?उदारवादियों के लंबे प्रयत्नों के बावजूद भी मौलिक रूपमें कुछ भी हासिल नहीं हो सका
?ऐसा समझा गया कि सरकार ने उदारवादियों के प्रयासों को कमजोरी के चिह्नके रूप में स्वीकार किया है
?अतः बंकिमचंद्र चटर्जी,अरविंद घोष,बाल गंगाधर तिलक आदी नेताओं ने उदारवादियों की आलोचनाकरते हुए दृढ़ दबाव के द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त करने की बात कही थी
?बंकिमचंद्र चटर्जी जैसे लोगों ने *कांग्रेस की नीतियों का विरोध किया था और कहा कि कांग्रेस के लोग पदों के भूखे राजनीतिज्ञ थे
?अरविंद घोष ने भी 1993 में एक लेखों की श्रृंखलामें यह कहा था कि कांग्रेस श्रमिक वर्ग से दूर है, राष्ट्रवादी है और यह पूर्णतया असफल रही है
?इसकी शासकों को प्रसन्न करने के भय से स्पष्ट ना कहने की नीति को कायरता की संज्ञादी गई
?इन के अनुसार कांग्रेस क्षयरोग से मरनेवाली है
?उग्रवादी एव क्रांतिकारी आंदोलन के उदय के प्रमुख कारण थे? ?☘कांग्रेस की उपलब्धियों से असंतोष☘?
कांग्रेस की 15 से 20 वर्ष की उपलब्धियों से तरुण लोग संतुष्ट नहीं थे
कांग्रेस नेतृत्व की आवेदन-निवेदन नीति की असफलताने देश के अंदर और खुद कांग्रेस के अंदर असंतोष पैदा कर दिया था
ब्रिटिश सरकार द्वारा लगातार कांग्रेस की मांगों के प्रति अपनायी जाने वाली उपेक्षापूर्ण नीतिने कांग्रेस के युवा नेताओं➖जैसे बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय और विपिन चंद्र पाल को अंदर तक आंदोलित कर दिया था
इनका अंग्रेजों की न्यायप्रियता और बराबरी की भावना पर कोई विश्वास नहीं रह गया था
यह लोग शांतिमय और संवैधानिक ढंगो के आलोचकबन गए थे और
यह समझते थे कि याचना प्रार्थना और प्रतिवाद करने की नीति से कुछ नहींमिलने वाला था
जिन्होंने यूरोपीय साम्राज्यवाद को समाप्त करने के लिए यूरोपियों ढंग सेअपनाने पर बल दिया
लाला लाजपत राय ने कहा शिकायत दूर करने और रियायते प्राप्त करने की 20 वर्षों के अथक प्रयत्न के परिणाम स्वरुप रोटी के स्थान पर पत्थर हीप्राप्त हुआ है
इन युवा नेताओं ने उदारवादी नेताओं की राजनीति भिक्षावृति मे कोई विश्वास नही जताया
इन्होंने अपनी मांगे मनवाने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया
1905 में लाला लाजपत राय ने इंग्लैंड से लौटने पर अपने देशवासियों को यह बतलाया कि अंग्रेजी प्रजातंत्र अपनी ही समस्याओं में इतना उलझा हुआ है कि उनके पास हमारी समस्याओं के लिए समयही नहीं है
वहां के समाचार पत्र हमारा कोई भी पक्ष प्रस्तुतनहीं करेंगे और वहां किसी को अपनी बात सुनाने का अवसरप्राप्त करना बहुत कठिन है
उन्होंने कहा कि यदि आप स्वतंत्रता चाहते हैं तो आपको स्वयं कार्यकरना पड़ेगा अपनी तत्परता से स्पष्ट प्रमाण देने होंगे
कांग्रेस का तरुण दल जिसे राष्ट्रवादी उग्रवादीभी करते थे, पुरानी पीढ़ी से पूर्णता अप्रसन्नथा
उसके अनुसार कांग्रेस का राजनीतिक धर्म केवल क्राउन प्रति राज भक्ति प्रकट करना
उनका उद्देश्य केवल अपने लिए प्रांतीय अथवा केंद्रीय विधान परिषद में सदस्यता प्राप्त करना और
इनका कार्यक्रम केवल अत्याधिक भाषणदेना और प्रत्येक वर्ष के दिसंबर माह में अंग्रेज के अधिवेशनमें उपस्थित होना था
इन पर यह दोष लगाया गया कि वह केवल मध्यमवर्गीय बुद्धिजीवियोंके लिए काम करते हैं और कांग्रेस की सदस्य इन मध्यम वर्गीय लोगों तक ही सीमित है
उन्हें भय है कि यदि जन साधारण,आंदोलन में आ जाए तो उनका नेतृत्व समाप्तहो जाएगा
अतः उदारवादी दल वालों को देश भक्ति के नाम पर व्यापार करने का दोषी ठहराया गया
तिलक नें कांग्रेस को चापलूसों का सम्मेलन और कांग्रेस के अधिवेशन को छुट्टियों का मनोरंजन बतलाया था
लाला लाजपत राय ने कांग्रेस सम्मेलनों को शिक्षित भारतीयों का वार्षिक राष्ट्रीय मेला कहा
दोनों ही कांग्रेस कार्योके बड़े आलोचक थे
बाल गंगाधर तिलक ने तो यहां तक कहा➖कि यदि हम वर्ष में एक बार मेढंक की भांति टर्राए तो हमें कुछ नहीं मिलेगा
?☘बढ़ता हुआ पश्चिमीकरण☘?
भारतीय राष्ट्रवादियों की नई पीढ़ी ने देश में बढ़ते हुए पश्चिमीकरणपर गहरी चिंता व्यक्त की
भारतीय जीवन चिंतन और राजनीति में पश्चिम का प्रभावबढ़ता जा रहा था और भारतीय संस्कृति का प्रभाव कम हो रहा था
इन लोगों का बौद्धिक और भावात्मक प्रेरणा का स्त्रोतभारत था और उन्होंने भारतीय इतिहास के वीरों की गाथाओं से प्रेरणाली थी
बंकिमचंद्र चटर्जी,विवेकानंद, स्वामी दयानंद के लेखोने उनको प्रभावित किया था
बंकिम चंद ने 1886 में लिखे कृष्ण चरित्रभाग प्रथम में भारत के उस जैसे परम पुरुष के नेतृत्व में भारत की एकताके सपने देखे थे
उन्होंने श्री कृष्ण को एक वीर योद्धा एक चतुर नीतिज्ञ और सफल साम्राज्य निर्माताके रूप में देखा था
विवेकानंद ने *भारतीय वेदांत से संसार को चकाचोंध कर दिया और अपनी प्राचीन परंपराओं और विरासत में एक नई आशा उत्पन्नकी और एक नया आत्मविश्वास जगाया
स्वामी दयानंद ने पश्चिमी विशिष्टता की पोल खोल दी
उन्होंने वैदिक संस्कृति का वह रूप दिखाया जो उस समय तक प्राय: अनदेखा किया जाता था
उन्होंने बताया कि जिस समय यूरोपवासी भारतीय सभ्यता तथा अज्ञान के गढेमें गिरे थे
वैदिक काल में भारत में एक उच्च सभ्यता संस्कृति दर्शन और धर्म का विकास हो रहा था और इस प्रकार उन्होंने एक नए आत्मविश्वासको जगाया और श्वेत जातियों की काली अथवा ब्राउनजातियों से वरिष्ठता की भावना को चुनौती दी
उनका राजनीतिक संदेश था➖ भारत भारतीयों के लिए हैं
अरविंद घोष ने कहा स्वतंत्रता हमारे जीवन का उद्देश्य है,और हिंदू धर्म ही हमारे एक उद्देश्य की पूर्ति करेगा
राष्ट्रीयता एक धर्म है और वह ईश्वर की देन है
एनी बेसेंट ने कहा कि सारी हिंदू प्रणाली पश्चिमी सभ्यता से बढ़कर है
इस प्रकार बढ़ते पश्चिमीकरण की प्रतिक्रिया में हिंदू धर्म के पुनरूत्थान में उग्रवाद के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी
इसके विपरीत कांग्रेस के उदारवादी नेताओं ने पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति में अपनी पूर्ण निष्ठा जतायी थी
?☘अंतरराष्ट्रीय प्रभाव☘?
तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का भी उग्रवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण स्थान रहा है
विदेश में हुई घटनाओं का तरुण लोगों पर अत्यधिक प्रभाव हुआ था
भारतीय के साथ अंग्रेजी उपनिवेशोंमें➖ विशेष कर दक्षिण अफ्रीका में हुए दूर्व्यवहार से अंग्रेज विरोधी भावनाएं जाग उठी
इसके अतिरिक्त इराक,तुर्की, रूस,मिश्र,फारस,व तुर्की में सफल स्वतंत्रता संग्राम ने भारतीयों को काफी उत्साहित किया था
1868 के बाद आधुनिक जापान के उदय से यह सिद्ध हो गया कि एशियाई राष्ट्र बिना पश्चिमी राष्ट्रों के नियंत्रण या सहयोग के अपना विकासकर सकता है
भारतीय राष्ट्रवादी 1896में इथोपियो की इटली पर विजय और 1905 में जापान की रूस पर विजय से अत्यधिक प्रभावित हुए और इससे इनके आत्मविश्वास में वृद्धिहुई
अब यह बात साफ हो गई थी कि यूरोप अजेय नहीं है अब यूरोप की अजेयता का क्रम टूट चुका था
गैरेट ने लिखा है➖इटली की हार ने 1897 में तिलक के आंदोलन को काफी बल दिया था
?☘भारत की बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति☘?
19वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में भारत की बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति में भारतीय राष्ट्रीय प्रक्रिया में उग्रवाद के उदयमें विशेष योगदान दिया था
1876 से 1900 के मध्य देश में लगभग 18 बार अकाल पड़ा था
जिससे अपार जन-धन की हानिहुई थी
1896_97 और 1899 से1900के बीच मुंबई और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्लेग की बीमारी और अकाल पड़ा था
जिससे लाखो लोग मृत्यु को प्राप्त हो गए थे
सरकारी सहायता कार्यबहुत थोड़ा था और बहुत धीरे धीरेहोता था और व्यवस्थाएं भी सरकार की ओर से ठीक नहीं थी
सरकार ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया जिससे इस बीमारी को रोकाजा सके
बल्की उल्टे ही प्लेग की जांच के बहाने भारतीयों के घरों में घुसकर उनकी बहन बेटियों के साथ अमानवीय और बर्बरता का व्यवहार किया जाने लगा था
तिलक के अनुसार सरकारी अधिकारी कठोर और भ्रष्ट होते थे और सहायक के स्थान पर अधिक हानिकारक थे
उन्होंने तो यहां तक कहा था➖ कि प्लेज हमारे लिए सरकारी प्रयत्नों से कम निर्दयीहै,दक्कन में दंगे हो गए
सरकार ने लोकमत तथा दंगो को दबाने का प्रयत्न किया
जनता ने अकालों को भी सरकार की नीतियोंका परिणाम ही बताया
बाल गंगाधर तिलक ने सरकार की इस काली करतूत की अपने पत्र केसरी में कटु आलोचना की थी
जिसके कारण उन्हें कड़े पहरे में 18 महीने जेलमें रहना पड़ा था
प्लगे के समय की ज्यादतियों का बदला लेने के लिए पुणे के चापेकर बंधुओं( दामोदर और बालकृष्ण) ने प्लेग अधिकारी रैण्ड एंव एयर्स्ट की गोली मारकर हत्या कर दी
इन घटनाओं ने उग्र राष्ट्रवाद को प्रोत्साहन दिया
लार्ड बेकलका यह कथन की➖ अधिक दरिद्रता और आर्थिक असंतोष क्रांति को जन्म देता है
भारत के संदर्भ में अक्षरश:सत्य हैं,क्योंकि अंग्रेजों की तीव्र आर्थिक शोषण की नीति में सचमुच भारत में उग्रवाद को जन्म दिया है
शिक्षित भारतीयों को रोजगार से दूर रखने की सरकार की नीति ने भी उग्रवाद कोबढ़ावा दिया था
लालमोहन घोष ने 1903 के कांग्रेस के अध्यक्षीय भाषण में 1902 के दरबारका उल्लेख कुछ यू किया➖ एक सरकार का निर्धन जनता पर भारी कर लगाकर एक बड़े भारी समारोह का मनाना जिसमें आतिशबाजी और भव्य दृश्य पर रुपया व्यय किया जाए जबकि लाखों लोग भूख से मर रहे हैं इससे अधिक हृदयहीनता कुछ नहीं हो सकती
?☘बंगाल का विभाजन☘?
लार्ड कर्जन के शासनकाल में अंग्रेज सरकार द्वारा बंगाल विभाजन के फैसले के कारण देश भर में जन आक्रोश फैल गया था
लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रिया वादी नीतियों की भारतीय युवाओं में कड़ी प्रतिक्रियाहुई
लार्ड कर्जन के सात वर्ष के शासनकाल को शिष्टमंडलों,भूलो और आयोगों का काल कहा जाता है
लार्ड कर्जन के कुछ अन्य प्रतिक्रियावादी कार्यों➖जैसे कोलकाता कारपोरेशन अधिनियम और विश्वविद्यालय अधिनियम आदि ने भी उग्रवादी कार्यों को प्रोत्साहन देने में महत्वपूर्ण कार्य किया
लेकिन इन सभी कार्यों में लॉर्ड कर्जन का सबसे घृणित कार्य बंगाल को दो भागो बंगाल पूर्वी बंगाल और असम में विभाजितकरना था
यह कार्य बंगाल और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कड़े विरोध की उपेक्षा करके किया गया था
इससे यह सिद्ध हो गया कि लार्ड कर्जन और लंदन स्थित ग्रह सरकार भारत के लोकमत कि किस प्रकार अवहेलना करती है
यह स्पष्ट था कि बंटवारा धर्म के नाम पर किया गया और हिंदू मुस्लिम द्वेष को कुरेदनेका प्रत्यन था
अब यह स्पष्ट हो गया था कि याचना प्रार्थना और प्रतिरोध प्रकट करने से कुछ नहीं होने वाला था
इन सभी कार्यों ने उग्रवादी कार्य को बढ़ावा दिया
?☘कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियां☘?
लार्ड कर्जन का भारत में 7 वर्ष का शासन शिष्टमंडलों भूलो तथा आयोगोंके लिए प्रसिद्ध था
जिसकी भारतीय मन पर कडी प्रतिक्रियाएंहुई
कर्जन ने भारत को एक राष्ट्र नहीं माना
कांग्रेस के सभी कार्य को केवल मन के उद्गार निकालना ही माना
उसकी दृष्टि में भारतीय चरित्र का मूल्य बहुतकम था
वह उन्हें झूठे और मक्कार ही मानता था
उसने कलकत्ता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए कहा था कि ?सत्य का मान पश्चिम में अधिक था और पूरब में ऐसा बहुत समय के बाद हुआ है
उसके बहुत से अधिनियमो में जातीय श्रेष्ठता की भावना झलकती थी
1902 का दिल्ली दरबार बहुत अखराविशेषकर इसलिए कि देश अभी अकाल के प्रभाव से पूर्ण रुप से समझ ही नहीं पाया था
?☘अंग्रेजी राज्य की प्रकृति को ठीक-ठीक समझना☘?
आरंभिक काल के नेताओं ने अपने अनथक अध्ययन और लेखो द्वारा लोगों को भारत में अंग्रेजी राज्य के सच्चे स्वरूप को समझने का प्रयत्न किया
उन्होंने आंकड़ों से यह सिद्ध किया की अंग्रेजी राज्य और उसकी नीतियों ही भारत की दरिद्रता का मूल कारण है
दादा भाई नौरोजी ने अंग्रेजी राज्य की शोषक नीतियों का अनावरणकर दिया और कहा कि यह राज्य भारत को दिन प्रतिदिन लूटनेमें लगा है
इसी प्रकार आनंद चार्लू,आर० एन०मुधोल्कर,दिनशा वाचा,गोपाल कृष्ण गोखले,मदन मोहन मालवीय इत्यादि अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने अंग्रेजी राज्य के ढोल की पोल खोल दी और बताया कि
इस राज्य का वास्तविक रूप केवल शोषक की शोषक है और जी०बी०जोशी ने अंग्रेजी भूमि कर व्यवस्था का मूल्यांकन किया
श्री सुरेंद्र नाथ बनर्जी ने यह स्पष्ट किया की भर्ती में अंग्रेजों की कथनी और करनी में बहुत अंतर है
कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन में ही भारत की बढती हुई दरिद्रता की और ध्यान आकर्षितकिया गया और यह प्रस्ताव प्रत्येक वर्ष पारितकिया जाता था
इसके लिए उन्होंने सैनिक -असैनिक पदों पर ऊंचे-ऊंचे वेतन (जो समकालीन संसार में सबसे अधिक थे)गृह शासन के बढ़ते हुए व्यय भेदभावपूर्ण आयात और निर्यात की नीति,अदूरदर्शी भूमि कर नीति,भारत के उद्योगीकरण के प्रति उदासीनता और भारतीयों को अच्छे पद और सेवाओं से वंचित रखना इत्यादि तथ्यों को उत्तरदायी ठहराया
रानाडे की➖ऐसे० इन इंडियन इकोनॉमिक्स,दादा भाई नौरोजी की➖इंडियन प्रॉवर्टी एंड ब्रिटिश रूल इन इंडिया (1901) और आर०सी०दत्त की➖इकोनॉमिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया(1901)इत्यादि पुस्तकोंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
नई पीढ़ी के नेताओंने इन्ही पुस्तकों से तथ्य लेकर अंग्रेजी राज्य की आलोचनाकी थी
??स्वाभिमान का विकास☘?
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल जैसे नेताओं ने भारतीयों को स्वाभिमानी बनने का पाठ पढ़ाया
उन्होंने कहा कि सभी राष्ट्रवादियों को देश की जनता की शक्ति और क्षमता पर पूरा विश्वास है
इन नेताओं के योग्य नेतृत्व में ही यह आंदोलन भारत में फला-फूलाहै
बाल गंगाधर तिलक मानते थे➖ अच्छी विदेशी सरकार की अपेक्षा हीन स्वदेशी सरकार श्रैष्ठ है और स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे में लेकर रहुगा
तिलक ने गणपति उत्सव और शिवाजी महोत्सव को प्रारंभ कर भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना के प्रयास की दिशामें कार्य किया
लाला लाजपत राय ने कहा➖ अंग्रेज भिखारी से अधिक घृणाकरते हैं और मैं सोचता हूं कि भिखारी घृणा के पात्र भी है
अतः हमारा कर्तव्य है कि हम यह सिद्ध कर दे कि हम भिखारी नहीं है .
विपिन चंद्र पाल ने बंगाल के युवाओं का नेतृत्व किया था
विपिन चंद्र पाल को बंगाल में तिलक का सेनापति मानाजाता है
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