गजनी के उत्तर में लगभग 200 मील की दूरी पर गोर नामक एक स्थान था जहां इरानी लोग राज्य करते थे यह लोग पूर्वी ईरान से आए थे और शंसबानी कहलाते थे। गजनी की अधीनता को नाम मात्र के लिए मानते थे सल्जुकों की गजनी पर आक्रमण के बाद गजनी की शक्ति कम होने लगी और गोर वंश की शक्ति में वृद्धि होने लगी शंसबानी शासक मुहम्मद के बाद उसका पुत्र कुतुबुद्दीन हसन उसका उत्तराधिकारी बना इसने विस्तारवादी नीति का अनुसरण किया जिस समय कुतुबुद्दीन हसन एक विद्रोह का दमन कर रहा था उसकी हत्या कर दी गई इसके बाद उसका पुत्र ईजुद्दीन हुसैन(1110-46ई.) उस का शासक बना। गौरों की राजनीतिक स्थिति (Political condition) में विस्तार हुआ फलस्वरुप ग़ज़नवी साम्राज्य सीमट कर दक्षिण पूर्वी अफगानिस्तान और पंजाब तक रह गया जैसे-जैसे गजनवियों का प्रभाव कम होने लगा सल्जको की प्रतिष्ठा बढ़ने लगी 1107 से 08 में संजर ने गोर पर आक्रमण कर ईजुद्दीन को बंदी बना लिया बाद में उसकी मृत्यु हो गई गोर के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था
ईजुद्दीन के 6 पुत्र थे
1- सैफुद्दीन 2- कुतुबुद्दीन मुहम्मद 3- नसीरुद्दीन मोहम्मद 4- अलाउद्दीन हुसैन 5- बहाउद्दीन साम और 6- फखरुद्दीन मसूद
ईजुद्दीन की मृत्यु के बाद उसके पुत्र सैफुद्दीन ने अपने पिता के साम्राज्य को सभी भाइयों में बांट दिया किंतु कुतुबुद्दीन मोहम्मद इस बंटवारे से संतुष्ट नहीं था वह बंटवारे का विरोध कर बहराम शाह गज़नवी के दरबार में चला गया कुछ समय पश्चात बहराम शाह के दरबारियों ने उसके विरुद्ध षड्यंत्र किया उसके ऊपर हरम पर कुदृष्टि रखने का आरोप लगाया बहरामशाह ने क्रोधित होकर उसे कारागार में डाल दिया बाद में कुतुबुद्दीन महमूद को विष देकर मार डाला अपने भाई का बदला लेने के लिए सैफुद्दीन ने गजनी पर आक्रमण किया उसने बहराम शाह को भारत की ओर भगा दिया और सुल्तान का खिताब धारण कर स्वयं गजनी के सिंहासन पर बैठा उसने अपनी अधीनता में अपने भाई बहाउद्दीन साम को गजनी का शासक नियुक्त किया 1149 ईस्वी में बहरामशाह ने पुन:गजनी पर आक्रमण किया और सैफुद्दीन को पराजित कर उसकी हत्या कर दी अपने भाई का बदला लेने के लिए बहाउद्दीन साम ने गजनी की ओर कुच करने लगा लेकिन गजनी पहुंचने से पहले ही 1149 में मार्ग में उसकी मृत्यु हो गई
अंत में अलाउद्दीन हुसैन ने अपने सभी भाइयों का बदला लेने का प्रण किया और उसने गजनी पर आक्रमण किया और बहरामशाह को पराजित किया पराजित होने के बाद बहरामशाह भारत भाग गया जहां शीघ्र ही उसकी मृत्यु हो गई उसके बाद उसका पुत्र खुसरो (खुसरव) मलिक उत्तराधिकारी हुआ अलाउद्दीन ने निर्दयता से गजनी नगर को जलाया और नागरिकों का कत्लेआम किया उसने गजनी के मृत शासकों और अमीरों की हड्डियों को कब्र से निकालकर जला दिया इस कारण लोग उसे जहां सोज (संसार को जलाने वाला) अर्थात जगददाहक कहने लगे अलाउद्दीन हुसैन पहला व्यक्ति था जिसने सुल्तान अस्सुल्तान(महान सुल्तान) का खिताब धारण किया इससे पूर्व के शंसवानी शासकों ने स्वयं को केवल मलिक या अमिर का खिताब धारण किया था 1152 इसी में उसने सल्जुकियों को खराज देना बंद कर दिया अलाउद्दीन जहांसोज ने शंसवानियों को साम्राज्यवादी और प्रसार वादी उत्साह प्रदान किया सौभाग्य से उसके समय में उस क्षेत्र में शक्तिशून्यता थी
ग़ज़नवीयों का पतन हो चुका था और संजर को गुज्ज जाति ने बंदी बना लिया था अलाउद्दीन जहांसोज ने इस स्थिति का लाभ उठाया और अपनी शक्ति का प्रसारण प्रारंभ किया ऐसी परिस्थिति में गोरी साम्राज्य का तीन भागों में विभाजन अनिवार्य हो गया
वरिष्ठ शाखा फिरोजशाह से गोर प्रशासन करती थी रही और पश्चिम में खुरासान की ओर साम्राज्य प्रसार के लिए नजर दौड़ाई 1173-74 में अंतिम रुप से विजय प्राप्त करने के बाद वहां एक अन्य शाखा की स्थापना की गई ।इस शाखा ने साम्राज्य विस्तार के लिए भारत की ओर अपना ध्यान आकर्षित किया बामियान नए विजित राज्य पर फखरुद्दीन मसूद को सिंहासनारूढ़ किया गया उसने ओक्सस नदी के तट पर तूखारिस्तान ,बादखशा और शुगवान पर राज्य किया
अलाउद्दीन हुसैन के बाद उसके पुत्र सैफुद्दीन उसका उत्तराधिकारी बना लेकिन जल्द ही उसकी मृत्यु हो गई इसके बाद गयासुद्दीन (1163 से 1203) गद्दी पर बैठा उसने 1173-74 को गजनी को अंतिम रुप से जीतकर अपने भाई शिहाबुद्दीन (1173 से 1206) को सौंप दिया जिसने बाद में मुईजुउद्दीन मोहम्मद गौरी का खिताब धारण कर भारत पर आक्रमण किया मोहम्मद गोरी गजनी पर स्वतंत्र शासक की भांति राज्य करता था लेकिन सिक्कों पर अपने भाई का नाम खुदवाता रहा और उसे अपना सर्वोच्च अधिकारी भी मानता रहा बहरामशाह पराजित होने के बाद भारत कि ओर भाग आया जहां शीघ्र ही उसकी मृत्यु हो गई बहराम शाह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र खुसरो मलिक गद्दी पर बैठा यह गजनवी वंश का अंतिम शासक था यह कमजोर और डरपोक शासक था इस के समय में मोहम्मद गोरी ने भारत का सिंह द्वार कहा जाने वाला पंजाब पर आक्रमण किया खुसरो मलिक कुछ समय तक गोरी को उपहार देकर बचता रहा लेकिन अंत में गोरी ने पुन: 1186 में पंजाब पर आक्रमण किया और खुसरो मलिक को बंदी बना लिया बाद में मोहम्मद गौरी की आज्ञानुसार 1192 ईस्वी में उसका वध कर दिया गया इस प्रकार गजनी वंश का अंत हो गया
विष्णु शर्मा द्वारा रचित ग्रंथ पंचतंत्र का अरबी अनुवाद कलिलाह-व-दिमना नाम से किया गया था जिसका फारसी भाषा में अनुवाद बहराम शाह ने करवाया था इस प्रकार गजनी वंश का अंत और गौर वंश की शुरुआत हुई
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