कुतुबुद्दीन ऐबक (Qutbuddin Aibak) की मृत्यु के बाद Delhi का अगला शासक आरामशाह बना था
आरामशाह का शासनकाल मात्र 8 महीने का था
कुतुबुद्दीन ऐबक की अकस्मात मृत्यु ( Sudden death) के बाद एक बार पुनः उत्तराधिकार की समस्या उत्पन्न हो गई थी
क्योंकि संभवत: कुतुबुद्दीन ऐबक का कोई पुत्र नहीं था,सैनिक वर्ग के हृदय को संतोष देने ,साधारण जनता को शांत रखने और उपद्रव रोकने के लिए तुर्की (Turkish) अमीरों ने आराम शाह को गद्दी पर बैठाया
आरामशाह के कुतुबुद्दीन ऐबक से संबंध के विषय में विद्वानों में मतभेद हैं
आरामशाह के बारे में विभिन्न विद्वानों के मत Abul fazal का विचार-- है कि आराम शाह कुतुबुद्दीन ऐबक का भाई था कुछ विद्वानों के अनुसार-- आरामशाह को कुतुबुद्दीन ऐबक का पुत्र मानते हैं लेकिन जुबानी ने लिखा-- है कि कुतुबुद्दीन ऐबक का कोई पुत्र नहीं था मिनहाज के अनुसार-- कुतुबुद्दीन ऐबक की केवल तीन पुत्रियां थी
आरामशाह एक कमजोर और योग्य शाशक सिद्ध हुआ जबकि उस समय की कठिन परिस्थितियों में तुर्क राज्य को एक योग्य और अनुभवी शासक की आवश्यकता थी
अनेक योग्य तुर्क अमीरों ने उसके गद्दी पर बैठाये जाने का विरोध किया और अमीरों ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी
बंगाल अली मर्दान खाँ के अधीन स्वतंत्र हो गया।कुबाचा ने सिंध के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया
इल्तुतमिश ( Iltutmish) का दिल्ली का सुल्तान ( Sultan of Delhi) बनना
ऐसी स्थिति में दिल्ली के तुर्क अमीर सरदारों में प्रमुख अली स्माइल ने इल्तुतमिश को सुल्तान का पद स्वीकार करने के लिए आमंत्रित किया
इल्तुतमिश उस समय बदायूं का सूबेदार था उसने तत्काल निमंत्रण स्वीकार कर दिल्ली की ओर कूच किया
जड ( दिल्ली के निकट) नामक स्थान पर इल्तुतमिश और आराम शाह के मध्य युद्ध हुआ जिसमें इल्तुतमिश विजय हुआ और आराम शाह की हत्या कर दी गई
इस प्रकार आरामशाह का शासन केवल 8 महीने में ही समाप्त हो गया और इल्तुतमिश दिल्ली का सुल्तान बना
इल्तुतमिश को दिल्ली का वास्तविक संस्थापक माना जाता है
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