चंपारण की सफलता के बाद गांधी जी का अगला प्रयोग 1918 में अहमदाबाद की एक कॉटन टेक्सटाइल मिल में किया गया था
यहां पर गांधीजी ने मिल मालिक और मजदूरों के बीच मजदूरी बढ़ाने के सिलसिले में चल रहे विवाद में हस्तक्षेप किया था
अहमदाबाद टेक्सटाइल मील में प्लेग बोनस को लेकर विवाद था
उन्नीसवीं की सदी के अंत में अहमदाबाद एक औद्योगिक केंद्र के रुप में विकसित होने लगा था
1917 में यहां के मिल मालिकों ने मजदूरों को दिया जा रहा प्लेग बोनस बंद करने का निर्णय लिया था
जबकि दूसरी और प्रथम विश्व युद्ध के कारण महंगाई काफी बढ़ रही थी
श्रमिको ने प्लेग बोनस समाप्त करने के एवज में उनकी मजदूरी में 50% वृद्धि करने की मांग की थी
जबकी मिल मालिक 20% वृद्धि करने के लिए तैयार हुए थे जोकि मजदूरों के हितों की दृष्टि से सही नहीं थी कोई मजदूरो ने इसका विरोध किया
इस कारण मजदूरों ने महात्मा गांधी से सहायता और मार्गदर्शन का आग्रह किया था
फरवरी-मार्च 1918 में गांधीजी ने मिल मालिको और मजदूरों के बीच मध्यस्ता करना प्रारंभ किया
गांधीजी ने मजदूरों को हड़ताल पर जाने को कहां और घोषणा की थी उन्हें 35% बोनस मिलना चाहिए
लेकिन परिस्थितियां सही होने की जगह शीघ्र ही विकट रूप धारण करने लग गई थी
फल स्वरुप महात्मा गांधी जी द्वारा प्रथम बार भूख हड़ताल के हथियार को संघर्ष के रुप में इस्तेमाल किया गया
अहमदाबाद में गांधी जी द्वारा की गई भूख हड़ताल भारत के स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम ऐतिहासिक भूख
इन सब परिस्थितियों को देखते हुए मिल मालिकों ने यह मामला न्यायाधिकरण को सोपने के लिए कहा
इस प्रकार गांधीजी के भूख हड़ताल के प्रथम प्रयोग और न्यायाधिकरण के आदेश पर अहमदाबाद के मिल मजदूरों को 35% बोनस देने को कहा गया
इसके बाद महात्मा गांधी जी ने श्रम विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने और श्रमिकों में चेतना उत्पन्न करने के उद्देश्य से 1920 में अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन की स्थापना की गई
गांधी जी द्वारा मजदूरों के संघर्ष में भूख हड़ताल के सफल प्रयोग का विशेष महत्व है इससे जैसा की ई० एम० एस० नंबूदरीपाद ने इंगित किया है की इससे एक अस्त्र का ज्ञान हुआ है जो मजदूरों को गोल बंद भी कर सकता था और साथ ही उनके जुझारूपन पर अंकुश भी लगा सकता था
अहमदाबाद में जब संघर्ष चल रहा था उसी समय मद्रासी में बीपी वाडिया द्वारा एक ट्रेड यूनियन का गठन किया गया था
अहमदाबाद आंदोलन से ही महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक नए संघर्ष का दौर प्रारंभ हुआ था
अहमदाबाद मिल आंदोलन से ही मजदूर संघर्ष का सिलसिला प्रारंभ हो गया था और 1919 व 1920 में यह संघर्ष अपने विकास के शीर्ष पर पहुंच चुका था
आर के दास ने अपने ग्रंथ द लेवल मूवमेंट इन इंडिया में बताया गया है कि 4 नवंबर 1919 से लेकर 1920 के काल तक देश के विभिन्न भागों में और उद्योगों में कार्यरत मजदूरों की संख्या जो कभी न कभी हड़ताल पर रहती थी इनकी संख्या 475000 थी यह संख्या केवल महत्पूर्ण हड़तालों की ही थी
अगर सभी हडतालो को एक साथ दिया जाए तो रजनी पाम दत्त के अनुसार 1920 के शुरू के 6 महीनों में 200 हडताले हुई थी जिनमें 15लाख मजदूरों ने हिस्सा लिया था
सुमित सरकार के अनुसार 1920 के उत्तरार्द्ध में केवल बंगाल में ही 110 हडताले हुई थी
अहमदाबाद के संघर्ष में अंबालाल साराभाई की बहन अनसूइया बेन गांधी जी की मुख्य सहयोगी रही थी जबकि उनके खुद के भाई अंबालाल साराभाई गांधी जी के दोस्त होते हुए भी इनके विरोधी रहे थे
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