उत्तर प्रदेश भौगोलिक परिदृश्य(geography of Uttar Pradesh)
उत्तर प्रदेश भौगोलिक परिदृश्य
(Geography of Uttar Pradesh)
उत्तर प्रदेश को तीन प्राकर्तिक भू भागों में विभाजित किया जा सकता है-
1.भाभर और तराई क्षेत्र 2.मैदानी क्षेत्र 3.दक्षिण के पहाड़ और पठार
1. भाभर और तराई क्षेत्र -
यह पश्चिम में सहारनपुर से लेकर पूर्व में देवरिया और कुशीनगर तक पतली पट्टी के रूप में विस्तारित है। पश्चिम में यह भाग 34 किलोमीटर चौड़ा है और पूर्व की ओर बढ़ने पर इसकी चौड़ाई कम होती जाती है। इस भाग में गन्ना, गेहूं, धान व जूट आदि की अच्छी पैदावार होती है
2. मैदानी क्षेत्र -
यह मैदानी क्षेत्र भाभर और तराई प्रदेश के नीचे स्थित है, जो प्रदेश का मध्य भाग है। यह नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से निर्मित है। यह अत्याधिक उपजाऊ है। इसे गंगा यमुना दोआब भी कहा जाता है। इसकी समुद्र तल से औसत ऊंचाई 300 मीटर है। इसका अधिकांश भाग समतल है। इसकी पश्चिमी सीमा यमुना नदी और पूर्वी सीमा गंडक नदी द्वारा निर्धारित होती है।
3. दक्षिण के पहाड़ व पठार -
उत्तर प्रदेश के दक्षिण के पहाड़ी व पठार प्रायद्वीपीय पठार का ही उत्तर विस्तार है जिसकी उत्तरी सीमा गंगा व यमुना नदी द्वारा निर्धारित होती है। इसमें बुंदेलखंड व बघेलखंड के क्षेत्र शामिल है। इसका निर्माण विंध्य काल की पुरानी नीस चट्टानों से हुआ है। इसके अंतर्गत हमीरपुर, महोबा, झांसी, जालौन, सोनभद्र, चित्रकूट, बांदा, ललितपुर जिला, इलाहाबाद की मेजा व दक्षिण का मिर्जापुर का भाग आता है।
इसकी समुद्र तल से औसत ऊँचाई 300 मीटर है तथा मिर्जापुर व सोनभद्र की पहाड़ियों पर 600 मीटर तक है। इसका ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है। बुंदेलखंड से होकर गुजरने वाली बेतवा और केन नदिया यमुना में आकर मिलती है। इस क्षेत्र में कम वर्षा होती है। यहां की प्रमुख फसल जवार, तिलहन, चना, गेहूं आदि है।
जलवायु -
उत्तर प्रदेश की जलवायु उष्ण है। यह उष्ण कटिबंधीय मानसून क्षेत्र में आता है। प्रदेश में सामान्यतः 3 ऋतुएं होती है- अक्टूबर से फरवरी तक जाड़ा, मार्च से जून तक गर्मी तथा जुलाई से सितंबर तक बरसात होती है।
ग्रीष्म ऋतु में अधिकांश भागों में शुष्क व पश्चिमी हवा तेजी से चलती है जिसे लूं कहा जाता है। प्रदेश में गर्मी में (मई-जून) में औसत तापमान 27℃- 32℃ तक तथा सर्दी में 12℃ से 17℃ तक होता है। प्रदेश में सर्वाधिक गर्मी आगरा तथा झांसी में जब की सबसे कम गर्मी बरेली में पड़ती है।
प्रदेश में जून से सितंबर तक वर्षा बंगाल की खाड़ी मानसून से प्राप्त होती है जबकि जाडो में वर्षा उत्तर पश्चिम से उठने वाले शीतकालीन चक्रवातीय तूफानो के कारण होती है। प्रदेश की लगभग 83% वर्षा जून से सितंबर के मध्य तथा 17% वर्षा शीत ऋतू में होती है।
प्रदेश में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान गोरखपुर है जहां औसत वर्षा 184.7 सेंटीमीटर तक होती है जबकि सबसे कम वर्षा वाला स्थान मथुरा है जहां 54.4 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है। पूर्व में औसत वर्षा 100 से 200 सेंटीमीटर तक होती है जबकि पश्चिमी में औसत वर्षा 60 से 100 सेंटीमीटर तक होती है।
जाड़ों में उतर से दक्षिण की ओर जाने पर तापमान क्रमशः बढ़ता है।कर्क रेखा के तारीख निकट होने के कारण प्रदेश में बुंदेलखंड में सर्वाधिक औसत तापमान प्राप्त होता है।प्रदेश में सर्वाधिक जाड़ा जनवरी महीने में, सर्वाधिक गर्मी मई-जून के मध्य तथा सर्वाधिक वर्षा जुलाई-अगस्त में होती है। वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ने पर घटती जाती है।
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