैल्यूज एंड डेवलपमेंट’
पुरस्कार व् सम्मान 1998 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार 1999 में ‘भारत रत्न’ एडम स्मिथ पुरस्कार, बांग्लादेश की मानद नागरिकता, नेतृत्व और सेवा, 2000 हार्वर्ड विश्वविद्यालय के 351 प्रारंभ अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी से 2001 अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी पुरस्कार और नैतिक संघ, 2002 लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार के लिए सम्मान, ब्रिटेन, 2000 लिओनटिफ पुरस्कार, 2000 लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मान के फ्रेंच लेजन के कमांडर, 2013 25 महानतम वैश्विक लिविंग महापुरूष भारत में एनडीटीवी द्वारा 2013 चार्ल्सटन-EFG जॉन मेनार्ड कीन्स पुरस्कार 2015
जोहान स्काट पुरस्कार राजनीति विज्ञान, 2017
यह पुरस्कार इसलिए दिए जाता हैं यह पुरस्कार कला, साहित्य और विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए की गई विशिष्ट सेवा और जन-सेवा में उत्कृष्ट योगदान को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जाता है |
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