क्रांतिकारी आतंकवादी आंदोलन 02(Revolutionary terrorist movement 02)
क्रांतिकारी आतंकवादी आंदोलन 02
(Revolutionary terrorist movement 02)
आत्मोन्नति समिति बिपिन बिहारी गांगुली द्वारा स्थापित आत्मोन्नति समिति बंगाल की एक अंय क्रांतिकारी संस्था थी इसमें मराठी विद्वान सखाराम गणेश देउसर जो बंगाली में भी निपुणथे बंगाल और महाराष्ट्र के क्रांतिकारियों के बीच एक कड़ी का काम करते थे 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद बंगाल में उग्रवादी राष्ट्रवाद को शक्तिशाली प्रेरणा मिली अनेक गुप्त क्रांतिकारी समितियां जैसे कि मा़यमेन सिंह की सुह्रद समिति,साधना समिति ,वारिसाल की स्वदेश बांधव समिति और फरीदपुर की ब्रती समिति की स्थापनाकी गई इन सभी समितियों को सरकार द्वारा गैर कानूनी घोषित कर दिया गया था
राष्ट्रवादियों द्वारा प्रकाशित पुस्तक और पत्र पत्रिकाएं वारीन्द्र नाथ घोष ने 1905 में भवानी मंदिर नामक पहली पुस्तक प्रकाशित की थी यह पुस्तक क्रांति से संबंधित थी,इसमें *आनंद मठ भाव ग्रहण किया गया था और कहा गया कि क्रांतिकारी राजनीतिक संयासी का जीवन तब तक बिताएं जब तक स्वाधीनता प्राप्त नहीं हो जाती है ?इस पुस्तक में क्रांतिकारी कार्यों को संगठित करने हेतु केंद्र बनानेके लिए विस्तृत जानकारी दी गई है वारीन्द्र नाथ घोष ने अपनी दूसरी पुस्तक वर्तमान रणनीति लिखी थी यह पुस्तक अक्टूबर 1907 में अविनाश चंद्र भट्टाचार्य द्वारा प्रकाशित की गई थी इस पुस्क में कहा गया था कि भारत की स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए फौजी शिक्षा और युद्ध आवश्यक है यह पुस्तक बंगाल के क्रांतिकारियों की पाठ्यपुस्तक बन गई वारिन्द्र नाथ घोष ने खुलकर क्रांति का प्रचार करने के लिए 1906 में युगांतर नामक पत्रिका का प्रकाशन किया युगांतर के प्रथम संपादक भूपेंद्र नाथ दत्त को 1907 में 1 साल की कड़ी सजा दी गई थी 1908 में इस पत्र को बंद करना पड़ा था एक अन्य पुस्तक मुक्ति कौन पाए में ,भारतीय सैनिकों से क्रान्तिकारियो को हथियार देने का आग्रहकिया गया था बंगाल के युवकों को शक्ति की प्रतीक भवानी की पूजा करने को कहा गया था ताकि वह मानसिक, शारीरिक,आत्मिक और नैतिक बलप्राप्त कर सकें और इसी के साथ कर्म करने पर भी जोर दिया गया था अन्य पत्रिकाओं जैसे ब्रम्हा बांधव उपाध्याय द्वारा संपादित ""संध्या"" अरविंद घोष द्वारा संपादित ""वंदे मातरम""आदि क्रांति के प्रसार में सहायक बनी थी युगांतर पत्र के नाम पर युगांतर नामक एक अन्य क्रांतिकारी समिति की स्थापना की गई थी बंगाल के विभिन्न भागों में इसकी शाखाएंथी वारिंद्र घोष के नेतृत्व में युगांतर समूह में सर्वत्र क्रांति का बिगुलबजाया और बताया की क्रांति किस प्रकार प्रभावीहोगी इस गुट ने *बम बनाए और विख्यात अधिकारियों को मारने का प्रयास भी किया था पूर्वी बंगाल और बंगाल के उपराज्यपाल की हत्या के प्रयास किए गए लेकिन यह प्रयास असफल रहे वारिंद्र घोष ने 1907 में आतंकवादी गतिविधियों का संचालन करने के लिए मणिकतुल्ला पार्टी बनाई थी क्रांतिकारी हिंसक घटनाएं ♻क्रांतिकारी हिंसक घटनाओं का आरंभ 1906में हुआ था ♻जब धन की व्यवस्था के लिए क्रांतिकारियों ने डकैती की योजनाबनाई ♻क्रांतिकारियों ने बंगाल के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर फुलरको मारने का प्रयत्न किया लेकिन वह सफल नहींहो सके
किंग्सफोर्ड की हत्या का प्रयास डी०एच०किंग्सफोर्ड बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के न्यायाधीश पर 30 अप्रैल 1908को मुजफ्फरपुर में खुदीराम बोस ओर प्रफुल्ल चाकी ने बम फेंका था किंग्सफोर्ड तो बच गया लेकिन दुर्भाग्य से उस गाड़ी में राष्ट्रीय आंदोलन से हमदर्दी रखने वाले मिस्टर कैनेडी की पत्नी और पुत्री मारी गई थी किंग्सफोर्ड ने मुख्य प्रेज़िडेंसी दंडनायक के रूप में युवकों को छोटे-छोटे अपराधों के लिए बड़ी-बड़ी सजाएंभी दि थी प्रफुल्ल चाकी ने आत्महत्या कर ली,लेकिन खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर लिया गया था और 1908 में 15 वर्ष की आयु में फांसी दे दी गई थी खुदीराम बोस सबसे कम उम्र में फांसी पाने वाले क्रांतिकारी व्यक्ति थे
अलीपुर षड्यंत्र केस 1908 सरकार ने अवैध हथियारों की तलाश के संबंध में मानिकटोला उद्यान और कोलकाता में अवैध हथियारों की तलाशियां प्रारंभ की जिसमें 18 मई 1908को कलकत्ता के अलीपुर अदालत में 34 व्यक्तियों को अवैध हथियार रखने के कारण बंदी बनाकर अदालत में पेश किया गया था गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में दो घोष बंधु थे अरविंद और वारिंद्रशामिल थे इन सभी पर अलीपुर षड्यंत्र कांड का मुकदमाबनाया गया और यह मुकदमा अलीपुर षड्यंत्र केस के नाम से प्रसिद्धहुआ मुकदमे के दिनों में सरकारी गवाह नरेंद्र गोसाई की अलीपुर जेल में सत्येंद्र नाथ घोष ने हत्या कर दी थी इसके अतिरिक्त फरवरी 1909 में कलकत्ता में सरकारी वकील की हत्या कर दी गई थी वारिंद्र गुट के लगभग सभी सदस्य को आजीवन कालापानी की सजा दी गई थी लेकिन अरविंद घोष को छोड़ दिया गया था,रिहाई के बाद अरविंद घोष ने कहा कि जेल में उन्हें कृष्ण के दर्शन हुए थे अरविंद घोष ने कर्मयेगिन् नामक पत्र अंग्रेजी में निकाला इस पत्र के आपत्ति पूर्ण लेखों के लिए उनके विरुद्ध वारंट जारी किया गया तब यह फरार हो गए और पांडिचेरी में जाकररहने लगे वही पर अरोविल में 1916 में एक आश्रम की स्थापनाकी 11 दिसंबर 1908को अनुशीलन समिति गैरकानूनी घोषित कर दी गई थी
हावड़ा षडयंत्र केस 1910 24 फरवरी 1910 को उप पुलिस अधीक्षक शमसुल आलम की कलकत्ता उच्च न्यायालय से बाहर आते समय जतिंद्र नाथ मुखर्जी ने हत्याकर दी थी इस हत्या के कारण जतींद्रनाथ मुखर्जी को 1910 में हत्या का अभियुक्त बनाया गया और उन पर हावड़ा षडयंत्र केस चलायागया . लेकिन इस मामले में वह किसी तरह फांसी से बच गए थे तत्काल और पूर्ण स्वतंत्रता के लिए प्रयासरत क्रांतिकारियों के लिए प्रथम विश्वयुद्ध का छिड जाना एक स्वर्णिम अवसरप्रतीत हुआ था 1915 में बंगाल में राजनीतिक डकैतियां और हत्याएं अपनी चरम सीमा पर पहुंच गयी थी अधिकांश क्रांतिकारी गुट बाघा जतिन के नाम से प्रसिद्ध जतींद्र नाथ मुखर्जी के नेतृत्व में एकजुटहो गए थे 9 सितंबर 1915 को बालासोर उड़ीसा में पुलिस द्वारा घेर लिए जाने पर जतिन ने मरते दम तक अत्यंत वीरता पूर्वक मुकाबला किया रोलट कमेटी की रिपोर्ट में 1906 से 1917 के मध्य बंगाल में 110 डाके और 60 हत्या के प्रयत्नो का उल्लेख किया गया है इन घटनाओं से देश में उत्तेजना फेल गई थी तिलक ने इन बंगाली आतंकवादियों की मुक्त कंठ से प्रशंसाकी थी 22 जून 1908 के केसरी में उन्होंने इस प्रकार टिप्पणी की थी
1897 में हुई हत्याओं और बंगाल के बम कांडो में बहुत भेद है उनका उद्देश्य चापेकर बंधुओं का उत्पीड़न का विरोध करना था, जो प्लेग के दिनों में किया गया अथवा एक कार्य विशेष का विरोधकरना था
लेकिन बंगाली बम का उद्देश्य विस्तृत और बहुत अलग है जो कि बंगाल विभाजन के कारण हमारे सम्मुखआया है
पंजाब क्रांतिकारी आंदोलन
पंजाब में क्रांतिकारी आतंकवाद का उदय बार बार पड़ने वाले अकाल और भू राजस्व तथा सिंचाई करो में वृद्धि के परिणाम स्वरुप हुआ था
पंजाब में भी शिक्षित वर्ग इन क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित हुए थे
पंजाब सरकार का सुझाव था कि चुनाव तथा बारी दोआब नहरी बस्तियों में भूमि कर बढ़ाया जाना चाहिए
इस कारण प्रदेश की ग्रामीण जनता में बहुत रोषजागा
केंद्रीय सरकार ने इस विधेयक को जिसे पंजाब विधान परिषद में पारित कर दिया था,अपने निषेधाधिकार की शक्तियों का प्रयोग करके रद्दकर दिया गया
लेकिन इसके साथ ही उन्होंने इस आंदोलन के दो प्रमुख नेताओं लाला ह्रदयलाल और सरदार अजितसिहको बंदी बना लिया था
1818 के रेगुलेशन तृतीय के अधीनियम के तहत दोनो नेताओ को 1907मे देश से निर्वासित कर दिया था
अजीत सिह को 6 माह बाद छोड दिया था ओर लाला ह्रदयवाल जेल से भाग कर फ्रांसचले गए थे
लालचंद फलक और भाई परमानंद को भी भिन्न-भिन्न अवधि के लिए जेल दंड दिया गया था
पंजाब में क्रांतिकारी आंदोलन के प्रणेता जतिन मोहन चटर्जी थे
जिन्होंने 1904 में सहारनपुर में भारत माता सोसाइटी नामक गुप्त संस्थाबनाई थी
उनका परिवार सहारनपुर में बसा था
इसके साथ लाला हरदयाल अजीत सिंह और सुखी अम्बा मिले थे
1908 में क्रांतिकारी गुट का नेतृत्व मास्टर अमित चंद्रके हाथों में आ गया था,इनका संबंध बंगाल के क्रांतिकारियोंसे था
23 दिसंबर 1912 को दिल्ली में वायसराय हार्डिंग की राज यात्रा के समय चांदनी चौक में बम फेंकागया था
जिसमें उनके सेवक मारेगए थे, बम फेंकने वालों में बसंत विश्वास और मन्मथ विश्वास बंगाल से भेजे गए थे
सयुक्त राज्य अमेरिका में गदर पार्टी की स्थापना के पश्चात पंजाब, गदर पार्टी की गतिविधियों का केंद्रबन गया
पंजाब के बहुत से क्रांतिकारी लाला हरदयाल,भाई परमानंद आदि संयुक्त राज्य अमेरिका में गदर पार्टी आंदोलन में शामिल हो गए थे
लाहौर षड्यंत्र 1915 में पंजाब में एक संगठित आंदोलन की रुपरेखा तैयार की गई थी जिसमें निश्चय किया गया था कि 21 फरवरी 1915 को संपूर्ण उत्तरी भारत में एक साथ क्रांति का बिगुल बजाया जाएगा लेकिन यह योजना सरकार को पता चल गई थी इस योजना के अनेक नेता पकड़ेगए,उन्हें लाहौर षड्यंत्र के रूप में सजा दी गई थी इन नेताओं में पृथ्वी सिह, परमानंद, करतार सिह, विनायक जगत सिह आदि देश भक्तथे
मद्रास में क्रांतिकारी आंदोलन
मद्रास प्रांत में भी क्रांतिकारी विचारों का प्रसार हुआ
यहां नीलकंठ ब्रह्मचारी और वंची अय्यर ने गुप्त रुप से भारत माता समितिकी स्थापना की थी
वंची अय्यर ने 17 जून 1911 को तिनेवेल्ली के जिला जज आशे की गोली मारकर हत्याकर दी थी और बाद में आत्महत्या कर ली
दिल्ली में क्रांतिकारी आंदोलन
कलकत्ता से दिल्ली में राजधानी परिवर्तन के समय पर जब वायसराय लॉर्ड हार्डिंग समारोह पूर्वक दिल्लीमें प्रवेश कर रहे थे
चांदनी चौक में 23 दिसंबर 1912 को उनके जुलूस पर बम फेंका गया था ,लेकिन यह बच गएथे
लार्ड हार्डिंग की हत्या के षड्यंत्र की योजना रासबिहारी बोसबोस ने बनाई थी
बम फेंकने वालों में बसंत विश्वास, रास बिहारी का नौकर और मन्मथ विश्वास प्रमुख थे
लार्ड हार्डिंग की हत्या से संबंधित मुकदमा दिल्ली षडयंत्र केस के नाम से जाना गया
इस मुकदमे में बसंत विश्वास, बालमुकुंद, अवध बिहारी और मास्टर अमीरचंद को फांसीहो गई थी
षड्यंत्र का रहस्य खुल जाने पर रास बिहारी बोस भागकर जापाचले गए
जहां उन्होंने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियांजारी रखी
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में इन्होंने इंडियन इंडिपेंडेंस लीका गठन किया और आजाद हिंद फौज के गठन में महत्वपूर्ण भूमिकानिभाई
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