राज्य की आंतरिक व्यवस्था को सुचारु रुप से चलाने के लिए ग्यासुद्दीन ने अनेक सुधार किए
अमीर खुसरो के "तुगलकनामा" में गयासुद्दीन के कार्यों का उल्लेख है
Amir Khusro के अनुसार- उसने कुछ भी वैसा नहीं किया जो विवेक और बुद्धि से परिपूर्ण ना हो।,यह कहा जा सकता है कि वह 100 पंडितों का शिरो वस्त्र अपने राजमुकुट के नीचे धारण किए थे
प्रशासनिक व्यवस्था ( Administrative law) को सुचारु रुप से चलाने के लिए गयासुद्दीन तुगलक ने सर्वप्रथम अपनी आंतरिक स्थिति सुदृढ़ की
उस ने सर्वप्रथम प्रचलित कानूनों का संग्रह करवाया और उन्हीं कानूनों के अनुसार अपना व्यक्तिगत जीवन बना लिया
बरनी के अनुसार- सुल्तान ने वह कार्य कुछ दिनों में कर दिखाया जो दूसरे सुल्तानों में वर्षों में किया था*
उसने सभी विशेषाधिकारों और जागीरों की गोपनीय जांच कराकर सभी अवैध अनुदानों जागीरों को जप्त कर लिया और उन सभी को धन राशि वापस खजाने में जमा करने का आदेश दिया जो खुसरो खां ने मन माने रूप में उन्हें दी थी
उसने दिल्ली के प्रसिद्ध सूफी संत Nizamuddin auliya से भी पैसा 5लाख टंका लौटाने के लिए कहा (जो उन्हें धार्मिक अनुदान के रूप में खुसरो के समय में दिया गया था)
लेकिन निजामुद्दीन औलिया ने यह कहकर धन लौटाने से मना कर दिया कि उसने सब धन दान कर दिया
इस घटना के कारण सूफी संत निजामुद्दीन औलिया और सुल्तान में मनमुटाव चलता रहा
भ्रष्टाचार और गबन को रोकने के लिए उसने अधिकारियों को अच्छा वेतन दिया और निष्ठा व योग्यता को प्रमाण देने वाले अधिकारियों की पदोन्नति की
लोक कल्याणकारी कार्य
ग्यासुद्दीन तुगलक ने जनता के कल्याण के लिए अनेक कार्य किए
उसने कृषकों के लिए सिंचाई कार्य हेतु नहरों का निर्माण करवाया
किसानों की स्थिति सुधारने, कृषि उपज और कृषि योग्य भूमि विस्तार हेतु उसने प्रयास किए
गयासुद्दीन तुगलक दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था जिसने कृषको के प्रति सहयोग और उदारता का दृष्टिकोण अपनाया और भूमि कर कम कर 1/3 कर दिया
ऋणों की वसूली को बंद कर दिया गया उस ने आदेश दिया कि भू राजस्व ( Land Revenue) एक बार में 1/11 से ज्यादा ना बढ़ाया जाए
उसने आर्थिक अपराध और बकाया राजस्व ऋण वसूली के लिए दिए जाने वाले शारीरिक दंड की प्रथा को त्याग दिया
दिल्ली सल्तनत के इतिहास में पहली बार गियासुद्दीन के शासनकाल में निर्धनों की सहायता का आयोजन किया गया
राज्य की ओर से खिलजी कन्याओं के विवाह की व्यवस्था की गई और असहाय और निर्मल लोगों के जीवन यापन के लिए प्रबंध किया गया
सैनिक सुधार
गियासुद्दीन तुगलक एक कुशल सेनापति था ,उसे सैनिकों से विशेष लगाव था
बरनी का कथन है कि-- सैनिकों के प्रति उसका स्नेह उनके माता पिता से अधिक था
उसने चेहरा /हुलिया (सैनिक पंजिका )और दाग (घोड़ों को चिन्हित )करने के नियम कठोरतापूर्वक लागू किए
सैनिकों को आर्थिक दृष्टि से संतुष्ट रखने के लिए इक्तादारों को निर्देश दिया कि वह किसी भी सैनिक के उचित वेतन और भत्ते का दुरूपयोग ना करें
मुक्ता और वली द्वारा सैनिकों के वेतन से कमीशन काटने की प्रथा को बंद कर दिया गया
ग्यासुद्दीन ने स्वयं सैनिकों के वेतन रजिस्टर (वसीलात-हश्म) की जांच करना आरंभ किया
यातायात और डाक व्यवस्था में सुधार
दिल्ली सल्तनत के अन्य सुल्तानों की भांति गयासुद्दीन तुगलक ने भी यातायात व्यवस्था की ओर विशेष ध्यान दिया और इसकी कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए प्रयत्न किया
सल्तनत काल में यातायात व्यवस्था और डाक प्रणाली (Postal system) को पूर्ण रुप से व्यवस्थित करने का श्रेय गयासुद्दीन तुगलक को प्राप्त है
सेना की सुविधा के लिए यातायात के साधनो में सुधार किया सड़के ठीक करायी और पूलो और नहरों का निर्माण कराया गया
गयासुद्दीन तुगलक की डाक व्यवस्था श्रेष्ठ थी
शीघ्रता के लिए प्रत्येक 3/4 मिल पर डाक लाने वाले कर्मचारियों और घुड़सवारों को नियुक्त किया गया
भारत में मध्ययुगीन डाक व्यवस्था साधारण लोगों के उपयोग के लिए नहीं थी
सामान्य डाक का कोई नियमित प्रबंध नहीं था लेकिन शाही डाक के लिए उत्तम व्यवस्था की गई थी
इसके लिए दो प्रकार के संदेश वाहक की व्यवस्था की गई 1- एक घुड़सवार और 2- दूसरा पैदल चलने वाला होता था
डाक विभाग बरीद ए मुमालिक नामक मंत्री के अधीन था जो सूचना विभाग का प्रमुख होता था
डाक विभाग की कार्य कुशलता का विस्तृत विवरण मोरक्को निवासी इब्नबतूता ने दिया है,जो मुहम्मद बिन तुगलक के काल में भारत आया था
आर्थिक नीति(Economic policy)
ग्यासुद्दीन तुगलक जब गद्दी पर बैठा था तो उस समय साम्राज्य की आर्थिक स्थिति दयनीय थी और राजकोष पूरी तरह से रिक्त था
अत: रिक्त कोष को पुनः भरने और साम्राज्य की अर्थव्यवस्था को संगठित करने के लिए ग्यासुद्दीन ने विशेष ध्यान दिया
इस उद्देश्य से उसने राजस्व सुधार की एक व्यवहारिक योजना बनाई
उसने अलाउद्दीन के कठोर प्रणाली और उसके उत्तराधिकारियों की अत्यधिक उदार सौम्यता के बीच मध्यवर्ती नीति अपनाई जिसे ""बरनी""ने रस्मे मियाना (तरीक-ए -एत्दाल) कहा है
ग्यासुद्दीन अलाउद्दीन खिलजी द्वारा लागू की गई भूमि लगान और मंडी संबंधी नियम के पक्ष में नहीं था
उस दृष्टि से वह बलबन के निकट था
गियासुद्दीन ने भू-राजस्व संबंधी सुधारों को तीन स्तरों पर लागू किया 1- मुक्ताओ(प्रांतीय राज्यपाल) 2- मुकद्दमों (गांव के मुखिया) 3- कृषको (किसान)
इन तीनों में उसने किसानों के हितों को प्राथमिकता दी
किसानों का बोझ हल्का करने के लिए उसने अलाउद्दीन के भूमि नापने (हुक्मे- मसाहत) और प्रति बिस्वा उपज का नियम रद्द कर उसके स्थान पर उपज में सांझे (हुक्में-हासिल - पैदावार के अनुरूप)अथवा गल्ला बटाई के नियम को लागू किया
इसके दो लाभ थे-
1-प्रथम- इसमें किसानों से होने वाले उन्नत लाभ निश्चित कर दिए 2-दूसरे- फसल की पूर्ण अथवा आंशिक खराबी का ध्यान रखा गया
लगान वसूलने वाले पुराने मुकद्दमों और खुतो कि उनके विशेषाधिकार पुनः बहाल कर दिए और उनके खेत और चारागाह को कर मुक्त कर दिया गया
लगान वसूली के लिए उन्हें उचित जमीदाराना शुल्क दिया गया और उन्हें निश्चित Lagaan से अधिक वसूली और किसानों पर अत्याचार करने की मनाही कर दी गई
किसानों को ध्यान में रखते हुए लगान में कमी की गई
ग्यासुद्दीन का मत था कि- भूमि कर बढाने का सर्वोत्तम मार्ग कृषि प्रसार है,मांग की वृद्धि नहीं
उसकी नीति का परिणाम यह हुआ कि बहुत सी बेकार भूमि में कृषि होने लगी
खेतों की सिंचाई के लिए नहर खोदी गई और उद्यान भी लगाए गए
गयासुद्दीन तुगलक संतलत काल में नहरे बनवाने वाला प्रथम शासक था
कृषको को लुटेरों से बचाने के लिए उसने दुर्गों का निर्माण करवाया, उसने आदेश दिया कि राजस्व में वृद्धि धीरे-धीरे होनी चाहिए इस प्रकार नहीं की उसके कर की भारी बोझ से किसानों को हानि पहुंचाए
ग्यासुद्दीन तुगलक ने अमीरों और इक्तादारों द्वारा लगान वसूली में ठेकेदारी प्रथा (बोली दिलवाली) को बंद कर दिया
उनके द्वारा लगान वसूली में प्राप्त आमदनी का लेखा जोखा नियमित रूप से होने लगा
फवाजिल या अतिरिक्त आमदनी को इक्तादारों द्वारा केंद्रीय कोष (Central fund) में जमा करने के उपाय किए गए
सुल्तान ने अमीरों और इक्तादारो के अतिरिक्त लगान के 1/10 से 1/15 तक के अंतर को माफ कर दिया
ग्यासुद्दीन तुगलक ने यह नियम बनाया की किसी एक वर्ष में भू-राजस्व में 1/10 से 1/11 से अधिक वृद्धि नहीं की जाएगी
गयासुद्दीन तुगलक की नीति अलाउद्दीन के बिल्कुल विपरीत उदारता की नीति थी
किसानों की स्थिति को सुधारने में अत्यधिक ध्यान दिया, किसानों की स्थिति सुधारने, कृषि योग्य भूमि विस्तार हेतु किए गए प्रयास भू राजस्व व्यवस्था के पुनर्गठन के प्रमुख उद्देश्य थे
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